Monday 27 March 2023

सनातन धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है यह स्वयं ईश्वर के द्वारा बनाया गया है जो समय-समय पर असत्य अधर्म अन्याय अंधकार को मिटाकर धर्म की स्थापना करता है सारे संसार में मुसलमान यहूदी और ईसाई धर्म को छोड़कर बाकी सभी लोग येन केन प्रकारेण सनातन धर्म को मानने वाले ही हैं चाहे वह आदिवासी हो वनवासियों गुफा वासी हो नास्तिकों या कुछ भी हो भगवान पशुपतिनाथ और आदि देवी भगवती हर धर्म में पूज्य सम्मानित और प्रकार अंतर से उस की जननी है

सनातन धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है यह स्वयं ईश्वर के द्वारा बनाया गया है जो समय-समय पर असत्य अधर्म अन्याय अंधकार को मिटाकर धर्म की स्थापना करता है सारे संसार में मुसलमान यहूदी और ईसाई धर्म को छोड़कर बाकी सभी लोग येन केन प्रकारेण सनातन धर्म को मानने वाले ही हैं चाहे वह आदिवासी हो वनवासियों गुफा वासी हो नास्तिकों या कुछ भी हो भगवान पशुपतिनाथ और आदि देवी भगवती हर धर्म में पूज्य सम्मानित और प्रकार अंतर से उस की जननी है

आज महा नवरात्रि के दिव्य भव्य और पवित्र पर्व का सातवां दिन माता महाकाली का है जो भगवती पार्वती का सातवां रूप है और काल क्रम में वे अत्यंत ही काली रूप धारण करके खप्पर लेकर आए चंड मुंड शुंभ निशुंभ का मर्दन करके विकराल काल कराल रूप में सारे ब्रह्मांड को नष्ट करने पर उद्यत हो गई और सारी शक्तियों के परे हट जाने पर स्वयं भगवान आदि देव शिव उनके मार्ग में आकर सो गए और जैसे ही उनका पैर भगवान भोलेनाथ की छाती पर पड़ा वैसे ही भयंकर हूं कार छोड़कर उनकी जीभ निकल आए और मुझे उनका क्रोध शांत हो गया

सनातन धर्म देश काल परिस्थिति वातावरण पर्यावरण मानव कल्याण और विश्व भर को ज्ञान प्रकाश न्याय धर्म दर्शन देने में सबसे आगे है और इसकी वैज्ञानिक खोज का कोई आरपार नहीं है

सृष्टि के प्रारंभ में सारी सृष्टि एक बिंदु में समाहित थी एको अहम बहुश्याम की भावना के साथ भगवान शिव और भगवती पार्वती ने सृष्टि का विस्तार किया और त्रिदेव और त्रिदेवियां उत्पन्न हुई और अरबों खरबों अनगिनत ब्रह्मांड उत्पन्न हुए आज का विज्ञान इसी को महा विस्फोट सिद्धांत या big-bang-theory कहता है आधुनिक विज्ञान तो अभी बहुत थोड़ा जान पाया है हमारे ऋषि मुनि परम ज्ञानी संत महात्मा और ब्रह्म ऋषि लोग सृष्टि काहे के क्रश जान चुके थे और विश्वामित्र सुखदेव व्यास जी वाल्मीकि जैसे लोग तो स्वयं ईश्वर के समकक्ष पहुंच चुके थे

तो आइए आज महाकाली देवी का रहस्य समझते हैं यह सारी सृष्टि अंधकार और प्रकाश श्वेत ऊर्जा और श्याम ऊर्जा कृष्ण विवर और श्वेत विभाग से मिलकर बनी है शिव जी के तीनों नेत्र उनका त्रिशूल और डमरु यह बताता है कि सारी सृष्टि अल्फा बीटा गामा किरणों से इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से मिलकर बना है और धन तथा ऋण ऊर्जा मिलकर ही पुरुष और प्रकृति का निर्माण किया है


