Wednesday 17 May 2023

आनासागर !को अजमेर की नई कलेक्टर डॉ भारती से बड़ी उम्मीदें हैं!*_ 👍_*पानी की जलकुंभी तो पांच दिन में हट जाएंगी भारती जी!मगर आनासागर के बाहर की जलकुंभियों का क्या होगा!असली ख़तरा तो वे हैं!!*_🤨सत्ता की भूख! राजस्थान को किस मोड़ पर ले आई है?‼️*🤔_*कांग्रेसी लोंग, इलायची सुपारी लेकर अपने ही दल को दलदल बना रहे है!*_🤦‍♂️_*और कमल दलदल में ही खिलता है!!*_🪷 *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

*‼️ब्लॉग बड़ा है मगर मुद्दा भी बहुत बड़ा है‼️*🤷‍♂️

_*आनासागर !को अजमेर की नई कलेक्टर डॉ भारती से बड़ी उम्मीदें हैं!*_ 👍

_*पानी की जलकुंभी तो पांच दिन में हट जाएंगी भारती जी!मगर आनासागर के बाहर की जलकुंभियों का क्या होगा!असली ख़तरा तो वे हैं!!*_🤨

               *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

                  *अजमेर में नई सरकार आई हुई है। जी हाँ, नई कलेक्टर साहिबा! डॉ भारती!पहले झालावाड़ थीं! भारती साहिबा ने आते ही आनासागर की तरफ देखा! उसमें पसरी हुई गंदगी को निहारा! जलकुंभी के विकृत फैलाव को देखा! जो गुस्सा आम आदमी को आता रहा! मगर राजनेताओं और नगर निगम प्रशासन को नहीं आया! पिछले कलेक्टर अंशदीप को नहीं आया वह भारती जी को आ गया। उनके स्वाभाविक ग़ुस्से को नमन करते हुए यह ब्लॉग लिख रहा हूँ।*🙋‍♂️
                     *कलेक्टर साहिबा ने पांच दिन में जलकुंभी आनासागर से बाहर करने का अल्टीमेटम दे दिया है! छठे दिन ठेकेदार के ख़िलाफ़ कार्यवाही की जाएगी!इस अल्टीमेटम से ही ठेकेदार और निगम के अधिकारीयों में हलचल मच गई है।🙋‍♂️*
                   *आनासागर पिछले लंबे समय से आँसू बहाता रहा है। जो भी कलेक्टर आता है आनासागर को लेकर बहुत संवेदनशील नज़र आता है! ऐसा लगता है जैसे आनासागर के सारे दुख दर्द दूर हो जाएंगे ! मगर फिर सबकी नज़रे राजनेताओं के नख़रे उठाने में लग जाती हैं!*😔
                           *अंशदीप जी हों या अन्य पिछले सारे  कलेक्टर ! सभी ने ऐसा किया!नया नया मुल्ला ज़ियादा ऊंची आवाज़ में अज़ान पढ़ता है!*💯
                     *भारती बहन जी ! आपका आनासागर नई उम्मीदों के साथ स्वागत करता है! आपकी नज़र में आनासागर आ ही गया है तो आइए उसकी व्यथा से आपको अवगत करा दूँ ! यदि आपने इस झील के लिए अपने प्रशासनिक अधिकारों का प्रयोग किया तो यह शहर! यह झील! शहर के लोग ! आपके अहसान मंद रहेंगे!*🙏
               *मेरे कुछ सवाल!आनासागर की तरफ से! एक जागरूक पत्रकार की हैसियत से! आज केवल आनासागर के बीच में बने टापू को लेकर कुछ सवाल,उसके बाद इस झील पर हुए अत्याचार के अन्य मुद्दों पर बात करूँगा।*👍
            *आपको बता दूँ! आनासागर अजमेर शहर की ख़ूबसूरती का केंद्र है और उसके केंद्र में लाखों लोगों का पसीना बहा कर बनाया गया एक टापू है। श्रमदान के एक छोटे से प्रशासनिक आह्वान पर पूरा अजमेर सूखे हुए आनासागर की मिट्टी को खोद कर गहरा करने के अभियान से जुट गया था। आनासागर की मिट्टी को ट्रैक्टर में भर कर लोग अपने खेतों खलियानों में ले गए थे। बची हुई मिट्टी को आनासागर के बीच मे इकठ्ठी कर दी गयी थी। शहर की सामाजिक संस्था सिटीजन कॉन्सिल का नाम तब बेहद लोकप्रिय हुआ था। नगर के प्रबुद्ध नागरिकों को इस संस्था में भागीदारी दी गई थी ।प्रशासन और नागरिकों के बीच सेतु बनी इस संस्था ने आनासागर की क़िस्मत को अपने हाथों से लिखना शुरू कर दिया। कुछ सालों तो सब कुछ सही चला मगर बाद में यह संस्था भू माफ़ियाओं के क़ब्ज़े में आ गई। शहर बेचने वाले लोगों ने इसे रखरखाव के नाम पर इस टापू को हथिया लिया।चालबाज़ ताक़तों ने अंत मे इसे अपने नाम भी करवा लिया है।चर्चा है कि "टापू सुल्तान" ने ( सुल्तान का नाम आप अपने स्तर पर मालूम करें तो अच्छा रहेगा ) 😊इसे सिटीजन कॉन्सिल से छीन कर खातेदार ( जो इस ज़मीन का मूल खातेदार भी है या नहीं, प्रमाणित नहीं है ) से इस ज़मीन की रजिस्ट्री तक करवा ली है।*😨
                          *अब मूक सवालों को लेकर बेचारा आना सागर ज़िला प्रशासन! ज़न प्रतिनिधियों! सामाजिक संस्थाओं! पर्यावरण पुरोधाओं और आम नागरिकों से कई सवाल पूछ रहा है। आईये उसके कुछ सवालों को मैं आपके सामने रख देता हूँ। आपको इन सवालों के जवाब निगम के अधिकारीयों से अवश्य पूछने चाहिए।*👍
                             *अजमेर शहर के लाखों छोटे बड़े हाथों द्वारा श्रमदान कर अनासागर झील के मध्य जो कृत्रिम टापू का निर्माण किया गया था उस टापू को बनाये जाने का मूल उद्देश्य क्या था ❓️*
                   *झील के मध्य मिट्टी से भरी तगारियां अपने कंधो पे रखकर बनाये इस कृत्रिम टापू जिसे बनाने में 6 साल के मासूम से लेकर 80 साल तक के बुजुर्ग ने अपना पसीना बहाया था उसके बनने के बाद इसका स्वामित्व किसका था ❓️खातेदार का, निगम का या किसी अन्य विभाग का ❓️*
                  *टापू पर संचालित गतिविधियों की जानकारी क्या जिले के प्रशासनिक मुखिया या किसी विभागीय मुखिया को है ❓️*
                *क्या इस टापू को व्यावसायिक उपयोग के लिए किसी संस्था को लीज़ पर दिया गया था ❓️ यदि हाँ तो इसकी शर्ते क्या थी ❓️ मासिक किराया तय हुआ था या वार्षिक ❓️किराया कौन वसूलता है ❓️कितने समय के लिए लीज़ पर दिया गया था ❓️*
                        *इस कृत्रिम टापू पर क्या पक्के निर्माण की अनुमति किसी प्रशासनिक विभाग द्वारा जारी की गई थी❓️किसके द्वारा खर्च वहन करके किस उद्देश्य से टापू पर पक्का निर्माण किया गया है ❓️*
                      *क्या टापू पर निर्मित रेस्टोरेंट / फास्टफूड में बनाये जाने वाले खाद्य सामग्री की प्रशासनिक अनुमति / लाइसेंस लिया हुआ है ❓️खाद्य सामग्री का वेस्टेज कहाँ जाता है कभी किसी प्रशासनिक मुखिया द्वारा इस पर विचार किया गया ❓️*
                        *टापू पर बने कमरों और टॉयलेटस की गंदगी का निकास कहाँ है❓️कहीं ये गंदगी भी इस झील को प्रदूषित करने का एक मुख्य कारण तो नहीं। क्या इस पर कभी कोई औचक निरिक्षण किसी विभाग या प्रशासनिक मुखिया द्वारा किया गया ❓️*
                          *टापू तक आने जाने के लिए नाव की अनुमति कितने समय के लिए किस विभाग द्वारा जारी की गई और किसके नाम से जारी की गई है ❓️*
                *नगर निगम द्वारा झील में पर्यटकों के भ्रमण के लिए नाव संचालन का ठेका दरे निर्धारित कर दिया जाता है तो क्या टापू तक आने जाने के लिए भी निगम ने कोई निश्चित दर निर्धारित की हुई है ❓️*
                           *झील में पर्यटकों के लिए नाव का ठेका और टापू पर आने जाने वाले ग्राहकों के लिए नाव का ठेका क्या अलग अलग दिया हुआ है ❓️कुल कितनी नावों का ठेका निगम द्वारा दिया गया है ❓️*
                   *टापू पर आने जाने वाले लोगों को टिकट वितरण की व्यवस्था कहाँ से निर्धारित की गई थी ❓️कितनी वर्गमीटर जगह टिकट विंडो के लिए निगम ने उपलब्ध करवाई थी ❓️किस जगह टिकट विंडो बनाने की अनुमति दी गई थी ❓️*
                 *क्या किसी प्राकृतिक आपदा आंधी, तूफ़ान, बाढ़ की स्थिति में 25-30 साल पहले बना ये कृत्रिम टापू वहाँ आने जाने वाले ग्राहकों के लिए सुरक्षित है❓️ कब किस विभाग ने इसके सुरक्षित होने का प्रमाण पत्र जारी किया हुआ है ❓️किसी आपदा में वहाँ फसे लोगों को बचाने के लिए क्या कोई प्रशासनिक निर्देश जारी किये हुए हैं ❓️*
                    *कभी टापू पर लोगों में कोई लड़ाई झगड़ा हो जाए तो लॉ एंड आर्डर बनाये रखने के लिए पुलिस के टापू पर पहुँचने की क्या कोई अलग से व्यवस्था है ❓️या पुलिस भी आनासागर में ठेकेदार द्वारा चलायी जा रही वैध /अवैध नावों पर ही निर्भर है ❓️*
                   *टापू कितनी ज़मीन मतलब कितने वर्ग मीटर पर बना हुआ है ❓️ इसकी जानकारी क्या कोई विभाग उपलब्ध करवा सकता है ❓️क्या टापू बनाते समय कोई निश्चित भूमि और निश्चित स्थान निर्धारित किया गया था❓️*
                 *महीनों तक किये गए लोगों के श्रमदान से कृत्रिम रूप से झील के मध्य बनाये गए इस टापू की खरीद फरोख्त की जा सकती है क्या*❓️
                     *झील जिसका मालिक सरकार होती है ( चाहें वो निजी खातेदारी की ज़मीन ही क्यों ना हो ) क्या खातेदार झील में मिट्टी भरकर बनाई गई इस कृत्रिम ज़मीन का मालिक हो सकता है ❓️क्या इस कृत्रिम ज़मीन की कोई रजिस्ट्री करवाकर इसका मालिक बन सकता है❓️*
                      *चिंता वाला विषय है कि अगर पूरा प्रशासन ही ठेकेदार पर निर्भर है तो फिर तो टापू पर किसी भी सोची समझी अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता। यदि ऐसा है तो टापू पर अवैध गतिविधियाँ भी आसानी से संचालित हो सकती हैं या हो भी रही हों तो वो केवल ठेकेदार ही जानता होगा। क्यूंकि प्रशासन तो टापू पर पहुँचने में लाचार है, अक्षम है ।*😩
                        *महोदया, अजीब विडंबना है कि पुलिस या प्रशासन को टापू पर किसी अवैध गतिविधियों का पता चल भी जाए तो भी वो कभी टापू का औचक निरिक्षण नहीं कर सकते ठेकेदार पर ही निर्भर है।*😨
                    *कलेक्टर साहिबा !! कुल मिलाकर टापू एक निजी रियासत कही जा सकती है जहाँ किसी का भी जाना और वहाँ से लौटकर आना दोनों ही ठेकेदार के हाथ में है। मतलब उसकी मर्ज़ी पर ही निर्भर है।*😜
                         *दोस्तो! मेरा आपसे भी कहना है कि शहर के प्रति अपनी भी कुछ जिम्मेदारी समझते हुए लगाइए आर टी आई! पूछिये जागरूक प्रशासन से सवाल! यदि आप चुप रह गए तो आनासागर के हत्यारों के आप भी मदददगार साबित हो जाएंगे! इतिहास आपको भी उसकी हत्या का चश्मदीद मान कर सवाल करेगा।!*😣
                      *यदि आपमे ज़मीर ज़रा भी शेष बचा है तो आनासागर के प्रति जागरूक कलेक्टर साहिबा से मिलिए और नोंच डालिये इन चेहरों को जो आनासागर के चिथड़े उड़ाने का कारोबार कर रहे हैं!!😡*



 *‼️रन्धावा जी! ब्रह्मा जी आपको राहुल के लिए शक्ति प्रदान करें ‼️*👍
     
                 *तथास्तु!*🙋‍♂️

              *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

                    *बहुत पहले बचपन में हम बाहुबली पहलवान दारा सिंह और उनके छोटे भाई रंधावा का नाम सुना करते थे। दोनों ही पहलवान अपराजेय माने जाते थे। दारा सिंह से लड़ने की जब भी कोई पहलवान इच्छा व्यक्त करता था , दारा सिंह उनसे अपने छोटे भाई रंधावा को जीतने के बाद उनसे लड़ने की शर्त रख देते थे। अधिकांश पहलवानों को रंधावा ही निबटा देते थे।दारा सिंह से लड़ने की नौबत ही नहीं आया करती थी।*🤷‍♂️
                       *इन दिनों अख़बारों में फिर रंधावा का नाम चर्चाओं में हैं। ये भी पहलवान तो हैं ,मगर राजनीति के। इनके दांव पेंच भी किसी पहलवान से कम नहीं। इनको इस बार दिल्ली अखाड़े से राजस्थान की सियासती पहलवानी करने को भेज गया है।*💁‍♂️
                   *रंधावा जी राजस्थान के अखाड़ेबाजों के दिमाग़ दुरुस्त करने के लिए भेजे गए हैं। पंजाब की गीली मिट्टी में पहलवानी सीखे रंधावा जी अब रेतीली मिट्टी में ज़ोर आजमाईश कर रहे हैं।*🤪
               *दो बड़े दिग्गज पहलवान उनके सामने हैं।गहलोत और सचिन। उनसे पहले दिल्ली अखाड़े के अजय माकन इन दोनों के बीच समझौता करवाने में नाकामयाब होकर वापस दिल्ली पधार चुके हैं।*
               *दोस्तों! एक तरफ रंधावा जी सचिन पायलट और गहलोत को एक दूसरे पर घुर्राने की जगह नज़दीक़तर आने की पट्टी पढ़ा रहे हैं वहीं ये दोनों ही पहलवान अखाड़े से बाहर आ कर धोभी पटक दांव से एक दूसरे को परास्त करने की अठखेलियाँ कर रहे हैं।*😇
                    *जयपुर बम ब्लास्ट के आरोपी निचली अदालत में फांसी की सज़ा पाए गए और ऊपर की अदालत से बाइज़्ज़त बरी हो गए। पहलवान सचिन पायलट का इस मुद्दे पर बोलना लाज़मी था। बकरा ईद हो बकरे की क़ुर्बानी न हो,यह कैसे हो सकता है। पुलिस अनुसंधान और क़ानूनी प्रक्रिया में कमी रह गई और आरोपी छूट जाएंगे।*😣
                      *गहलोत गृह मंत्री भी हैं। उनसे सचिन जवाब तो पूछ ही सकते हैं। राज्य की क़ानून व्यवस्था चौपट हो चुकी है। अपराधियों के लिए यह स्वर्णकाल चल रहा है। शायद ही कोई शहर ऐसा हो जहां अपराधियों के हौसले पुलिस के इक़बाल से ज़ियादा बुलंद न हो। कल ही भीलवाड़ा में एक तेल व्यापारी को मारपीट के गुंडों ने उसी के घर से बाहर लूटने की कोशिश की। बच गया क्यों कि किसी वीर पुरुष ने कार की टक्कर मार कर गुडों को भगा दिया।*😟
                 *मित्रों!आप भी कहेंगे कि बात तो मैंने रंधावा जी की शुरू की थी ये बीच मे सचिन!गहलोत!बम ब्लास्ट!भीलवाड़ा की लूट पाट कहाँ से ले आया।*😳
                  *तो आइए फिर रन्धावा जी की तरफ मुंह कर लेते हैं। कल रन्धावा जी ब्रह्मा जी के मंदिर में दर्शन करने पुष्कर पहुंचे। मंदिर में सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा जी से उन्होंने राहुल गांधी के लिए शक्तियां माँगी। पत्रकारों को उन्होंने बताया कि राहुल बाबा के साथ बहुत बुरा हो रहा है।उनके लिए ब्रह्मा जी से वह (राक्षसी प्रवर्तियों वाले क्रिया कलाप करने वालों के लिए) शक्ति मांगने आए हैं।*👍
                        *आज के अख़बारों में जब मैंने यह ख़बर पढ़ी तो मेरा मन मारे ख़ुशी के सातवें आसमान पर मयूर नृत्य करने लग गया। ब्रह्मा जी से बेहतर और कोई देवता हो ही नहीं सकता था। रन्धावा जी ने वास्तव में शक्ति पुंज कहे जाने वाले ब्रह्मा जी से नरभक्षी ताकतों के विरुद्ध जो शक्तियां मांगी वह अद्भुत हैं।*😉
                      *बेचारे राहुल गांधी के बारे में जब कोई नहीं सोच रहा। सिर्फ़ अमेरिका और जर्मनी से स्वर उठ रहे हैं तब देश में भी कोई उनकी चिंता कर रहा है यह जानकर बड़ी प्रसन्नता हुई।*😍
                    *मुझे यक़ीन है कि ब्रह्मा जी ने उनकी झोली में ऐसी शक्तियों का प्रसाद डाल दिया होगा जिनसे राहुल बाबा का उद्धार हो जाएगा। उनको चमत्कारी शक्तियां मिलेंगी और वह शीघ्र ही पैशाचिक ताक़तों की चपेट से मुक्त हो जाएंगे।ततास्तु! ब्रह्ना जी ऐसा ही करें।*🙋‍♂️
            *रन्धावा जी! अच्छा हुआ आपने राहुल बाबा की "चपेट- मुक्ति" के लिए इतना सोचा। आपको लाख लाख धन्यवाद!*🙏
                       *अब आपसे करबद्ध प्रार्थना है कि एक बार ब्रह्मा जी के दरबार में पुनः जाएं और सचिन पायलट और गहलोत के बीच मित्रता क़ायम करने की शक्ति भी मांगें। हो सकता है ब्रह्मा जी आपसे साफ़ कह दें कि यह सम्भव नहीं कोई और वरदान मांगो सरदार जी!*😵‍💫
                 *रन्धावा जी को ब्रह्मा जी ने कौनसी "एनर्जी बुस्टर टेबलेट्स" राहुल बाबा के लिए दीं मुझे नहीं पता मगर उनको ब्रह्मा जी से सद्बुद्धि वाली जड़ी बूंटीयाँ भी राहुल बाबा के लिए मांगनी थीं।*👍
                 *राहुल बाबा को पहले संसद से बाहर निकाला गया, फिर घर से बेघर करने की साज़िश हुई! सच मेरा तो कलेज़ा ही बाहर आ गया है।बचपन मे मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था। मैंने हैड मास्टर जी को सारे हेडमास्टर चोर होते हैं कह दिया था। मुझे दो साल की सज़ा सुना दी गयी। स्कूल से रेस्टीकेट कर दिया गया। घर आया तो पिताजी ने घर से बाहर निकाल दिया। तब मेरे एक दोस्त ने पुष्कर जाकर ब्रह्मा जी से मेरे लिए असुर शक्तियों के विरुद्ध ब्रह्मास्त्र मांगा।*
                  *मित्रों! कर्नाटक जाकर दूसरे स्कूल में एडमिशन मिल गया। राहुल बाबा को भी शायद कर्नाटक में फिर से एडमिशन मिल जाए। सरदार रन्धावा जी की असरदार पूजा अर्चना काम आ जाए।।*🤪
                     *मेरी भी ब्रह्मा जी से प्रार्थना है कि कांग्रेस की अंतर्कलह को समाप्त करवा दें।मैं तो छोटा सा पत्रकार हूँ।स्थानीय सोच रखता हूँ। पुष्कर में भी कांग्रेसियों को सद्द्बुद्धि मिल जाए। राठौड़ बाबा और नसीम अख़्तर के बीच की खटपट ख़त्म हो जाए। और भी जो कांग्रेसी एक दूसरे की क़ब्र खोद रहे हैं रन्धावा जी के लिए रुक जाएं।*🤪
                      *हे ब्रह्मा जी! रन्धावा जी की प्रार्थना को सुन लेना। ऐसी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमज़ोर हो न।*🙋‍♂️
[4/1, 12:07 PM] +91 98292 71388: *‼️तो क्या एक महिने में गहलोत होंगे ध्वस्त??‼️*😳

             *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

                    *लो हो गया अजमेर में काँग्रेसीयों का सम्भागीय नाटक। निकल गया दस दिन की तैयारियों का परीक्षा परिणाम। राठौड़ बाबा के कंधों पर किया आयोजन पूरी तरह फ्लॉप शो रहा। कुछ तो प्रबंधन ही माशाल्लाह बहुत कमज़ोर था और कुछ मौसम ने कार्यक्रम की अध्यक्षता कर ली। नेताओं की भीड़ के सामने कार्यकर्ताओं की भीड़ हास्यास्पद देखी गयी।टौंक, भीलवाड़ा,नागौर और अजमेर ज़िले के लिए आहूत सम्मलेन में यदि ईन मीन तीन ही काँग्रेसयियों को आना था तो आयोजन रख कर शर्मिंदगी उठाने की क्या ज़रूरत थी।आयोजकों की शक़्ल देखने लायक थी जब टौंक ज़िले से न तो वहां के विधायक सचिन पायलट आए न अन्य पदाधिकारी। आम कार्यकर्ता तो आते ही क्या। भीलवाड़ा से भी गिनती के नेतागण आए।*🙋‍♂️
                     *जैसा कि मैंने पहले ही अपने ब्लॉग में लिख दिया था कि कभी सचिन तो कभी गहलोत के साथ नज़र आने वाले राज ऋषि डॉ रघु शर्मा सम्मेलन में शिरक़त कर लेंगे। उनको साथ दिखाने के लिए राठौड़ बाबा जान लगा रहे हैं। यूँ भी केकड़ी को ज़िला बनाए जाने के बाद गहलोत ने उनके लिए अपनी कोहनी में शहद लगा कर चटा ही दिया है।वह ज़िला बना दिये जाने के बाद आत्ममोह की ख़ुश्बू से महक रहे हैं। उनको अगले चुनावों में अपनी जीत साफ़ नज़र आ रही है।*😜
                     *कल सुबह डॉ शर्मा का फ़ोन आया। मिलने की बात कही। मैं दिल्ली हूँ यह जानने के बाद उन्होंने 5 मार्च के बाद मिलने की बात कही।वह गुजरात जा रहे हैं।*👍
                      *यानि गुजरात के लिए इस्तीफ़ा देने के बाद भी वह प्रभारी बने हुए हैं। ज़ाहिर है कि आला कमान के पास गुजरात के लिए डॉ शर्मा के अतिरिक्त कोई और चारा नहीं है। चुनावों में क़रारी हार के बावज़ूद हाई कमान उनको इसके लिए ज़िम्मेदार नहीं मानता। सच देखा जाए तो चुनावों की हार के बाद से ही हाई कमान गुजरात के ज़ख़्मों की मरहमपट्टी करने में वक़्त ज़ाया करना ही नहीं चाहता।गुजरात की जगह वह कर्नाटक में समय और शक्ति लगा रहा है।*💁‍♂️
                             *इधर राजस्थान में भी चुनाव सर पर हैं। हाईकमान राजस्थान के लिए रन्धावा के ज़िम्मे चुनाव जीतने की उम्मीद लगाए बैठा है और मुझे नहीं लगता है कि रन्धावा को गहलोत कोई भाव दे रहे हों। जो गहलोत दिल्ली की इच्छाओं का क़त्ल करके राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को त्याग कर मुख्यमंत्री बने हुए हों! जो गहलोत अपने बगावती तेवर बरक़रार रखते हुए अनुशासन हीनता के नोटिस पर कोई कार्यवाही नहीं होने दे रहे हों!धारीवाल ! महेश जोशी ! और राठौड़ बाबा का आला कमान बाल भी बांका नहीं कर पाया हो! जिस गहलोत के सामने पूर्व प्रभारी माकन घुटने टेक कर अपना सा मुंह लेकर लौट चुके हों! जिस गहलोत के सामने (सचिन के पुनर्वास मुद्दे पर)  ,सोनिया! खड़गे! राहुल !प्रियंका ! और अन्य कांग्रेसी दिग्गज बौने साबित हो चुके हों वह गहलोत क्या कांग्रेस को अपने सामने कहीं खड़ा होने देंगे❓️❓️❓️*
                   *अजमेर के सम्मेलन का जो हश्र हुआ उसके मद्देनज़र यह बात अब साफ़ हो गयी है कि गहलोत सचिन को हर तरह से रास्ते से हटा चुके हैं।*💯
                       *कुछ समय पहले तक मैं यह सोच रहा था कि सचिन इतनी जल्दी हार नहीं मानेंगे। ज़रूर कुछ कड़े क़दम उठा कर अपने वज़ूद को क़ायम रखेंगे मगर माफ़ कीजियेगा! यदि मैं यह कहूँ कि उनके हौंसले पूरी तरह पस्त हो चुके हैं।*😟
                *सचिन कहने को राष्ट्रीय स्तर पर मज़बूत कांग्रेसी नेता कहलाते हैं मगर पिछले दिनों उनके साथ जितना दुर्व्यवहार हुआ उसे सह कर भी यदि वह कांग्रेस के साथ हैं तो यह साफ़ है कि उनके सामने कोई और विकल्प बचा ही नहीं है।*😔
                       *भाजपा में वसुंधरा और कांग्रेस में सचिन को समान विद्रोही स्वर का नेता माना जा रहा था मगर इस समानता में भी वसुंधरा ने सचिन को बहुत पीछे छोड़ दिया है। कम से कम वसुंधरा ने अपने धुर विरोधी डॉ पूनिया को तो अध्यक्ष पद से हटवा दिया है। सचिन तो अपनी बेचारगी करने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे।*😞
                         *तो क्या अशोक गहलोत ही अगले चुनावों में टिकट बांटेंगे❓️क्या वही मुख्यमंत्री का अगला चेहरा होंगे❓️क्या सचिन के सब्र का बांध यूँ ही क़ायम रहेगा❓️😨*
                *तो क्या अशोक गहलोत अपराजेय हैं❓️❓️*
                        *मित्रों! इन सवालों के माक़ूल उत्तर के लिए बस ! एक महीना और देखें!*
                             *प्रदेश कांग्रेस में कई भूकम्प के झटके आने वाले हैं। सचिन कोई मिट्टी का माधो नहीं। उनके तरकस में अभी भी कई तीर हैं। मुझे यकीन हैं वे सब एक महिने में ही सामने आ जाएंगे। प्रत्यंचा खींचने भर की देर है। गहलोत फिर एक बार अपने ही जाल में फंस जाएंगे। जी हां बस !थोड़ा सा इंतज़ार और!*🤪
[4/2, 10:14 AM] +91 98292 71388: *‼️तो क्या झुंझुनवाला वापस कांग्रेस में आ रहे हैं?‼️*😨

_*तो क्या राठौड़ बाबा उनको पार्टी में लाने की ज़मीन तैयार कर रहे हैं?*_🤔

                *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*


                       *झुंझुनवाला जी सुना था कांग्रेस छोड़ कर भाजपा का दामन थाम चुके हैं।अशोक गहलोत के कभी ख़ास हुआ करते थे। धनपतियों में उनकी गिनती थी (है भी)।अजमेर से सांसद का चुनाव लड़ कर जीतने के लिए उन्होंने क्या नहीं किया। भीलवाड़ा के उद्योगपतियों में उनकी गिनती है। इस नाते अजमेर से उनका कुछ लेना देना नहीं था मगर उससे क्या। धनबल से कोई कहीं से भी चुनाव लड़ सकता है । और फिर टिकिट दिलाने के लिए जब बीना काक जैसी सासु जी साथ हों तो इससे ज़ियादा कौनसी ताक़त चाहिए।*🤷‍♂️
                 *झुंझुनवाला जी को अजमेर से टिकट तो मिलना तय था। मिल भी गई मगर जीत न तो धनबल दिला पाया न सासू जी की कृपा।*🙄
                   *झुंझुनवाला जी के साथ कुछ मुंह लगे चिल्गोज़े थे जो धनपति उम्मीदवार की जेब ढीली करते रहे। उनको दिन में सपने दिखाते रहे।लेकिन चुनाव परिणाम में उनको दिन में तारे दिखा दिए।सारे दम खम के बावज़ूद उनका झुनझुना बज गया।*🥱
                          *नादान झुंझुनवाला ये नहीं समझ पाए कि उनको पार्टी हाईकमान और उनके चिल्गोज़े सिर्फ़ सोने के अंडे देने वाली मुर्गी समझते हैं।चुनावों में होटल से चुनाव संचालन करने वालों ने उनको जम कर निचोड़ा। शिकंजी बना दी उनकी । कुछ शातिर पत्रकारों और अख़बार मालिकों की मनोकामना भी पूर्ण हुईं।*😜
                          *आप भी सोचेंगे कि आज मैं कांग्रेस छोड़ कर चले गए नेता जी के लिए आपका समय बर्बाद क्यों कर रहा हूँ। चले हुए कारतूस को लेकर अपना और आपका मूड ख़राब क्यों कर रहा हूँ।*🤔
                  *मित्रों! इसकी ख़ास वज़ह है। झुंझुनवाला जी ने भले ही कॉन्ग्रेस पार्टी को टाटा बाय बाय कर दिया हो मगर उनका पार्टी से मोह भंग नहीं हुआ है। उनकी हरक़तों से लग नहीं रहा कि उन्होंने कांग्रेस पार्टी से त्यागपत्र दे दिया है। वह आज भी पार्टी के पुच्छल तारों से जुड़े हुए हैं।*💯
                    *इसका सबसे बड़ा उदाहरण है उनके द्वारा कांग्रेस के रातों रात स्वनामधन्य हुए राठौड़ बाबा का जन्म दिन मनाना। आम तौर पर यदि उन्होंने राठौड़ बाबा को बधाई दी होती तो मैं उसे सामान्य शिष्ठाचार मान लेता मगर उन्होंने तो अपने ख़ास निजी सलाहकार भगवान रजनीश जी के माध्यम से बाबा का जन्म दिन बेहद अलग अंदाज़ में मनाया।*😨
                     *राठौड़ बाबा गहलोत के क्या लगते हैं इसका तो पूरी दुनिया को अंदाज़ा है मगर वह झुंझुनवाला के क्या हैं यह मैं अब तक नहीं समझ पाया हूँ।*😇
                 *झुंझुनवाला के रजनीश जी का यह पत्र पढ़िए और फिर मुझे बताइए कि इस पत्र से झुंझुनवाला के दिल मे क्या चल रहा है। क्या वह राठौड़ बाबा के माध्यम से वापस कांग्रेस में आना चाह रहे हूं❓️ क्या भाजपा में उनका दम घुट रहा है❓️ पत्र देखिए----👇*

