एक बहुत ही खतरनाक षड्यंत्र जो देश की आजादी के समय से ही चल रहा है
वैसे ही एक सप्ताह पहले से पूरे देश में विशेष कर दिल्ली में भयानक प्रदूषण की चर्चा अचानक ही समाचार पत्र पत्रिकाएं बुद्धिजीवी लोग और न्यायपालिका के लोग करने लगते हैं
फिर अचानक एक याचिका डाली जाती है और तुरंत आदेश हो जाता है कि इस साल प्रदूषण को रोकने के लिए पटाखे पूरी तरह से प्रतिबंधित होंगे
और जब यही पटाखे ईद बकरीद 12 वफात क्रिसमस और नए अंग्रेजी वर्ष में दीपावली से 100 गुना अधिक पूरी दुनिया में छोड़े जाते हैं तब कहीं कोई प्रदूषण नहीं फैलता है
दूसरी नौटंकी पराली जलाने को लेकर हैं जबकि अब इस पराली का कोई नामोनिशान नहीं है ।
हर वर्ष ऐसा ही होता है जैसे ही दीपावली आती है दुनिया भर की नौटंकी शुरू हो जाती है और सरकार भी इस काम में खूब सहयोग न्यायपालिका का करती है
मजे की बात यह है कि आज दिनांक 7 अक्टूबर तक पूरे भारत के किसी भी समाचार पत्र पत्रिका सोशल मीडिया में इस प्रदूषण का कहीं कोई जिक्र नहीं है 12 यह सब कुछ अचानक की पूर्व प्रायोजित योजना के तहत होता है कहीं दूर की बर्बादी दिखाई जाती है तो कहीं होली के नाम पर पानी की बर्बादी दिखाई जाती हैं और जब करोड़ बेजुबान जानवर एक झटके में काट दिए जाते हैं पूरे देश में मांस मज्जा और खून की नदी बहने लगती है जिसकी दुर्गंध पूरे देश में फैल जाती हैं
पूरी देश की न्यायपालिका सहित कोई तंत्र नहीं बोलता है इतना ही नहीं प्लास्टिक के पेड़ क्रिसमस में अचानक ऑक्सीजन देने लगते हैं और सरसों और घी के तेल के दीपक प्रदूषण पैदा करने लगते हैं जो धर्म विज्ञान अध्यात्म के बिल्कुल विपरीत है जब यही पटाखे ईद बकरीद दिवाली नई अंग्रेजी वर्ष और क्रिसमस पर छोड़े जाते हैं तो उनसे ऑक्सीजन और स्वच्छता प्राप्त होती है पहले मैं पटाखे नहीं छोड़ता था लेकिन इस एक पक्षी राजनीति के तहत अब जमकर पटाखे छोड़ना हूं -डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि
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