कालांतर में सतयुग त्रेता द्वापर और कलयुग 4364000 साल में बीत जाता है तब महाप्रलय हो जाती हैं और सब कुछ जल में समाहित हो जाता है धीरे-धीरे छिति जल पावक गगन समीरा एक दूसरे में समाहित होते हुए अनंत अंतरिक्ष में और अनंत अंतरिक्ष अंततोगत्वा कृष्ण विवर में विलीन हो जाता है सारी सृष्टि के कृष्ण मिलकर परम कृष्ण बीबर अब्सोल्युटली खोल बनाते हैं जिन की अधिष्ठात्री और स्वामिनी स्वयं माता महाकाली हैं जिन्हें हम कालरात्रि के नाम से जानते हैं क्योंकि सब कुछ इस परम महाकाली में विलीन हो जाता है धीरे-धीरे यह घना अंधकार अनंत ब्रह्मांड को निगल जाता है और जब या प्रकाश का अंतिम कर निकलने को होता है तब अपने अंदर सारी प्रकाश और ऊर्जा और सभी प्रकार के परम श्वेत विवर समाने वाले भगवान शिव आकर उस परम घनघोर अंधकार को रोकते हैं और उसे निकल जाते हैं इस प्रकार प्रकाश की अंतिम किरण बस जाती है और सृष्टि हमेशा के लिए विलीन होने से भी बच जाती है यही महाकाली कवच चित्र है जिसे हम आप देखते हैं जिसमें भगवान शिव रास्ते पर लेटे हुए हैं और विकराल कराल जीभ निकाले महाकाली का पैर उनके वक्षस्थल पर पड़ता है और वे शांत हो जाती हैं अर्थात परम अंधकार परम प्रकाश में विलीन हो जाता है यही वह रहस्य है जिसे लोग नहीं जानते हैं

हमारे वेदों और उपनिषदों में लिखा है अरणो  अरणीयान महतो महीयान अर्थात अणु और परमाणु से भी छोटा और विराट से भी विराट यह ईश्वर का रूप है जो परमाणु से लेकर अनंत आकाशगंगा में व्याप्त है


भारत के ऋषि मुनि हमेशा आकाश को अनंत कहते हैं यूरोप अमेरिका पहले से नहीं मानते थे और अब मान गए हैं और यह भी मान चुके हैं कि हर क्षण करोड़ो आकाशगंगा ए ब्लैक होल में समा कर नष्ट हो रही है तो दूसरी और करोड़ों आकाशगंगा वाइट होल में जन्म ले रहे हैं महाकाली लोग को पार करके ही कोई बैकुंठ और शिव के लोक में जा सकता है इसका वर्णन महाभारत में बहुत सुंदर ढंग से आया हुआ है जब दिव्य अस्त्र शस्त्र पाने के लिए श्री कृष्ण अर्जुन को अपने साथ लेकर गए और असम के सूर्य चांद तारे आकाशगंगा को पार करके विश्व के पहले एक परम भयानक गहरी सुरंग में पहुंच गए जहां हाथ को हाथ नहीं दिखाई देता था इस पर भगवान श्री कृष्ण ने अपने परम तेजस्वी अरबों खरबों सूर्यों के समान तेजवान सुदर्शन चक्र को याद किया लेकिन अरबों खरबों सूर्य का प्रकाश देने वाला सुदर्शन चक्र भी उस महान घनघोर अंधकार में विलीन हो गया इससे बढ़कर कोई और वैज्ञानिक प्रमाण में आज तक पूरी सृष्टि में नहीं हुआ

तो आइए आज हम मां कालरात्रि अर्थात भगवान शिव की अंधकार रूपा मा महाकाली को नवरात्रि के साथ में देना स्मरण करें जो कोमल से कोमल और कठोर से कठोर हैं और जिन की उत्पत्ति ही आसुरी शक्तियों का विनाश करने अज्ञान अंधकार असत्य का नाश करने के लिए हुई है अगर आप लोगों को मेरा यह पूर्व वैज्ञानिक आध्यात्मिक दार्शनिक और धार्मिक विवेचना पसंद आए तो माता महाकाली को सादर प्रणाम अवश्य कीजिएगा डॉ दिलीप कुमार सिंह ज्योतिष शिरोमणि मौसम वैज्ञानिक और निदेशक अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम और विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर

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