*मान्यवर,*                                                   *कल दिनांक 2 अप्रैल 2023 को श्री धर्मेंद्र राठौड़  (राज्यमंत्री) अध्यक्ष राजस्थान पर्यटन विकास निगम, राजस्थान सरकार की जन्मदिन का कार्यक्रम स्वाभिमान भोज रसोई दुआ मार्केट अलवर गेट में कल 12:00 बजे मनाया जाएगा.*
*इस अवसर पर जरूरतमंदों को फूड पैकेट वितरित किए जाएंगे आपसे निवेदन है कि स्वाभिमान भोज---एक रुपए में भोजन योजना पिछले डेढ़ वर्षो से अजमेर में चल रही है।जहां 300 से 400 लोगों को एक रुपए में भोजन प्रतिदिन उपलब्ध कराया जाता है*             
*इस अवसर पर माननीय मंत्री जी द्वारा गरीबों को टोकन वितरण करने के साथ उनके बीच सादगी से केक काटकर जन्मदिन मनाया जाएगा आपसे निवेदन है कि कल 12:00 बजे दुआ मार्केट अलवर गेट थाने के पास पहुंचकर इसकी कवरेज करें तथा हमें अनुग्रहित करें.* *रजनीश वर्मा.*          
*प्रभारी जवाहर फाउंडेशन अजमेर*

                             *मित्रों! अब तो आप समझ गए होंगे कि झुंझुनुवाला पर ब्लॉग लिखने की मुझको क्या ज़रूरत आन पड़ी है।*🤷‍♂️
                 *मेरे मित्र पत्रकार राजेन्द्र याज्ञनिक की टिप्पणी भी लगे हाथ देख लीजिए।*
             *रिजु झुनझुनवाला का अभी कांग्रेस से मोहभंग नहीं हुआ है । कांग्रेसी नेताओं की चंपी करना अभी उन्होंने छोड़ा नहीं है ,जबकि कांग्रेसी अपनी उपेक्षा के कारण दुखी होकर उपेक्षित भाव से कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके हैं। उनका इस्तीफा मंजूर हुआ या नहीं इसकी तो कोई जानकारी उन्होंने नहीं दी ,लेकिन रजनीश वर्मा उनके खास वॉइस जी ने जो विज्ञप्ति जारी की है और जिस तरह से राठौड़ की चंपी की गई है उससे लगता है कि रिजु झुनझुनवाला ने केवल दिखावटी रूप पर इस्तीफा दिया है ,जबकि वह कांग्रेस से अभी तो जुड़े हुए हैं ।*
                         *ठीक इसी तरह रघु शर्मा ने भी गुजरात में भयंकर हार के बाद गुजरात कांग्रेस प्रभारी के पद से इस्तीफा देने का नाटक किया लेकिन वह आज भी गुजरात कांग्रेस के प्रभारी बने हुए है। कांग्रेस में स्थितियों की राजनीति मुखौटा बनकर रह गई है। विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच रिजु झुनझुनवाला का राठौड के प्रति आकर्षण कोई न कोई कारण ज़रूर रखता है वरना उनके एचडी रजनीश वर्मा इस तरह की विज्ञप्ति तो जारी नहीं करते। पब्लिक को बेवकूफ बनाने का इससे सरल तरीका नहीं हो सकता।*😉
[4/4, 10:05 AM] +91 98292 71388: *‼️बुलंदी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है.*
*बहुत ऊँची इमारत हर घड़ी खतरे में रहती है‼️*💯

_*"विधायक साहब " लिखी केक धर्मेन्द्र गहलोत,नीरज जैन और हरीश गिदवानी ने काटी!!*_😵‍💫

_*...पर विधायक तो देवनानी हैं !! तो क्या इस बार देवनानी की विधायकी काटने की तैयारी है????*_😨

            *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

                *अपने पिल्ले जब शेर की खाल ओढ़ कर सामने खड़े होने लगें तो बुरा लगना स्वाभाविक है । इस सीधे सच्चे डायलॉग का मेरे आज के ब्लॉग से प्रत्यक्ष या अपरोक्ष कोई सम्बंध नहीं ...मगर यदि कोई फिर भी इसे किसी नाम विशेष से जोड़ लेता है तो मैं उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।*🤷‍♂️
                     *अब आप देखिए ज़रा!! अजमेर के अभूतपूर्व मेयर !!मेरा मतलब पूर्व मेयर धर्मेन्द्र गहलोत को!उन्होंने अपना बर्थडे बड़ी धूम धाम से मनाया। उनके पुच्छल तारों ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। सभी ने उनको "फील गुड" कराने के लिए वह सब कुछ कर दिखाया जो वह कर सकते थे।*💁‍♂️
                    *हमारे एक सनातनी मित्र ! हिन्दू संस्कृति के संवाहक!  गोपाल बंजारा ने यूरोपीय पद्धति से एक केक बनवा लिया। केक पर "विधायक साहब" भी लिखवा दिया। विधायक ! यानि गहलोत तो हो नहीं सकता! विधायक तो देवनानी जी हैं! ज़ाहिर है कि केक पर भी "विधायक" होने का हक़ उनका ही है।*🤷‍♂️
                             *बंजारा जी ने क्या सोच कर केक पर विधायक साहब लिखवाया❓️ यह तो वही जानें !...मगर गहलोत जी को काटने के लिए जो केक दिया गया उस पर "विधायक साहब" ही लिखा था।*😇
                 *देवनानी जी को यहाँ बता दूं कि केक को काटने के लिए उनके तीन आशिक़ (चाहने वाले) केक काटने के लिए प्रस्तुत थे। तीनों ही अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र के भावी विधायक!.....गहलोत ख़ुद! उपमेयर नीरज जैन!और स्वयम्भू हरीश पैनवाले!...इन तीनों ने विधायक शब्द को चाकू की नोंक से कई टुकड़ों में विभक्त करके आपस में उसका स्वाद चखा।*🙄
                 *केक पर यद्यपि देवनानी नहीं लिखा था मगर सच कहूँ तो मुझे न जाने क्यों लग रहा है कि उनकी विधायकी के विरुद्ध यह कोई गम्भीर किस्म की साज़िश का हिस्सा था। इशारे से कहे जाने की कोशिश ।अगले चुनाव में उनको निबटाने जैसा कोई उपक्रम!*🫢
                 *तो क्या अगले चुनाव में भाजपा विधायक के लिए नए नाम केक के बहाने सामने लाए गए??*🤔
                  *क्या गोपाल बंजारा ने केक पर अगले विधायक के लिए धर्मेन्द्र गहलोत! नीरज जैन! या हरीश पैनवाले के लिए शुभ संकेत दिए???*😨
                     *यहाँ आपको बता दूँ कि गहलोत और नीरज जैन दोनों ही कभी देवनानी जी के दिल के टुकड़े हुआ करते थे।आज दोनों टुकड़े टुकड़े होकर देवनानी जी के दुखड़े बन चुके हैं। सच पूछो तो जितना देवनानी जी ने इन दोनों नेताओं को आसमानी बनाने के लिए किया उतना किसी नेता ने किसी के लिए नहीं किया होगा। धन,सत्ता,सम्रद्धि सब दिलाने में भाऊ ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया।ख़ास तौर से गहलोत पर ! उनकी सरपरस्ती न होती तो वह कभी मेयर नहीं बन पाते।*💯
                      *यह उपकार यदि मेरे साथ देवनानी जी ने कर दिया होता तो मैं अपनी खाल की जूती बनाकर उनके पैरों में पहना देता। 👍मगर...गंजों को भगवान नाख़ून नहीं देता।*😟
                  *देवनानी जी के लिए हरीश पैनवाले के बयान सब जानते हैं। उनका वश चले तो वह केक पर लिखे विधायक शब्द की जगह ख़ुद का नाम लिख दें। हो सकता हो उन्होंने जब विधायक लिखा केक काटा हो तो वह मन ही मन देवनानी जी का नाम ले रहे हों।*😇
                 *ईश्वर! इन तीनों नेताओं को सद्द्बुद्धि प्रदान करे। शायद यह नहीं जानते कि विधायक रूपी केक काट कर ये देवनानी जी का दिल कितना और कैसे दुखा रहे हैं।*😒
                   *देवनानी जी से मेरी प्रार्थना है कि वह इन तीनों नेताओं और चौथे पुच्छल तारे के कारनामे पर ध्यान न दें। जहां तक आपकी विधायकी का सवाल है! मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि जब तक सूरज चांद रहे !आप ही अजमेर उत्तर के विधायक बने रहें ।पिचहत्तर साल की आयु को ख़तरा बताने वाले लोगों का मांजना उतर जाए। आपको इस बार भी टिकिट मिले। इस बार क्या हर बार टिकिट मिले।आपके होते कोई विधायक बनने की बात सोच भी न पाए।*😉
                         *चाहे कोई सिन्धी नेता हो, जैन हो,माली हो या किसी और जाति प्रजाति का सब आपके सामने टिक न पाएं।*
               *आपका जलवा जीवन पर्यन्त बना रहे और आप अजर अमर हो जाएं। आमीन!*🙋‍♂️
[4/7, 9:19 AM] +91 98292 71388: *‼️सर्वव्यापी हैं मेरे राठौड़ बाबा ‼️*😜
 
_*दिल्ली के केजरीवाल!पंजाब के मान! आर एल पी के बेनीवाल सब अपुन के बाबा के .....*_😇

              *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

                *सर्व व्यापी या तो ईश्वर हैं या अपने राठौड़ बाबा!प्रभु की उन पर अघाध कृपा है।दावे के साथ कह सकता हूँ कि जितनी कृपा राठौड़ बाबा पर परम पिता परमेश्वर की है राजस्थान के किसी नेता पर नहीं। कांग्रेस के तो बड़े से बड़े नेता पर नहीं। जी हां राहुल बाबा पर भी नहीं। जहाँ न पहुंचने का कोई करे दावा! वहाँ भी पहुंच जाएं अपने बाबा!*👍
               *राठौड़ बाबा इन दिनों मुख्यमंत्री गहलोत जी तक पर भारी पड़ रहे हैं। गुरु जी गुड़ ही रह गए चेला शक्कर बन गया।*💯
               *मैं उनकी शान में क़सीदे पढ़ने में कोई हिचक नहीं कर रहा। वे ऐसा सूरज हैं जिनसे सिर्फ़ कांग्रेस ही सौर्य ऊर्जा नहीं लेती बल्कि भाजपा, आप पार्टी, बैनीवाल पार्टी भी ऊर्जा प्राप्त करती हैं।*🤷‍♂️
                  *वे सर्वव्यापी हैं यह तो मैं पहले ही लिख चुका हूँ।कैसे ❓️चलिए यह भी बता देता हूँ।*💁‍♂️
                *राठौड़ बाबा के साथ तस्वीरों का यदि कोई एलबम बनाया जाए तो उसमें ईश्वर भी आपको सेल्फ़ी खिंचवाते दिख जाएंगे।*😜
                  *उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ जी ने तो उनके साथ तस्वीर तब ही खिंचवा ली थी जब वह उपराष्ट्रपति नहीं बने थे।केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह कहने को तो भाजपा में हैं मगर राठौड़ बाबा के दीवाने हैं। उन्होंने भी बाबा के साथ तस्वीर खिंचवा कर यह सिद्ध कर दिया कि बाबा उनके  ख़ास हैं।*🙋‍♂️
                  *बाबा पुष्कर से अगला चुनाव लड़ना चाहते हैं।कहा तो जा रहा है कि वह मुख्यमंत्री गहलोत के सर्वाधिक दाएं बांए हैं और कांग्रेस से ही चुनाव लड़ेंगे। यदि ऐसा होता है तो यह कांग्रेस पार्टी पर उनका अहसान होगा वरना देश की कौनसी पार्टी है जो उनको टिकिट देना नहीं चाहती।*🤔
                   *हो सकता है आपको लग रहा हो कि मैं राठौड़ बाबा का सबसे बड़ा पुच्छल तारा हूँ। लगता हो तो लगता रहे मगर बाबा की  महिमा अपार है।*💯
                 *यक़ीन न हो तो आप मेरे फेस बुक एकाउंट पर उनकी एक ताज़ा तस्वीर देखें।आप को मेरी बात पर अंधा यक़ीन हो जाएगा। तस्वीर देख कर आप बावले हो जाएंगे।आप ख़ुद कह उठेंगे कि राजस्थान में उन जितनी पहुंच किसी कांग्रेसी नेता की नहीं!दावा है कि गहलोत साहब की भी नहीं।*👍
                      *इस अद्भुत तस्वीर में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल तक ने सामूहिक तस्वीर राठौड़ बाबा के साथ खिंचवाई है।*😵‍💫
                 *ऐसी अद्भुत तस्वीर तो प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह,सोनिया जी या राहुल बाबा की भी नहीं होगी जिसमें एक साथ ये सारे नेता हों।*🥱
                  *पर अपुन के राठौड़ बाबा की तस्वीर इन सबके साथ है। ये सारे नेता तय है की राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनाने पर तो विचार नहीं कर रहे होंगे। मुद्दा कोई भी हो मगर राठौड़ बाबा ने उनको अपने साथ सिर्फ़ साथ बैठा लिया यह उनकी महानता है।*💁‍♂️
                  *मित्रों!आम तौर पर आम आदमी की तरह आप कह सकते हैं कि केजरीवाल, मान, बैनीवाल के साथ राठौड़ बाबा के साथ होने की तस्वीर ट्रिक फोटोग्राफी भी हो सकती है। किसी हरामखोर फोटोग्राफर की करतूत। मगर प्यारे दोस्तों!  हमारे राठौड़ बाबा की यह तस्वीर ट्रिक फोटोशूट का हिस्सा नहीं बल्कि ख़ुद बाबा के भयंकर ताल मेल का कारनामा है।*💯
                 *मोदी है तो मुमकिन है कहने वाले भाजपाईयों को मैं बता दूं कि हमारे राठौड़ बाबा हैं तो भी सब मुमकिन है। वो जिसके साथ चाहें तस्वीर खिंचवा सकते हैं।*😃
                   *पिछले दिनों अजमेर के भाजपा के विधायक वासुदेव देवनानी सहित कई भाजपाइयों के साथ उनकी तस्वीरें ख़बरों में रहीं।*
                         *अशोक गहलोत के दुश्मनों में भी बाबा लोकप्रिय हैं। सचिन पायलट को गहलोत भले ही नकारा और निकम्मा कहते हों मगर  सचिन और उनके सभी दुमछल्ले अपने राठौड़ बाबा के मुरीद हैं। डॉ रघु शर्मा जो पिछले दिनों सचिन खेमे की अंदरूनी सेवा कर रहे थे तब भी वह अपुन के राठौड़ बाबा की ढफली बजा रहे थे।*🤪
              *अजमेर में उनकी शायद पुष्कर की पूर्व विधायक नसीम अख़्तर के साथ नहीं बनती मगर इसमें नसीम अख़्तर की तरफ से ही दूरियां हैं। अपने बाबा तो उनके लिए भी पीले चांवल लेकर तैयार रहते हैं।*😇
               *राठौड़ बाबा!को पर्यटन राज्य मंत्री मुरारी लाल मीणा गहलोत से ज्यादा बेहतर और सम्माननीय मानते हैं। मेरे को भी उन्होंने कहा।*
                  *अजमेर के सारे नेता चाहे वह जयपाल हों ,चाहे  उनके अन्य चिल्गोज़े सब कल तक भले ही राजऋषि रघु शर्मा के चरण कमल वंदन करते रहे हों आज अपने बाबा के चरण वंदन में जुड़े हुए हैं। सचिन को भले ही गहलोत निकम्मा कहते हों मगर उनके प्रथम श्रेणी के अंध भक्त कई गुर्जर नेता अपने बाबा के जयकारे में शामिल हैं।नसीम हों या रिजु जी सबके दुमछल्ले आज बाबा के साथ हैं।*🙋‍♂️ 
                *अब हमारे मित्र राजेश टंडन जी को ही ले लो!धारीवाल जी की नाराज़गी से उनको पार्टी ने बाहर का रस्ता दिखा दिया था मगर हमारे बाबा ने उनको बड़े बूढ़ों की पाठशाला का उप प्राचार्य बना दिया। और तो और उनको और उनके पुत्र को भी धारीवाल जी ने निगम और ए डी ए के पैनल लॉयर से हटा दिया था। मगर बाबा ने अब फिर अनुज टंडन को कांग्रेस विधि प्रकोष्ठ में पोस्ट करवा दिया है ।*😨
                     *अपने बाबा जिसके साथ हो जाते हैं आंख मीच कर साथ हो जाते हैं। देखा नहीं आपने जब जैसलमेर एस पी के पुत्र ने अजमेर के एक पुलिस अधिकारी को जान से मारने की कोशिश की और पुलिस जब उसे फ़रार मान कर तलाश रही थी तब अपने बाबा उसकी शादी में तस्वीर खिंचवाने में शर्म महसूस नहीं कर रहे थे।*😉
                  *मेरे प्यारे मित्रों! यदि आप चाहते हैं कि आपकी पाँचों उंगलियाँ घी में और सर कढ़ाई में हो तो बाबा की शरण मे चले जाइए। अभी तो मौका भी है दस्तूर भी। क्या पता अगले साल कौनसी सरकार आ जाए। पता नहीं किसका सर कटे , किसकी दस्तार ज़मीन पर हो।*😳
                  *मगर....किसी बाबा के किसी शरणार्थी को डरने की ज़रूरत नहीं। अपने बाबा की जड़ें हर पार्टी में गहरी हैं।*👍
[4/10, 10:30 AM] +91 98292 71388: *‼️क्या सचिन का धरना जापानी "हाराकिरी" या आत्महत्या तो नहीं?‼️*😳

_*चार साल तक ज़ुबान पर ताले लगाए रखना! अब वसुंधरा के घोटाले याद आना!सिर्फ़ मुख्यमंत्री न बनाए जाने की पीड़ा तो नहीं?*_🤔

_*कांग्रेस और भाजपा को आड़े हाथों लेने के क्या मायने हैं?*_🙄

               *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*


            *और लीजिए ! वही हुआ जो कल मैंने अपने ब्लॉग में लिखा। मैंने कल ही कह दिया था कि राजस्थान कांग्रेस की राजनीति में कोई ज्वालामुखी फटने वाला है।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शारीरिक कोरोना से ही बीमार नहीं ,राजनीतिक कोरोना भी उनकी ज़िंदगी मे प्रवेश कर चुका है। उनके ख़िलाफ़ ! उनके नकारा निकम्मे और मौक़ा परस्त नेता जी ने बग़ावत का बिगुल बजा दिया है।*🥱
                 *कल के ब्लॉग में मैंने साफ़ लिख दिया था कि सचिन पायलट अब पूरी तरह अपनी पार्टी से तंग आ चुके हैं ।अब वह पार्टी को टाटा बाय बाय करने के मूड़ में आ गए हैं।आगामी 11 अप्रैल को वह कोई चौकाने वाला फ़ैसला करने वाले हैं। तो लीजिएगा! अब वह अपने मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ खुल कर सड़क पर उतर आए हैं।*😨
              *चार साल तक मुख्यमंत्री बनने की दमित इच्छा को अपने जिस्म में पालने के बाद अब पार्टी हाईकमान से उनका दिल ऊब गया है। गहलोत की गालियां तो उन्होंने पिता तुल्य समझ कर सुन लीं मगर हर तरह की जुगाड़ और कूटनीतिक मन्त्रणाएँ भी जब बेकार हो गई हैं! उनको जब पूरी तरह इस बात का अहसास हो गया है कि कांग्रेस हाईकमान गहलोत का बाल बांका नहीं कर पा रहा है तो उन्होंने मुख्यमंत्री बनने का सपना ही तोड़ने का फ़ैसला कर लिया है। अब वह गहलोत, सोनिया, राहुल ,प्रियंका को धत्ता बता कर कांग्रेस से बाहर निकलने को तैयार हो गए हैं।*😖
                     *आगामी 11 अप्रैल को उनका अनशन पर बैठना यह दर्शा रहा है कि चार साल से वह सिर्फ़ इसलिए ख़ामोश बैठे थे कि उनको मुख्यमंत्री बनने की तमन्ना के पूरे होने की उम्मीद थी।वसुंधरा की पूर्व सरकार के कथित घोटालों को चार साल तक वह अपने बदन मर दफ़नाए बैठे थे।वह तो अब भी इनको बाहर नहीं निकालते यदि हाई कमान गहलोत को हटा कर इन्हे मुख्यमंत्री बना देता । मगर जब कुछ ही महीने चुनावों में रह गए हैं और हाई कमान गहलोत के सामने पप्पू ही सिद्ध होते जा रहा है तो उन्होंने पार्टी के पिछवाड़े पर लात मारने का फ़ैसला कर लिया है।*🦵
                   *प्रदेश प्रभारी रन्धावा के बयान को कल भी मैंने अपने ब्लॉग में लिखा था।उन्होंने बिना सचिन का नाम लिए कहा था कि सरकार के विरुद्ध पार्टी के नेता जिस तरह बयानबाज़ी कर रहे हैं वे बर्दास्त नहीं करेंगे। उन पर अनुशासनात्मक कार्यवाही होगी।*🤨
                 *इससे पहले की रन्धावा की बात का कोई असर होता सचिन पायलट ने तो रन्धावा जी के बयान की पुंगी ही बजा दी है। उन्होंने साफ़ ज़ाहिर कर दिया है कि अब उनको न रन्धावा की चिंता है ,न हाई कमान की।अब वह जो करेंगे वो बग़ावत ही होगी।*😫
                   *सचिन अच्छी तरह जानते हैं कि पार्टी उनको बाहर का रस्ता दिखा सकती है और वह इसके लिए ख़ुद भी तैयार हैं। जैसे वो सिर्फ़ इस बात का इंतज़ार कर रहे हैं कि उनको पार्टी निकाले। उनको पार्टी से इस्तीफ़ा न देना पड़े।वह कांग्रेस और भाजपा की एक साथ मट्टी पलीत करना चाहते हैं। ज़ाहिर है कि उन्होंने यह सोच लिया है कि भाजपा और कांग्रेस में उनका भविष्य सुरक्षित नहीं है ।*😣
                 *मैंने तो कल ही लिख दिया था कि सचिन पूरी तरह आम आदमी पार्टी में जाने का मानस बना चुके हैं। आर एल पी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने उनके लिए ग़ठबन्दन की ज़मीन तैयार कर दी है।*🤷‍♂️
                *आम आदमी पार्टी का राजस्थान में भविष्य क्या है यह जानते हुए भी सचिन यदि उसके साथ हो जाते हैं तो यह उनकी नादानी होगी। हो सकता है अरविंद केजरीवाल उनको पूरा प्रदेश सौंप दें मगर प्रदेश में जितने विधायक अगले चुनाव में जीत कर आएंगे उनसे ज़ियादा तो सचिन कांग्रेस में ही ले आते।*😉
                         *मेरा मानना है कि यदि सचिन ज़रा और सब्र करते तो अगले चुनावों में टिकिट का बंटवारा उनके पास आ सकता था। पार्टी उनको राज्य का चुनाव प्रभारी बनाने के पूरे मूड में थी।*👍
                        *सच्चाई तो यह है कि सचिन और गहलोत दोनों ही सब्र खो चुके हैं। दोनों  ही विवेक शून्य हो चुके हैं। दोनों ही अपने हाईकमान को राजनीतिक दवाब में रखना चाहते हैं जिसे मैं साफ़ तौर पर सियासती ब्लैकमेलिंग मानता हूं।*🙋‍♂️
                     *इधर सचिन दूसरी पार्टी के सम्पर्क में रहकर आला कमान को दवाब में ला रहे हैं उधर गहलोत भी लगभग इसी अंदाज़ में अपने शीर्ष नेताओं को दवाब में ला रहे हैं।*😇
                 *कल के ब्लॉग में जैसे कि मैंने ख़ुलासा किया कि धर्मेन्द्र राठौड़! संदीप चैधरी और पवन गोदारा का पंजाब के मुख्यमंत्री मान से मिलना-जुलना दिखाया जा रहा है वह कोरा हाईकमान को दवाब में ही लाना है।*👍
                   *एक साथ गहलोत , डोटासरा और वसुंधरा के कोरोना का होना संयोग तो हो सकता है मगर "सियासती कोरोना"से भी इंकार नहीं किया जा सकता।*🤪
                *सचिन का धरना !थकी हारी बेसब्री का नमूना है!मरता क्या नहीं करता! मरो या करो! बुझने से पहले चिराग़ लौ ऊंची करके रौशनी देता है!* 
*ये सारे जुमले सचिन के लिए पूरी तरह सही बैठते हैं।*💯
                         *जापानी भाषा मे सचिन के कृत्य को "हाराकिरी" कहते हैं जिसका अर्थ ! ज़िन्दा रहने की कोई वज़ह न बचने पर आत्महत्या करना है।*💁‍♂️
                *जहाँ तक मेरा आंकलन है सचिन की इस हाराकिरी में उनके साथ कई विधायक जौहर की परम्परा निभाएंगे मगर समझदार विधायक और नेता उनके इस फ़ैसले से सहमत नहीं होंगे।*❌
                 *कल मैंने कुछ विधायकों से बात की! ऐसे विधायकों से भी जो मानेसर बाड़े बंदी में सचिन के साथ थे!उनका मानना है कि आख़री वक़्त में मुसलमाँ होना कोई विवेकपूर्ण निर्णय नहीं। ज़ाहिर है कि सचिन पायलट जो अब तक सिर्फ़ गुर्जर नेता बन कर रह गए हैं। यदि दो महिने और इंतज़ार कर लेते। सब्र नहीं तोड़ते तो चुनावों में उनको पार्टी गहलोत से ज़ियादा तरज़ीह देकर महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी दे सकती थी। इस बात से वह बेख़बर भी नहीं थे मगर राजस्थान में एक अजीब कहावत प्रचलित है कि "रांड तो रंडापा काट ले! पण रण्डवा काटवा देवे जब न"।🤨*
                       *सचिन को उनके शुभ चिंतकों और उनके मज़े लेने वालों ने घेर कर उकसा दिया और अब वो हाराकिरी के रास्ते पर चल निकले हैं। वसुंधरा के घोटालों के नाम पर चार साल तक ज़ुबान पर ताले लगाने के बाद !सड़क पर उतरना सिर्फ़ नाख़ून कटा कर शहीद की लिस्ट में नाम लिखाने जैसा है। मेरा दावा है सचिन को इस खेल से नुक़सान ही होगा। बाक़ी जो सोता हो उसे जगाया जा सकता है जो सोने का नाटक कर रहा हो उसे कौन जगा सकता है।*😵‍💫
[4/12, 10:24 AM] +91 98292 71388: *‼️सचिन पायलट का पोलटिकल हैलीकॉप्टर हवा में ही क्रेश‼️*🤦‍♂️

_*नई पार्टी बनाएं! किसी पार्टी में शामिल हों या कांग्रेस में ही बने रहें! कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा!!*_🙋‍♂️

_*"मूर्ख सलाहकारों ने छीन लीना दुपट्टा मेरा"*_😇

               *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

                           *सचिन पायलट किस ग़लत फ़हमी में हैं❓️किसने उनको धरने की शक़्ल में यज्ञ करने और हाथ जलाने की सलाह दी यह बात इसी सप्ताह सामने आ जाएगी। हाई कमान के इशारे या अनुमति से कुछ नहीं हुआ है। यह तय है।*👍
                       *सचिन की ज़िद ने कम से कम उनको राजस्थान की कांग्रेस राजनीति से बाहर कर दिया है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी के नेताओं ने उनके धरने को सत्ता लालसा के लिए किया गया यज्ञ बता दिया है। मज़ेदार बात यह है कि भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा और गहलोत को सचिन के आरोपों की प्रतिक्रिया व्यक्त करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ रही। दोनों ही पार्टियों के अन्य नेता सचिन के धरने की किरकिरी करने को प्रस्तुत हैं।*😵‍💫
              *सचिन ने कल का धरना एक घण्टे पहले समाप्त कर दिया। उन्होंने धरने के दौरान मौन धारण किये रखा।एक शब्द भी लगाए गए आरोपों को लेकर नहीं दोहराया। किसी को मंच पर भाषण नहीं देने दिया। वज़ह साफ है कि जो पंगा उन्होंने ले लिया उसे निबटाने के लिए अब वह प्रयासरत हैं।*💁‍♂️
                           *पार्टी के राजस्थान प्रभारी रन्धावा हों या राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा और जयराम ने स्पष्ट रूप से सचिन के धरने को लेकर कड़ी नाराज़गी व्यक्त कर दी है। पार्टी के प्रवक्ता पार्टी की ज़ुबान होते हैं। पार्टी का बयान होते हैं।निजी राय उनके लिए होती ही नहीं है। ज़ाहिर है कि प्रवक्ताओं की नाराज़गी को हाईकमान की मंजूरी प्राप्त है।*🤷‍♂️
                     *यहाँ आपको बता दूं कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे ने सचिन को धरने से एक दिन पहले पंजाब से फ़ोन करके धरना स्थगित करने के स्पष्ट निर्देश दे दिए थे।गांधी परिवार उनके फ़ैसले से सहमत नहीं है यह भी बता दिया था मगर सचिन ने गहलोत को, वसुंधरा के तीर से निबटाने का पूरा मानस बना लिया था इस लिए धरना स्थगित करना ही रद्द कर दिया।उधर पवन खेड़ा और जयराम रमेश ने भी गहलोत की रीति नीतियों और उपलब्धियों की प्रशंसा करते हुए सचिन को यह सूचना दे दी थी कि पार्टी ने गहलोत को ही अब अपना चेहरा घोषित कर दिया है।शायद सचिन ने इस इशारे पर ध्यान देना भी उचित नहीं समझा।*😒
                          *सवाल उठता है कि अब क्या होगा❓️बहुत से लोग हैं जो इसे पार्टी का अंदरूनी विषय मानते हुए धरने को प्रजातांत्रिक क़रार दे रहे हैं।अभिव्यक्ति की आज़ादी का हिस्सा बता रहे हैं मगर मेरा दावा है कि पार्टी सचिन के कारनामे को सख़्ती से लेगी।उनको दिल्ली बुला लिया गया है। कारण बताओ नोटिस तैयार करवा लिया गया है।अनुशासन का हंटर चलना तय है।*💯
                    *वैसे भी यह पार्टी की टेक्निक है। कारण बताओ नोटिस दिया जाता है मगर कार्यवाही कोई नहीं की जाती। यह सत्य सचिन भी तब से जानते हैं जब से शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेन्द्र राठौड़ को कारण बताओ नोटिस दिया गया और जवाब मिलने पर कार्यवाही को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।*😜
                     *सचिन आम लोगों के नेता नहीं! सिर्फ़ गुर्जर समुदाय के बड़े हिस्से के नेता हैं। ज़ाहिर है कि अगले चुनावों तक यदि सचिन पार्टी से बाहर नहीं निकाले गए या ख़ुद निकले तो राज्य के गुर्जर बाहुल्य क्षेत्रों में भारतीय जनता पार्टी के लिए शानदार रास्ता खुल जायेगा। मीणा बाहुल्य क्षेत्रों में भी स्थिति बदलेगी।किरोड़ी लाल मीणा को केंद्रीय मंत्री बनाए जाने की क़वायद शायद मीणाओं के मत विभाजन को रोकने के लिए ही की जा रही है।*👍
                   *यहाँ आपको बता दूं कि राहुल, प्रियंका, महामंत्री वेणुगोपाल अनुशासन समिति के सचिव तारीक अनवर कल तक केरल के दौरे पर थे। अब वे कालपेट्टा के एक रोड़ शो सत्यमेव जयते में भाग लेंगे। इसके बाद दिल्ली लौटने पर सचिन को सफ़ाई देने का मौक़ा मिल सकता है मगर मुझे नहीं लगता कि सचिन तब तक पार्टी में ही रह कर अपने पर अनुशासन की चाबुक खाने लिए कोई दूसरा फ़ैसला नहीं करेंगे।*🙄
                 *सचिन धरने से पहले ही जानते थे कि पार्टी में उनका भविष्य सुरक्षित नहीं है।उनको हाईकमान से भी कोई उम्मीद नहीं थी। हर तरफ से निराश होकर ही उन्होंने "राजनीतिक मानव बम" बनना स्वीकार किया। ज़ाहिर है कि वह पार्टी के चाबुक खाने के लिए ख़ुद को प्रस्तुत नहीं करेंगे।*❌
                       *शायद वह सिर्फ़ पार्टी द्वारा निष्कासित किए जाने का पहले बहाना ढूंढ रहे थे और अब इंतज़ार में हैं।*🙋‍♂️
                  *सचिन तय कर चुके हैं कि उनको क्या करना है। वह कुछ भी करें। नई पार्टी बनाएं! किसी पार्टी में शामिल हो जाएं या कांग्रेस में ही बने रहें! मगर उनकी मारक क्षमता फ़िलहाल ख़त्म हो चुकी है। मित्र ज्योतिरादित्य उनकी अब कोई मदद नहीं कर पाएंगे।स्वामी प्रमोद कृष्णम तो पहले से ही उनकी नैया डुबोने के लिए ज़िम्मेदार हैं।*😟
[4/16, 10:49 AM] +91 98292 71388: *‼️गजेंद्र सिंह पुचकारते हैं अमित शाह मारते हैं‼️*😇

