Friday, 10 October 2025

सनातन धर्म अपने वैज्ञानिक दार्शनिक प्रकृति और पर्यावरण तथा मानव जीवन के महत्व से हटकर दिनों दिन अंधविश्वास पाखंड और दिखावा में गिरता चला जा रहा है और खाने के लिए लोग पढ़ लिख कर जागरूक और विज्ञान के अनुसार चलने वाले हो रहे हैं

सनातन धर्म अपने वैज्ञानिक दार्शनिक प्रकृति और पर्यावरण तथा मानव जीवन के महत्व से हटकर दिनों दिन अंधविश्वास पाखंड और दिखावा में गिरता चला जा रहा है और खाने के लिए लोग पढ़ लिख कर जागरूक और विज्ञान के अनुसार चलने वाले हो रहे हैं इसका एक उदाहरण मैं करवा चौथ के रूप में दे रहा हूं जिसका कहीं भी वर्णन नहीं है यह 50 वर्ष में डाला छठ की तरह फैल गया है जैसे चांद मियां और संतोषी माता सहित तमाम अविष्कार करके सनातन धर्म को बर्बाद करने का भीषण षड्यंत्र रचा जा रहा है यही हाल धनतेरस का है जिसका बर्तन आभूषण वहां इत्यादि की खरीदारी से कोई भी संबंध नहीं है तब फिर आखिर यह सब क्यों हो रहा है इसका सीधा उत्तर है कि लालची और बिके हुए धर्म गुरु जो अच्छे लोगों को व्यापारी लोग मिलकर अपना उल्लू सीधा करके जनता को मूर्ख बना रहे हैं यही वजह है कि सोना सवा लाख रुपये 10 ग्राम को पार कर गया है इस तरह से अनेक ऐसी चीज हैं जिनको टेलीविजन समाचार पत्र और मीडिया में लगातार प्रचारित किया जाता है और धीरे-धीरे वही मनाया जाता है अपने पति को कदम-कदम पर ठोकर मारने वाली उनका अपमान करने वाली महिलाएं जब करवा चौथ व्रत रहते हैं तो देखकर ही बड़ा अजीब लगता है अनेक महिलाएं तो कई पुरुषों से संबंध रखने के बाद भी यह व्रत मना कर नरक में जाती हैं और हंसी का पात्र हो जाती हैं इन सब पर बहुत ज्यादा चर्चा ना करके मैं एक उदाहरण बता रहा हूं कि किस तरह से यहां की आधी जनता भेड़ की तरह कुएं में गिरती है ।

एक बार वाराणसी प्रयागराज मार्ग पर कावड़ यात्रा में लोग जा रहे थे विधर्मी बाहुल्य क्षेत्र में जानबूझकर किसी भी धार्मिक ने टट्टी कर दिया था किसी सज्जन कांवरिया ने देखा तो उसने वहां दो-तीन फूल माला रख दिए जिससे लोग उसे टट्टी से बचकर चले जाएं लेकिन यह क्या जितने भी कमरिया आते गए सभी ने उसे पर एक-एक माला चढ़ना शुरू कर दिया और दोपहर होते-होते फूल माला का पहाड़ लग गया फिर शाम होते-होते चारों ओर जंगल में आज की तरह खबर फैल गई और लोग पूजा पाठ करने लगे जब इसकी व्यापक खोजबीन हुई तब सभी माला फूल का पहाड़ हटाकर देखा गया तो वहां पर टट्टी प्राप्त हुई और संजोग से उसे कांवरिया ने आकर सच्चाई बताया यही हाल है आज टेलीविजन और मीडिया सोशल मीडिया में किसी भी स्थान को कुछ दिनों तक प्रचार प्रसार कर दो तो वही होता है जो व्यापारी और मीडिया वाले तथा धर्मगुरु चाहते हैं 

मेरा कहने का अर्थ यह है कि 1 वर्ष में अपने जनपद और प्रदेश के अनुसार कुछ विशेष पर्व उपहार मने जिसमें नवरात्रि होली दीपावली दशहरा रक्षाबंधन ‌ माघ की चौथ सहित कुल मिलाकर 15 ऐसे पर्व है जिसे मानना चाहिए बाकी अलग-अलग प्रदेश में कुछ अलग-अलग त्योहार होते हैं जैसे डाला छठ बिहार का ओडम केरल का बिहू असम का पोंगल दक्षिण भारत का और संक्रांति गुजरात का महापर्व है यदि सारे पर्व मनाने लगे तो पता चला प्रत्येक दिन पूजा पाठ व्रत त्यौहार अनुष्ठान ही है तब आगे कौन सा काम होगा दिन-रात केवल हरि भजन करते हुए पूजा पाठ करने में बीत जाएगा और खाने बिना भूखे मरने लगेंगे ‌ एशिया में विश्वास और पाखंड का फल है कि जब विदेशी भी धर्मी शैतानों ने भारत पर आक्रमण किया तो भारत के लोग उसे रोकने में बुरी तरह से असमर्थ रहे और धीरे-धीरे अब से इंडोनेशिया और सोवियत संघ से श्रीलंका तक फैला हुआ भारत सीमेंट कर बहुत थोड़े स्थान में बच्चा है और वह अभी कब तक बचा है ईश्वर ही जाने

