*अस्पतालों में ताक पर मरीजों की सुरक्षा*
अंबेडकरनगर
जिले के कई सरकारी अस्पतालों में मरीजों व तीमारदारों की सुरक्षा ताक पर है। ऐसा इसलिए क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र के तमाम पीएचसी व अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र ऐसे हैं, जहां पर न तो चारदीवारी का ठीक से निर्माण हुआ है और न ही गेट लगे हैं। ऐसे में रात मेें किसी भी प्रकार की अनहोनी की आशंका बनी रहती है। इस स्थिति को चिंताजनक बताते हुए मरीजों व तीमारदारों का कहना है कि रात में खासतौर पर सुरक्षा के प्रबंध सुनिश्चित किए जाएं। न सिर्फ गेट पर चौकीदार या सुरक्षाकर्मी तैनात रहे, वरन चारदीवारी का भी निर्माण अविलंब कराया जाए।गोंडा जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मुजेहना में प्रसव के बाद एक नवजात का मुंह किसी जंतु द्वारा रात में नोंच लिए जाने की घटना ने अस्पतालों में सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसे हालात दरअसल सिर्फ गोंडा में ही नहीं हैं।अंबेडकरनगर जिले के भी तमाम सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था ताक पर है। जिला अस्पताल में रात में भी भीड़भाड़ रहने के चलते अनहोनी की आशंका कम रहती है, लेकिन यहां भी इमरजेंसी गेट पर कोई गार्ड या चौकीदार मौजूद नहीं दिखता है। यहां किसी जानवर के प्रवेश की संभावना तो न के बराबर रहती है, लेकिन असामाजिक तत्व रात में बेरोकटोक आ-जा सकते हैं।
ज्यादातर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का भी यही हाल है। भीटी, कटेहरी, टांडा, रामनगर जैसे तमाम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ऐसे हैं, जो रात में सन्नाटे में डूबे रहते हैं। बीते दिनों टांडा सीएचसी में ही आधी रात को एक टीम परिसर के अंदर तक पहुंच गई थी, जहां कर्मचारी सो रहे थे। ऐसे में यहां कोई भी अनहोनी कभी भी हो सकती है।
सबसे ज्यादा खराब हालत तो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों की है। ऐसा इसलिए क्योंकि इनमें से ज्यादातर का या तो गेट क्षतिग्रस्त है या फिर पूरी चारदीवारी का ही निर्माण नहीं है। ऐसे में कोई भी जंगली जानवर या अवांछनीय तत्व किसी भी समय अस्पताल परिसर के अंदर पहुंच सकता है।
आलापुर तहसील में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कमालपुर पिकार में चारदीवारी का निर्माण नहीं हुआ है। यहां सुरक्षा के लिए कटीले तारों से बैरिकेडिंग कराई गई थी। यह बैरिकेडिंग लंबे समय से क्षतिग्रस्त पड़ी है। नतीजा यह है कि यहां जंगली जानवरों का खतरा हमेशा बना रहता है। यह अस्पताल पिकिया नदी के निकट स्थित है। ऐसे में यहां जंगली सूकरों के अलावा अन्य जानवरों के पहुंच जाने की आशंका बनी रहती है। लंबे समय से स्थायी चारदीवारी की मांग की जा रही है लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है।
नहीं लग सका अब तक गेट
अकबरपुर तहसील के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत अत्यंत दयनीय है। यहां न सिर्फ सफाई का अभाव है, वरन एक तरफ चारदीवारी का भी पूरा निर्माण नहीं हो पाया है। यूं तो अस्पताल का मुख्य भवन बेहतर ढंग से बना हुआ है लेकिन एक हिस्से में चारदीवारी का ही निर्माण नहीं हुआ है। यह स्थान गेट लगाकर चारदीवारी को पूरा करने के लिए छोड़ा गया था, लेकिन कार्य नहीं हो पाया। नतीजा यह है कि यहां पर रात में कभी भी जंगली जानवरों का प्रवेश हो सकता है।
दुरुस्त की जा रहीं व्यवस्थाएं
सभी अस्पतालों में सुरक्षा को लेकर पूरी चौकसी बरती जाती है। मरीजों के भर्ती रहने पर अस्पतालों में विशेष ध्यान रखा जाता है। इसी के चलते अब तक कोई भी अप्रिय वारदात मरीजों व तीमारदारों के साथ नहीं हुई है। चारदीवारी व अन्य व्यवस्थाएं दुरुस्त कराने के प्रयास चल रहे हैं।
डॉ. श्रीकांत शर्मा, सीएमओ
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