_*सचिन को भाजपा में बुला रहे हैं शेखावत और अमित शाह ने कह दिया कि वह कभी मुख्यमंत्री नहीं बन सकते!*_😨

_*तो क्या राहुल प्रियंका ! प्यारे  सचिन के लिए पूरी पार्टी को लगा रहे हैं दांव पर!!*_🤔

               *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

               *एक पुचकारता है दूसरा मारता है। परसों केंद्रीय जल मंत्री गजेंद्र सिंह ने कांग्रेस के सचिन पायलट को पुचकारा तो कल भरतपुर में भाजपा के भाग्य विधाता अमित शाह ने कह दिया कि सचिन पायलट कभी भी मुख्यमंत्री नहीं बन सकते।*😨
                    *गजेंद्र सिंह ने अतिरिक्त उत्साह में गहलोत के ख़िलाफ़ खड़े सचिन को बाहें फैला कर भाजपा में शामिल होने का न्यौता दिया तो दूसरे ही दिन शाह ने साफ़ कर दिया कि वह न तो कांग्रेस में मुख्यमंत्री बन सकते हैं न भाजपा में। दोनों ही पार्टियों में उनकी हैसियत एक जैसी है।*🫢
                          *वैसे भी सचिन भाजपाई मानसिकता के संस्कार में फिट नहीं बैठते।ज्योतिरादित्य जैसा लचीलापन उनमें नहीं। यही वज़ह है कि वह कांग्रेस की नीतियों में ही तड़पने को मजबूर हैं। राहुल गांधी और प्रियंका के बलबूते पर वह अशोक गहलोत से बराबर और अब तो खुल कर पंगा ले रहे हैं।*🙄
                *कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे हों या महामंत्री वेणुगोपाल! या हों राजस्थान प्रभारी रन्धावा! सब राहुल गांधी के सामने कटोरा लिए खड़े नज़र आते हैं। पार्टी से बाहर खड़ा नेता सर्कस का विंग कमांडर बना हुआ है। पूरी कांग्रेस सर्कस बनी हुई है।*😵‍💫
                    *जो ज़रा भी अपने मन से बोल जाता है उसकी ज़ुबान पर दूसरे ही दिन ताला लगा दिया जाता है और चाबी राहुल गांधी की जेब मे चली जाती है। और तो और पार्टी की ज़ुबान बनाए गए राष्ट्रीय प्रवक्ता जयराम और पवन खेड़ा भी गूंगे बना दिए जाते हैं।*😫
                       *उधर सचिन को पार्टी से न निकाले जाने के लिए कांग्रेस के भाई बहन पूरी तरह ढाल बने हुए हैं इधर अशोक गहलोत फ़िलहाल अपने पत्ते नहीं खोल रहे।यद्यपि उनके हनुमान जी राठौड़ बाबा ने फिर अपनी राम भक्ति का प्रदर्शन शुरू कर दिया है।और भी कई नेता फुल बॉडी मसाज करते हुए अंदर ही अंदर तैयार बैठे हैं। इशारा मिलते ही "आक्रमण की आवाज़ गूंज उठेगी।*🙋‍♂️
             *खड़गे! वेणुगोपाल!रन्धावा! जयराम! खेड़ा! सब को यद्यपि ख़ामोश कर दिया गया है मगर निहत्थी पार्टी के अंदर ज्वालामुखी फूटने को आतुर है।*💯
                     *आनंद शर्मा जैसे कुशाग्र बुद्धि के नेता गुलाम नबी की भूमिका कब अदा कर दें कहा नहीं जा सकता । यूँ भी राजस्थान की राजनीति से ताबे पाना कम से कम राहुल गांधी के वश की बात नहीं। वह जिस ग़ुब्बारे को हवा में उड़ा रहे हैं वह सिर्फ़ नाम का पायलट है। आसमान नापने की उसकी क्षमता को गृह मंत्री अमित शाह ने भरतपुर में स्प्ष्ट कर दिया है। साफ़ कह दिया है कि सचिन कभी मुख्यमंत्री नहीं बन सकते। जैसे उन्होंने सचिन की जन्म पत्री किसी बेहतरीन ज्योतिषी से पढ़वा ली है।*🙄
                     *अमित शाह और अशोक गहलोत सचिन को मुख्यमंत्री बनने नहीं देंगे और राहुल प्रियंका उनको मुख्यमंत्री बना कर ही दम लेंगे।*😇
                      *गजेंद्र सिंह शेखावत सचिन को भाजपा में लाकर दम लेंगे मगर मुख्यमंत्री ख़ुद बनना चाहेंगे। बेचारे सचिन के सपने तो चूर चूर ही होंगे।*🤦‍♂️
                 *इधर मोदी और शाह की जुड़वां जोड़ी ने तय कर लिया है कि अगला चुनाव बिल्ली और बंदर की लड़ाई में पूर्ण बहुमत से जीतना है और मुख्यमंत्री अपने चहेते अश्विनी वैष्णव को ही बनाना है।*👍
                       *रेल मंत्री वैष्णव जिस तरह राजनीति की द्रुतगति वाली बुलेट ट्रेन्स  राजस्थान में चला रहे हैं उसे देख कर लग रहा है कि उनकी रेल वसुंधरा राजे की पैसेंजर ट्रेन से आगे निकल चुकी है।*🤪
                               *यहाँ बातों ही बातों में एक निशुल्क भविष्यवाणी भी किए देता हूँ।दोनों ही पार्टियों की। भाजपा में वसुंधरा को अगले चुनाव का प्रभारी बनाया जाएगा। संचालन वही करेंगी। टिकटों के बंटवारे में उनकी मदद ली जाएगी। मगर उनको मुख्यमंत्री बनने के लिए वही करना होगा जो सचिन आज कर रहे हैं।*🫢
               *अगले चुनाव बाद अशोक गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना स्वीकार कर लेंगे और फिर सचिन राजस्थान के प्रेदश अध्यक्ष बनेंगे। हा हा हा हा! ये सब बक़वास मैं इसलिए कर रहा हूँ कि आज की तारीख़ में ये सारी बातें चुटकुलों जैसी हैं।*😜
                           *ख़ैर!! सचिन का भविष्यफल वही है जो अमित शाह ने बताया है।वह अब कभी मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे।*😔
[4/17, 11:33 AM] +91 98292 71388: *‼️नक़्शा ग़लत पास हुआ है!निरस्त करना पड़ेगा‼️*👍

_*कब???यही देखना है!!!*_🙋‍♂️

               *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*


                         *अक्सर लिखता हूँ ।आज फिर लिख रहा हूँ। तब तक लिखता रहूंगा जब तक मेरी नस नस में ईमानदारी और निडरता भरी हुई है। यदि मेरी मौत कुत्ते के काटने से लिखी हुई है तो होकर रहेगी ।*👍
                  *यह बात आज मुझे दुबारा इसलिए लिखनी पड़ी कि किसी सौरभ यादव ने मुझे फ़ोन करके धमकी भरे अंदाज़ में ब्लॉग लिखने पर बंदिश लगानी चाही। दरअस्ल मैंने चौधरी कॉलोनी वार्ड नम्बर 80 के एक नाले पर हो रहे अवैध निर्माण को लेकर ब्लॉग लिख दिया था।*💁‍♂️
              *वार्ड 80 चौधरी कॉलोनी का नाला जो कि अनासागर में पानी जाने का मुख्य स्त्रोत है उसके पास निर्माणकर्ता द्वारा निर्माण किया जा रहा है और वार्ड 80 के सभी निवासियों द्वारा लगातार इस निर्माण का विरोध किया जा रहा है।*😟
                *कॉलोनी वासियों का कहना है कि उक्त निर्माण सरकारी नाले की ज़मीन पर किया जा रहा है। मूल तथ्य छुपा कर नक्शा स्वीकृत किया गया है। वार्ड वासियो का मानना है कि मिलीभगत से आवासीय की आड़ में व्यावसायिक निर्माण किया जा रहा है। यदि ये निर्माण हो जाता है तो यातायात का दबाव बढ़ जाने से सभी कॉलोनी वासियो का इस मुख्य सडक पर आना जाना ही दूभर हो जाएगा।*🤨
               *कॉलोनी वासियो और निर्माण कर्ता के बीच चल रहे द्वन्द को लेकर ही मैंने पिछले दिनों एक ब्लॉग लिखा था।*
                    *इस ब्लॉग से तिलमिलाये किसी सौरभ यादव ने मुझे फोन कर धमकी भरे लहजे में कहा कि ये निर्माण उसके द्वारा किया जा रहा है ।आप बिना जानकारी के क्यों इस विषय पर लिख रहे हो। मेरे पास निर्माण करने की अनुमति नगर निगम द्वारा दी हुई है।*😣
                   *दोस्तों!! सौरभ यादव द्वारा दी गई धमकी को चैलेंज मानते हुए मैंने उक्त भूमि  से सम्बंधित तथ्य और नक्शा स्वीकृति के बारे में जानकारी एकत्र की ।*
                          *मेरे कहने पर मेरे संजय भाटी और दिनेश पाराशर ने आधिकारिक रूप से निगम में जाकर फ़ाइल का अवलोकन किया। फ़ाइल अवलोकन के बाद संजय भाटी ने मुझे इस फ़ाइल में कई प्रशासनिक कमियां बताई जो मैं आपके सामने उजागर कर रहा हूँ ।*🤷‍♂️
                         *राजस्व भूमियों के जानकार संजय भाटी के अनुसार उक्त भूमि पर निगम द्वारा नक्शा ही गलत पास हुआ है । जिसे निगम आयुक्त को तुरंत निरस्त कर देना चाहिए। (करना पड़ेगा )*👍
               *नक्शा निरस्त क्यों किया जाना चाहिए आइये इन तथ्यों पर गौर फ़रमाया जाये।*
                     *भाटी द्वारा फ़ाइल का पोस्टमार्टम करने के बाद कई ऐसे सवाल जो प्रशासन से जवाब मांग रहे हैं उन्हें मैं आपके सामने ला रहा हूँ।*🙋‍♂️

                         *राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार खसरा न 23 की किस्म नाला और खसरा न 24 व 25 की किस्म बारानी है। आबादी नहीं।*
                   *बारानी किस्म होते हुए भी निगम द्वारा खसरा स 24 व 25 पर 90 A की कार्यवाही हुए बगैर नक्शा स्वीकृत कर दिया गया है जो पूर्णतः गलत है। क्या बारानी किस्म पर नक्शा स्वीकृत हो सकता है ❓️*
                     *नगर निगम द्वारा उक्त नक्शा स्वामित्व दस्तावेजों की फोटो कॉपी पर बिना सत्यापित दस्तावेजों के आधार पर ही स्वीकृत कर दिया। क्या ये सही है ❓️*
                 *पटवारी मौका पर्चा में उक्त भूमि के आस पास सघन आबादी बताई गई है।  घनी आबादी बसी होने के कारण खसरा स 24 व 25 का सीमाज्ञान का आधार एक दीवार को रखा गया है। क्या ये सही है ❓️*
                  *पटवारी मौका पर्चा में खसरा नंबर 23 नाले की भूमि और उसके साथ लगती हुई समानंतर भूमि खसरा 24 व 25 बताई है। इसमें दिशाए और क्षेत्रफल नहीं बताया गया है। जो गलत है।*😒

                      *खसरा स 24 व 25 के सीमाज्ञान में भूमि के आस पास की दिशाए /सीमाए नहीं दर्शाई गई है जो व्यावहारिक नहीं है। हर सीमाज्ञान में सीमांकन की जा रहीं भूमि के चारों दिशाओं में किसकी भूमि है ये अवश्य दर्शाया जाता है।*🙋‍♂️

                   *मौका पर्चा में उक्त भूमि खसरा स 24 व 25 के कुल रकबे के अनुसार ही है या इसका कुछ भाग सडक/ नाले आदि में भी है ये स्पष्ट नहीं किया गया है। जो गलत है।*❌
                    *मौका पर्चा में नाले की चौडाई 8 से 10 मीटर बताई गई है। 2 मीटर का मतलब लगभग 6.5' का घपला तो नाले की भूमि का ही है। ये 6.5' भूमि कहाँ है स्पष्ट नहीं किया गया है। जबकि नाले की चौडाई स्पष्ट बताई जानी चाहिए या तो 8 मीटर या 10 मीटर।*😫
                *जब अजमेर विकास प्राधिकरण के तहसीलदार द्वारा खसरा स 24 व 25 को अपने स्वामित्व की मानते हुए ही निर्माण ध्वस्त करने की कार्यवाही की गई थी तो मालिकाना हक़ ए डी ए का होने के बावजूद नक्शा नगर निगम ने कैसे स्वीकृत कर दिया ❓️*
                             *इस प्रकरण में इसके अलावा भी कई प्रशासनिक कमियां हैं लेकिन स्थानाभाव के कारण किसी अगले ब्लॉग में इसका खुलासा करूँगा।*💁‍♂️
                         *वार्ड के जागरूक नागरिक एडवोकेट आनंद माथुर, डॉ अरविन्द शर्मा, दिनेश पाराशर, मुबारक़ अली, राजेश जैन, प्रेमलता बुगालिया ने भी अब इस प्रकरण को अपनी व्यक्तिगत इज़्ज़त से जोड़ लिया है। उन्होंने लिखित शिकायत निगम आयुक्त , ए डी ए आयुक्त , जिला कलेक्टर, संभागीय आयुक्त, स्वायत शासन विभाग को कर नक्शा निरस्त करने की मांग की है। इसलिए मुझे तो लगता है कि अब ये लोग नक्शा निरस्त करवाकर ही मानेंगे।*😇
                 *अंत में मेरा ऐसा मानना है कि पूरे वार्ड वासियों के विरोध को देखते हुए क्षेत्रीय विधायक माननीय देवनानी जी को तुरंत इस मुद्दे को निबटाना चाहिए। यदि प्रशासन की गलती सिद्ध होती है तो जिम्मेदार अधिकारी / कर्मचारी के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्यवाही करवाकर इस मुद्दे को ख़त्म कर वार्ड वासियों को राहत पहुँचानी चाहिए।*🙋‍♂️
                   *और हां ,यादव जी आप कितने शक्तिशाली हैं? कितने व्यवस्थावादी हैं? क़ानूनी रूप से कितने दमदार हैं? देखना चाहूँगा।*👍
[4/18, 10:23 AM] +91 98292 71388: *चकरम😇*
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 *‼️पोस्टरों की राजनीति !!और अजमेर ज़िला‼️*🙋‍♂️


_*अब तो पत्नी के गर्भवती होने पर भी बैनर्स लगाए जाएंगे!!*_🤪

            *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

                           *न्याय अख़बार में एक कालम लिखा करता था। चकरम! व्यंग्यात्मक आलेख! मुद्दत बात फिर से शुरू कर रहा हूँ। ये व्यंग्य किसी विषय या व्यक्ति पर नहीं होंगे मगर यदि किसी को ऐसा लगे कि तीर उनके नाम का छेदन कर रहा है तो इसे मैं उस नाम की ग़लत फ़हमी मानूंगा। जैसे मैंने व्यंग्य में लिखा "देवों की नानी!"और इसे कोई नेता अपने नाम से जोड़ ले तो यह उसकी अल्पबुद्धि ही होगी।चम्पत सांखला लिखूं और कोई कहे यह तो आमुख व्यक्ति का नाम है। अब यह सबकी बुद्धि पर निर्भर करता है।*🤷‍♂️
                       *पिछले दस सालों में अजमेर ज़िले के अपने शहर में बैनर्स लगा कर राजनीति करने का विस्मय कारी खेल प्रारम्भ हुआ जो आज अपने चर्मोत्कर्ष पर है।वार त्यौहार पर लोगों को शुभकामनाएं देने से शुरू हुआ यह खेल जब जन्मदिन की बधाई पर पहुंचा तो कुछ महारथियों ने अपनी वैवाहिक सालगिरह भी बैनर्स पर मनानी शुरू कर दी।*🙄
                   *चकरम के एक मित्र जिसकी श्रीमती जी कई वर्षों के कठिन परिश्रम के बाद माँ बनने की दिशा में अग्रसर हुईं तो चकरम ने उनको सलाह दी कि वह इस शुभ सूचना को समाज से साझा करें। यद्यपि यह बात सच है कि इसमें समाज के आम आदमी का कोई योगदान नहीं। सिर्फ़ और सिर्फ पति पत्नी के तालमेल से उपलब्धि हांसिल हुई है मगर चकरम का मानना है जब शहरों में अपने जन्म दिनों को लेकर बैनर्स टाँगे जाते हों तो आगन्तुक वोटर की सूचना देने में क्या बुराई❓️❓️😉*
              *चकरम के मित्र ने कहा कि होने वाले बच्चे की सूचना से क्या फ़ायदा मिलेगा❓️*
                *चकरम ने उसे समझाया बेवकूफ़ !समाज घर से शुरू होता है।घर में आपने जो दिन रात एक करके उपलब्धी हांसिल की है उसकी कहानी घर घर तक पहुंचानी ज़रूरी होती है। इससे और कुछ नहीं तो समाज में आपकी मर्दांनगी तो सिद्ध होती ही है।जो घर का संचालन ठीक से कर पाता है वही शहर का संचालन भी कर सकता है। जो गृहस्थी के रथ को नहीं हांक सकता हो वह शहर के रथ को कैसे हांकेगा❓️🤔*
                 *चकरम ने उसे बताया कि-"बेटा!!आज कल प्रचार का ज़माना है। जो दिखता है वही बिकता है।वैसे बिकने के लिए दिखना ज़रूरी नहीं होता। शहर में अधिकांश बिके हुए लोग ही बैनर्स पर लटके नज़र आते हैं।*🤷‍♂️
                       *मुर्गे ही नहीं चूजे भी आज कल तो बैनर्स पर लटकने का मज़ा लूट रहे हैं।अजमेर, ब्यावर, केकड़ी, किशनगढ,बिजयनगर तो फिर भी बड़े शहर हैं ।अब तो छोटे छोटे शहरों में भी लोग गली मोहले बाज़ारों में आए दिन लटक जाते हैं।*🙋‍♂️
                      *पिछले दिनों केकड़ी में पिता पुत्र की जोड़ी ने चौराहों पर लटकने का अद्भुत तालमेल स्थापित किया। इसी चपेट में तेल के एक व्यापारी के जिस्म में इस रफ़्तार से बैनर्स में लटकने की इच्छा जाग्रत हुई कि बैनर्स लगाने वालों का तेल निकल गया। अब तो यहाँ चले और बुझे हुए कारतूस अपने में नई बारूद भर रहे हैं। कई गौतम पुनर्जन्म ले रहे हैं।*😜
                       *केकड़ी तो केकड़ी अब तो चुनावों के लिए कांग्रेस और भाजपा के नए नए भूतिये ज़िले भर में बैनर्स पर चिपक कर अनाप शनाप पैसा ख़र्च कर रहे हैं।*🤨
                 *ब्यावर में भी कमोबेश यही हाल हैं। जिसे देखो वह चुनावों में अपनी दावेदारी दिखा रहा है। टिकिट मिलने की किसी को किसी ने कोई गारंटी नहीं दी है मगर उनके पोस्टर और बैनर्स पर बाक़ायदा विधानसभा क्षेत्र के नाम तक लिखे होते हैं।*😨
                         *वर्तमान विधायक तो चलिए ठीक माने जा सकते हैं मगर यहाँ तो जिसे देखो उसके पेट में टिकिट पल रही है। किशनगढ ,मसूदा, रूपनगढ़, पीसांगन, पुष्कर, भिनाय, बांदनवाड़ा सभी शहरों में लोग कुकुरमुत्ते की तरह बैनरों पर लटके हुए हैं।*🫢
              *अजमेर शहर इस फ़ैशन में सबसे आगे है। जैसे सारे भीष्म पितामह अजमेर में ही पैदा हो गए हों।*😇
                 *ऐसा लग रहा है जैसे हर रोज़ एक नया प्रत्याशी पैदा हो रहा है। ख़ास तौर से अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र में तो उम्मीदवारों की बाढ़ आई हुई है। देवों के देव को नानी याद दिलाने के लिए जिसे भी देखो पूरी ताक़त लगा रहा है।*😵‍💫
                     *कुछ समय पहले सुरों के इंद्र ने शेख़ी बघारते हुए पोस्टरों और बैनरों की झड़ी लगा दी। हर वार त्यौहार पर अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से सिर्फ़ उनकी शक्ल देख कर लोग बोर होते रहे। ऐसा लगा जैसे कि उनको राजाओं के इंद्र यादव और माथुर जी ने टिकिट ही दे दिया है।*💁‍♂️
                            *पिछले चुनावों में सिंधी वाद की सीढ़ी पर चढ़ कर एक बारूद किंग दीपक जलाते हुए पोस्टर युध्द में शामिल हुए। मोहर्रम जो दुखों का दिन होता है उस पर  भी शुभकामनाएं दे दीं। टिकिट नहीं मिला तो उनकी शुभकामनाएं समाप्त हो गईं।*🫢
                  *अब एक नया पुच्छल तारा बैनर्स के आसमान पर चमक उठा है। कोबरा साँप की तरह फन उठाए वह अपना जन्म दिन मना रहा है। ख़ुद को ख़ुद ही शुभकामनाएं दे रहा है।उसने अपने जन्मदिन पर भंडारा भी किया। ताज़्जुब हुआ कि भंडारे में भूखे पत्रकारों से लेकर इच्छाधारी नेताओं ने भी शिरक़त की।*😳
                      *भाऊ बूढ़े हो गए हैं। उनका टिकिट हर हाल में कटेगा। बस इस ग़लतफ़हमी में अजमेर विधान सभा क्षेत्र भाजपाई नेताओं के लिए सिवायचक चरागाह बन गया है। कई सुभाष चन्द्र बोस मुंह उठाये हरी घास चरने आए हुए हैं।*😉
                      *भाऊ की टिकिट फाइनल है। फिर भी कई नादान (मूर्ख) नेता हवा में तलवारें घुमा रहे हैं।*🤺
                *पुष्कर में नसीम अख़्तर के पर कतरे हुए हैं यह सोच कर कांग्रेस में काग़ज़ के हवाई जहाज उड़ रहे हैं।*😄
                             *राठौड़ बाबा का तो यह हाल है कि वह पोलटिकल किंग के रूप में कहीं से भी टिकिट लाने के लिए तैयार बैठे हैं। अजमेर उत्तर हो या पुष्कर उनकी दावेदारी के चक्कर में लोग उनके कोहनी पर लगा शहद चाट रहे हैं।*🤪
               *पुष्कर में मज़ेदार बात यह है कि कल तक जो लंबोदर नेता बाबा जी के साथ घूम रहे थे अब ख़ुद टिकिट की लाइन में लग कर अपने वक़ीलों को सोशल मीडिया पर सेनापति बना चुके हैं।*🥱
                     *चकरम का मानना है कि बैनर्स बनाने की फैक्ट्री अजमेर में ही स्थापित होकर रहेगी। देखते हैँ ये फैक्ट्री कौन खोलता है❓️😇*
[4/19, 10:16 AM] +91 98292 71388: *‼️पेपर आऊट घोटाले में क्या सिर्फ़ कटारा उनका भांजा और ड्राइवर ही शामिल हैं???‼️*😳

_*क्या दयानंद विश्वविद्यालय के भी किसी चेहरे का इस काँड से तो कोई लेना देना नहीं?*_🤔

_*सांसद किरोड़ी लाल मीणा तक पहुंचा दिए थे मैंने कई सबूत!*_💁‍♂️

_*आर पी एस सी की साख गिराने के लिए गहलोत भी कम ज़िम्मेदार नहीं!!!*_😣

_*राहुल गांधी को 'पप्पू 'नाम देने वाले कवि कुमार विश्वास की पत्नी को सदस्य बनाना क्या जायज़ रहा?*_🤔
   
              *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*


                 *पुजारी ही जब मंदिर में घात लगाकर ज़ेवर चोरों के हवाले कर दे तो इससे बड़ी नीचता तो हो ही नहीं सकती। यही निम्नतम घटना कारित हुई राजस्थान की आर पी एस सी में। सम्मानित सदस्य बाबू लाल कटारा ने ही अपने हाथ काले कर लिए। अब उन्हें पेपर आउट कराने के मामले में गिरफ़्तार किया गया है।*😵‍💫
                  *इस शर्मनाक वारदात का शक़ मैंने अपने बहुत पुराने ब्लॉग में उस समय ही ज़ाहिर कर दिया था जब कांड के पीछे पड़े भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने मुझसे पेपर आउट मामले में ब्लॉग लिखने पर बात की थी।उनके निजी सचिव सतीश मीणा को मैंने साफ़ कर दिया था कि पेपर आउट करवाने में आर पी एस सी के अंदरूनी अफ़सर अपने हाथ काले कर चुके हैं। मेरी बात की तस्दीक़ बाद में ख़ुद किरोड़ी लाल मीणा ने मीडिया के सामने की थी।उन्होंने भी कह दिया था कि आर पी एस सी का एक अधिकारी इस पूरे कांड का पटकथा लेखक है।*🙋‍♂️
                   *शर्म की बात है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ऐसे ही हरामी अफ़सरों के कारण शर्मिंदा होना पड़ रहा है।ज़लालत भुगतनी पड़ रही है।*😟
                      *आर पी एस सी के इतिहास को काला करने वाली इस वारदात ने यह साबित कर दिया है कि अशोक गहलोत की पीठ में ख़ंजर घौंपने वाले उनके अपने लोग हैं।*😫
                     *जिस समय वरिष्ठ अध्यापक परीक्षा 2022 के पेपर आउट का मामला अख़बारों की सुर्खियां बना हुआ था और एस ओ जी कड़ी से कड़ी जोड़ने में लगी हुई थी तब कांड के छोटे मोटे पेपर बेचने वाले चेहरे सामने आ रहे थे। चोर पकड़े जा रहे थे ,चोर की मां ख़ैर मना रही थी।*🫢
                        *दाद देनी पड़ेगी किरोड़ी लाल मीणा की जिन्होंने चोर की माँ तक पहुंचने में अपना पूरा सूचना तंत्र लगा दिया था। सारी सूचनाएं उनको मैंने भी दे दीं थीं। अजमेर के दयानंद विश्वविद्यालय में कुछ आर पी एस सी सदस्यों के प्रेमी लोगों के नाम भी मैंने ब्लॉग में लिख दिए थे। विश्वविद्यालय की परीक्षाओं को संचालित करने वाले तत्व आर पी एस सी की कई अहम परीक्षाओं के संचालन में भी अहम भूमिका निभा रहे थे। अभी तक वो एस ओ जी की पकड़ से दूर हैं।*🤔
                      *आर पी एस सी की छवि बर्बाद करने वाले अभी कई चेहरे सामने आने बाक़ी हैं। संस्था बाज़ बाबू लाल कटारा जैसे खुराफ़ाती लोगों को राजनीतिक ताक़त के दुरूपयोग से इतने महत्वपूर्ण पद पुरस्कार में देने का ही यह नतीज़ा है। ऐसा नहीं कि काली सियासत का पुरस्कार सिर्फ़ कटारा को ही मिला।*
                 *अपने आपको महाकवि कालिदास का वारिस मानने वाले कुमार विश्वास की पत्नी को भी इसी तर्ज पर आर पी एस सी का सदस्य बना कर अशोक गहलोत ने यही कृत्य किया। किसी प्रभाव शाली व्यक्ति की पत्नी होना ही जब किसी सदस्य की सबसे बड़ी योग्यता हो तब कटारा जैसे किरदार सामने आना स्वाभाविक है।*💯
                      *कमाल की बात है कि राहुल गांधी को "पप्पु" के नाम से विख्यात करने वाले कुमार विश्वास की पत्नी को गहलोत ने इतने सम्मानित पद से नवाज़ दिया।ग़नीमत है कि उनके नाम से कोई कांड अभी तक चस्पा नहीं हुआ है वरना तो यहां कुछ भी हो सकता है।*🙄
                       *कटारा पर हाथ डालने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का क्या कहना है? यह अभी साफ़ नहीं हुआ है।*🫢
                    *मित्रों! कटारा का भांजा विजय कटारा और उनका ड्राईवर गोपाल सिंह अभी एस ओ जी की गिरफ़्त में आया है। इन सबकी यदि ढंग से (ढ़ंग से) जांच हो तो और भी कई चौंकाने वाले नाम सामने आ सकते हैं। क्या बाबू लाल कटारा ने सिर्फ़ अपने भांजे को ही पेपर दिए❓️क्या उनकी कृपा और किसी नज़दीकी व्यक्ति पर नहीं हुई❓️क्या विजय कटारा और उनके ड्राइवर ने अन्य लोगों को पेपर उपलब्ध नहीं कराए❓️🤨*
                   *कटारा के कार्यकाल में जितनी भी परीक्षाएं आयोजित हुईं उनकी जांच भी यदि बारीक़ी से हो तो कई चेहरे बेनक़ाब हो सकते हैं।*👍
                       *मेरे पुराने ब्लॉग्स जिसमें मैंने अजमेर विश्वविद्यालय के कई ताक़त वर किंतु अयोग्य लोगों के ज़िक्र करते हुए उन पर जांच बैठाने की बात कही थी आज भी अपनी जगह सबूत लेकर बैठी हुई हैं । भाजपा और कांग्रेस दोनों ही के सत्ता काल में ऐसे लोग समान रूप से सम्मानित हैं यदि एस ओ जी अपनी जांच का दायरा बढ़ा कर इन चेहरों को भी शामिल कर ले तो कई और पेपर आउट सामने आ सकते हैं।*💯
                             *सांसद किरोड़ी लाल मीणा जी को मैने ऐसे कई लोगों की करतूतों से वाकिफ़ करवाया था और उन्होंने दस्तावेज़ भी मंगवाए थे। उन्होंने भी यह बात सार्वजनिक रूप से कही थी कि दयानंद विश्वविद्यालय के कुछ लोग आर पी एस सी में काबिज़ होकर परीक्षाओं को प्रभावित कर रहे हैं।*🙋‍♂️
                  *पूर्व शिक्षा मंत्री और विधायक वासुदेव देवनानी आज कटारा के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे है। यह अच्छी बात है मगर यदि उन्होंने तब मेरे ब्लॉग लिखने पर समझदारी दिखाने का साहस किया होता तो परिणाम कुछ और होते। तब अजमेर के विधायक इसलिए ख़ामोश हो गए थे क्यों कि जिस व्यक्ति पर मेरा प्रहार हो रहा था वह भाजपाई नेताओं का कृपा पात्र था। संघ के कुछ महत्वपूर्ण लोग उसके पक्ष में खड़े नज़र आ रहे थे।ऐसे कुछ लोगों ने मुझसे भी ब्लॉग न लिखने का आग्रह किया था मगर ग़लत लोगों को बेनक़ाब करने का ख़ुद से किया वादा मुझे निभाना था इसलिए मैंने लिखना ज़ारी रखा और आज उसके परिणाम सामने हैं।*💁‍♂️
                      *विधायक देवनानी कटारा के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं। वह ज़रा विश्वविद्यालय की तरफ भी अपना ध्यान आकर्षित कर लें।*🤷‍♂️
[4/20, 10:15 AM] +91 98292 71388: *‼️जाता हूँ मैं मुझे कभी न बुलाना,*
*मेरी याद भी अपने दिल मे न लाना,*
*मेरा तो क्या मेरी मंज़िल न कोई ठिकाना‼️*😟