एक बात और है आज हर व्रत त्यौहार की वीडियोग्राफी और सजीव प्रसारण होता है इसलिए धर्मगुरु लोगों को कठोरता से नियम बनाना चाहिए कि किसी भी व्रत त्यौहार की वीडियो ग्राफी कैमरा और मोबाइल से नहीं होगी ‌ जैसे दक्षिण भारत में मंदिरों के नियम है अगर आप उसे तरह से नहीं जाते तो आपको मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाता वैसे ही मनमानी पर नहीं होना चाहिए हर एक धर्म का अलग से नियम कठोरता के साथ लागू होना चाहिए वरना पूरी दुनिया से मिट्टी रहा सनातन धर्म भारत से भी मिट जाएगा यह सब वैज्ञानिक और धार्मिक दृष्टि से निष्पक्ष किया गया विचार है 

आगे इस पर गंभीर चिंतन मनन और मंथन होना अति आवश्यक है मैंने आज तक यह नहीं देखा कि धर्म बदलकर कोई भी व्यक्ति धनवान हो गया या उसे मान सम्मान प्राप्त हो गया ‌ या उसे धर्म में वह बड़े लोगों और धर्मगुरु लोगों के बराबर सम्मानित हो गया ऐसे लोग ना अपने धर्म के होते हैं ना दूसरे के धर्म के हो पाते हैं कहावत है कि जो पत्नी पति की नहीं हुई और जो बेटा बाप का नहीं हुआ वह दुनिया में किसी का नहीं हो सकता है और यही अटल सत्य भी है

इसी तरह से लगभग हर लोग कोई ना कोई पूजा पाठ व्रत त्यौहार तीर्थ यात्रा करते हैं लेकिन केवल एक प्रतिशत लोगों को ही उसका फल प्राप्त हुआ है क्योंकि वही शुद्ध मन से तीर्थ यात्रा करते हैं हनीमून मनाने वाले लोगों के कारण ही पहाड़ फट रहे हैं और भयंकर दुर्घटनाएं केदारनाथ बद्रीनाथ कश्मीर और पंजाब की जल प्रलय की घटनाएं हो रही है इस पर बहुत गहराई से विचार और मंथन वैज्ञानिक धार्मिक दृष्टि से होना चाहिए
: सत्य की खोज और सत्य लिखना इतना आसान नहीं है और सच ही रहता है बाकी सारी चीज धीरे-धीरे मिट जाती हैं कितने ही व्रत पर्व त्यौहार प्रथम परंपरा इसलिए समाप्त हो गए क्योंकि वह जबरदस्ती लाभ के लिए बनाए गए थे लेकिन होली दिवाली दशहरा रक्षाबंधन माघ का चौथ और सूर्य देव को जल देना जैसे व्रत आज भी चल रहे हैं इसलिए कि वह असली हैं एक बात और कहना चाहता हूं की अंग्रेजी भाषा में अंग्रेजी वेशभूषा में सनातनी देवी देवताओं की पूजा करने वालों को कोई फल इस तरह से नहीं मिलता जैसे एक ताले की चाबी दूसरे चाबी में नहीं लगती या एक टीवी का रिमोट दूसरे में काम नहीं करता या हवाई जहाज की चाबी कर में नहीं लग सकती इसीलिए सनातन धर्म के देवी देवताओं का पूजा और व्रत तभी फलित होता है जब विशुद्ध सनातनी वस्त्र में शुद्ध हिंदी संस्कृत या भारत की भाषाओं में अपने देवी देवताओं की पूजा किया जाए जो लोग हाय हेलो पापा मम्मी डैडी खाना तलाक शादी मुबारक शुक्रिया जैसे शब्दों के साथ पूजा पाठ करते हैं उनको कभी भी वह फल प्राप्त नहीं हो सकता है जैसे की मछली कभी भी मनुष्य से प्रजनन करके बच्चे नहीं पैदा कर सकती हैं अब इसके बाद भी लोगों को समझ में ना आए तो क्या किया जा सकता है

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