जिस तरह चपरासी से लेकर प्रशासनिक सेवा तक सभी पोस्ट परीक्षाओं से भरे जाते हैं और उनकी न्यूनतम योग्यता होती है
उसी तरह उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के जजों की परीक्षा और साक्षात्कार होना चाहिए उसके बाद ही उनको जज बनाया जाना चाहिए और एक ही अपराध पर उनके दृष्टिकोण को अलग-अलग नहीं होना चाहिए चाहे वह जिस जाति धर्म के द्वारा किया गया है
और ठीक यही नियम सभी राजनीतिक पार्टियों और राजनेताओं पर लागू होना चाहिए कि किसी भी हालत में वह ग्रेजुएट से कम ना हो 70 वर्ष से अधिक कोई भी पद धारण करने से पूरी तरह मना किया जाए और एक प्रारंभिक परीक्षा के बाद ही चुनाव लड़ने की अनुमति दिया जाए यह नियम गांव सभा से लेकर प्रधानमंत्री पद तक होना चाहिए
लेकिन ऐसा नहीं होगा अगर संसद ऐसा नियम लेगी तो सर्वोच्च न्यायालय भी उनके लिए ऐसा ही नियम बना देगी इसलिए दोनों लोग आपसी मिलीमार और नूरा कुश्ती में सारा मजा लूट कर सबसे अधिक सुख सुविधा भोग रहे हैं
और देश के मूर्ख जनता को महंगाई बेरोजगारी भ्रष्टाचार लाल पिता सहित संवेदनहीनता जाति धर्म के झगड़ों में फंसा कर मस्ती से झूम रहे हैं और अपने लिए ऐसी पोस्ट को वह बेकार समझकर गंदी-गंदी पोस्ट पर लाइक कमेंट शेयर करते रहते हैं जैसे एक नशेड़ी और शराबी नशा और मदिरा को स्वर्ग और बैकुंठ का सुख समझता है वही हाल भारत की 95 प्रतिशत जनता की है इसीलिए सारा मजा पांच प्रतिशत लोग मर रहे हैं।डॉ दिलीप कुमार सिंह
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