बिहार के गया शहर का इतिहास सतयुग काल से जुड़ा है. इस शहर से 15 किलोमीटर दूर परैया प्रखंड में एक गांव है ईश्वरपुर. इस गांव की गलियों से जब आप गुजरेंगे तो आपके कानों में मधुर संगाीत सुनाई पड़ेगी
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ऐसा लगेगा जैसे संगीत रूपी विद्या यहां के कण-कण में विराजमान है. 250 घरों वाले इस गांव में हर घर में संगीत के जानकार हैं.
ईश्वरपुर को म्यूजिशियन का गांव कहा जाता है. यहां के छोटे-छोटे बच्चों से लेकर युवा, बुजुर्ग हर कोई अपने आप में संगीत से बड़ा जुड़ाव रखता है. इनकी संगीत की कलाकारी बेजोड़ होती है.
ईश्वरपुर में आज भी तकरीबन सभी घरों में तबला वादन, हारमोनियम, सितार, ध्रुपद, धमाल, गायकी, तालपुरा, पखावज वादन, ख्याल गायकी जैसे शास्त्रीय संगीत की गूंज होती है.
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