Tuesday, 26 April 2022

++ बिन नारी कैसा है जीवन ++

प्यारी कविता 
ंंंंंंंंं
++ बिन नारी कैसा है जीवन ++

जैसै वा़यु बिना जल के हो 
या कि पुष्प हो बिना सुरभि 
या कि छॉंव में ठंड नहीं हो 
बल्किभरी हो उष्ण तपन !

जैसे कोई लम्बा रस्ता
पर उसमें विश्राम नहीं 
चलतेजाओ चलते जाओ 
मगर कहीं आराम नहीं जैसे 
वायु नहीं होने पर 
शांत पडीं लहरें निश्चल तुम बिन ं

जग में जीवन निरा असंभव 
यदि उसमें जलवायु न हो
मानव जीवन शून्य निरर्थक यदि
 नारी की छांव न हो 
नारी एक मृदुल धड॒कन है 
जिसमें मृदुता औ कंपन तुम बिन ं 

मानव जीवन निरा असंभव 
यदि उसमें जल बिन्दु नहो 
जग में जीवन पूर्ण असंभव 
यदि नारी सम इंदु न हो 
नारी ही कल्याण करेगी नारी को 
सब करो नमन बिन नारी ंं
ंंमंंंंंंंंडॉ दिलीप कुमार सिंह
 कवि लेखक साहित्यकार ज्योतिर्विद

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