प्यारी कविता
++ बिन नारी कैसा है जीवन ++
जैसै वा़यु बिना जल के हो
या कि पुष्प हो बिना सुरभि
या कि छॉंव में ठंड नहीं हो
बल्किभरी हो उष्ण तपन !
जैसे कोई लम्बा रस्ता
पर उसमें विश्राम नहीं
चलतेजाओ चलते जाओ
मगर कहीं आराम नहीं जैसे
वायु नहीं होने पर
शांत पडीं लहरें निश्चल तुम बिन ं
जग में जीवन निरा असंभव
यदि उसमें जलवायु न हो
मानव जीवन शून्य निरर्थक यदि
नारी की छांव न हो
नारी एक मृदुल धड॒कन है
जिसमें मृदुता औ कंपन तुम बिन ं
मानव जीवन निरा असंभव
यदि उसमें जल बिन्दु नहो
जग में जीवन पूर्ण असंभव
यदि नारी सम इंदु न हो
नारी ही कल्याण करेगी नारी को
सब करो नमन बिन नारी ंं
ंंमंंंंंंंंडॉ दिलीप कुमार सिंह
कवि लेखक साहित्यकार ज्योतिर्विद
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