Tuesday, 9 July 2024

आखिर क्या कारण ​था कि मोहम्मद गोरी शेष दुनियां को छोड़कर बार बार दिल्ली पर हीआक्रमण करता रहा? मुझे इसका उत्तर राजा कृष्णदेव राय (1509-1520 ई) के समय की संस्कृत की एक प्राचीन पुस्तक वंशचरितावली में मिला जो इस प्रकार है।

आखिर क्या कारण ​था कि मोहम्मद गोरी शेष दुनियां को छोड़कर बार बार दिल्ली पर हीआक्रमण करता रहा? मुझे इसका उत्तर राजा कृष्णदेव राय (1509-1520 ई) के समय की संस्कृत की एक प्राचीन पुस्तक वंशचरितावली में मिला जो इस प्रकार है।

इतिहास में यही पढ़ते आए हैं कि महाराजा अनंगपाल तोमर के कोई पुत्र नहीं था किंतु 'वंशचरितावली' इस मिथक को तोड़ देती है। 

बाणाऽश्व चन्द्रभू (1175) वर्षे गजनी-गौरव-वासिनः।
शासकाः शक्तिहीना ये तेऽभूवन् शक्तिशालिनः।।

युद्धं कृत्वा प्रभुत्वाय ते परस्पर-शत्रवः।
गजनी-बहुरामेण गौरव-मोहमदो हतः।।

इन्द्रप्रस्थे तस्य पौत्र स्तवनंगशरणं गतः।
साकमनंगपालेन तेन पुत्री विवाहिता।।

शुद्धीकृता राजपत्नी हर्म्ये प्रासूत बालकम्।
परं पृथ्वी भटेनाऽशु षडयन्त्रमत्र निर्मितम्।।

तेन स बालकः क्षिप्तः कान्तारे घोर नामके।
कालान्तरे प्रसिद्धोऽभूद् घोरिनाम्ना स बालकः।।

यहां अनंगपाल तोमर के मुस्लिम दासी से उत्पन्न पुत्र गौरीशंकर के स्पष्टीकरण के लिये कथा का थोडा सा विस्तार प्रासंगिक हो जाता है। 

सरल व संक्षिप्त रूप से यह कि एक संघर्ष में फारस में अलाउद्दीन जहानसोज के उत्तराधिकारी सम्राट कुतुबुद्दीन मौहम्मद और उसके भाई सैफुद्दीन मौहम्मद को मार दिया जाता है। सम्राट कुतुबुद्दीन का ज्येष्ठ पुत्र क़यामत खान किसी तरह अपने प्राण बचाकर अपनी धर्मपत्नी शाहबानो व पुत्री शबाना के साथ भाग कर दिल्ली आया और उसने महाराजा अनंगपाल के यहां शरण ली और अपनी पुत्री शबाना की शादी महाराजा अनंगपाल से कर दी। इसी शबाना से एक पुत्र का जन्म हुआ, लेकिन म्लेच्छ स्त्री की संतान होने से उसे राजकुमार नहीं माना गया और कालांतर में जब उसके नाना क़़यामत खान पुनः अपने देश जाकर शासक बन गए तब वह बालक शहाब-उद-दीन मोहम्मद गौरी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। जिसने पहले गजनी फिर मुल्तान और ऊच पर अधिकार किया। 

महाराजा अनंगपाल तोमर के इसी पुत्र गौरीशंकर यानी शहाब-उद-दीन मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के युद्धों का घटनाक्रम हम अनेक प्रकार से पढते आए हैं।
तीर्थयात्रा पर जाते समय एक पर्शियन मुस्लिम सरदार की पुत्री के संसर्ग से अनंगपाल तोमर को एक पुत्ररत्न प्राप्त हुआ जिसका नाम गौरीशंकर रखा गया। पृथ्वीराज चौहान के विश्वासघात से खिन्न अनंगपाल तोमर का समस्त परिवार ढूंढार, चंबल, गोदावरी, बनास, साबरमती आदि नदियों के पठारी क्षेत्रों में बस गया और गौरीशंकर अपने नाना के साथ अफगानिस्तान चला गया जहां उसने मुस्लिम धर्म अपना कर शहाब-उद-दीन मौहम्मद गौरी हुआ और बाद में उसी ने अपने पिता का बदला लेने और अपना विरासत अधिकार पाने के लिये पृथ्वीराज चौहान द्वारा शासित राज्य दिल्ली पर बार-बार आक्रमण किये।

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