     _*सचिन प्लेन चालक*_✈️

              *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

                *जिसका डर था सनम वही बात हो गयी। उसने धुआं निकाला दिन में रात हो गई। राजस्थान कांग्रेस पार्टी में सचिन पायलट की राजनीति आख़री सांस ले रही है।अंदरूनी और बाहरी हालात एक जैसे हो गए हैं। सचिन की उछल कूद से उनके बाहर निकलने का रास्ता तैयार हो गया है।*🙋‍♂️
                      *उनके एक समर्थक नेता राजेन्द्र गुढ़ा जी ने हाल ही में चुनौती देते हुए कहा कि कोई सचिन के ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्यवाही करके तो दिखाए तो गुढ़ा जी!!  आपके गूढ़ शब्दों का कांग्रेस ने अर्थ ढूँढ़ लिया है!और हां!जाटों के बाहुबली नेता हनुमान जी!!आप जो सचिन को कांग्रेस छोड़ने की नेक और निशुल्क सलाह दे रहे हैं वह फलीभूत होती नज़र आ रही है।*😜
                 *कुल मिलाकर सचिन का राजनीतिक सफ़र नये आसमान की तलाश में है।जिस प्लेन को वह उड़ा रहे हैं उसका धुआं साफ़ नज़र आ रहा है। अब बस यह तय होना है कि कांग्रेस उनको बाहर का रास्ता दिखाती है या वह ख़ुद पार्टी को अलविदा कहते हैं।*😇
                   *परसों उनके शुभेच्छु आचार्य प्रमोद ने हर बार की तरह बड़ बोली भविष्यवाणी की। उन्होंने कहा राजस्थान में बहुत बड़ा राजनीतिक धमाका होने वाला है। उनका इशारा तो अशोक गहलोत को सबक सिखाने जैसा था मगर धमाका उनके मित्र के वज़ूद को लेकर होने वाला है यह उनको पता नहीं था।*🥱
                  *सचिन को राहुल और प्रियंका की नजदीकियां नहीं बचा पाएंगी। कमलनाथ की दूरदर्शिता सुरक्षित नहीं कर पायेगी। कोई इस सच को नहीं नकार पाएगा कि सचिन की सियासत अब वेंटिलेशन पर है।*😫
                    *कर्नाटक के चुनाव सर पर हैं। कांग्रेस ने अपने स्टार प्रचारक घोषित कर दिए हैं। इस लिस्ट में सचिन को बाहर रखा गया है। इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था। इस बार तो अशोक गहलोत को भी स्टार प्रचारक नहीं माना गया है। यहाँ बता दूं कि कर्नाटक में राजस्थान का बहुत बड़ा व्यापारिक वर्ग है जो राजस्थान की जड़ों से जुड़ा हुआ है।इनका ख़याल न रखना पार्टी के लिए ठीक नहीं मगर होई वही जो राहुल रचि राखा।*🤷‍♂️
                  *यहाँ यह भी बता दूं कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे कर्नाटक के हैं और अध्यक्ष बनाए जाने के बाद उनका जादू इन चुनावों में नज़र आएगा।*💯
               *एक तरफ सचिन पायलट की उल्टी गिनती शुरू हो गई है दूसरी तरफ आर एल पी सुप्रिमो हनुमान जी महाराज सचिन को बार बार नई पार्टी बनाने की सलाह देकर उकसा रहे हैं। वह उनको अपनी पार्टी में नहीं लाना चाहते। चालाक़ी से नई पार्टी बनवा कर ख़ुद की सुप्रीमैसी को सुरक्षित रखना चाहते है। जाट नेता के साथ बेहद सशक्त गुर्जर नेता को नहीं रखना चाहते। उनको पता है कि सचिन के सामने उनका क़द क्या है? सचिन पूरे राजस्थान के स्टार नेता हैं।अपने दम पर भीड़ जुटाने वाले दूसरे नम्बर के नेता कहे जाते हैं। पहले नम्बर पर तो वसुंधरा जी हैं ही ।*🤷‍♂️
                     *हनुमान बेनीवाल जी की मनोकामना है कि किरोड़ी लाल मीणा जी भी नई पार्टी बना लें ताकि जाट, गुर्जर और मीणा मतदाताओं को एक मुश्त साध लिया जाए।ऐसा होना कोई बहुत मुश्किल भी नहीं।*🙋‍♂️
                  *बैनीवाल जी ने अपनी बिटिया के जन्मदिन पर जिस तरह कई राज्यों के मुख्यमंत्री को एक साथ साधा  यह कोई कम मामूली खेल नहीं था। केजरीवाल, मान की मौज़ूदगी ने बता दिया कि आप पार्टी से उनका अलायंस होना शत प्रतिशत तय है। परम पूजनीय भगवान देवनारायण जी की कृपा हो जाए तो सचिन भी नई पार्टी बना लें और उनके साथ बाहरी समर्थन का खेल खेल लें।*💁‍♂️
                   *यह सब लिखते हुए मुझे मेरा एक पत्रकार याद आ रहा है जिसने उकसा कर अपने ही पत्रकार मित्र की पत्नी को घर से निकलवा दिया और.... फिर जो हुआ वह इतिहास बन गया।*🙄
                            *दोस्तों! इस बार चुनावों में बहुत बड़ा "पोलटिकल फुटबॉल लीग" होगा। सिर्फ़ पेनल्टी कॉर्नर से गोल होंगे। राहुल गांधी की तर्ज पर सचिन "सेल्फ गोल" भी कर सकते हैं।*😜
                        *देखना अब यह है कि यदि सचिन को पार्टी धर्म धक्का देती है या सचिन ख़ुद यह फ़िल्मी गाना गाते हुए निकलते हैं।*
 _*"जाता हूँ मैं मुझे अब न बुलाना,मेरी याद भी अपने दिल मे न लाना। मेरा तो क्या मेरी मंज़िल न कोई ठिकाना।"*_
              *तो.....तो...कितने मर्द नेता उनके साथ कूच करते हैं। जयपुर के शहीद स्मारक वाले सब नेता यदि सचिन का साथ देते हैं तो अगले चुनावों का मज़ा ही कुछ और हो जाएगा। कम से कम 18 मानेसर अखाड़े के विधायक, कुछ बसपा से छिटके हुए स्वयम्भू और बाहुबली नेता  उनके नेतृत्व में तलवारे संभालेंगे।*😉
                 *....मगर दोस्तों!जब नाश मनुज का आता है !पहले विवेक मर जाता है।*
                       *जी हां!जब आदमी का साया उसके क़द से बड़ा हो जाए तो समझो सूर्यास्त का समय है।*💯
                  *जी हाँ, आदमी ऊंट पर भी बैठ जाए और मौत कुत्ते के काटने से लिखी हो तो कोई उसे रोक नहीं सकता!*❌
     *जी हाँ!*
_*"अब हवाएं ही करेंगी रौशनी का फ़ैसला,*_
  _*जिस दिए में जान होगी वो दीया रह जाएगा।*_👍
[4/21, 9:52 AM] +91 98292 71388: *‼️रगड़ाई ज़रूरी है राजनीति में!‼️*💯

_*ब्लॉग को व्यंग्य ही समझें!सीरियस न लें!*_🙋‍♂️

_*वैसे नए नेताओं को सीरियस ही लेना चाहिये!*_👍

                *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*


                         *ग़ज़ब के भाजपा अध्यक्ष हैं राजस्थान के पंडित सी पी जोशी जी। कल पुष्कर आए थे। सम्भागीय कार्यकताओं के सम्मेलन में।आज अखबारों में पढ़ा कि उन्होंने अपने भाषण में हमारे बयान वीर वासुदेव देवनानी जी को भी पीछे छोड़ दिया।*🙄
                     *आईये इसी बहाने उनके भाषण पर भी नज़र डाल ली जाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी अपना घोषणा पत्र पूरा नहीं कर पाई।यही बात तो बेचारे सचिन पायलट भी कह चुके हैं।वसुंधरा जी के कार्यकाल में जितने कथित घोटाले हुए उनकी जांच कराना भी अशोक गहलोत और सचिन के चुनावी भाषणों में मुख्य मुद्दा था।*🙋‍♂️
                         *सचिन को इस मुद्दे पर शहीद स्मारक पर अपनी पूरी ताक़त को दांव पर लगा कर धरने पर बैठना पड़ा।यही बात थी तो पंडित जोशी जी को भी सचिन के समर्थन में धरना स्थल पहुंच कर बेचारे अभिमन्यु को चक्रव्यूह से बाहर निकालना चाहिए था। ख़ैर!कौन दूसरी पार्टी के नेता को सुरक्षित करता है!*😔
                     *पंडित जी ने कांग्रेस पार्टी के अंतर्कलह पर कहा। उन्ही के शब्द।"एक छोड़ नहीं रहा, दूसरा लेने पर उतारू है"*😇
                  *यदि इन वाक्यों के संदर्भ को ध्यान में न रखा जाए तो यह वाक्य दूसरे कई अर्थ दे सकते हैं। लोगों की नज़रो में अश्लील भी हो सकते हैं। गली कूंचों में स्वानों की कतारों से भी ये वाक्य सारगर्भित हो सकते हैं।*🤷‍♂️
                     *कुछ कारीगर लोग तो यह भी कहते दिखाई देते हैं कि अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे मिले हुए हैं। एक दूसरे को बचाने के लिए संगठित हैं। उनके बीच में अदृश्य समझौते हैं। अशोक गहलोत ने तो इस आरोप का कभी खंडन नहीं किया मगर वसुंधरा जी ने ज़रूर कल एक सभा में आरोप को लेकर सफ़ाई दी। कहा कहीं नीबू और दूध के बीच समझौता हो सकता है❓️😨*
                   *ज़ाहिर है यहाँ वसुंधरा जी ख़ुद को दूध और गहलोत जी को नीबू बताकर अपने बीच कोई समझौता न होने की तस्दीक़ कर रही हों मगर मित्रों! गहलोत और वसुंधरा न तो दूध हैं न नीबू!*😄
                      *दोनों फटे हुए दूध के रसगुल्ले बनाना जानते हैं। अच्छे अच्छे हलवाई उनकी इस पाक विद्या का लोहा मानते हैं। दिल्ली के पहुंचे हुए हलवाइयों को दोनों ही नेता ठिकाने लगा चुके हैं।*😉
                  *अशोक गहलोत ने सचिन के मामले में किस बड़े हलवाई की कढ़ाई में उबलते दूध को नींबू डाल कर नहीं फाड़ा।। सोनिया, राहुल, प्रियंका, खड़गे, वेणुगोपाल, माकन बताइए किसकी कढ़ाई के दूध का कलाकंद बनने दिया हमारे जादूगर ने। अब रन्धावा जी की कढ़ाई जब भट्टी पर चढ़ी हुई है तो गहलोत जी से बचाने के लिए वो सारी पंजाबी तकनीक इस्तेमाल कर रहे हैं।ज़रा सी नज़र चूकी कि फटा दूध।*🤪
                     *उधर वसुंधरा जी को ही देख लीजिए! उनकी कढ़ाई में नीबू निचोड़ने के लिए दिल्ली के किस हलवाई ने कसर छोड़ी। छंगू मंगू की जुड़वां जोड़ी ने अपने हैल्परों की मदद से क्या नहीं करवाया।दिल्ली में बैठ कर उन्होंने कौनसा झाड़ फूंक नहीं किया।कौनसे मारक मंत्रों का उच्चारण नहीं किया। कौनसी तंत्र विद्याओं का प्रयोग नहीं किया।*🤔
                      *ज़रा याद कीजिये अपने पूनिया भईया जी की करतूतों को! पूरे कार्यकाल में उन्होंने वसुंधरा जी की दूध वाली कढ़ाई में कितने नीबू निचोड़े! पर एक नीबू उनकी कढ़ाई के दूध को नहीं फाड़ पाया।*😣
                      *और तो और जब भाजपाई हलवाई उनका दूध नहीं फाड़ पाए तो कांग्रेस में एक जवान हलवाई बीच में कूद पड़ा। उसने पड़ौसी की बकरी मारने के लिए घर की दीवार गिरा दी। बेचारा यह भी नहीं जान पाया कि वसुंधरा और गहलोत किस मिट्टी के बने हुए हैं?*🫢
                     *धुआं निकालने में अपने आपको सिद्धस्त होने का दावा करने वाले सचिन की भट्टी से धुआं कहाँ कहाँ से निकल रहा है और निकलेगा यह थोड़े दिनों में ही वह जान जाएंगे। और हां ,रेलगाड़ी जब धुंआ निकालती थीं तो जलता हुआ कोयला उनके बदन में झौंका जाता था। आज भी राकेट जब धुंआ छोड़ता है तो उसके पिछवाड़े से आग की लपटें निकलती हैं। यह सब ध्यान में रहना चाहिए ।*🙋‍♂️
                      *गहलोत तो साफ़ कह चुके हैं कि सचिन नकारा , निकम्मे और न जाने क्या क्या हैं। उन्होंने जो कहा वह मेरी नज़र में तो बहुत ग़लत था मगर सिद्ध तो वही हुआ न?*😵‍💫
                  *दोस्तों!! कौनसा बाल है जो टेड़ा हुआ❓️गहलोत और वसुंधरा दोनों ही अपनी पार्टी के आज भी सबसे लोकप्रिय नेता हैं।*
                    *सुना है कि सचिन नई पार्टी बना कर कांग्रेस को अलविदा कह सकते हैं। कल्पना कीजिए कि यदि ऐसा होता है तो क्या होगा❓️ क्या उनके नाम से ज़बरन जोड़े गए नकारा और निकम्मे शब्द हट जाएंगे❓️🤨*
                        *मुझे नहीं लगता कि अशोक गहलोत जिस शब्द का प्रयोग अक्सर करते हैं "रगड़ाई" ! वह कभी सचिन ने करवाने में रुचि भी दिखाई हो। करवाना तो दूर की बात है।*😒
                      *राजनीति में रगड़ाई सबसे पहली शर्त होती है। गहलोत जी को इस महान क्रिया के लंबे अनुभव हैं। बरसों से करवाई गई रगड़ाई उनको आज तक जादूगर बनाये हुए है। मेरा तो मानना यहां तक है कि जिसको गहलोत "रगड़ाई" कहते हैं वही उनको जादूगर बनाये हुए है।*💁‍♂️
                       *सचिन को पार्टी ने क्या नहीं दिया❓️आज जो कुछ भी क़द उनका है वह सिर्फ़ और सिर्फ़ उनके पिता और पार्टी का दिया हुआ है और इसके लिए उनको दोनों का अहसानमंद होना चाहिए।बिना "रगड़ाई" के उनको इतना मिल गया जो बड़े से बड़े "रगड़ाई बाज़" नेता को नहीं मिलता। राज्य में न जाने कितने ऐसे नेता हैं जो पार्टी की दरियां उठाते हुए ही बूढ़े हो गए और उन्होंने कभी कुछ नहीं पाया।*😟        
                  *सचिन, राहुल, प्रियंका , ज्योतिरादित्य, दुष्यन्त सिंह या ऐसे और भी कई नाम हैं जिनको बिना "रगड़ाई" के ऊंचे ओहदे मिल गए। वंशवाद की बेल फैली और उसके फल खा कर जिनको "शॉर्ट कट सक्सेस"मिल गई।*👍
                *दोस्तो! अशोक गहलोत हों या वसुंधरा जी!इनके राजनीतिक जीवन में कितने उतार चढ़ाव आये यह नई पीढ़ी के नेताओ को जानता चाहिए।*🙋‍♂️
                                *पहले पेट से राजा पैदा होते थे। फिर पेटी..... से (माफ़ी चाहते हुए)  होने लगे । फिर मतपेटियों से।और अब इलेक्ट्रॉनिक मशीन से पैदा होते हैं। परखनली से पैदा होने वाले बेसब्र नेताओं को यह बात समझ लेनी चाहिए। बस आज का ज्ञान यहीं समाप्त।*🙏
                *अथ श्री सुरेन्द्रम : कथा.. कथा यथार्थ की .. कथा समाज के विकार की …. कथा स्वप्रचार के भूतों की … कथा सत्ता के मुंगेरीलालो की … अथ श्री सुरेन्द्रम; कथा … शब्द द्विघोषित हुआ … कथा जले पर नमक छिड़कने की … अथ श्री …………….!!!!!!*😇
[4/23, 10:53 AM] +91 98292 71388: *‼️कांग्रेस के ये हठधर्मी नेता‼️*😨

_*अड़ियल -बड़बोले विधायक और मंत्री!!*_🙄

_*और ये दब्बू! बैकफुट पर आया मजबूर हाईकमान!!*_😟

              *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*


                           *कांग्रेस राजस्थान में विधायकों ने हाई कमान और अपनी पार्टी को सर की दस्तार नहीं पाँवों की जूती समझ रखा है। ऐसा मैं हवा में नहीं कह रहा। इसके पीछे मेरे पास कई उदाहरण हैं।पार्टी का हाई कमान यदि दिल्ली में है तो उसे सोच लेना चाहिए कि राजस्थान के अगले चुनावों में उनको पार्टी के वर्तमान नेताओं के दम पर तो कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।*❌
                 *हाईकमान को पिछले लंबे समय से कई नेता सीधी औक़ात दिखा कर यह सिद्ध करते रहे हैं कि उनका कोई बाल टेड़ा नहीं कर सकता  !चाहे वह कहीं का भी ज़ोर लगा ले।*🤷‍♂️
                *अनुशासनहीनता की लंबी फ़ेहरिस्त है। मानेसर की बाड़ेबंदी जो सचिन पायलट एंड हिज कंपनी ने की से लेकर हाल ही में पार्टी के "वन टू वन संवाद" तक विधायकों की करतूतें हाईकमान को शर्मिंदा कर रही हैं।*🥱
                 *अशोक गहलोत ख़ुद भी इस दिशा में पीछे नहीं।पिछले कई मामलों में माना जा रहा था कि हाईकमान अपने नेताओं की गर्दन नाप कर उनकी तबीयत ठीक करेगा लेकिन अब तो उल्टा विधायक और मंत्री ही हाई कमान की गर्दन नाप रहे हैं।*😜
                    *पार्टी के शीर्ष नेताओं ने हाल ही में वन टू वन नेताओं को सामने बैठा कर पार्टी के विधायकों और मंत्रियों से फ़ीड बैक लिया। इस फीड बैक बैठक में 11 विधायक बैक फुट पर चले गए। वे सब पार्टी को जूतियों की नोंक पर रख कर आपने हाईकमान प्रतिनिधि रन्धावा जी के सामने बैठ कर उनके सवालों से मुख़ातिब ही नहीं हुए।*🫢
                               *इन विधायकों में दो केबिनेट मंत्री भी शामिल हैं। इनमें से एक मंत्री महेश जोशी पर पहले से ही अनुशासन हीनता का एक मामला लंबित है। शांन्ती धारीवाल और धर्मेन्द्र सिंह राठौड़ के साथ उन्होंने भी नाम कमाया था। उनके साथ इस बार मंत्री विश्वेन्द्र सिंह भी शामिल रहे। ये दोनो नेता एक दूसरे के धुर विरोधी माने जाते हैं। महेश जोशी अशोक गहलोत के जिगर के टुकड़े माने जाते हैं तो विश्वेन्द्र सिंह सचिन पायलट के।*🙋‍♂️
                  *ये दोनों मंत्री रन्धावा की वन टू वन संवाद बैठक में शामिल नहीं हुए।यद्धपि महेश जोशी ने रन्धावा जी को निजी कारण बता कर बैठक में सम्मिलित नहीं हो पाने की मजबूरी बता दी थी।*
                *जहां तक सी पी जोशी के बैठक में नहीं आने का कारण है उसे सही माना जा सकता है। उनका पद संवेधानिक है। विधानसभा के अध्यक्ष को बैठक में होना अनिवार्य नहीं मगर बाक़ी कई लोग जो किसी ऐसे पद पर क़ाबिज़ नहीं थे वह भी नहीं आए।*🙄
                     *ज़रा गौर फरमाएं इन नामों पर। सचिन पायलट,भरत सिंह कुंदनपुर, दीपेंद्र सिंह शेखावत,रामकेश मीणा, हीरा राम, मीना कंवर,परसराम मोरदिया,और हाकिम अली।*
                   *इनमें लगभग सभी चेहरे ऐसे हैं जो अशोक गहलोत की गाहे बगाहे फीत उतारने में कोई कमी नहीं छोड़ते। अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ मुठ्ठी तानने वाले इन नेताओं से कोई यह पूछने वाला नहीं कि इनकी औक़ात क्या है जो यह बैठक में नहीं पहुंचे।*😫
                     *मुझे तो यह समझ में नहीं आ रहा की पार्टी के शीर्ष नेता ऐसे ज़िद्दी और अड़ियल नेताओं के विरुद्ध कारवाही करने का साहस क्यों नहीं कर पा रहे❓️😳*
               *बिना किसी पूर्व सूचना या ठोस कारणों के क्या मनमानी करना पार्टी हित में है❓️❓️❓️*
                    *चुनावों के सर पर होने के बावज़ूद यदि पार्टी में इस मानसिकता के बाहुबली नेता फन उठाये बैठे हैं तो चुनाव जीतने की पार्टी कैसे उम्मीद कर सकती है?*😨
                    *रन्धावा जी अनुशासन हीनता बर्दास्त नहीं किये जाने की बात बड़ी दमदार करते हैं । हर बार कहते हैं कि अनुशासन हीनता बर्दास्त नहीं की जाएगी चाहें वह बड़े से बड़े नेता ही क्यों न हो! मगर सच बात तो यह है कि कार्यवाही इतनी ठोस होती है कि एक इंच आगे खिसक नहीं पाती।*😇
                   *अब तक तो रन्धावा जी ने अपने किसी नेता के ख़िलाफ़ कभी कोई कार्यवाही नहीं की। पिछले प्रभारियों की तरह से वह भी दब्बू और बड़बोले ही साबित हुए हैं।*🤨
                       *कर्नाटक चुनावो में जीत की उम्मीद लगाए बैठे कांग्रेसी के कर्म कांडों को देखते हुए कोई सार्थक उम्मीद किये जाना मुझे तो हवाई किले लगते हैं।*🙋‍♂️
                     *राजस्थान में यदि कांग्रेस ने अपने बाग़ी और दागी नेताओं को औक़ात में रहना नहीं सिखाया तो कांग्रेस मुक्त होने में देर नहीं लगेगी।अंत में वही सवाल कि इस बार वन टू वन संवाद में शामिल नहीं होने वाले नेताओं पर कोई कार्यवाही होगी क्या ❓️❓️😟*
[4/24, 9:55 AM] +91 98292 71388: *‼️ब्यावर के नए नेता जी सुभाषचंद्र बोस‼️*🙋‍♂️

                *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*


                     *"तुम मुझे ख़ून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा"...नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के ये उदगार हाल ही में ब्यावर में गूंजे। एक और नेता जी ने ब्यावर में रक्तदान का उदघोष किया और जनता उमड़ पड़ी।*😨
                  *ख़ून पीने वाले नेताओं के लिए यह दृश्य देखने लायक था। कहने को यह रक्तदान शिविर किसी बड़े नेता के जन्मदिन पर आयोजित था मगर सच पूछो तो जन्मदिन वाले नेता के लिए किसी ने भले ही रक्त दान किया हो या न किया हो पर ब्यावर के नेताजी के आह्वान पर ऐतिहासिक रक्त दान हुआ। आज़ादी के बाद किसी एक व्यक्ति के लिए इतना बड़ा कभी कोई रक्त दान शिविर नहीं हुआ।*🤷‍♂️
                    *साढ़े पांच सौ लोगों ने रक्तदान देने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया। कुछ लोग हीमोग्लोबिन कम होने सहित कई लक्षणों के कारण ख़ून नहीं दे पाए। सुबह से शुरू हुआ सिलसिला शाम तक चला।राजकीय चिकित्सलय अमृत कौर अस्पताल के डॉक्टर्स की टीम थक गई। ख़ून देने वालों की भीड़ और उनका उत्साह ख़त्म नहीं हुआ।*😉
                    *मैं ब्यावर से गुज़र रहा था। कुंभलगढ़ जाते हुए। लोगों का रैला देख कर लगा कि कहीं कोई धार्मिक आयोजन हो रहा है।राजनीतिक होता तो हाथों में परचम होते। नारे लग रहे होते।पूछने पर पता चला रक्तदान हो रहा है।*
                  *सोचा ज़रूर किसी मंत्री, विधायक या बाहुबली का जन्मदिन होगा।पूछा तो पता चला किसी इंदर सिंह बागावास का कार्यक्रम है।कौन हैं❓️पूछे जाने पर पता चला कि छोटे मोटे व्यवसायी हैं। भाजपा के नेता भी हैं।ईमानदार और जनता के दुख दर्दों में शामिल होने वाले व्यक्ति के रूप में सम्मानित हैं। सभी समाज के लोगों में उनके प्रति श्रद्धा है। सुन कर अच्छा लगा।*😊
                          *ऐसा भी नहीं था कि मेरे जैसा हर शहर से वाकिफ़ पत्रकार ! इंदर सिंह बागावास को न जानता हो मगर आम लोगों से उनकी जानकारी करना मेरे लिए किसी पूर्वाग्रह से दूर रह कर सूचनाएं प्राप्त करना था।*🙋‍♂️
                *पता चला कि दिग्गज भाजपा नेता और विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ के जन्मदिन पर यह रक्तदान शिविर आयोजित किया गया था। पूरे राजस्थान में यूँ तो राजेन्द्र राठौड़ का जन्मदिन मनाया गया था मगर सभी स्थानों पर राजेन्द्र राठौड़ के चाहने वालों ने रक्तदान किया। पर ब्यावर में राजेंद्र राठौड़ को ध्यान में रख कर किसी ने ख़ून नहीं दिया।*🙄
                 *ब्यावर! जहाँ किसी के कहने पर कोई चिटकी उंगली पर .....न करे वहाँ इतनी जागृति कि मात्र कुछ बैनर्स में कोई जन नेता रक्तदान की सूचना दे और भीड़ उमड़ पड़े यह पहली बार हुआ।लोगों का कहना रहा कि इतना बड़ा शिविर आज़ादी के बाद कभी नहीं हुआ।*😳
                       *यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं कि सिर्फ़ और सिर्फ़ इंदर सिंह और उनके मित्रों की टीम ने यह अजूबा कर दिखाया। लोगों ने बताया कि हम राजेन्द्र राठौड़ का बहुत सम्मान करते हैं मगर हमने ख़ून सिर्फ़ इंदर जी के मानवीय जज़्बे को देखते हुए दिया।*💁‍♂️
                          *इंदर सिंह जी को दो बार फोन किया। नहीं उठाया। शायद शिविर के बंदोबस्त में व्यस्त होंगे। ख़ैर!उनको सिर्फ़ बधाई देनी थी।*
                 *कल अचानक उनका फ़ोन आया तो अच्छा लगा कि उन्होंने इस शिविर की सफलता का श्रेय अपनी मज़बूत टीम को दिया। लोगों की मोहब्बत को दिया। लोगों के उस अहसास को दिया जो मानवता के लिए ख़ून की आख़री बूंद देने का जज़्बा रखते हैं। उन्होंने राजेन्द्र राठौड़ के प्रति पूर्ण आस्था दिखाते हुए कहा कि पार्टी को उन पर नाज़ है। उनका अतीत ,वर्तमान और भविष्य पार्टी के लिए है।*👍
                      *इंदर सिंह जी ने अपनी टीम में जिन लोगों का उल्लेख किया उनका यहाँ ज़िक्र ज़रूर करना चाहूंगा वरना ब्लॉग अधूरा रहेगा।सेनापति के साथ उसके सैनिकों का उल्लेख भी बहुत ज़रूरी होता है।*🙋‍♂️
                    *बागावास जी ने तो बहुत सारे नाम गिनाए मगर जो मेरे ज़हन में रह गए उनमें ये लोग शामिल हैं। यदि कोई रह गया हो तो इसके लिए मेरी याददाश्त ज़िम्मेदार होगी।*😇
                  *इस रक्तदान शिविर को सफल बनाने में कैलाश गहलोत  अध्यक्ष मालियान पंचायत, पूर्व अध्यक्ष मदन लाल सोलंकी, पूर्व अध्यक्ष मोहन लाल दगदी, पार्षद वीरेंद्र सिंह, पूर्व पार्षद दिनेश भाटी, प्रमोद सिंह ,  डीपीएस स्कूल डायरेक्टर कुलदीप सिंह , गजानंद गहलोत, श्रवण सांखला, प्रमोद चौहान, सरपंच लक्ष्मण सिंह , सरपंच किशोर सिंह , पूर्व पार्षद महेंद्र गौड़ ,पार्षद कमल छत्रावत पार्षद हरीश सांखला, जय श्री क्लब, हेमेंद्र लस्सानी, मनीष चौहान, माली सेना अध्यक्ष किशन देवड़ा, पार्षद, मोती सिंह सांखला , पार्षद प्रीति शर्मा  दलपत सिंह, दिलीप जैन, वंदे गौ मातरम संस्था,लाल चंद सांखला, जीव दया सेवा संस्थान ,रसूल काठात , सतवीर सिंह, ओम सिंह, रणवीर सिंह, आदित्य सिंह, अनिल जांगिड़ काबरा, कमल सिंह काबरा, पार्षद अनिल भोजक सुधीर तोमर, कैलाश मूंदड़ा, पत्रकार सिद्धार्थ जैन, सरपंच पदम सिंह, रावणा राजपूत समाज , एडवोकेट लक्की मकवाना, मेघवाल समाज सहित ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों से बहुत लोगों का विशेष सहयोग रहा*👍
                            *इसके अलावा ब्यावर शहर के हजारों गणमान्य एवं प्रतिष्ठित लोगों ने जिसमें भाजपा और कांग्रेस के नेता भी शामिल हैं आशीर्वाद देने हेतु शिविर में शिरकत की।*
                        *मैं अमूमन ऐसे ब्लॉग नहीं लिखता मगर समाज में जब भी कहीं सकारात्मक ऊर्जा नज़र आती है मैं उस पर क़लम चलाए बिना नहीं रहता। एक बार फिर इंदर जी को बधाई! इंसानियत के लिए समर्पित उनकी भावनाओं के लिए बधाई !*🌹
[4/27, 9:54 AM] +91 98292 71388: *‼️कोरोना फिर से बुरे दिन दिखाए इससे पहले........‼️*🤔

