Thursday 10 October 2024

[10/10, 7:31 AM] +91 62601 44580: "हिन्दू" शब्द की खोज 
"हीनं दुष्यति इति हिन्दूः।”

अर्थात जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं।

'हिन्दू' शब्द, करोड़ों वर्ष प्राचीन,
संस्कृत शब्द है!

यदि संस्कृत के इस शब्द का सन्धि विछेदन करें तो पायेंगे ....
हीन+दू = हीन भावना + से दूर

अर्थात जो हीन भावना या दुर्भावना से दूर रहे, मुक्त रहे, वो हिन्दू है !

हमें बार-बार, सदा झूठ ही बतलाया जाता है कि हिन्दू शब्द मुगलों ने हमें दिया, जो "सिंधु" से "हिन्दू" हुआ l

हिन्दू शब्द की वेद से ही उत्पत्ति है !

जानिए, कहाँ से आया हिन्दू शब्द, और कैसे हुई इसकी उत्पत्ति ?

कुछ लोग यह कहते हैं कि हिन्दू शब्द सिंधु से बना है औऱ यह फारसी शब्द है। परंतु ऐसा कुछ नहीं है!
ये केवल झुठ फ़ैलाया जाता है।

हमारे "वेदों" और "पुराणों" में हिन्दू शब्द का उल्लेख मिलता है। आज हम आपको बता रहे हैं कि हमें हिन्दू शब्द कहाँ से मिला है!

"ऋग्वेद" के "ब्रहस्पति अग्यम" में हिन्दू शब्द का उल्लेख इस प्रकार आया हैं :-

“हिमलयं समारभ्य यावत इन्दुसरोवरं ।
तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते।

अर्थात : हिमालय से इंदु सरोवर तक, देव निर्मित देश को हिंदुस्तान कहते हैं!

केवल "वेद" ही नहीं, बल्कि "शैव" ग्रन्थ में हिन्दू शब्द का उल्लेख इस प्रकार किया गया हैं:-

"हीनं च दूष्यतेव् हिन्दुरित्युच्च ते प्रिये।”

अर्थात :- जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं!
इससे मिलता जुलता लगभग यही श्लोक "कल्पद्रुम" में भी दोहराया गया है :

"हीनं दुष्यति इति हिन्दूः।”

अर्थात जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं।

"पारिजात हरण" में हिन्दू को कुछ इस प्रकार कहा गया है :-

”हिनस्ति तपसा पापां दैहिकां दुष्टं ।
हेतिभिः श्त्रुवर्गं च  स हिन्दुर्भिधियते।”

अर्थात :- जो अपने तप से शत्रुओं का, दुष्टों का, और पाप का नाश कर देता है, वही हिन्दू है !

"माधव दिग्विजय" में भी हिन्दू शब्द को कुछ इस प्रकार उल्लेखित किया गया है :-

“ओंकारमन्त्रमूलाढ्य पुनर्जन्म द्रढ़ाश्य:।
गौभक्तो भारत: गरुर्हिन्दुर्हिंसन दूषकः ।

अर्थात : वो जो "ओमकार" को ईश्वरीय धुन माने, कर्मों पर विश्वास करे, गौपालक रहे, तथा बुराइयों को दूर रखे, वो हिन्दू है!

केवल इतना ही नहीं, हमार
"ऋगवेद" (८:२:४१) में

 विवहिन्दू नाम के बहुत ही पराक्रमी और दानी राजा का वर्णन मिलता है, जिन्होंने ४६,००० गौमाता दान में दी थी! और "ऋग्वेद मंडल" में भी उनका वर्णन मिलता है l
         बुराइयों को दूर करने के लिए सतत प्रयास रत रहने वाले, सनातन धर्म के पोषक व पालन करने वाले हिन्दू हैं।
[10/10, 8:01 AM] +91 62601 44580: *🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*

*⛅दिनांक - 10 अक्टूबर 2024*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - आश्विन*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि -  सप्तमी दोपहर 12:31 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*⛅नक्षत्र - पूर्वाषाढा प्रातः 05:41 अक्टूबर 11 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा*
*⛅योग - अतिगण्ड प्रातः 04:37 अक्टूबर 11 तक, तत्पश्चात सुकर्मा*
*⛅राहु काल - दोपहर 01:54 से 03:22 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:38*
*⛅सूर्यास्त - 06:14*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:56 से 05:45 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:03 से दोपहर 12:50 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:02 अक्टूबर 11 से रात्रि 12:51 अक्टूबर 11 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - सरस्वती पूजा, नवपत्रिका पूजा, सप्तम  नवरात्री*
*⛅विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ते हैं और शरीर का नाश होता है व अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। इस दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹 नवरात्रि - दुर्गाष्टमी - 11 अक्टूबर 🔹*

