आज विश्व एड्स दिवस है जो दुनिया का सबसे भयानक रोग है लेकिन यह केवल दुराचारी लंपट कामुक छिनरा कुपंथी स्त्री पुरुषों में ही फैलता है सरकार कहती है वह दुराचार करो लेकिन कंडोम लगाकर
भारत के ऋषि मुनि और प्राचीन सभ्यता और हम लोग कहते हैं कि ऐसा कुकर् ही मत करो कि कंडोम लगाने की जरूरत पड़े यही अंतर है विदेशी सभ्यता और भारत की सभ्यता में
आज भारत का हर तीसरा व्यक्ति एड्स से पीड़ित है और दूसरों को भी पीड़ित कर रहा है लेकिन सौभाग्य से अभी भारत में इसका असर हर 10 में से एक व्यक्ति पर हो रहा हैइसलिए अनजान जगह संबंध बनाने की भूल मत करना वरना जीवन भर घुट घुट करमरना है
सुनने में सब कुछ बड़ा आसान लगता है लेकिन एक बार किसी एड्स के कैंसर के या एवं रोगों से पीड़ित व्यक्ति से मिले लेना फिर जिंदगी भर गलती नहीं करोगे
पश्चिमी विज्ञान कहता है चश्मा लगा लो हमारा विज्ञान कहता है ऐसा खान-पान रखो 100 साल चश्मे की जरूरत ही ना पड़े अब यह आप लोगों पर छोड़ देता हूं की चश्मा लगाकर परजीवी बनते हैं या हमेशा के लिए चश्मा ना लगने वाला जीवन अपनाना हैं
आज दुनिया भर में ऐड के समारोह समय सेमिनार आयोजित होंगे और ऐसे ही होते रहेंगे ऐसा हो यह मानव के कुकर्म है जो आज उसे ऐड्स और कैंसर जैसी बीमारी झेलना पड़ रहा है जो पशुओं में दुराचार करने के कारण पैदा हुआ इसमें मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो जाती है और दुनिया की कोई दवा काम नहीं करती इसका प्रारंभिक लक्षण एचआईवी है डॉ दिलीप कुमार सिंह
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