_*काश!! इन जीवन रक्षकों की हो जाए सुनवाई!!*_💁‍♂️

             *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

                   *कोरोना फिर आँखें तरेर रहा है लेकिन लोग अब उससे घबरा नहीं रहे।उनको यक़ीन है कि कोरोना अब उनका बाल बांका नहीं कर सकता। वे बुस्टर डोज़ ले चुके हैं। यूँ भी उनको पता है कि जब पिछली तीन पारी में ही कोरोना उनको मार नहीं पाया तो इस बार क्या मार लेगा।*😇
                       *यहाँ मेरा आज का ब्लॉग कोरोना का हव्वा खड़ा करके आपको डराना नहीं है। सिर्फ़ ये याद कराना है कि कोरोना से भले ही डरो मत ,मगर उन दिनों को मत भूलो जब कोरोना से मची तबाही ने देश का सामाजिक ढांचा पूरी तरह से चरमरा कर रख दिया था। परिवार क़ैदी हो गए थे,घर जेल खाने। रिश्तों के बीच का नज़दीकीपन नक़ली सिद्ध होने लगा था। मौत निर्वस्त्र होकर नाच रही थी नचा रही थी। अस्पतालों में बैड ख़ाली नहीं थे। भरी हुई जेब लेकर लोग अस्पतालों के बाहर ईलाज़ के लिए सिफारिशों का टोटका कर रहे थे।*🤷‍♂️
                 *मित्रों! उस बुरे समय को ध्यान में रख कर आज का ब्लॉग पढ़ें। यह ब्लॉग किसी भी तरह से आपके लिए रुचिकर नहीं। भाषा भी चटपटी नहीं। सच को सामने रखिये और ब्लॉग पढ़िए।*🙋‍♂️
                 *दोस्तो!!! ब्लॉग की शुरुआत करते हुए ही बता दूँ कि जिन्होंने कोरोना महामारी से देश को बचाया आज वह दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।*🤦‍♂️
                   *जिस समय कोविड-19 में बाप_बेटे का ना हुआ , भाई भाई का ! पति पत्नी का न अपने बच्चों का! उस बुरे वक़्त में पूरे राजस्थान में करीबन 28000 ( सी एच ए) कॉविड हैल्थ सहायक घर घर जाकर सर्वे कर रहे थे!  टीकाकरण करने में लगे थे! चिकित्सा विभाग की विभिन्न बीमारियों की रोकथाम हेतु अथक प्रयास किए जा रहे थे , जिससे कोरोना महामारी में आम जनता को राहत और फ़ायदा मिल सके।*💁‍♂️
                   *इससे लाखों लोगों की जानें बचीं। खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सी एच ए युवा साथियों का आभार व्यक्त किया , परंतु सरकार की उदासीनता के कारण लगभग 1 वर्ष से यह सी एच ए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं । बेरोजगार होकर घर बैठे हैं । जो सरकारी नौकरी की आस लेकर उस समय इस कोविड महामारी में लगे थे आज उनकी व्यथा सुनने वाला कोई नहीं है ।*😒
                 *राहुल गांधी की भारत जोड़ो पदयात्रा के दौरान राजस्थान में दौसा जिले के अंदर और एक अन्य जिले के अंदर सीएचए साथियों द्वारा उनको व्यक्तिगत मिलकर इस समस्या से अवगत कराया। उन्होंने भी मुख्यमंत्री गहलोत को दिशा निर्देश दिए कि कोरोना महामारी के दौरान इन बच्चों का बहुत बड़ा योगदान रहा। इनकी बहाली की जाए ।इनको परमानेंट रोजगार दिया जाए ....परंतु सरकार ने अब तक कुछ नहीं किया !*🥱
                        *गहलोत ने वॉलंटरी हेल्थ फोर्स के गठन के बारे में भी विधानसभा में कहा था परंतु अभी तक कुछ नहीं हुआ । मन्त्रियों को यह कहने वाले गहलोत की तुम मांगते मांगते थक जाओगे मैं देते देते नहीं थकूंगा आज इन जीवन रक्षकों के साथ ज़्यादती कर रहे हैं।😫*
                  *यदि वोटों की राजनीति को देखा जाए तो पूरे राजस्थान में लगभग 28000 सी एच ए लगे हुए हैं। वो और उनके परिवार जन को कुल मिलाकर 4 से 5 लाख वोट होते हैं ,जो कांग्रेस सरकार अपने सीधे खाते में ले सकती हैं ।* 
                   *...परंतु जहां गहलोत साहब नए नए ज़िले बनाकर रेवड़िया बाँट रहे हैं अगर सीएचएस साथियों का भला करते हैं तो सी एच ए इनका सीधा भला करेंगे।*👍
                    *जिस प्रकार उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में सरकार द्वारा कोरना माहामारी में लगे हुए सभी सी एच ए को परमानेंट कर दिया है उसी प्रकार यदि राजस्थान में किया जाता है तो उसका पूरा श्रेय अशोक गहलोत को जाता है ।*💯
                *अब देखना है कि सी एच ए का भला करते हैं या नहीं। अब सभी सी एच ए गहलोत से उम्मीद लगाए बैठे हैं देखो क्या होता है❓️🤷‍♂️*
                  *मित्रों! ईश्वर न करे कि कोरोना गुज़रे हुए काल का दृश्य फिर से सामने लाए मगर यदि दुर्भाग्य से आ गया तो हम हमारे इन जीवन रक्षकों के ही सामने कातर नज़रों से देखते नज़र आएंगे।*😟
                  *हो सकता है आपको आज के ब्लॉग में उतना मज़ा न आया हो जितना अक्सर आता है मगर मज़ा जब सज़ा बनने लगे तो हमको ऐसे संवेदनशील विषय से भी रूबरू होते रहना चाहिए।*👍
                       *मैंने अशोक गहलोत से सीधे तौर पर भी यह आग्रह किया है कि वह इस मुद्दे पर ह्रदय से विचार करें। उन्होंने भी यक़ीन दिलाया है कि शीघ्र ही इस सम्बंध में सकारात्मक निर्णय लेंगे। आमीन!*🙋‍♂️
[4/28, 11:27 AM] +91 98292 71388: *🙏एक सूरज ! सौ सूरजमुखी‼️*🫢

_*अजमेर की कांग्रेसी राजनीति! पूरी तरह व्यक्ति पूजा की राह पर!*_🙄

_*तो क्या राठौड़ बाबा का सूरज राजऋषि रघु शर्मा से अलग है?*_😨

_*तो क्या कभी अस्त नहीं होगा उनका सूरज!*_🤔

_*बस!! पांच सात महीने और!!*_😉

              *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

                 *अजमेर कांग्रेस धन्य हो चुकी है। दैदीप्यमान सूरज जो उसको मिल गया है।अब सूरजमुखी के फूलों की बिगड़ी बन गयी है। हर तरफ सूरजमुखी के फूल ! न ढल पाने वाले अपने आग के गोले को निहार रहे हैं। जिस तरफ सूरज घूमता है सारे सूरजमुखी उसी तरफ अपना मुंह कर लेते हैं।*💯
                  *वैसे दूर से हर आग का गोला सूरज ही नज़र आता है। बेचारे सूरजमुखियों को इस बात का अंदाज़ा नहीं होता। सूरज के सम्मोहन में वे तो इतने अँधे होते हैं कि आगा पीछा सोचने की उनमें कुव्वत कही नहीं होती।*🙄
                 *हर सुबह उगा सूरज शाम को ढल जाता है।उसका अवसान सुनिश्चित होता है मगर सूरजमुखियों के लिए दिन भर भी काफ़ी होता है।*
                   *अजमेर के सूरजमुखियों के हर बार चेहरे वही होते है मगर सूरज बदल जाते हैं। कभी सूरज की शक़्ल में डॉ रघु शर्मा आ जाते हैं तो कभी धर्मेन्द्र सिंह राठौड़! ताज़ा सुबह में धर्मेन्द्र राठौड़ सूरज बन कर ज़िले में आए हुए हैं।उनके चारों तरफ़ सूरजमुखियों का मेला लगा हुआ है। ख़ुद सूरज को अपनी दिशा का पता नहीं मगर सूरजमुखियों को लग रहा है कि उनका सूरज कभी  नहीं ढलेगा। ईश्वर उनके भृम को विश्वास का चोला पहनाए रखे! ततास्तु!*🙋‍♂️
                   *इस बार एक साथ 11 सूरजमुखियों को उनके सूरज ने धूप के टुकड़े बांट कर निहाल कर दिया। पार्टी द्वारा हाल ही में मंडल अध्यक्षों की सूची ज़ारी की गई है।*
                          *अजमेर उत्तर के सभी 11 सूरजमुखियों के नाम देख लीजिए।सर्वश्री कमल बैरवा, हेमन्त जसारिया, तौफ़ीक़ खान पठान,चितलेश बंसल,राजा झाझरी, छोटू सिंह रावत, भंवर सिंह राठौड़, हमीद चीता, निमेश चौहान,पंकज छोटवानी और गणेश चौहान।*
                    *इन सारे सूरजमुखियों  की आपको जानकारी देना मेरा उद्देश्य नहीं। अपने ब्लॉग में यह उजागर करना चाहता हूं कि ये सारे सूरज मुखी विगत 11 मार्च को जयपुर रोड के एक गार्डन रेस्तरां में इकट्ठे हुए थे।इनको बता दिया गया था कि चमकीला सूरज उनको मंडल अध्यक्ष की रेवड़ियां बांटने वाला है।*💁‍♂️
                  *सूरज की इतनी धूप मिल जाये तो सूरजमुखियों का क़दमों में बिछ जाना स्वाभाविक है। रेस्टोरेंट में सूरज को आमंत्रित किया गया।आभार व्यक्त करने के लिए ।*
              *अजमेर का एक अद्धभुत सूरजमुखी अजय तैंगौर सूरज को अपनी कार में चुपचाप बैठा कर रेस्टोरेंट में ले गया। आम तौर पर ये सूरज महोदय पूरे तामझाम और पुलिस अमले के साथ लाल बत्ती की चमक लेकर कहीं जाते हैं मगर उनको अपनी रौशनी से 11 आभा मंडलों को धूप के टुकड़े बांटने थे इसलिए वह सारे ताम झाम छोड़कर अकेले रेस्टोरेंट पहुंचे थे।*😇
                    *मंडल अध्यक्ष की सूची देख लें और फिर मेरे फेस बुक अकाउंट पर लगी वह तस्वीर भी जो 11 मार्च की है।सभी उपकृत सूरजमुखियों की अपने आग के गोले के साथ।*👍
                    *मित्रों! राठौड़ बाबा की कोहनी पर मधुमक्खी का छत्ता है जिसमें शहद की बूंदें अविरल रूप से टपकती रहती हैं। उनको चाटने के लिए हर वक़्त जीभें लपलपाती रहती हैं। अब देखो टापू सुल्तान ही उनकी कोहनी चाटने पहुँच गया। फोटो खिंचवा कर "बाबा शहद" बेच रहा है।*😄
                  *अब कांग्रेस अध्यक्ष के पद का शहद भी टपक रहा है। शहद की इस बूँद के लिए डॉ श्रीगोपाल बाहेती, राजकुमार जयपाल तो स्वभाविक नेता हैं ही साथ ही विजय जैन, हेमन्त भाटी, शक्ति प्रताप, शिव कुमार बंसल, अजय तैंगौर, नौरत गुर्जर, कैलाश झालीवाल भी लूम रहे हैं।*
                       *इस पद के शहद के पहले अजमेर विकास प्राधिकरण के चेयरमैन पद के लिए सूरजमुखियों की फ़ौज़ राठौड़ बाबा की सेवा चाकरी में लगी हुई थी। पहले कुछ चिल्गोज़े डॉ रघु शर्मा के चरण वंदन कर रहे थे। जब वह सूरज शाम ढलने की चपेट में आया तो सूरजमुखियों ने इस नए सूरज को अपना गॉड फादर मान लिया।*😜
                       *आज कल अजमेर में सिर्फ़ एक ही सूरज अपनी पूरी रौशनी के साथ चमक रहा है।*🌞
                      *यहाँ आपको बता दूं कि सूरज ख़ुद कन्फ्यूज़्ड है। वह ख़ुद ही तय नहीं कर पा रहा कि उसे अजमेर उत्तर में अपना उजाला बांटना है या पुष्कर में! झोटवाड़ा में या बानसूर में!*😇
                     *उनके सारे चिल्गोज़े उनको फ़ैसला नहीं लेने दे रहे। यही वज़ह है कि सूरज मतिभ्रम की अवस्था में है।*😉
                    *मैंने तो राठौड़ बाबा को "बात आज की" चैनल पर खुलेआम राय दी थी कि बाबा जी!,बेहतर है कि आप चुनाव ही न लड़ो! आज आपका जो ग्लैमर है वह कभी अस्त न होने वाले सूरज जैसा है। आपने चुनाव लड़ लिया तो आप उल्कापिंड हो जाओगे!आप तो दिल खोल कर अपने चिल्गोजों को टिकट दिलवाओ! अजमेर की हर सीट पर आपके ही सूरजमुखी नज़र आएं! आप कांग्रेस पार्टी के स्टार प्रचारक हो! लोग आपमें गहलोत की ताक़त महसूस करते हैं! ज़िला प्रसाशन आपके लिए किस तरह प्रस्तुत रहता है उसे भी ध्यान में रखो!*💁‍♂️
                *आज भी कह रहा हूँ प्रभु! अजमेर उत्तर या पुष्कर का मोह छोड़ो! ये चुनाव हैं !यहां चिल्गोज़े वोट नहीं देते! पब्लिक वोट देती है । पब्लिक किसी की सगी नहीं मेरे प्यारे राठौड़ बाबा! कहीं आपकी शान में कोई गुस्ताख़ी हो गई तो इन सूरजमुखियों का क्या होगा❓️सब नया सूरज तलाश लेंगे!*💯
                    *फिर आपकी मर्ज़ी मेरे आका! मेरी तरफ से तो आप अजमेर उत्तर और पुष्कर दोनों सीटों पर लड़ो!आपका वैभव बना रहे। आप वैभव गहलोत से ज़ियादा रौशन हो!*👍
[4/29, 11:57 AM] +91 98292 71388: *‼️क्या मुंह से रोटी नहीं कुछ और खाते हैं ये नेता‼️*🤔

_*"निष्ठा" की तुक मिला रहे हैं "विष्ठा" से!*_🤨

_*रावण! मौत के सौदागर! काला नाग! विषकन्या! भाषा के संयम तोड़कर ये नेता आख़िर कितना गिरेंगे???*_😣

             *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

                        *कहीं पागल तो नहीं हो गए हैं ये पार्टी बाज़ नेता! किसी को बोलने का शहूर नहीं! आपा खो चुके हैं!कोई सारे मोदियों को चोर बता रहा है! कोई प्रधानमंत्री को काला ज़हरीला सांप बता रहा है ! कोई मोदी को मौत का सौदागर कह रहा है तो कोई सोनिया गांधी को विष कन्या बता रहा है! चमड़े की ज़ुबान इतनी बुरी तरह से कभी नहीं फिसली!*🙄
                            *इधर राजनेताओं की ज़ुबान पर कोई ब्रेक नहीं लग रहा उधर मज़हब को समाज विभाजित करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है! हिन्दू मुसलमानों के बीच तो जैसे फ़ासले बढ़ाने की फसल ही बो दी गई है! एक मुश्त वोटों को ,पार्टियां अपने अपने खातों में दर्ज़ करने के लिए ,समाज को विभाजित कर रही हैं!*😒
             *मित्रों! मैं किसी राजनीतिक विचारधारा का समर्थक या पोषक नहीं!इंसानियत मेरे विचारों की बुनियाद है! इंसानियत की सहूलियत के लिए ही हर धर्म बनाया गया। राजनेताओं ने इसे बंदर के हाथ में दिए उस्तरे की तरह से इस्तेमाल किया।मुझे अफ़सोस है कि हमारे राजनेताओं की ज़ुबान घटियापन की सभी सीमाएं लांग गई है। संस्कारों की उम्मीद करना वह भी आज के राजनेताओं से ! कोई अर्थ नहीं रखतीं! लगता ही नहीं कि आए रोज़ अपनी ज़ुबान से मुंह को गंदा करने वाले ये नेता अपने मुंह से अन्न खाते हैं।*😟
                   *सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री मोदी को काला नाग बता कर यह सिध्द कर दिया है कि बोलने और भौंकने की आज़ादी के बीच का अंतर खड़गे नहीं समझते। श्वानों की भाषा यद्यपि मैं नहीं समझता मगर श्वान ऐसी भाषा बोलते होंगे यह मैं नहीं मानता! श्वान के भौंकने में भी मर्यादाओं का पालन होता होगा!*💯
                    *सोनिया गांधी को विष कन्या कहना भी ठीक वैसा ही है जैसे कोई पागल हो चुका व्यक्ति ज़ुबान से आज़ाद हो गया हो!*😣
                *भाषा का इतना पतन पहले कभी नहीं हुआ था! इस तरह की शब्दावली तो पाषाण काल से अब तक कभी कहीं देखने सुनने को नहीं मिली! दुश्मनों को सांप नेवलों की तरह भाषा मे लपेटना इन दो चार सालों में ही सिखाया जा रहा है।*🤨
                        *भाषा की मर्यादा का ज़िक्र आ ही गया है तो राजस्थान के नेताओं की औक़ातों पर भी बात हो जाए।सचिन पायलट को गहलोत ने नकारा! निकम्मा! सौदबाज़! कोरोना! और न जाने क्या क्या कहा! सचिन ने एक सीमा तक नियंत्रण रखा मगर अब वह भी अपनी मर्यादा को क़ायम रखने में फेल हो रहे हैं।*😣
                   *पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा तो नाती बाई के बाड़े को लेकर काफ़ी चर्चाओं में रह चुके हैं।*🙋‍♂️
                          *यहाँ ब्लॉग का विषय परिवर्तन करते हुए बताना चाहूंगा कि गहलोत और सचिन की कुश्ती अब उस मुक़ाम पर जा पहुंची है जब इन दोनों नेताओं की आपसी लड़ाई से आम जनता बोर हो चुकी है।और तो और ये दोनों पहलवान भी आपस में लड़ते हुए थक चुके हैं। हाईकमान तो दोनों ही पहलवानों के हाथ जोड़ चुका है! कांग्रेस पार्टी जैसे इन दोनों पहलवानों की लड़ाई से तंग आकर कह उठी है कि इन छूचन्दरों से कब पीछा छूटेगा।राहुल गांधी ने इन दोनों नेताओं को पार्टी का एसेट्स किसलिए बताया समझ में नहीं आता।यदि किसी पार्टी के यही "नोटोरियस एसेट्स" हैं तो इस पार्टी का ईश्वर ही मालिक है।*🤷‍♂️
              *दोनों नेताओं की शैतानी अब बदमाशी में तब्दील हो चुकी है मगर हाईकमान की नाक में अब तक भी नकेल नहीं डाली जा रही। दोनों के बीच ज़बरदस्ती राज़ीनामा करवाया जा रहा है। सांप नेवले की काया में प्रवेश कर चुके दो ध्रुव दुश्मनों को एक ही डलिया (पिटारे )में रखा जा रहा है।*😨
               *मानेसर कांड ! के बाद से ही कांग्रेस हाई कमान सचिन और गहलोत के बीच फेविकोल लगाने के लिए अपने दिग्गज नेताओं को ज़िम्मेदारी सौंपती रही है। सारे कारीगर फेल हो रहे हैं।*😟
                  *अब यह स्थिति आ गयी है कि..*
             *" तुम्हारी भी जय जय! हमारी भी जय जय!,न तुम हारे न हम हारे!" वाला फ़िल्मी गाना गहलोत और सचिन से गवाया जा रहा है!*😇
                 *रन्धावा ने सचिन के धरने को अदरवाइज़ लिया तो दो रेफ़री और भिजवा दिए गए। अब ये सचिन और गहलोत के बीच की कुश्ती ख़त्म करवाएंगे।*🤪
                     *नीबू और दूध की बात पिछले दिनों भाजपा नेत्री माँ वसुंधरा ने कही। उनका ईशारा गहलोत और उनके बीच अद्श्य गठबंधन को लेकर था मगर सच ये है कि सचिन और गहलोत की फ़ितरत भी दूध और नींबू जैसी ही है! एक राजगद्दी पर चिपके रहना चाहता है दूसरा राजगद्दी के अलावा कुछ और लेना नहीं चाहता! मैथलीशरण की वह कविता याद आती है---💁‍♂️* 
    _*"मैं तो वही खिलौना लूंगा मचल गया दीना का लाल"*_
                          *मैं अगर कांग्रेस का हाई कमान होता तो इन दोनों ज़िद्दी और पिद्दी नेताओं को पद मुक्त कर सी पी जोशी या किसी और नेता को मुख्यमंत्री बना देता! मगर लगता है कि हाई कमान के पास भी इन दोनों कबूतरों के अलावा कोई पँछी नहीं!*😇
                *मित्रों! बस पाँच छह महिनों की ही बात है फिर सचिन और गहलोत दोनों ही पैवेलियन से मुख्यमंत्री की पोस्ट को निहारते हुए गर्म साँसें लेंगे।*💯
                     *इतिहास साक्षी है कि जब दो बिल्लियां रोटी के लिए लड़ती हैं तो रोटी बंदरों का पेट भरती हैं। यहाँ भी यही होगा। मेरी ग़ज़ल के कुछ शेर---*👇
 _*देखना संजय वही होगा ,*_
_*युद्ध का निर्णय वही होगा।*_
 _*सामने होंगे सभी अपने,*_
_*और फिर संशय वही होगा।*_👍
[5/1, 10:21 AM] +91 98292 71388: *‼️बाअदब बा मुलाहिज़ा होशियार! अजमेर के चुनावी मैदान में कई दावेदार तशरीफ़ ला रहे है‼️*💁‍♂️

               *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

                        *टिकिट के लिए राजस्थान के नेताओं में होड मची हुई है। कांग्रेस और भाजपा के नेताओं में तो जैसे जीवन मरण का प्रश्न सामने खड़ा हो गया हो। चुनाव हारने जीतने की बात तो बाद की है , अभी तो टिकिट के लिए दावेदार इस क़दर बावले हो रखे हैं जैसे टिकट नहीं मिला तो उनका जीवन व्यर्थ हो जाएगा।*😟
                     *अजमेर ज़िले की विधानसभाओं के लिए तो ख़ुद को टिकिट दिलवाने और प्रतिस्पर्धियों का टिकिट कटवाने के लिए अपना सर्वस्व अर्पित करने को तैयार हैं। बड़े नेताओं की चरण कमल वंदना में हर उम्मीदवार लगा हुआ है।उम्मीदवारों की उम्मीद के क़द क्यों कि आसमानी हैं इसलिए उनकी पूजा अर्चना करने वाले चिल्गोज़े भी नीचे तक का दम लगा कर हाके कर रहे हैं।चिल्गोज़े चने के झाड़ पर चढ़ा रहे हैं और उम्मीदवार बिना ज़मीनी सच्चाई जाने हवा में तलवारे घुमा रहे हैं।*😎
              *इस बार सबसे ज़ियादा दम लगा रहे हैं वर्तमान विधायक!! अजमेर उत्तर, दक्षिण,ब्यावर,केकड़ी,मसूदा ,किशनगढ ,पुष्कर सभी विधानसभा क्षेत्रों में मारकाट मची हुई है। सभी क्षेत्रों के वर्तमान विधायकों से टिकिट छीनने के लिए गलियों में स्वान मुद्रा में चीर हरण हो रहे हैं।*🥱
                  *यहाँ लगे हाथ आपकी ज्ञान व्रद्धि कर दूँ।गलियों में आप जो स्वानों के बीच तालमेल देखते हैं। सब्र में अपनी बारी का इंतज़ार करते हुए ये स्वान ! सहकारिता आंदोलन के प्रवर्तक हैं। एक अनार कई बीमार वाली कहावत भी इन्ही स्वानों की वजह से प्रेरणा लेकर बनी होगी।*😇
                    *टिकिट की दौड़ में  नेताओं ने इन स्वानों को भी पीछे छोड़ दिया है।*🥱
                 *अजमेर की कुछ विधानसभाओं में कहीं कांग्रेस तो कहीं भाजपा में गला काट प्रतिस्पर्धा चल रही है।*😇
                   *आईए क्रमवार चर्चा हो जाए। अजमेर उत्तर में वर्तमान भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी हैं। पिचहत्तर साल के हो चुके हैं। इस उम्र के लोग प्रायः रिटायर्ड लाइफ़ का सम्पादन करते हैं। अस्पतालों और हेल्थकेयर सेंटर्स से सेवाएं लेते हैं मगर हमारे देवनानी जी उन थके हारे लोगों में से नहीं।उनको देखकर "बूढ़ा होगा तेरा बाप!" वाला फ़िल्मी डायलॉग याद आ जाता है। जब से वह विधायक बने उन्होंने अपने सिंधी समाज में एक छत्र राज किया। उनके सियासती हुनर का ही नतीज़ा है कि भाजपा में उनके बाद कोई सिंधी नेता अपना वज़ूद नहीं बना पाया। "अहम ब्रह्मासमी" का देव मंत्र दोहराते हुए उन्होंने हर नए सिंधी नेता को कोख़ में ही बौना कर दिया।*😄
                *इस बार भी वही चुनाव लड़ेंगे! टिकिट उनको ही मिलेगा! चाहें भाजपा का कोई भी नेता गांव ...गली...तक का ज़ोर लगा ले। सुरेन्द्र सिंह शेखावत उर्फ़ लाला बन्ना , नीरज जैन,धर्मेन्द्र गहलोत , हरीश पैन वाला और भी कई नेता भले ही मुंह धोकर विधायक बनने का स्वप्न देख रहे हों मगर भाऊ का टिकिट काटना! वो भी 75 साल की उम्र का हवाला देकर ! न बाबा न! ये कोई तर्क नहीं! भाऊ से भले ही अधिकांश सिंधी नेता नाराज़ हों!भले ही उनके सिंधी मतदाता अब उनसे छिटक गए हों! मगर उनको अगले चुनाव से मैदान में उतरने से रोकना नामुमकिन है!*🙋‍♂️
                         *इस क्षेत्र में कांग्रेस के पास कई विकल्प हैं।यही वजह है कि कई छोटे बड़े नेता इस क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए लालायित हैं। धर्मेन्द्र राठौड़ इस क्षेत्र की टिकिट के लिए इच्छाधारी ..उम्मीदवार हैं और फन उठाकर पूर्व विधानसभा प्रत्याशी महेंद्र सिंह रलावता के लिए सिर दर्द बने हुए हैं। वैसे रलावता का ताल ठोक कर दावा है कि टिकिट उनको ही मिलेगा। मगर राठौड़ बाबा की अशोक गहलोत से नज़दीकी देखते हुए कुछ कहा नहीं जा सकता ।*🙄
                          *अजमेर दक्षिण में वर्तमान विधायक अनीता भदेल का टिकिट किसी क़ीमत पर नहीं काटा जा सकता। भले ही कोली समाज उनसे अब उतना ख़ुश नहीं।कोली समाज उनसे छिटक चुका है। ऐसा क्षेत्रवासियों का दावा है। अनीता भदेल को राज्य के 200 विधायकों में से सर्वश्रेष्ट विधायक घोषित किया गया है इसलिये उनका टिकिट कट जाए ,यह सम्भव नहीं।भाजपा में अजमेर उत्तर और दक्षिण दोनों ही सीट्स वर्तमान विधायकों के लिए आरक्षित हैं।*💁‍♂️
                   *यहां कांग्रेस में हेमंत भाटी जो दो बार चुनाव हार चुके हैं शायद तीसरी बार चुनाव हारने के लिए टिकिट मांगें। यदि फिर भी उनको टिकिट मिल जाती है तो इस बार वह अनीता भदेल पर भारी पड़ सकते हैं। क्षेत्र में अनीता जी की कोली मतदाताओं पर पकड़ का ढ़ीलापन उनको क़ामयाबी दिला सकता है।सचिन पायलट की चली तो रलावता और हेमन्त दोनों को टिकिट मिल सकती है।*💯
                          *केकड़ी से कांग्रेस की टिकिट रिपीट होगी।डॉ रघु शर्मा को ही मिलेगी। यदि वह अपने पुत्र सागर को टिकिट दिलाते हैं तो यह भी मुश्किल काम नहीं। भले ही ऐसा होने पर जीतना ना मुमकिन होगा। डॉ रघु शर्मा ही मैदान में टिक सकते हैं। इस क्षेत्र में दूसरा कोई कांग्रेसी उम्मीदवार पनपा ही नहीं है।पिता पुत्र ने जन्मने ही नहीं दिया।*😊
                        *भाजपा में केकड़ी से टिकिट के लिए जीभ लपलपाने वालों की कमी नहीं।पिछला चुनाव हार राजेन्द्र विनायका ,शत्रुघ्न गौतम, अनिल मित्तल, मिथलेश गौतम, बी पी सारस्वत, विख्यात पत्रकार श्रीपाल शक्तावत सहित आधा दर्जन और उम्मीदवार मैदान में हैं। एक और नाम यहाँ चौकाने वाला हो सकता है  मगर अभी वह भाजपा में पुनः लाए जाने का इंतज़ार कर रहा है।*🙋‍♂️
                      *ब्यावर में कांग्रेस की टिकिट के लिए कोई मार काट नहीं । वही पुराने चेहरे। हर बार की तरह। यहां किसी को भी टिकिट मिल सकती है। मशक़्क़त तो भाजपा के बीच है।*
                *वर्तमान विधायक शंकर सिंह रावत उम्रदराज़ हो चुके हैं।यद्यपि उनकी परफॉर्मेंस बुरी नहीं मगर दर्जनों मामलों में चर्चित हुए इन नेताजी के साथ रावत वोट एक मुश्त नहीं। यदि उनको टिकिट मिल भी जाए (मिलना चाहे मुश्किल है) तो क़रारी हार होगी,यह माना जा रहा है।*💁‍♂️
                        *ब्यावर से भाजपा की टिकिट मांगने वालों में यद्यपि देवी शंकर भूतड़ा जैसे भी नाम हैं जो भाजपा से बाग़ी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं। वर्तमान में देहात अध्यक्ष हैं और टिकिट के लिए दावेदार माने जा रहे हैं। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया जी की टीम के नाईट वाच मैन हैं।*🤪
                   *ब्यावर से एक और सशक्त दावेदार हैं इंदर सिंह बागावास ! बेहद होनहार नेता हैं और जनता में उनकी पहचान अब जनता जैसी ही बन चुकी है। मज़ेदार बात यह है कि काठात, मेहरात और चीता मतदाताओं और मुसलमानों पर भी उनकी सीधी पैठ है। यदि टिकिट उनको मिलती है तो उनकी जीत इकतरफ़ा हो जाएगी। उनके लिए दिक़्क़त यही है कि भाजपा में अजमेर से एक राजपूत को टिकिट मिलेगी  जबकि दर्जन भर राजपूत नेता भाजपा के लिए दावेदारी कर रहे हैं।*😨
                          *पुष्कर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के वर्तमान विधायक सुरेश सिंह रावत का टिकिट काटे जाने की कोई वज़ह नहीं बनती। रावत समाज मे भले ही उनको अंदरखाने पटकी देने वाले कई नेता सक्रिय हैं मगर वह युवा हैं! दो बार लगातार विधायक रह चुके हैं! रावत बाहुल्य क्षेत्र है! मंत्री स्तर का दर्ज़ा भी उनके इतिहास से जुड़ा हुआ है! उनके दामन पर कोई बड़ा दाग भी नहीं! ऐसे में उनका टिकिट काटे जाने की वज़ह नहीं बनती। वैसे रावत समाज में उनको चुनौती देने वाले कई दमदार नाम हैं! अशोक रावत!डॉ शैतान सिंह रावत! और भी कई रावत नेता इस क्षेत्र में सक्रिय हैं।*🙋‍♂️
                      *कांग्रेस में पुष्कर में दो नाम सर्वाधिक सक्रिय हैं। पूर्व मंत्री नसीम अख़्तर और धर्मेन्द्र राठौड़!नसीम अख़्तर दिल्ली के दिल में मजबूती से स्थान बना चुकी हैं जबकि राठौड़ अशोक गहलोत के ख़ास होने की ग़लतफ़हमी के चलते चर्चित हैं।*🤷‍♂️
              *नसीम अख़्तर दो बार चुनाव हार चुकी हैं इसलिए उनको टिकिट सिर्फ़ बीकानेर के बी डी कल्ला की तर्ज पर मिल सकता है। अपवाद के रूप में!*😨
                           *यूँ डॉ. श्रीगोपाल बाहेती भी राख में छिपी चिंगारी की तरह सुलग रहे हैं।*😇
                  *किशनगढ में भाजपा में कांग्रेस के मुक़ाबले ज़ियादा मारा मारी है। यहाँ वर्तमान विधायक सुरेश टांक ही सबसे अग्रिम पंक्ति में हैं।उनकी पृष्ठभूमि भाजपाई है इसलिए लग रहा है कि वह भाजपा में फिर से शामिल हो सकते हैं। यदि टिकिट की शर्त पर उनको भाजपा में लिया जाता है तो युवा नेता डॉ विकास चौधरी के सीने पर यह सांप लोटाने वाला फ़ैसला होगा। यहाँ मज़ेदार बात यह है कि भले ही इन दोनों नेताओं के बीच साँप नेवले कुश्ती लड़ते हों पर दोनो ही नेता पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा के लाडले हैं। यदि वसुंधरा जी की चली तो उनका फ़ैसला इन दोनों का भविष्य तय करेगा।*👍
                *कांग्रेस में राजू गुप्ता, नाथू राम सिनोदिया, प्रदीप अग्रवाल, दीपक हासानी सहित कई दुर्लभ नाम दावेदारों की लिस्ट में हैं।*🙋‍♂️
                    *यदि अंत में मसूदा विधानसभा क्षेत्र की बात की जाए तो कांग्रेस से वर्तमान विधायक राकेश पारीक का नाम ही सर्वाधिक चर्चित है। डेयरी किंग रामचंद्र चौधरी कह चुके हैं कि वह विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे। यूँ इस क्षेत्र में संग्राम सिंह गुर्जर जैसे कई नेता सक्रिय है मगर टिकिट के लिए उनकी दावेदारी सशक्त नहीं मानी जा सकती।*❌
                     *भाजपा में मसूदा में कई नेता मसूड़े मजबूत कर रहे हैं। स्थानीय वाद का नारा भी लगाया जा रहा है मगर नवीन शर्मा के अलावा कोई दावेदार नज़र नहीं आ रहा। जहां तक मतदाताओं में पकड़ का सवाल है नवीन शर्मा चले हुए कारतूस माने जा रहे हैं। सुरेन्द्र सिंह शेखावत पिछले लंबे समय इस क्षेत्र में सक्रिय रहे। पोस्टर और बैनर्स पर गांव गांव लटके नज़र आए मगर फिर मसूदा से उनका रुझान अजमेर उत्तर की तरफ खिसक गया। इनके अलावा मसूदा क्षेत्र में एक और नाम पानी की अंदरूनी सतह पर तैरते हुए टिकिट की मजबूत दौड़ में शामिल है। यह नाम है अभिषेक चौहान का।*
                   *इस क्षेत्र से भाजपा की सुशील कंवर पलाड़ा विधायक रह चुकी हैं।इस बार उनके पति भंवर सिंह पलाड़ा जो फ़िलहाल भाजपा में नहीं फिर अपनी मज़बूत ज़मीन बना रहे हैं। नई पार्टी का ज़बर्दस्त फार्मूला उनके पास है।उनको यदि भाजपा ने फिर से नहीं साधा तो राज्य की कई सीट्स पर वे भाजपा को डांवाडोल कर सकते हैं। यही वजह है कि भाजपा उनको साधने की कोशिश में है। यदि वह पुनः भाजपा में आ जाते हैं तो इस बार मसूदा या केकड़ी से उनकी दावेदारी मज़बूत है।👍*
                  *कुल मिलाकर आज का आंकलन आज के सियासती तापक्रम को देखकर किया गया है। कुछ चेहरे छूटे नहीं हैं, जानबूझ कर छोड़े गए हैं। आगे उनका भी खुलासा होगा। तय है। 👍राम राम सा।*🙏
[5/2, 10:26 AM] +91 98292 71388: *‼️सचिन और गहलोत की कुश्ती बराबरी पर छूटी‼️*😇