*🔸 नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर माँ महागौरी की पूजा की जाती है । माँ महागौरी, माँ दुर्गा का आठवाँ स्वरूप है । इन्हें आठवीं शक्ति कहा जाता है ।  पुराणों के अनुसार, इनके तेज से संपूर्ण विश्व प्रकाशमान है । माँ के इस रूप के पूजन से शारीरिक क्षमता का विकास होने के साथ मानसिक शांति भी बढ़ती है ।*

*🔸 इस दिन माँ को नारियल चढ़ाया जाता है । इस दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है । अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजा करने से माँ दुर्गा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है ।*

*🔹ॐ कार का अर्थ एवं महत्त्व🔹*

*🔸ॐ = अ+उ+म+(ँ) अर्ध तन्मात्रा । ॐ का अ कार स्थूल जगत का आधार है। उ कार सूक्ष्म जगत का आधार है । म कार कारण जगत का आधार है । अर्ध तन्मात्रा (ँ) जो इन तीनों जगत से प्रभावित नहीं होता बल्कि तीनों जगत जिससे सत्ता-स्फूर्ति लेते हैं फिर भी जिसमें तिलभर भी फर्क नहीं पड़ता, उस परमात्मा का द्योतक है ।*

*🔸ॐ आत्मिक बल देता है । ॐ के उच्चारण से जीवनशक्ति उर्ध्वगामी होती है । इसके सात बार के उच्चारण से शरीर के रोग को कीटाणु दूर होने लगते हैं एवं चित्त से हताशा-निराशा भी दूर होतीहै । यही कारण है कि ऋषि-मुनियों ने सभी मंत्रों के आगे ॐ जोड़ा है । शास्त्रों में भी ॐ की बड़ी भारी महिमा गायी गयी है ।*

*🔸भगवान शंकर का मंत्र हो तो ॐ नमः शिवाय । भगवान गणपति का मंत्र हो तो ॐ गणेशाय नमः। भगवान राम का मंत्र हो तो ॐ रामाय नमः । श्री कृष्ण मंत्र हो तो ॐ नमो भगवते वासुदेवाय । माँ गायत्री का मंत्र हो तो ॐ भूर्भुवः स्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। इस प्रकार सब मंत्रों के आगे ॐ तो जुड़ा ही है ।*

*पतंजलि महाराज ने कहा हैः तस्य वाचकः प्रणवः। ॐ (प्रणव) परमात्मा का वाचक है, उसकी स्वाभाविक ध्वनि है ।*

*🔸ॐ के रहस्य को जानने के लिए कुछ प्रयोग करने के बाद रूस के वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित हो उठे । उन्होंने प्रयोग करके देखा कि जब व्यक्ति बाहर एक शब्द बोले एवं अपने भीतर दूसरे शब्द का विचार करे तब उनकी सूक्ष्म मशीन में दोनों शब्द अंकित हो जाते थे । उदाहरणार्थ, बाहर के क कहा गया हो एवं भीतर से विचार ग का किया गया हो तो क और ग दोनों छप जाते थे। यदि बाहर कोई शब्द न बोले, केवल भीतर विचार करे तो विचारा गया शब्द भी अंकित हो जाता था ।*

*🔸किन्तु एकमात्र ॐ ही ऐसा शब्द था कि व्यक्ति केवल बाहर से ॐ बोले और अंदर दूसरा कोई भी शब्द विचारे फिर भी दोनों ओर का ॐ ही अंकित होता था। अथवा अंदर ॐ का विचार करे और बाहर कुछ भी बोले तब भी अंदर-बाहर का ॐ ही छपता था ।*

*🔸समस्त नामों में ॐ का प्रथम स्थान है। मुसलमान लोग भी अल्ला होssssss अकबर........ कहकर नमाज पढ़ते हैं जिसमें ॐ की ध्वनि का हिस्सा है ।*

*🔸सिख धर्म में भी एको ओंकार सतिनामु...... कहकर उसका लाभ उठाया जाता है । सिख धर्म का पहला ग्रन्थ है, जपुजी और जपुजी का पहला वचन हैः  एको ओंकार सतिनामु.........*

🙏🚩🙏

No comments:

Post a Comment