_*रेफ़री ने सीटी बजाई! दोनों पहलवानों के हाथ ऊंचे करवाए! और कुश्ती हुई चुनावी दंगल में तब्दील!*_🙋‍♂️

_*मिलकर चुनाव लड़ेंगे!सचिन और गहलोत!*_🫢

                *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*


                   *राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट जिन्हें पार्टी के कथित सर्वेसर्वा (असली मालिक) राहुल गांधी ने "एसेट्स" बताया था अब चुपचाप बैठ गए हैं। हाई कमान भी दोनों की लड़ाई और खींचातानी से तंग आकर ख़ामोश बैठ गया है। सब ने जितनी उछल कूद मचानी थी मचा ली।*🤪
                       *अशोक गहलोत ने सचिन के जितने फटके लगाने थे लगा दिए।उनकी भाषा में नकारा ! नालायक ! निकम्मे सचिन ने भी अपनी सी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी! उन्होंने भी गहलोत सरकार को गिराने के लिए मानेसर की बाड़ेबंदी से लेकर शहीद स्मारक पर धरना देकर अपने मन की सारी भड़ास निकाल ली।*🙋‍♂️
                             *हाई कमान में शामिल सोनिया, राहुल , प्रियंका, खड़गे, वेणुगोपाल, कमल नाथ सहित सुखविंदर रन्धावा ने भी जितनी कारिस्तानी करनी थी कर ली।*💁‍♂️
               *मीडिया ने भी जितना लिखना था लिख लिया। जितनी गप्पें मारनी थीं मार लीं। सचिन के ख़िलाफ़ जितने कयास लगाने थे लगा लिए। न पार्टी ने उनको निकाला! न उन्होंने पार्टी छोड़ी! न नई पार्टी बनाई! न कोई पार्टी जॉइन की!*😉
                   *अब सब लड़ झगड़ के तंग आ चुके हैं। सबके मुंह से झाग निकल चुके हैं।सभी के समझ मे आ गया है कि कांग्रेस में अब संस्कार !परम्परा! सिद्धांत! अनुशासन !वरीयता! कुछ नहीं बची है। भैंस उसी की है जिसके हाथ में लाठी है!*👍
                *........और लाठी इस समय गहलोत और सचिन दोनों के हाथ में है! राजस्थान में एक कहावत बड़ी लोकप्रिय है! थारी म्हारी बने कोनी!थारे बिना सरे कोनी! बस इसी कहावत के आधार पर राजस्थान में कांग्रेस सत्ता में रहकर समस्त सुखों को प्राप्त हो रही है। लाठियां हवा में घूम रही हैं और भैंसें ! पाडे ! नाच कर रहे हैं!*🤷‍♂️
              *समझदार गहलोत जान गए हैं कि सचिन पायलट के साथ जितना ज़ायकेदार व्यवहार वह कर सकते थे उन्होंने भरपूर आनंद लेकर कर लिया है। सत्ता के सुख की तमन्ना में दीवाने हुए सचिन को सत्ता सुख से वंचित रख कर उन्होंने सियासत की स्वादानुसार शिकंजी बना ली है। जितनी प्याज कतरी जा सकती थी कतर ली है। जितने नीबू निचोड़ने थे! निचोड़ लिए हैं। अब प्याज और नींबू ख़त्म हो चुके हैं।*😜
                *अनशन पर बैठे सचिन पायलट की मूल मांग थी कि गहलोत पूर्व मुख्यमंत्री के कथित घोटालों की जांच करवाएं! यह माँग शायद ज़रूरत से ज़ियादा ठोस थी, उठने के बाद वहीं दम तोड़ गई।सचिन ने भी सीरियसली यह मांग नहीं उठाई थी। उनका वसुंधरा के घोटालों से कुछ लेना देना नहीं था। सिर्फ़ गहलोत की पुंगी बजानी थी।बज गयी तो चुप हो गए। अब जांच नहीं भी हो तो कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।*😊
     _*"हिंदी चीनी भाई भाई" !!!!*_🤝
                        *जी हां कर्नाटक में स्टार प्रचारक अशोक गहलोत ने मीडिया से कह दिया है कि सचिन और उनका विवाद पार्टी के अंदर की बात है। निबटा लिया जाएगा।*😇
                         *पार्टी की इज़्ज़त दो कौड़ी की कर देने वाले ये नेता कितनी आसानी से इतनी बड़ी कालिख़ को अंदर की बात बता रहे हैं।*😫
               *अंदर की बात के तहत सचिन ने! भाजपा से मोटा पैसा लेकर मानेसर की भेंट कर दिया। अशोक गहलोत ने अस्सी से ज़ियादा विधायकों के इस्तीफ़े पेश करवा दिए!धारीवाल! जोशी और राठौड़ को दिए गए नोटिस बर्फ़ में लगा दिए गए! सचिन के धरने को दर किनार कर दिया गया! रन्धावा के सचिन विरोधी बयान को गैस का गुब्बारा बना कर फोड़ दिया गया!*🥱
                   *......और अब बड़ी शान से कहा जा रहा है कि पार्टी के अंदर की छोटी मोटी बात है! अंदर ही निबटा दी जाएगी।*😳
                       *घर की दो बहुएं अपने देवरों के साथ, निर्वस्त्र होकर लड़ती हुई मोहल्ले के बीच आ गईं और जम कर लड़ने के बाद कपड़े पहन के वापस घर चली गयीं । बाहर वालों ने पूछा तो घूंघट निकाल कर बोलीं घर के अंदर की बात है। सास ससुर मामला निबटा देंगे!*🙄
                     *वाह रे वाह! पार्टी बाज़ नेताओं! मगर सवाल उठता है कि अब क्या होगा❓️❓️*
                      *अब होगा ये कि हाईकमान दोनों एसेट्स के ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही नहीं करेगा! सचिन पायलट को यह भरोसा दे दिया जाएगा कि आने वाले चुनावों में तुम्हारे सभी लोगों को टिकिट दे दी जाएगी! गहलोत को भी उनके पसंदीदा लोगों को टिकिट मिल जाएगी! बिल्लियों की रोटी बंदर बांट देंगे! जिनके लोग ज़ियादा जीत कर आए वही सत्ता सुख के हक़दार होंगे!*🙋‍♂️
                         *यहाँ फिर वही सवाल कि क्या कांग्रेस राजस्थान में रिपीट होगी❓️क्या फिर से मुख्यमंत्री बनने के लिए सचिन और गहलोत के बीच स्वयम्वर होगा❓️*😨
                         *इन सवालों के जवाब तो विक्रमादित्य की पीठ पर लदे बेताल के पास भी नहीं।*❌
              *दोस्तो!अभी तो चुनाव आए भी नहीं हैं। आने पर जब टिकटों का बंटवारा होगा तब देखना ये दोनों "एसेट्स"किस स्तर पर आकर रुकते हैं❓️😣*
                    *कर्नाटक में कांग्रेस की जीत तय है और यही जीत राजस्थान में द्रोपदी के चीर की तरह हरण का नज़ारा पेश करेगी! पांडवों को कृष्ण का इंतज़ार रहेगा मगर कृष्ण जी! दूर खड़े खड़गे बन कर नज़ारा देखते रहेंगे! अब भी तो देख ही रहे हैं!*😇
[5/3, 10:38 AM] +91 98292 71388: *‼️जाट मुख्यमंत्री!! डूडी!!और गहलोत का काला जादू‼️*🙋‍♂️

_*जाट मतों के लिए गहलोत का नया वशीकरण मंत्र!!*_😇

_*सचिन पायलट की अक्ल ठिकाने लाने वाला जादू टोना!!*_🤨

_*कुर्सी विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग।"*_👍

_*गहलोत जानते हैं कि रायता कैसे ढोला जाता है?*_😜

                *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

             *राजस्थान कृषि विकास बोर्ड के अध्यक्ष रामेश्वर डूडी ने जाट मुख्यमंत्री बनाए जाने की पुरानी ज़िद को नया लिबास पहना कर प्रस्तुत कर दिया है। इससे सियासती गलियारों में हलचल मचना स्वाभाविक है। हो सकता है लोग डूडी जी की किसी दमित इच्छा को इसके लिए ज़िम्मेदार मान रहे हों। उन्होंने हाल ही में आयोजित जाट सम्मेलन में बड़ी तादाद में जाट समुदाय को इकट्ठा करके अपने बाहुबली होने का दावा पेश कर दिया था। एक लाख जाटों का सम्मेलन में उपस्थित हो जाना चमत्कार माना गया। ख़ुद प्रभारी सुखविंदर रन्धावा और अशोक गहलोत ने उनकी पीठ थपथपाई।*😊
                  *......और अब डूडी ने "भीड़ तंत्र" को अपनी ताक़त बना कर पेश कर दिया है। मुख्यमंत्री जाट हो !*😉
                         *यह मांग न तो आश्चर्यजनक है !न ही नई!जाट समुदाय का राजस्थान में महत्वपूर्ण हिस्सा है! बल्कि मैं तो कहूंगा कि बहुत बड़ा हिस्सा है! जाट नेता लंबे समय से राजस्थान की राजनीती को अपने अपने काल में, अपने अपने हिसाब से जोतते बोते और काटते रहे हैं। सीकर और नागौर के जाटों ने तो हर काल में मजबूती से अपने समुदाय को नेतृत्व दिया है। मिर्धा और मदरेणा जी के परिवार तो आज भी डंके की चोट पर अपना वर्चस्व बनाए हुए हैं। सीकर के मेहरिया परिवार को भी इस प्रभा मंडल का हिस्सा कहा जा सकता है।*🙋‍♂️
              *वर्तमान में आर एल पी के सुप्रिमो हनुमान बेनीवाल जिस रफ़्तार से जाट नेता के रूप में लोकप्रिय हो रहे हैं उसे देखते हुए लगता है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों को जाट मतों को क़ब्ज़ाने के लिए कोई न कोई प्रभावशाली जाट नेता सामने लाना चाहिए।*👍
                 *सचिन पायलट सर्वमान्य गुर्जर नेता हो गए हैं।बैसला परिवार उनकी टक्कर में पिछड़ गया है। अन्य भी कई गुर्जर नेता समय पर हुंकार भरते रहते हैं।*👍
                    *राजनीति के इसी क्रम में मीणा समाज के सर्वाधिक चर्चित नेता किरोड़ी लाल मीणा हैं। यूँ उनके समाज मे भी कई प्रभावशाली नेता हैं मगर उनकी तुलना में कहीं नहीं।*🙋‍♂️
                  *राजपूत समाज का तो जैसे जन्म ही राजनीति के लिए हुआ है। हर दौर में राजपूत नेताओं का प्रभाव अपने वक़्त का गवाह बन जाता है। हर पार्टी में राजपूत नेता अपना जादू मंतर चला कर राजनीति को हथियाने में पीछे नहीं रहते।आज भी वसुंधरा राजे,राजेन्द्र राठौड़, गजेन्द्र सिंह, राजवर्धन सिंह सहित कई नेता मैदान में सक्रिय हैं।*💁‍♂️
                          *यहाँ मेरा आशय हर समुदाय या जाति के नेताओं का बखान करना नहीं।सिर्फ़ जाट नेता डूडी के मुख्यमंत्री बनाए जाने से उठे सवालों पर बात करना है।*🤷‍♂️
                         *डूडी जाट नेता हैं। उनको और बड़ा नेता बनाया जा रहा है। किरोड़ी लाल मीणा, सचिन पायलट, हनुमान बेनीवाल की तरह।*😉
                       *सवाल उठता है कि डूडी में मुख्यमंत्री बनने की योग्यता किसे नज़र आ रही है❓️❓️❓️😳*
                   *कौन है जो उनकी दमित इच्छा को प्राणवायु प्रदान कर रहा है❓️😨*
                         *कांग्रेस में वैसे ही मुख्यमंत्री बनने वाले दावेदारों की लंबी कतार लगी हुई है। "कुर्सी विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग।"*👍
                          *यहाँ आपको बता दूँ कि डूडी कल तक सचिन पायलट के अंध भक्त थे। उन्होंने उनकी तरफ़दारी में अशोक गहलोत को धृतराष्ट्र तक कह दिया था। बाद में उनको आत्मबोध हो गया कि सचिन पायलट के साथ रहे तो वह भी गूजरों के लिए ही ढोल मंजीरे बजाते रह जाएंगे। जाटों की राजनीति से हाथ धो बैठेंगे।*🫢
                *कुछ तो उनको समय पर सद्बुद्धि आ गयी ! कुछ गहलोत ने उनकी राख में चिंगारी दिखा दी! ज्योति प्रज्वलित हो गई। अब तो वह लपट बन कर मुख्यमंत्री के पद की तरफ लपकने लगी है!*😇
                     *यह आग गहलोत के हवन की है। ख़ुश्बूदार हवन सामग्री वाली! हवा में ऊँची उड़ान पर उड़ते "गुर्जर पँछी" के पर कतरने के लिए।*🤪
                     *डूडी जानते हैं कि मुख्यमंत्री बनने की उनकी मांग अचानक पूरी नहीं होगी।उनको यह भी पता है कि जाट समुदाय इतनी आसानी से उनको मुख्यमंत्री की पत्तल परोस कर नहीं देगा। इस सफ़ेद सच को जानते हुए भी वह राज्य के जाटों को यह संदेश दे रहे हैं कि कांग्रेस में गहलोत के बाद उनके (जाट) किसी नेता को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।भाजपा में यह संभव नहीं होगा। आर एल पी के बैनीवाल जिस तेज़ी से जाट नेता बनते जा रहे हैं उनके रास्ते में डूडी ने (गहलोत ने) रोड़ी भाटे बिछा दिए हैं।*😉
                    *गहलोत जानते हैं कि रायता कैसे ढोला जाता है❓️❓️😜*
                   *डूडी के मुंह से जाट मुख्यमंत्री बनाये जाने का नारा तय है कि आने वाले चुनावों में महत्वपूर्ण साबित होगा। यदि इस नारे को सलीकेदार समर्थन मिल गया तो गुर्जरों की नाराज़गी से मुक़ाबला हो सकेगा। वैसे फ़िलहाल तो सचिन भी कांग्रेस में ही हैं। उनके साथ वाले गुर्जर मतों का अभी खिसकना तय नहीं हुआ है। गहलोत इस संबंध में अतिरिक्त सावधानी बरत रहे हैं।*💁‍♂️
                         *डूडी का सियासती भविष्य क्या है मुझे पता है मगर मैं अभी बताना नहीं चाहता क्यों कि मैं जानता हूँ कि 1857 की क्रांति इसलिए भी असफल हो गयी थी कि वह समय से पहले हो गई थी। "प्रीमैच्योर डिलेवरी" के ख़तरे डूडी जी भले ही न जानते हों मगर गहलोत अच्छी तरह से जानते हैं। मदरेणा परिवार भी जानता होगा। ख़ास तौर से दिव्या मदरेणा जी!*🙋‍♂️
                *जादूगर गहलोत सत्ता वापसी के सारे जादू मंतर इस्तेमाल कर रहे हैं। "जाट मुख्यमंत्री बने" यह उनका काला जादू है। वशीकरण मंत्र से जाटों को सम्मोहित किया जा रहा है। डूडी भी जानते हैं मगर यह उनके लिए हो रहा है यह उनकी ग़लतफ़हमी है।*😣
[5/4, 10:23 AM] +91 98292 71388: *‼️सिर्फ़ बालिग़ लोगों के लिए है आज का ब्लॉग‼️*🙋‍♂️

_*समलैंगिकता!!उफ़्फ़फ़!!*_🥱

_*यानि शेर हो शेर के साथ और शेरनी हो शेरनी के साथ!!!*_🫢

_*ऐसा कृत्य तो जानवर भी नहीं करते!*_😨
 
_*रामायण को बदनाम मत करो!*_😟

_*हे आदरणीय भागवत जी!पुनः विचार करो!*_🙏

              *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

                     *इन दिनों एक नया शब्द समाज में प्रचलित हो रहा है "समलैंगिकता"।* 
                  *मैं कभी नहीं चाहता था कि इस शब्द के आस पास भी जाकर कोई ब्लॉग लिखूँ मगर क्या करूं ? समाज इस शब्द की खाल उतारने पर आमादा है ! विपरीत लैंगिक संबंधों को लेकर ही मेरा मन दूर दूर भागता रहा है इसलिए समान लिंगों के रिश्तो पर तो उसका दूर भागना स्वभाविक है ।*🤷‍♂️
             *दोस्तों "सड़क से संसद" तक और "सर्वोच्च न्यायालय" तक यह शब्द धूम मचा रहा है । स्त्री-पुरुष के बीच ही विवाहों में जब तालमेल नहीं बैठ पा रहा हो, तब यह बवाल नुमा शब्द विकृति के लिए न जाने कहां से आ मरा है❓️*🤦‍♂️
                    *🙏क्षमा चाहता हुआ आज इस अश्लील शब्द पर कलम चला रहा हूं ! दोस्तों !! पहले तो आप समझ लें कि समलैंगिकता है क्या ❓️*
                     *यह फिल्मी दुनिया में चर्चित कर्ण जौहर  वाला मामला नहीं! वहाँ अप्राकृतिक रिश्तो की दास्तान है! यहां समलैंगिकता का अर्थ स्त्री और स्त्री या पुरुष और पुरुष के बीच सेक्सुअल रिश्ते रखने वाली बात है । यहां दो समान लिंग धारी लोग वैवाहिक मान्यता चाहते हैं! यानी स्त्री अपनी ही किसी महिला मित्र के साथ हमबिस्तर हो जाए और पुरुष अपने पुरुष मित्र के साथ !*🥱
                *आज कल बहस इस बात की है कि अदालत ऐसे रिश्ते को कानूनी संरक्षण देना क्यों चाहता है और उसे देना भी चाहिए या नहीं❓️❓️😳*       
                *भारतीय संस्कृति से जुड़े लोग इसका विरोध कर रहे हैं ! यहाँ बता दूं कि यह प्रथा पाश्चात्य देशों में आम जिंदगी का हिस्सा बन चुकी है ! कौन किसके साथ क्या कर रहा है और कैसे कर रहा है? इस बात की वहां कोई चिंता नहीं ! वहां किसी के पास ऐसे विषय पर चिंतन करने का समय भी नहीं है!*❌      
             *यहां तो समय ही समय है हमारे हिंदुस्तान में!! यहाँ तो यह भी सोचने की ज़रूरत आ पड़ी है कि किसका लिंग किसके गुप्तांग के लिए अधिकृत है? किसका प्रवेश द्वार क़ानूनी है? आज कल यह सवाल हिंदुस्तान में तहलका मचाए हुए हैं!*😫
                  *मैं ऐसे लोगों से एक सवाल करना चाहता हूँ कि क्या जानवरों में यह प्रयोग देखने को मिलता है❓️ शेर और शेर एक दूसरे की बज्जी लेते हैं❓️ शेरनी अपनी किसी सहेली के साथ गुफाओं में अदला-बदली करती देखी गई है❓️सच तो यह है कि जानवरों की दुनिया में यह सब देखने को नहीं मिलता! यह तो हम इंसान ही हैं जो समलैंगिकता के नाम पर जानवरों को भी पीछे छोड़ देना चाहते हैं!*🫢   
                     *कुछ महीने पहले आर एस एस प्रमुख मोहन भागवत ने शास्त्रों का हवाला देते हुए समलैंगिकता को भारतीय संस्कृति का हिस्सा बताया । अब संघ के ही एक वरिष्ठ नेता ने समलैंगिक संबंधों को राक्षसों से जोड़ते हुए अप्राकृतिक बता दिया है। इतना ही नहीं समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने वाले ऐतिहासिक 2018 के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी आलोचना कर दी। संघ विचारधारा से संबंधित  मैगजीन "द ओब्जर्वर" में छपे लेख में भारतीय मजदूर संघ के पूर्व अध्यक्ष सी के साजी नारायण ने दावा किया कि भारत के धर्मशास्त्र इस तरह की अवस्था को अपराध मानते हैं । रामायण में समलैंगिकता का उल्लेख है। हनुमान जी ने लंका में ऐसा व्यवहार देखा था । महिलाओं के बीच यह प्रथा देखी गई थी ।*😒
                      *दरअस्ल 6 सितम्बर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि समलेंगिकता अपराध नहीं है। सबको सम्मान से जीने का अधिकार है। कोर्ट ने इसी के तहत आई पी सी की धारा 377 को निरस्त कर दिया था। इसके बाद से भारत में दो समलैंगिक जोड़ों के बीच बने सम्बन्धों को अपराध नहीं माना जाता।*🙄
                            *मेरे कुछ सवाल ऐसे न्यायाधीश महोदयों से हैं जो एक ही तरह के लिंग धारियों के रिश्ते पर मोहर लगा चुके हैं।*👇
                *समलैंगिक शादी टूटी तो तलाक़ के नियम क्या होंगे❓️*
                   *शादी टूटी तो गुज़ारा भत्ता कौन किसको देगा❓️*
                         *घरेलू हिंसा में कौन अभियुक्त और कौन पीड़ित पक्ष होगा❓️*
                  *ससुराल मायका , पित्र धन मातृ धन कैसे माना जायेगा❓️*
                       *मेरिटल रेप को कैसे निबटा जाएगा❓️एक लिंगधारी यदि आपस मे असहमत हों और कोई ज़बरदस्ती कर ले तो कौनसा क़ानून होगा❓️🤔*
               *दोस्तो! इन सभी सवालों का आपस में गहरा सम्बंध है! इसके लिए भारत को अपनी पूरी क़ानूनी संरचना बदलनी पड़ेगी।*😨
                     *स्वास्थ्य पर समलेंगिकता का क्या असर पड़ेगा? इस सवाल को भी हमें सामने रखना होगा। समलैंगिक पुरुषों या स्त्रियों में कई तरह की बीमारियां घेर लेती हैं।आंकड़ों के मुताबिक ऐसे रिश्तों में एड्स की संभावना पुरुषों में 44 प्रतिशत बढ़ जाती है जबकि स्त्रियों में 40 प्रतिशत। ऐसे रिश्तों में अवसाद (डिप्रेशन ) बहुत ज़ियादा होता है। जोड़ों में एनोरेक्सिया और बुलिमिया की समस्याओं का बाहुल्य रहता है।*😟
                        *क्यों कि ये जोड़े बच्चे पैदा नहीं कर सकते इसलिए वे सेरोगेसी का विकल्प आज़माते हैं। या बच्चा गोद लेते हैं। यह काम बच्चों को ख़तरे में डालने जैसा है। इससे बच्चों का विकास न तो स्वाभाविक होता है न उचित।समाज और स्कूलों में ऐसे बच्चों की हंसी उड़ाई जाती है और वह हिंसक हो जाता है।*😫
                  *भारत में विवाह सोलह संस्कारों में से एक माना जाता है। ऐसे में लगता नहीं कि समलेंगिकता जैसी प्रथा यहाँ कामयाब हो सकती है। फिर भी जब देश की अदालतों में ही सब तय हो रहा है तो किया भी क्या जा सकता है❓️मेरा तो यही कहना है कि सबसे पहले ऐसा फ़ैसला देने वाले न्यायाधीशों को समलेंगिकता स्वीकारनी चाहिए। समाज उनके आदर्शों पर चलना चाहेगा। कम से कम मैं तो शत प्रतिशत।*💯
[5/6, 11:40 AM] +91 98292 71388: *‼️गहलोत और बाबा जी की कोहनी का शहद‼️*😜

              *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

                    *राजस्थान के मुख्यमंत्री का लगभग एक महीने में तीसरी बार अजमेर  दौरा उम्मीद पर खरा नहीं उतरा। आयोजन सरकारी था इसलिए भीड़ की उम्मीद करना तो जायज़ नहीं था मगर विजय लक्ष्मी उद्यान में आयोजित सभा में काँग्रेसियों के बड़ी संख्या में इकट्ठा होने की उम्मीद की जा रही थी। यहां भी सचिन समर्थक नेताओं ने अपनी ज़ाहिराना मौज़ूदगी दर्ज़ नहीं कराई। सचिन के सिपहसालार महेंद्र सिंह रलावता ज़रूर नज़र आए। कार्यक्रम क्यों कि अजमेर उत्तर में था इसलिए प्रोटोकाल की ज़रूरत समझते हुए उन्होंने बड़ी सावधानी से कार्यक्रम में भाग लिया। स्टेज़ के नीचे आम कार्यकर्ता की तरह।*💁‍♂️
                      *इस कार्यक्रम में पूर्व मंत्री राजऋषि रघु शर्मा, विधायक राकेश पारीक, अजमेर दक्षिण के दावेदार हेमंत भाटी सहित कई नेताओं ने दूरी बनाकर रखी। हेमंत भाटी जो आर टी डी सी में आयोजित तैयारी बैठक में धर्मेन्द्र राठौड़ एंड हिज कंपनी के साथ मौज़ूद थे , ख़ुद तो कार्यक्रम में नहीं आए मगर गायबाना तौर पर उन्होंने अपने समर्थकों को अपने नारों के साथ खुल कर भेजा। मेरे पास वो वीडियो हैं जिनमें हेमंत भाटी के भेजे लोग अशोक गहलोत ज़िंदाबाद! हेमंत भाटी ज़िंदाबाद के नारे लगा रहे हैं।*👍
                    *इसे सचिन के साथ निभाया हुआ रिश्ता कहें कि अशोक गहलोत से मिले हाथ!  समझ मे नहीं आ रहा।उनके ख़ास सभी नेता कार्यक्रम में शोभा बढ़ाते नज़र आए। निर्मल बेरवाल(ब्लॉक अध्यक्ष), पवन ओड(ब्लॉक अध्यक्ष) छह बसों के साथ  हेमन्त भाटी के नारे लगाते कार्यकम में पहुंचे। मंडल अध्यक्ष भी! ज़ाहिर है कि भाटी ने धर्मेन्द्र सिह राठौड़ को भी ख़ुश रखा और सचिन पायलट को भी।*😉
                        *मंच पर राठौड़ बाबा का क़ब्ज़ा रहा। पूरे कार्यक्रम में वही पारस पत्थर बने रहे। स्टेज पर सिर्फ़ उनको ही बैठाया गया जो राठौड़ बाबा की लिस्ट में थे।उनके ख़ास। यानि मुमताज़ मसीह, स्वयं बाबा जी, राम चन्द्र चौधरी, राजकुमार जयपाल, श्रीगोपाल बाहेती, राजेश टण्डन आदि आदि ।एक और शख्शियत स्टेज़ पर थी।किशनगढ विधायक सुरेश टांक। टांक फ़िलहाल किसी पार्टी में नहीं इसलिए वह किशनगढ एयर पोर्ट पर वसुंधरा जी की अगवानी में भी रहे तो कल गहलोत के स्वागत में भी। विजय जैन स्टेज़ वाली राठौड़ बाबा की सूची में भले ही नहीं थे मगर उनको स्टेज़ पर उच्चन्ती समायोजित कर लिया गया।*😇
                  *राठौड़ बाबा सच में कमाल के व्यक्ति हैं । कोहनी में शहद लगा कर दिखाते रहने में उनका कोई मुक़ाबला नहीं।गहलोत के साथ रह कर उन्होंने भी शायद छोटे मोटे जादू सीख लिए हैं। अब ज़रा इसे नज़र में रखते हुए देखें। ज़िला अध्यक्ष पद के दावेदार राजकुमार जयपाल, डॉ बाहेती, कमल बाकोलिया, नौरत गुर्जर, द्रोपदी देवी, कैलाश झालीवाल, अजय तैंगौर सभी इस उम्मीद से हैं कि राठौड़ बाबा उनको शहर अध्यक्ष बना देंगे। नौरत गुर्जर इस दौड़ में सबसे आगे हैं। बाबा जी के ख़ास भी !!! मगर चमत्कारी बाबा जी ने देहात कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए नसीराबाद के महेंद्र गुर्जर को भी शहद चटा रखा है। अब क्या देहात और शहर अध्यक्ष दोनों ही गुर्जर हो सकते हैं❓️यह न नौरत जी समझ पा रहे हैं न महेंद्र जी।*🙄
                  *इधर अजमेर दक्षिण से डॉ जयपाल, हेमन्त भाटी, कमल बाकोलिया, द्रोपदी देवी सहित कई नेता टिकिट के दावेदार हैं। सब बाबा जी की कोहनी का शहद चखे बैठे हैं। जिसे टिकिट नहीं मिला उनकी भूमिका भविष्य के गर्भ में है।*😒
                   *कार्यक्रम में पुष्कर से पंडितों के एक सियासती दल ने भी शिरकत की। बाबा जी की जयकारे और उनकी शान में कसीदे पढ़ने के लिए। वेदों के आशीर्वाद मंत्र पढ़ते हुए उन्होंने अशोक गहलोत को पुष्कर विधानसभा क्षेत्र से राठौर बाबा को टिकिट दिए जाने की अंतिम इच्छा जाहिर की। गहलोत बाबा जी का नाम सुनकर हंस दिए।शायद उनको बाबा जी का प्रबंधन समझ में आ गया।*😜
                *इधर मंच के नीचे सिंधी नेताओं का दल भी खड़ा हुआ था। नरेन शाहनी और मोहन चेलानी सहित कई लोगों का। मुझे लगा कि यह भी बाबा जी की प्रशस्ति वाचन के लिए आए होंगे!! मगर जब गहलोत उनसे मिले बिना ही छू मंतर हो गए तो लगा मामला कुछ और होगा। यदि यह दल बाबा जी का होता तो गहलोत उनसे मिले बिना नहीं जाते। शायद मोहन चेलानी स्वयं भी दावेदार हैं अजमेर उत्तर के। देवनानी भाजपा से तो चेलानी कांग्रेस से ।*👍
                       *जहाँ तक भीड़ का सवाल है बहुत कम काँग्रेसियों ने यहाँ पहुंच कर गहलोत का स्वागत किया।साफ़ कहूँ तो कल ही पीसांगन में ज़िला परिषद का कार्यक्रम था। पलाड़ा दम्पति का। मेरे फेस बुक एकाउंट पर देख लें।कौनसा कार्यक्रम ज़ियादा गरिमामयी था स्वतः समझ में आ जाएगा।*🙋‍♂️
                     *ख़ैर!अंत में यही कहूँगा की बाबा जी का देशी शहद जब तक उनकी कोहनी की शोभा बढ़ा रहा है आठों विधानसभाओं के दावेदार उनकी ही सेवा में प्रस्तुत रहेंगे। बाबा जी को खुद को टिकिट मिलेगा या नहीं भले ही फ़िलहाल यह तय नहीं।🥱 ईश्वर अल्लाह तेरो नाम! सबको सन्मति दे भगवान!*🙏
[5/8, 10:12 AM] +91 98292 71388: *‼️उतिष्ठित जागृत ! मसूदा नरेश, राकेश पारीक !उतिष्ठित जाग्रत‼️*🙋‍♂️

_*कितने करोड़ लिए मानेसर की बाड़े बंदी में ???*_😳

_*नया बंगला! मोटर कार! ऐशो आराम! क्या उन्ही पैसों से???*_🙄

_*अरे यदि ज़रा भी ईमानदारी अंदर है??? तो गर्दन नापो गहलोत की! जो खुले आम करोड़ों के वारे न्यारे करने का आरोप लगा रहे हैं?*_🤨

_*अगर नोट हज़म कर लिए हों तो भी बोलो! गहलोत वापस करने में मदद को तैयार हैं?*_👍

_*प्लीज़ राकेश पारीक !पहले ग़रीबी दिखा कर जीत गए !!इस बार क्या होगा???*_🤔

             *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

                *बोलो कितने पैसे लिए थे राकेश पारीक???❓️सब हजम हो गए या लोटाने को कुछ बच गए हैं???❓️बताओ न मेरे भाई ! मानेसर की बाड़े बंदी में अमित शाह ने तुम्हें कितने करोड़ रुपए दिए थे❓️दस बीस करोड़ रुपए तो गरीब ब्राह्मण ने अपनी पूरी उम्र में देखें भी नहीं होंगे? गिनते गिनते हाथ थक जाते हैं भैया!*😜
                            *देखो राकेश भईये!!!  यह सब अनाप-शनाप आरोप मैं नहीं लगा रहा !!  सारी बातें !! सारे आरोप!! तुम्हारे मुख्यमंत्री !!तुम्हारे पार्टी के नेता अशोक गहलोत लगा रहे हैं !! खुलेआम कह रहे हैं !! ताल ठोक कर कह रहे हैं!! ग़लत कह रहे हैं या सही ! उनसे पूछो !! मेरी कलम मत पकड़ो !! उनकी ज़ुबान पकड़ो!!*😇
                  *....मगर राकेश जी पारीक!! आप जब अपने मुखिया की जुबान ही नहीं पकड़ सकते तो मेरी क़लम क्या पकड़ोगे ❓️किसी का कुछ भी क्या पकड़ोगे❓️🤨*
                 *सही कह रहा हूं राकेश भैया !! मैं तो राज्य का मामूली सा पत्रकार हूँ!  इतने बड़े आरोप लगाने की मेरी औक़ात कहाँ? वैसे भय्या ! आरोप तो किसी पर कोई भी लगा सकता है! आरोप लगाना तो पॉक्सो एक्ट में मुक़द्दमा दर्ज़ कराने जैसा है !! जब बाहुबली सांसद पर महिला पहलवानों ने लगा दिया तो यह असंभव कहाँ❓️🫢*
                         *आरोप सही हैं या ग़लत यह तो जांच में ही सामने आएगा मगर सांसद महोदय , फिलहाल तो महिला पहलवानों के धोबी पटक दांव  के अंटे में आ ही गए हैं ना !!*
                            *सचिन पायलट ने मानेसर के बाड़े में कितने खाए! कितने अपने पास रखे? कितने बांटे? ये सब वही जानें मगर जितने भी विधायकों पर भाजपा से  करोड़ों लेने का आरोप लगाया गया है वह खुली आमसभा में है! गहलोत जी ने तो नाम भी बता दिए हैं देने वालों के !! साफ कहा है अमित शाह!  धर्मेंद्र प्रधान और गजेंद्र सिंह शेखावत ने नोटों की रेवड़ियां  बाँटी!*😨
             *मेरे लाडले भतीजे राकेश पारीक!! मानेसर के बाड़े में तो तुम भी थे ?? तो क्या मैं यह आरोप सही मान लूं कि तुम्हारे हिस्से में भी करोड़ों की धनराशि आई❓️  क्या यह आरोप सही है ❓️*😳 
                *यदि यह आरोप सही नहीं है तो यार चुप क्यों हो ❓️❓️ गला पकड़ लो गहलोत जी का!! यदि आप सच्चे और साहूकार हो तो उनके विरुद्ध इज़्ज़त की भद्द पीटने का मुक़दमा दर्ज़ करवाओ!*🙋‍♂️
                *देखो पारीक जी !महिला पहलवानों की इज़्ज़त  पर जब खरोंच आई तो वह जंतर मंतर पर आंदोलन करने बैठ गईं!! तुम्हारे आदर्श वादी नेता सचिन पायलट भी शहीद स्मारक पर गहलोत सरकार के विरुध्द धरने पर बैठ चुके हैं !! ठीक उसी तरह सचिन भय्या  को बोलो कि फिर से वह शहीद स्मारक पर अपनी इज्जत बचाने के लिए धरने पर बैठे जाएं!*💁‍♂️
                    *जब महिला पहलवान ऐसा कर सकती हैं तो यार तुम सब तो मर्द हो! तुम्हारे तो आंगन में बच्चे भी खेल रहे हैं ! ज़रा उनकी नैतिकता के नाते ही कोर्ट में जाकर फ़ैसला करवाओ!*🤨
                 *ज़रा सोचो कि "सारे मोदी चोर हैं" कहने पर राहुल बाबा का क्या हुआ❓️ जेल से बचने के लिए बेचारे सारी नाकाम कोशिश कर रहे हैं!*😟
                *"सारे मानेसर के बाड़ेबाज़ भ्रष्ट हैं" इतना सुनने के बाद भी क्या किसी का खून नहीं खौल रहा❓️*😨
                     *विरोध करो राकेश पारीक ! विरोध करो ! करोड़ों रुपए का सवाल है !! यह कोई सीमेंट फैक्ट्री से मासिक किस्त में मिलने वाली लाखों रुपए की राशि वाला आरोप नहीं ! दस बीस करोड़ रुपए की हॉर्स ट्रेडिंग का मामला है भाई !!*🙄
              *भाई ! सुना है तुमने कहीं कोई नया शानदार बंगला बना लिया है? बहुत शानदार बंगला! जब मैं उस बंगले में लगे पैसे के बारे में एक दम ग़लत सोच रहा हूँ तो लोग भी सोच सकते हैं !!!*🤷‍♂️
            *प्लीज!! हम सब के मुंह पर तमाचा मारो!! सर उठा कर कहो कि गहलोत ने झूठ बोलकर सभी 18 विधायकों की मानहानि की है!!  तुमने ऐसा नहीं किया!!❌* 
                    *यदि अब भी तुमने गहलोत के विरुद्ध ज़ुबान नहीं खोली तो तुम्हारे गरीब ब्राह्मण होने की सहानुभूति! मतदाताओं के दिल से समाप्त हो जाएगी !*💯
               *मेरे अनुज ! हो सकता है तुमने करोड़ों रुपए लेकर डकार भी लिए हों! मगर राजनीति में झूठ बोल कर  इज़्ज़त बचाने की परंपरा भी प्रचलित है ! वैसा तुम भी कर लो! और गहलोत यदि झूठ बोल कर जनता को ग़ुमराह कर रहे हैं तो उतिष्ठित जागृत ब्राह्मण पुत्र ! उतिष्ठित जागृत!*👍
[5/9, 9:42 AM] +91 98292 71388: *‼️घर की दीवार गिर जाए पर पड़ौसी की बकरी मरनी चाहिए‼️*🙋‍♂️

_*तो क्या गहलोत अब पार्टी की दीवार गिरा कर सचिन की बकरी तक पहुंच रहे हैं?*_🤨

_*ये भी नहीं सोच रहे कि वसुंधरा की बकरी भी पास ही बंधी हुई है!!!*_🥱

               *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

                   *राजस्थान के मुख्यमंत्री या तो एक तीर से कई मछलियों की आंखें फोड़ने वाले धनुर्धर हैं या नादान क़िस्म के नए निशानेबाज़ हैं! जिनको होश ही नहीं कि उनका चलाया हुआ तीर कहाँ जा कर लगेगा?*🤨
                        *हाल ही में उन्होंने सचिन पायलट,अमित शाह, धर्मेन्द्र प्रधान, गजेन्द्र सिंह शेखावत और मानेसर के बाड़ेबन्द विधायकों पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया । लगा कि उन्होंने अपने तरकश से अग्नि बाण निकाल कर चलाया है!!! मगर इसके बाद उन्होंने अपने तरकश से वसुंधरा राजे पर फूल बरसा दिए। इन फ़ूलों में भी ज़हरीला नाग छिपा हुआ महसूस हो रहा है। इसी नाग के दंश से वसुंधरा राजे को देर रात अशोक गहलोत को झूठा और चालबाज़ नेता बताने पर मजबूर होना पड़ा।*🤷‍♂️
                 *तो क्या अशोक गहलोत वाक़ई बौखलाहट में तीरंदाज़ी कर रहे हैं❓️😳*
                 *तो क्या अशोक गहलोत अदूरदर्शिता के साथ सेल्फ गोल कर चुके हैं❓️🤔*
                   *मित्रों!! सचिन पायलट लंबे समय से यह बात दबी जुबान से कहते आ रहे थे कि अशोक गहलोत और वसुंधरा के बीच अदृश्य रिश्ता (समझौता) है जिसके तहत अशोक गहलोत वसुंधरा के कथित घोटालों की जांच नहीं करवा रहे। इसी आरोप के साथ उन्होंने जयपुर के शहीद स्मारक पर अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ धरना भी दिया। तब बड़ी संख्या में काँग्रेसियों ने उनका विरोध किया। आरोप को सिरे से ख़ारिज़ करने के लिए कई तरह के ब्रह्मास्त्र चलाये गए। सफ़ाई दी गई कि गहलोत और वसुंधरा के बीच कोई समझौता नहीं।*😣
                 *मगर गहलोत के इस बयान के बाद कि वसुंधरा ने उनकी सरकार बचाई यह साफ़ हो गया है कि अशोक गहलोत और वसुंधरा के बीच राजनीतिक समझौता था।*💯
                           *यहाँ मैं अशोक गहलोत के विख्यात राजनीतिक जादूगर होने को ख़ारिज़ करता हूँ। यदि उनमें ज़रा भी सूझबूझ होती तो वह नाज़ुक हालातों में कम से कम वसुंधरा को अपनी राजनीतिक हमलों से दूर रखते। उनको  अपना हितैषी बताकर सवालों के घेरे में नहीं लाते। यदि गहलोत कूटनीति जानते तो कभी अपने बुरे दिनों में साथ देने वालों की अस्मिता को ख़तरे में नहीं डालते!!*❌
                        *वसुंधरा ने गहलोत की सरकार किस तरह बचाई❓️क्या अब वह इस बात का ख़ुलासा भी कर सकते हैं❓️*🙄
                        *इस सवाल का वह क्या उत्तर देंगे यह वही जानें मगर वसुंधरा ने उनको खुलेआम एक नम्बर का झूठा बताकर बिना साबुन के धो दिया है। उन्होंने साफ़ कहा है कि हॉर्स ट्रेडिंग के तो गहलोत ख़ुद एक माहिर खिलाड़ी हैं।उन्होंने उदाहरणों के साथ अपनी बात कही है।*🙋‍♂️
                  *गहलोत सही हैं या वसुंधरा? यह तो अब कोर्ट में भी सिद्ध नहीं हो सकता। हां, मगर वसुंधरा को गहलोत ने भाजपा हाईकमान की नज़रों में संशय के घेरे में तो ला दिया है।जो बात सचिन कह रहे थे उस पर गहलोत ने मोहर लगा दी है।*🙋‍♂️
                  *वसुंधरा राजे पर हाईकमान को पहले भी भरोसा नहीं था। मोदी, अमित शाह और अन्य दिग्गजों की गुड बुक में वह पहले से नहीं थीं। सचिन द्वारा उनपर कथित भ्रष्टाचार के आरोप लगाने और उनकी जांच न करवाने के लिए अशोक गहलोत को कटघरे में खड़ा करने पर भी भाजपा हाईकमान बेचैन था। गायबाना ही सही वसुंधरा इससे भी संशय में थीं। अब गहलोत ने उनको और गहरे संशय में धकेल दिया है।*😫
                 *देखिए!नासमझ गहलोत ने किस तरह दोस्त को दुश्मन बना लिया है। कूटनीति कहती है कि आपत्ति काल में जो आपकी मदद करे उसके हितों पर कभी आंच मत आने दो मगर गहलोत ने जो किया वह आत्मघाती उपक्रम है।*💯
                 *एक और बात।सचिन पायलट ने जिस आरोप के साथ धरना दिया था उससे भाजपा सचिन के ख़िलाफ़ मैदान में आ गई थी। अब गहलोत ने भाजपा को ही निशाने पर ले लिया है।*😇
                          *मुझे तो समझ में नहीं आ रहा कि अमित शाह ,धर्मेन्द्र प्रधान और गजेंद्र सिंह शेखावत गहलोत के आरोप पर अपनी प्रतिक्रिया क्यों नहीं दे रहे❓️❓️😳*
                   *मानेसर की बाड़ेबन्दी में यदि करोड़ों की खरीद फ़रोख़्त हुई और गहलोत ने साफ़ कहा कि उनके विधायकों ने करोड़ों रुपए सरकार गिराने के लिए लिए तो अमित शाह सहित सभी को अपना पक्ष रखना चाहिए।*
                       *चलिए यदि वह सफ़ाई नहीं भी दे रहे तो गहलोत को सबूतों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी चाहिए। क़ानूनी कारवाही करनी चाहिए।*👍
                    *सच तो यह है कि सचिन और गहलोत की लड़ाई का अंत सचिन के पार्टी से बाहर जाने से ही होगा।सचिन "हम तो डूबेंगे सनम आपको भी ले डूबेंगे",वाले रास्ते पर चल रहे हैं और गहलोत भी अब सोच चुके हैं कि सचिन को राजनीतिक रूप से जीरो करके ही दम लेंगे। घर की दीवार गिर जाए पर पड़ौसी की बकरी मरनी चाहिये। बस यही सोच है गहलोत की । मगर यहाँ तो पड़ोस में वसुंधरा जी की बकरी भी बंधी हुई है।गहलोत उसे क्यों मारना चाह रहे हैं❓️😨*
                *इधर मानेसर की बाड़ेबन्दी में रहे शायद ही किसी विधायक को गहलोत टिकिट लेने दें। सब पर दस दस बीस बीस करोड़ लेने के आरोप जो लगा दिए हैं गहलोत ने। आरोप हैं तो सबूत भी होंगे ही । और सबूत हैं तो फिर टिकिट किस बात की❓️❓️🤨*
                    *....और अब जाते जाते एक शगूफा और।जानकार सूत्रों के मुताबिक अशोक गहलोत द्वारा वसुंधरा को अपना राजनैतिक मित्र बताने के पीछे भी दिल्ली के किसी दिग्गज भाजपाई नेता का हाथ है। वसुंधरा के क़द को मिट्टी में मिलाने के लिए यह ज़रूरी था। भाजपा के इस नेता और गहलोत के बीच पिछले दिनों सम्बंध अखबारों की सुर्खियों में रहे। कहा जा रहा है कि उनके कहने पर ही गहलोत ने वसुंधरा को लेकर बयान दिए हैं। इस सूचना पर मुझे तो रत्ती भी विश्वास नहीं मगर अफवाहों के धुएं में कभी कभी चिंगारी दिख जाती है इसलिए जानकारी आपके सामने रख दी है।*💁‍♂️
[5/10, 10:21 AM] +91 98292 71388: *‼️राजस्थान के अगले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को भाजपा नहीं हरा पाएगी‼️*💯

_*मेरा दावा है कि भाजपा में कांग्रेस को हराने जितना पोदीना ही नहीं!!!*_❌

_*कांग्रेस को हराने के लिए मोदी ख़ुद भी चुनाव प्रभारी बन जाएं तो भी ....!!*_😉

_*कॉंग्रेस को हराने के लिए गहलोत और सचिन ने सुपारी ले ली है! दोनों ही आपस में लड़ कर कांग्रेस को हराने के लिए काफ़ी हैं!!*_🙋‍♂️

               *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

                    *राजस्थान में कांग्रेस के रिपीट होने के कोई चांस नहीं! भाजपा को जीत झोली में डाल कर दे दी गयी है!अशोक गहलोत का "कुर्सी का मोह" और सचिन पायलट की "कुर्सी की भूख "अब पार्टी को ले डूबने के लिए काफ़ी है।भाजपा को अगले चुनावों में "वाक ओवर" मिल गया है।*🙋‍♂️
                    *कुर्सी पर बैठते बैठते वृद्ध हो गए गहलोत अभी भी कुर्सी पर ही राजनीति की अंतिम सांस लेना चाहते हैं और सचिन पायलट को कुर्सी से इतना इश्क़ हो गया है कि वह एक पल कुर्सी पर बैठे बिना रह नहीं पा रहे। अगले चुनावों में अपनी बारी का इंतज़ार करना उनको उबाऊ लग रहा है। यह शायद इसलिए भी कि उनको लग गया है कि अगले चुनावों में पार्टी चुनाव नहीं जीत पाएगी।इसी बार उनको मुख्यमंत्री बनना है। भले ही मोहम्मद तुगलक की तरह एक दिन का बादशाह ही क्यों न बना दिया जाए। शायद उनको भी चमड़े के सिक्के चलाने हैं।*😇
                *पार्टी की तयशुदा जीत को हार में बदला जा रहा है। स्वार्थ लोलुप दोनों ही नेताओं ने जैसे तय कर लिया है कि पार्टी को डुबो कर ही चैन लेना है।*😫
               *राजस्थान में एक कहावत मशहूर है।"आ रे म्हारा संपट पाट, मैं तने चाटुं तू म्हने चाट!"*
                     *गहलोत और सचिन दोनों अपनी बर्बादी को ज़ुबान पर रख कर एक दूसरे को चाट रहे हैं। मज़े की बात है कि दोनों ही अनुशासनहीन नेता अपने हाईकमान को पांव की जूती समझ कर ओछेपन पर उतरे हुए हैं। ऐसी निर्लज्जता कांग्रेस के इतिहास में पहली बार देखने को मिल रही है।*😴
                 *अशोक गहलोत जानबूझ कर सचिन को उकसा रहे हैं ताकि वह ऐसी कोई भूल करें कि उनकी राजनीति का सत्यानाश हो जाए और सचिन तो जैसे धार ही चुके है कि पार्टी की अब ऎसी की तैसी। उनको ख़ुद मुख्त्यार होकर राजनीति करनी है।*👍
                   *मित्रों!! आप किसी भी विचारधारा के हों!मगर अशोक गहलोत और सचिन की हरक़तों को देखकर  आपको भी लगने लगा होगा कि दोनों ही नेता ! राजनीति के नौसिखिए हैं। किसी के पास भी दूरदर्शिता या संयम नहीं। न भाषा का संयम न निर्णयों का!न ही व्यवहार का!*😕
                  *यह सच है कि गहलोत की हठधर्मिता और लफ़्फ़ाज़ी से तंग आकर सचिन पायलट को मानेसर की बाड़े बंदी करनी पड़ी थी! यह भी सत्य है कि कांग्रेस आला कमान ने उनकी लालसा को तरज़ीह नहीं दी! यह भी सत्य है कि मानेसर की बाड़ेबन्दी के पीछे भाजपाई चाल थी! यह भी सत्य है कि सचिन की बाडेबंदी का ख़र्च कुछ शातिर नेताओं ने उठाया! ये भी सच है कि सचिन को जितने विधायकों ने अपने होने का भरोसा दिलाया था वह टूटा हुआ निकला और उनको भाजपा ने अपनाने से इंकार कर दिया! इस बात में भी सच्चाई हो सकती है कि विधायकों की खरीद फ़रोख़्त के लिए अर्थ प्रबन्धन हुआ हो!ऐसा कोई भी राजनीतिक दल कर सकता है। करता भी रहा है।*🤷‍♂️
                 *....मगर जब मानेसर की बग़ावत (क्रांति) फेल हो गयी और कांग्रेस हाईकमान ने सचिन को अनुशासन का पाठ पढ़ाने की जगह पुचकार लिया तो सचिन की मानसिकता में खोट आ गया। सीधी सीधी बग़ावत थी और हाईकमान ने छाती पर मूंग दलवाते हुए सचिन को आश्वासन दे दिया कि जल्द ही गहलोत की जगह उनको मुख्यमंत्री बना दिया जाएगा।अहमद पटेल,सोनिया गांधी, राहुल और प्रियंका !और भी कई दिग्गज़ नेताओं ने सचिन से गहलोत की जगह उनको मुख्यमंत्री बंनाने का वादा कर लिया। यही वादा आज गहलोत और सचिन के बीच की जानलेवा लड़ाई का कारण बना हुआ है।*🙋‍♂️
               *सचिन से किया गया वादा निभाने के लिए सबसे पहले सोनिया ने अशोक गहलोत को दिल्ली बुलाकर पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये जाने का प्रस्ताव रखा। गहलोत ने साफ़ तौर पर मना कर दिया तो हाईकमान ने दूसरी चाल चली।*
                  *मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कई नेताओं ने जयपुर में डेरा डाल लिया। सभी विधायकों को बुलाया गया। एक लाइन का प्रस्ताव पास करने के लिए। हाईकमान जिसे चाहे मुख्यमंत्री बनाए उनको मंज़ूर होगा। समझदार (शातिर) गहलोत समझ गए कि उनको हटाने की चौसर बिछ रही है।*😣
                     *उन्होंने अपने समर्थक विधायकों से सामुहिक इस्तीफे दिलवा दिए। हाईकमान की चाल फिर नाकाम हो गई।*🫢
                *सचिन तब तक सब्र किए बैठे रहे मगर जब उनको लगा कि हाईकमान के भरोसे रहे तो मुख्यमंत्री नहीं बन पाएंगे तो उन्होंने चिमटा ख़ुद उठा लिया।*👍
                 *अब वह पटरी से उतर गए हैं। इधर गहलोत ने भी हाईकमान को ताक पर रख दिया है।*🙋‍♂️
                    *अब सचिन अजमेर से पद यात्रा निकाल रहे है। राहुल और प्रियंका कर्नाटक के चुनाव बीच में छोड़ कर यूँ ही नहीं आ गए हैं।उनको मजबूरन आना पड़ा है।*😔
                        *सचिन की पदयात्रा की तारीख़ टाली जा सकती थी मगर दिल्ली के कुछ शातिर नेताओं ने उनको प्रेशर पॉलिटिक्स के लिए तारीख निश्चित करवा दी थी। प्रियंका और स्वामी प्रमोद कृष्णम सचिन से सारे खेल खिलवा रहे हैं। गहलोत भी समझ रहे हैं। यही वजह है कि उन्होंने मानेसर की बाड़ेबन्दी में भाजपा से करोड़ों रुपए लेने का सीधा आरोप सार्वजनिक रूप से जड़ दिया। इस आरोप को लगाने के लिए दिल गुर्दा चाहिए था। अमित शाह की गर्दन नापने के लिए। तआज़्ज़ुब की अमित शाह ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। सचिन ने भी सीधे तौर पर नहीं कहा कि उन्होंने एक पैसा नहीं लिया भाजपा से।*😨
                      *ज़ाहिर है कि हॉर्स ट्रेडिंग हुई। इतने बड़े और गम्भीर आरोप के बाद अब फिर हाईकमान की दुविधा बढ़ गयी है कि सचिन को उचित स्थान कैसे दिया जाए।*🙄
                 *सचिन को किया गत वादा हाईकमान नहीं निभा पाया और अगले चुनावों के परिणाम का सचिन इंतज़ार नहीं कर पा रहे इसलिए अब चौराहे पर मटकी फूटने के सिवा कोई खेल नहीं बचा है।*😟
                       *यहाँ आपको बता दूँ की कांग्रेस पार्टी का इन दोनों नेताओं के प्रति मोह भंग हो चुका है। इधर दोनों नेताओं का भी अब लगता है पार्टी के प्रति कोई मोह नहीं रहा है ।*😫
     *यहाँ इन दोनों ज़िद्दी नेताओं से भी पूछना चाहूँगा कि तुम दोनों तो कांग्रेस के बिना रह लोगे!ख़ूब मज़े लूट चुके हो पार्टी में रह कर मगर उन कर्मठ और समर्पित कार्यकर्ताओं का क्या होगा!जो तुम्हारे साथ रह कर गेंहू के साथ घुन की तरह पिस जाएंगे।*
[5/11, 11:19 AM] +91 98292 71388: *‼️जो घर फूँके आपणों ! चले हमारे साथ‼️"*🙋‍♂️

_*सचिन की "पद- यात्रा" बनाम "मद- यात्रा!"*_😇

_*गहलोत ने वसुंधरा को क्यों हटाया रास्ते से?*_🫢

_*गहलोत के सारे काले जादूओं का ख़ुलासा!*_💁‍♂️

               *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

                    *"जो घर फूँके आपनों चले हमारे साथ" नए दौर के कबीर सचिन पायलट ने जन संघर्ष पद यात्रा की अजमेर से शुरुआत की है। यह यात्रा घोषित रूप से तो जनता के हितों के लिए ही है मगर ज़माना जानता है कि यह यात्रा सचिन के लिए "सत्ता की लालसा"  से शुरू होकर "मुख्यमंत्री की कुर्सी"  पर ही जाकर समाप्त होती है।*💯
                   *मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सत्ता लोलुपता सचिन से कहीं ज़ियादा भारी है। दो नेताओं के बीच राजगद्दी को लेकर टूर्नामेंट चल रहा है। रेफ़री की भूमिका निभा रहा हाईकमान फ़िलहाल दोनों नेताओं के नैतिक पतन की पराकाष्ठा देख रहा है।*😇
                 *कर्नाटक वाली मछली की आँख को भेदने के लिए समूची कांग्रेस और उसके नामी गिरामी चेहरे लगे हुए हैं।सोनिया राहुल और प्रियंका तीनों ही सत्ता में वापसी के लिए कर्नाटक में नाटक के अंतिम किरदार बने हुए हैं।*🙋‍♂️
                *"सइंया हमारे घर नहीं!  हमें किसी का डर नहीं!" यही कुछ हो रहा है राजस्थान में। गहलोत और सचिन दोनों ही अपनी अपनी सीमाएं लांघ चुके हैं। पार्टी को डुबोने में बराबर की सहभागिता निभा रहे हैं।*🤷‍♂️
                   *सचिन की पद यात्रा में शामिल उनके समर्थक सच पूछो तो इस्तेमाल हो रहे हैं। ये वे लोग हैं जो सचिन को प्यार करते हैं। उनका तहे दिल से सम्मान करते हैं। उनको अपना आदर्श मानते हैं। इनमें से कुछ ऐसे भी हैं जिनको सचिन ने ताक़तवर दिनों में उपकृत भी किया था। उनके साथ वाले सभी विधायक उन्ही उपकारों को दिल मे रख कर सचिन का साथ दे रहे हैं।*👍
                 *यहाँ सवाल यह उठता है कि यदि हाईकमान ने सचिन के ख़िलाफ़ कोई ठोस फ़ैसला ले लिया तो इन समर्थन देने वालों का क्या होगा❓️🫢*
                 *यदि सचिन की बर्दाश्त की जा रही हरक़तों पर हाईकमान ने सख़्ती दिखा दी तो इन विधायकों का क्या होगा❓️उन हारे हुए पिछले उम्मीदवारों का क्या होगा जिनको टिकट सचिन ने दिलवाई थी मगर जो जीत न सके!*🥱
                         *माना कि समुदाय विशेष उनके साथ है मगर ऐसा भी नहीं कि उनके जातीय समुदाय में सिर्फ़ सचिन ही सर्वमान्य नेता हैं!! उनके अलावा भी राज्य में कई ताक़तवर और प्रभावशाली गुर्जर नेता हैं! इसलिए कांग्रेस पार्टी की यह ग़लतफ़हमी अगर दूर हो गई तो सचिन को पार्टी का साथ निभाना मुश्किल हो जाएगा।*🙄
                  *कल मैंने सचिन की पद यात्रा में शामिल होने वाले नेताओं से बात की। उनसे पूछा कि यदि सचिन को पार्टी ने बाहर निकाल दिया तो तुम लोग क्या करोगे❓️उनका साथ निभाओगे या पार्टी के सिपाही बने रहोगे। ख़ास तौर से जब क़द्दावर नेता महेन्द्र सिंह रलावता से पूछा तो वह बोले सचिन पार्टी में ही रहेंगे। उनको निकाला नहीं जा सकता। अब उनकी ज़िद्द को कौन समझाए कि हाईकमान गहलोत और सचिन दोनों से ही परेशान हो चुका है। दोनों ही सोनिया और राहुल की नज़र से गिर चुके हैं।प्रियंका की नज़र में सचिन गिरे हैं या अभी भी चढ़े हुए हैं यह मैं नहीं बता सकता। यह अंदर की बात है।*😜
                   *मित्रों! लंबी पत्रकारिता की पारी खेलने वाला यह मामूली ब्लॉगर इस नतीज़े पर पहुंचा है कि 'जिसकी उतर गई लोई उसका क्या करेगा कोई।' सचिन अपनी लोई उतार चुके हैं और अब वह पार्टी के निकाले जाने तक के लिए तैयार हैं बल्कि कहिये निकाले जाने का मौक़ा ढूँढ रहे हैं। इंतज़ार कर रहे हैं।*😉
               *यहाँ एक शानदार बात आपकी जानकारी में ला रहा हूँ जो अब तक कोई धुरंधर राजनेता या पत्रकार सामने नहीं लाया है।*💁‍♂️
                *अशोक गहलोत और वसुंधरा के बीच जो भी गायबाना सम्बंध बरक़रार थे उनको अशोक गहलोत ने सामने लाकर वसुंधरा को ख़तरे में क्यों डाला❓️वो भी उस वक़्त जब वसुधंरा को अगले मुख्यमंत्री का चेहरा भाजपा बना सकती थी। माना जा रहा था कि यदि भाजपा कर्नाटक में अपनी सरकार नहीं बना पाई तो राजस्थान में वसुंधरा की पूछ बढ़ जाएगी। उनको मुख्यमंत्री का चेहरा न भी बनाया गया तो चुनाव प्रबन्धन में उनकी भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण होगी।*👍
                      *अब जबकि अशोक गहलोत ने वसुधंरा का उनके प्रति अतिरिक्त स्नेह वाला शगूफा छोड़ दिया है और कॉन्ग्रेस सरकार को बचाने में उनका किरदार घोषित कर दिया है तब उन्होंने वसुंधरा को हाईकमान की नज़र में नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।*😟
                           *अशोक गहलोत ने आख़िर ऐसा क्यों किया❓️क्या यह गहलोत की नासमझी थी❓️या फिर वसुंधरा को नीचा दिखाने के लिए जानबूझ कर उन्होंने ऐसा किया❓️❓️🙄*
                         *सवाल तो यह भी है कि क्या गहलोत ने भाजपा के किसी महान नायक के इशारे पर यह खेल खेला❓️😨*
                    *जो काम डॉ सतीश पूनिया चार साल में अध्यक्ष रहते नहीं कर पाए वह  खेल अशोक गहलोत ने पांच मिनट में कर दिया!!*🤪
                *आख़िर ऐसा क्यों हुआ❓️😳*
              *आइए !आपको बताता हूँ कि गहलोत ने क्या सोच कर वसुंधरा जैसी राजनीतिक मित्र को बलि का बकरा बनाया।*
                  *दोस्तों!अशोक गहलोत को यह ग़लतफ़हमी हो गयी है कि अगला चुनाव वह जीत जाएंगे! उनकी सरकार रिपीट हो जाएगी! इस ग़लतफ़हमी में जी रहे गहलोत के रास्ते में वसुंधरा ही सबसे ताक़तवर रोड़ा हैं। वह जानते थे कि कर्नाटक में यदि भाजपा सरकार नहीं बना पाई तो वसुंधरा को चुनाव प्रबन्धन सौंपने के अलावा भाजपा के पास कोई चारा नहीं रहेगा। ऐसे में उनका मुक़ाबला सीधे तौर पर वसुंधरा से ही होगा। यूँ भी वसुंधरा को रास्ते से हटा कर ही गहलोत का सफ़र आसान होता। इसलिए उन्होंने उनकी छवि मिट्टी में मिलाकर यह रोड़ा भी रास्ते से हटा दिया है।*🙋‍♂️
              *अब वसुंधरा के अलावा और कोई मज़बूत चेहरा भाजपा के पास है नहीं।जितने हैं उनकी लोकप्रियता वसुंधरा के पासंग भी नहीं टिकती।*😴
                        *गहलोत न केवल सचिन को रास्ते से हटा रहे हैं बल्कि हर उस चेहरे को हटा रहे हैं जो उनकी जीत को चुनौती दे सकता हो।*💯
                          *हद तो यह है कि अशोक गहलोत अपने हाईकमान को भी दवाब में रख रहे हैं। यही वजह होगी कि न चाहते हुए भी कांग्रेस हाईकमान को सर्वाधिकार गहलोत को ही देने पड़ेंगे। वाह रे जादूगर! वाह रे तेरा काला जादू!*😇
[5/13, 11:03 AM] +91 98292 71388: *‼️किन्नरों के पीले चाँवल !इलायची बाई के चमत्कार और अजमेर‼️*😴

               *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

                     *इलायची बाई की गद्दी समय समय पर निहाल होती रही है। एक बार फिर अजमेर में किन्नरों ने लोगों को पीले चांवल बांटे! उनका राष्ट्रीय सम्मेलन अजमेर में होगा। इससे बड़ी ख़ुशी की बात अजमेर वासियों के लिए कोई नहीं हो सकती! किन्नर ही सही ! अजमेर के नाम को, कोई तो राष्ट्रीय नक़्शे पर स्थापित कर रहा है । शास्त्रीय सच तो यही है कि किन्नरों का सामाजिक जीवन में सम्मान सर्वमान्य है। कोई भी शुभ काम हो किन्नरों की प्रसन्नता का इज़हार ही उसकी पराकाष्ठा होती है।*🤷‍♂️
             *मुझे ख़ुशी है कि अजमेर में ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ और सृष्टि रचयिता ब्रह्मा जी की पावन धरा पर इलायची बाई की गद्दी भी शोभायमान है।*😊
                *गद्दी को साष्टांग प्रणाम करते हुए मैं आज के इस पावन ब्लॉग को आपके चरणकमलों में  समर्पित कर रहा हूँ।*💁‍♂️
                  *मित्रों! अजमेर शहर पर हमेशा हर दौर में किन्नरों की कृपा बरसती रही।ग़रीबों की ख़ाली झोलियां भरने वाले ख़्वाजा साहब ने किन्नरों को जो तौफ़ीक़ अता की उसका भी कोई मुक़ाबला नहीं।परम पूज्य! प्रातः स्मरणीय!  ब्रह्मा जी ने भी किन्नरों को अपने समस्त आशीर्वादों से  देदीप्यमान किया। यही वजह है कि आज देश के भौगोलिक नक़्शे पर अजमेर जिले में उनका समाज प्रथम पंक्ति में विराजमान है।*👍
                *गुर्जरों के आराध्य नेता सचिन पायलट जी ने हाल ही में अजमेर से जन संघर्ष यात्रा शुरू की है। मुझे पता नहीं कि परम कृपालु किन्नरों से उन्होंने आशीर्वाद प्राप्त किया या नहीं! उनके पीले चांवलों से स्वयं को लाभान्वित किया या नहीं ! मगर उनको चुनावों से ठीक पांच महिने पहले यदि जनता के दुख दर्दों का अहसास हुआ है तो यह निश्चित रूप से इस बात का साक्षी है कि इलायची बाई ने उनकी सुषुप्त इंद्रियों में सकारात्मक उत्तेजना का प्रादुर्भाव कर दिया है । बिना इलायची बाई की स्वतःफूर्त प्रेरणा के कोई भी राजनेता एक क़दम आगे नहीं बढ़ा सकता!!*🙋‍♂️
                       *अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी हों या आठों विधान सभाओं के जन प्रतिनिधि! जी हां! सर्वाधिक लोकप्रिय नेता राजऋषि रघु शर्मा ! सिंधी समाज के आराध्य पुत्र वासुदेव देवनानी! कोली समाज के असीम आशीषों से फलीभूत अनीता भदेल जी!रावत प्रजाति के महान नायक सुरेश सिंह रावत! शंकर सिंह जी रावत साहब! जाट जाति की सौर्य ऊर्जा के परिचायक रामस्वरूप जी लांबा! पत्थरों की नगरी के फूल किशनगढ के महान जननायक सुरेश टांक!मसूदा के ज़मीनी कहला कर प्रसन्न होने वाले पंडित जी राकेश पारीक! सब के सब इलायची बाई के चरणों में उसी तरह बैठ कर राजनीति करते रहे हैं जिस तरह किन्नर अपने गुरु जी के चरणों मे बैठ कर मानव जाति का कल्याण। चाहते हैं।*😉
              *मैं सचिन पायलट साहब का तहे दिल से आभार व्यक्त करता हूँ कि उन्होंने अजमेर का सांसद रहते हुए भले ही ज़िले के साथ नाबालिग  बालिका जैसा सलूक़ किया हो मगर आज कल उन पर इलायची बाई का नूर बरस रहा है। वह चार साल तक नकारा, निकम्मे और भी न जाने कितनी भद्दी गालियां खाने के बाद ख़ामोश रहे मगर अब चुनावों से ठीक पहले उनका पुरुषार्थ हिलोरे मार उठा है।इधर किन्नरों ने पीले चाँवल बांटने शुरू किए उधर सचिन पायलट ने हुंकार भरी! जयकारा इलायची मैया का!!*🙋‍♂️
                 *उधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दिमाग़ में पता नहीं इलायची बाई जी ने क्या ख़लल डाला कि उन्होंने अमित शाह जैसे बादशाह और उनके अनुगामी धर्मेन्द्र प्रधान पर करोड़ों रुपये सचिन को देकर उनके विधायक ख़रीदने का आरोप जड़ दिया। इतना गंभीर आरोप ! वह भी खुले आम! वह भी देश के गृह मंत्री पर! वह भी ताल ठोंक कर! हे इलायची बाई! ऐसा साहस गहलोत में आपने कहाँ से प्रस्फुटित कर दिया❓️❓️ अमित शाह से पंगा लेना आपकी कृपा के बिना तो संभव ही नहीं!*🫢
               *और हे इलायची बाई जी! अमित शाह ने इस आरोप के जवाब में एक भी शब्द नहीं बोला! यह आपने उन पर कौनसा तिलिस्म कर दिया??*🫢
                  *सचिन भैया जी भी भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ पद यात्रा निकाल रहे हैं! उन्होंने भी गहलोत के करोड़ों रुपये हज़म करने वाले भ्रष्टाचार के आरोप का सीधा जवाब नहीं दिया है।ज़रूर उनको इलायची बाई ने समझा दिया होगा कि इस मामले में गहलोत से ज़िरह बहस मत करना वरना वह सबूत पेश करके तुम्हारी इज़्ज़त का फालूदा बना देगा।*💯
                    *सचिन भैया वैसा ही करो जैसा इलायची बाई चाहती हैं।*👍
                         *देखो न अजमेर शहर में किस तरह धर्मेन्द्र राठौड़ बाबा अपनी राजनीतिक सवारी निकाल रहे हैं। इलायची बाई के शहर में हर तरफ उनकी जयजयकार हो रही है। सारे मर्द (😉) कांग्रेसी उनकी शरण मे नतमस्तक हैं।पांच साल पहले उनका शहर में कोई नामलेवा नहीं था। मगर आज उनके बिना शहर के किसी पेड़ का पत्ता नहीं हिल रहा। क्या बिना इलायची बाई की कृपा के ऐसा हो पाना सम्भव था❓️ अरे इस शहर पर कृपा ही परमात्मा स्वरूप इलायची बाई की है। नपुंसक नेताओं की जर्जर काया में इलायची मैया का ही परकाया प्रवेश हो रहा है!!.बाबा पुष्कर से चुनाव नहीं लड़ेंगे। अजमेर उत्तर से ही लड़ेंगे। उनके चिल्गोज़े सभी समाजों के जूते उठा रहे हैं।*💁‍♂️
                    *पिछले दिनों बाबा जी के एक चेले ने ब्राह्मण समाज के नेता जी को फोन किया। कहा कि राठौड़ बाबा का आधिपत्य स्वीकार कर लो।बंदा रलावता जी का शागिर्द था। साफ़ बोला "राठौड़ अजमेर से क्या मांगता है❓️"*🤨
                *राठौड़ बाबा का चिल्गोज़ा नाराज़ हो गया। बहन की अश्लील शब्दावली के साथ बोला।"अबे बेवकूफ़ हम ब्राह्मण हैं! यदि कोई कुत्ता भी हमको कुछ दे रहा हो तो उसके गले में माला डाल दो!*🙄
                       *राठौड़ बाबा का जयपुर का ये चेला अजमेर ख़ादिम टूरिस्ट बंगलो में बिराजा हुआ एक विप्र बंधु है।उसने इलायची बाई की कृपा का लाभ उठाते हुए समझा दिया कि कुत्ते के गले में माला कब और क्यों डाली जानी चाहिए?😟 (बातचीत की रिकॉर्डिंग मेरे पास सुरक्षित है)*
                *दोस्तो! इलायची बाई की महिमा अपरंपार है!शीघ्र ही मैं उनकी महिमा पर एक अलौकिक पुस्तक लिखने वाला हूँ। इसमें सम्राट पृथ्वी राज के समय से अब तक के उन सभी प्रतिभागियों और उनके क्रियाकलाओं का विस्तार से परिचय होगा जिन्होंने अपनी नपुंसकता के बावज़ूद कई सन्ताने पैदा करने का अजूबा कर दिखाया।*👍
                 *आज इतना ही। इति श्री इलायची बाई प्रथम अध्य्याय: समापतः। बोलो इलायची बाई की जय।*😇
[5/14, 11:41 AM] +91 98292 71388: *‼️अब भाजपा में वह होगा जो प्रदेश के नेता चाहेंगे। कांग्रेस में वह होगा जो राहुल चाहेंगे‼️*💯

_*सचिन और गहलोत की गर्दन के पट्टे कसे जाएंगे!वसुंधरा के गले का पट्टा ढीला किया जाएगा!!*_😇

_*अब मोदी का चेहरा कर्नाटक की तर्ज़ पर दांव पर नहीं लगाया जाएगा!!*_🙄

               *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

                   *कर्नाटक का नाटक आख़िर ख़त्म हुआ।मोदी जी की गोदी में बैठे चिल्गोज़े भाग छूटे। पवन सुत हनुमान जी ने साफ़ कह दिया कि मुझे राजनीति से दूर रखो वरना मैं तुम्हारी लंका भी फूंक दूंगा। उन्होंने संजीवनी बूंटी के लिए पहाड़ उठाने से साफ़ इंकार कर दिया।*😇
                  *"बड़े बेआबरू होकर तेरे कूंचे से हम निकले" ।कांग्रेस मुक्त मुल्क की परिकल्पना ने अब राष्ट्रवादी  नेताओं को समझा दिया है कि प्रजातांत्रिक देश में जातियों को बांट कर राज करने की परिपाटी चलने वाली नहीं।।*😣   
                  *मोदी जी के चेहरे पर चुनाव लड़ा तो जा सकता है मगर जीता नहीं जा सकता। यह कर्नाटक के वोटर्स ने देश के जुड़वां नेतृत्व को बता दिया है। डबल इंजन पटरी से उतर गया है।*🥱
               *हनुमान चालीसा पढ़ने वालों को हनुमान जी ने बता दिया है कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम को राजनीति में इस्तेमाल करना उनको अच्छा नहीं लगा। उन्होंने हवा बदल दी। पवन सुत ने बता दिया कि वह "यूज़ एंड थ्रो" वाली बाजारू चीज़ नहीं। उनके नाम और वज़ूद को इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।*🤨
                *कर्नाटक में भाजपा के सारे एजेंडे खोखले हथकण्डे साबित हुए और अब राजस्थान में पुराना खेला होगा। यहां भी करेला नीम पर चढ़ाया जा रहा है। केरल वाली फ़िल्म राजस्थान में दिखा कर भाजपा हिंदुओं को पोलेराइज़्ड करने में व्यस्त है मगर क्या हिन्दू मुसलमानों के बीच नफ़रत पैदा करने से कोई पार्टी लंबे समय तक सत्ता में रह सकती है❓️यह सवाल यहां विक्रमादित्य की पीठ पर बेताल बन कर लटक गया है।*🫢
                *राहुल गांधी को "पप्पू"  कह कर मज़ाक उड़ाने वालों को अब समझ में आ गया होगा कि कर्नाटक में कौन पप्पू सिद्ध हुआ❓️🤪*
                 *दोस्तों! जो लोग मुझे लागातार पढ़ रहे हैं वह मेरे ब्लॉग्स की सच्चाई से पूरी तरह से वाकिफ़ हैं। मैं लगातार कहे जा रहा था कि कर्नाटक में भाजपा को "करंट वाले हनुमान जी " के साक्षात दर्शन हो जाएंगे।*😇
             *राजस्थान के चुनाव सर पर हैं। बिजली के तार पर गीले कपड़े सुखाए जा रहे हैं।भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के नेता अपने अपने हाईकमान को मज़ा चखाने के मूड में हैं। कांग्रेस में सचिन पायलट ने ख़ुद के सामने हाईकमान को बौना सिद्ध करने की शपथ खा ली है। धरने और पद यात्रा (पद के लिए यात्रा) से आतंकित कर रखा है। अशोक गहलोत इस्तीफों जैसे तेवरों से डरा धमका रहे हैं। उधर भाजपा हाईकमान वसुन्धरा के क़द को कम करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही। कांग्रेस तो कांग्रेस भाजपा भी उनको मिट्टी में मिलाने के सारे इंतज़ाम कर चुकी है। सचिन और गहलोत इन दिनों वसुंधरा के विरुद्ध जिस तरह से आरोपों की तलवारें हवा में घुमा रहे हैं उसपर अब विराम लगने का वक़्त आ गया है।*🤷‍♂️
                 *मैं कई सालों से बराबर लिख रहा हूँ कि मूर्खों!! वसुंधरा को हलवा मत समझो!उनको निगलना आसान है!  हज़म करना बहुत मुश्किल!*😫
             *मोदी और शाह के इशारों पर नड्डा और पूनिया  उनके पर कतरने का जो मुहीम छेड़े हुए थे क्या वह अब क़ायम रह पायेगा????❓️😴* 
                      *बराबर कहा जा रहा था कि मोदी जी के चेहरे पर ही राजस्थान का चुनाव लड़ा जाएगा। किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया जाएगा।*🙄
                       *कर्नाटक में मोदी जी ने अनावश्यक रूप से अपने अंतरराष्ट्रीय चेहरे पर चेचक के दाग लगवा लिए हैं।मात्र 65 सीट्स! ये भी तब जब मोदी जी ने अपना सर्वस्व दांव पर लगा दिया । बजरंग बली तक को मैदान में उतार दिया!ज़रा सोचो कि यदि मोदी जी चुनाव में सीधे तौर पर नहीं उतरते ! हनुमान और केरल स्टोरी को चुनावों में नहीं उतारा जाता तो कितनी सीट्स भाजपा को मिलतीं❓️😨*
                            *दस बीस सीट्स पर सिमट जाती बेचारी राष्ट्रवादी पार्टी!*🤦‍♂️
               *मित्रों! कर्नाटक चुनावों के बाद मोदी जी और अमित शाह की बुद्धि ठिकाने आ गई होगी। उम्मीद है कि इस बार राजस्थान में अश्वनी वैष्णव! ओम बिड़ला! भूपेंद्र यादव! गजेन्द्र सिंह शेखावत!या ऐसे और कोई आयातित नाम राजस्थान में नहीं उतारे जाएंगे।*❌
                         *मोदी जी अपना चेहरा भी चुनाव में नहीं उतारेंगे! हनुमान जी को भी दांव पर नहीं लगाएंगे। इस बार किसी प्रांतीय और चर्चित लोकमान्य चेहरे को ही सामने रखा जाएगा!*💁‍♂️
                *मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं कि वसुंधरा पर लाख तोहमतें लगा दी जाएं मगर उनके आभामंडल को अंधियारे में धकेल कर भाजपा कर्नाटक जितनी सीट्स भी नहीं ला पाएगी। किसी भी यज्ञ में स्थानीय देवता का आव्हान किये बिना काम नहीं चलता।*😒
               *यहाँ दो टूक सत्य यही है कि भाजपा को अगले चुनावों की बांगडोर वसुंधरा को ही सौंपनी पड़ेगी। लाख कमियों को गिनाने के बावज़ूद।*💯
               *इधर कांग्रेस के हौंसले बुलंद है। राहुल, प्रियंका और खड़गे की जयजयकार हो रही है। ज़ाहिर है कि अब कांग्रेस हाईकमान वास्तव में अपनी ताक़त को पहचानेगा।गहलोत और सचिन की हिमाक़तों पर तत्काल ब्रेक लगाएगा। इन दोनों नेताओं की हठधर्मिता! बड़बोलेपन!और अनचाहे ठसके पर लगाम लगाएगा!*👍  
                 *इन दोनों नेताओं की आपसी कलह ने जीते हुए चुनाव को भाजपा के सामने पत्तल सजा कर परोसने का बंदोबस्त कर रखा है। अब और उनका खेल नहीं चलने वाला!*🤨
                   *सचिन और गहलोत दोनों को पार्टी का  "एसेट्स बताने वाले राहुल गांधी को अब अहसास हो गया होगा कि ये दोनों ही नेता पार्टी के "एसेट्स" नहीं "अपसैट्स" हैं। दोनों ही आत्ममोह में पागल हो रखे हैं। पार्टी से अपने आपको ज़ियादा ही बड़ा समझ रहे हैं।*😣
                 *राहुल गांधी अब तक कर्नाटक की लड़ाई जीतने में व्यस्त थे और ये दोनों चल संपत्तियां (एसेट्स) ये समझ रही थीं कि पार्टी उनकी जेब में रखा ख़ाली पर्स हैं।*🤪
                       *मुझे पता है कि अब क्या होगा❓️अंतिम बार दोनों एसेट्स को ख़ाल में रहने की हिदायत दी जाएगी।ख़ास तौर से सचिन को। मुझे यह भी मालूम है कि सचिन की मुख्यमंत्री बनने की तलब इतनी आसानी से समाप्त नहीं होगी।यह कीड़ा अपनी कुलबुलाहट नहीं छोड़ पाएगा। इस कीड़े की प्रजाति ही कुछ टिपिकल टाइप की है।*😟
                   *इधर अशोक गहलोत किसी भी क़ीमत में टिकिटों के बंटवारे का दायित्व किसी और को नहीं देना चाहेंगे। हाईमान यह अधिकार अपने हाथ में रखना चाहेगा।टिकिट खड़गे और राहुल बांटेंगे। सचिन के लोगों को पर्याप्त टिकट देने के लिए आश्वस्त किया जाएगा ताकि  वह पार्टी में ही रहने को तैयार हो जाएं।*🙋‍♂️
                       *यदि उन्होंने राहुल को आंखे दिखाईं तो वह सियासत की चरागाह में धक्का देकर छोड़ दिए जाएंगे।*💯
                       *अब भाजपा में वह होगा जो प्रदेश के नेता चाहेंगे और कांग्रेस में वह होगा जो राहुल चाहेंगे। 👍इति श्री राजनीतिक रामायनम द्वितीय अध्य्याय: समाप्त:।🙏*
[5/16, 12:37 PM] +91 98292 71388: *‼️कुर्सी विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग‼️*🤪

               *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

                      *"बेरोज़गार युवाओं के पाँवों के छालों की कसम! अब मैं पीछे हटने वाला नहीं!" यह हुंकार भरने के साथ फ़िलहाल कांग्रेस के होनहार नेता सचिन पायलट ने हाईकमान के गले में घण्टी और गहलोत की नाक में नकेल डाल दी है। वह पीछे नहीं हटेंगे! यानि मुख्यमंत्री बनाए जाने तक वह चुप नहीं बैठेंगे! दौड़ते रहेंगे। किसी को हड़का दो तो वह चुप नहीं बैठता। तो क्या सचिन जी हड़का दिए गए हैं।*🤔
             *उनकी अजमेर से जयपुर तक कि पद यात्रा क्या सिर्फ़ किसी ख़ास पद को पाने  के लिए पांव के छालों में तब्दील हुई है❓️❓️😳*
                        *सचिन ने गहलोत जी को तीन सूत्री मांग पत्र धमकी भरे अंदाज़ में ज़ारी किया है। तीनों में से एक भी मांग गहलोत नहीं मानेंगे यह तय है। यदि उनमें इतनी ही सदाशयता होती तो वह इतने जादू और टोने टोटके नहीं करते!*😟
               *पता नहीं कौनसा मौसम चल रहा है सियासत के गलियारों में कि त्याग तपस्या या समर्पण भाव किसी भी पार्टी के किसी भी नेता में नहीं!पद लोलुपता सियासत की पहली पहचान बन चुकी है। कांग्रेस और भाजपा दोनों की पार्टियों का हाईकमान इन सत्ता लोलुपता के सामने घुटने टेकते नज़र आ रहा है।*🫢
                 *उधर कर्नाटक कांग्रेस में सिद्दारमैया और डी के शिवकुमार के बीच यही पद लोलुपता तलवारें खींच कर बैठी है इधर राजस्थान कांग्रेस में गहलोत और सचिन दोनों पार्टी से पीठ रगड़ कर खुजली मिटा रहे हैं।*😇
                      *किसी संत कवि ने कभी कहा था कि "चंदन विष व्यापे नहीं,लिपटे रहत भुजंग" मगर आधुनिक कवि होने के कारण मैं इसमें मात्र एक शब्द का सुधार करना चाहूंगा!  "कुर्सी विष व्यापे नहीं,लिपटे रहत भुजंग"।*👍
                    *कुर्सी चाहें विधानसभा की हो ! संसद की हो! सरकारी या गैरसरकारी दफ़्तरों की हो!  कहीं कोई कुर्सी ज़हर के घेरे में नहीं आ पा रही। भुजंगों की लपलपाती जीभें उनका कुछ बिगाड़ नहीं पा रहीं।*😴
                  *अभी आज ही कुछ ख़बरें इधर उधर से पढ़ने को मिलीं। सचिन पायलट ने  पूर्व मुख्यमंत्री वसुधंरा जी के कथित भ्रष्टाचार को लेकर जो लड़ाई छेड़ रखी है उसके संदर्भ में भी!*
                 *विधायक चेतन डूडी ने सचिन की चिंताओं का यह कह कर मज़ाक उड़ाया है कि सचिन को वसुंधरा जी के घोटाले तो दिखाई दे रहे हैं अपने मानेसर मित्र गजेंद्र सिंह का संजीवनी घोटाला नज़र नहीं आ रहा। इस घोटाले में करोड़ों के घपले हुए और सैंकड़ो परिवार बर्बाद हो गए।*🥱
                *डूडी जी की बात पर सचिन जी को गंभीरता से गौर फ़रमाना चाहिए। उनको अपने चाकसू विधायक वेद प्रकाश सौलंकी जी की थाने में दर्ज़ एफ आई आर पर भी गौर करना चाहिए क्यों कि उन पर एक महिला के साथ कथित जालसाज़ी का आरोप है।सौलंकी जी तो मानेसर के बाड़े बंदी में भी सचिन की टीम में थे। क्या उनका यह कृत्य भ्रष्टाचार के दायरे में नहीं आता❓️🙄*
                 *गहलोत सरकार को सचिन पायलट ने 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है। एक पखवाड़े के बाद वह क्या करेंगे यह उन्होंने नहीं बताया! क्या गहलोत के ख़िलाफ़ उनके पास कोई पोलिटिकल सर्जीकल स्ट्राइक का प्लान है❓️😨*
                  *नकारा और निकम्मेपन की पदवी प्राप्त करने के बाद यदि सचिन ने गहलोत को मज़ा नहीं चखाया तो समझा जाएगा कि जो गहलोत ने उनके लिए श्रद्धा सुमन अर्पित किए थे वह ग़लत नहीं थे।*😇
                   *इधर अब आ जाईये भाजपा के राजनीतिक क्रंदन पर। इस बार वसुंधरा जी ने इशारों इशारों में गहलोत के साथ अतिरिक्त सामान्य सम्बंध पर भी सफ़ाई दी है। बिना गहलोत का नाम लिए उन्होंने खाचरियावास गाँव में आयोजित भैरोंसिंह जी की पुण्यतिथि के अवसर पर भाषण दिया। उन्होंने कहा कि शेखावत जी ने उम्र भर विपक्षी नेताओं से दिली रिश्ते रखे।उन्होंने उस समय का ज़िक्र किया जब वह मुख्यमंत्री थे और कांग्रेस के बुजुर्ग नेता हरिदेव जोशी अस्पताल में भर्ती हुए। शेखावत उनसे मिलने रोज़ अस्पताल जाते थे। चिकित्सकों को समुचित इलाज़ के लिए निर्देश देते थे। एक बार तो जोशी जी ने उनसे मिलने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय आने का समय मांगा तो वह सारे काम छोड़ कर जोशी जी के घर पहुंच गए। उस समय की सदाशयता में घटिया सोच शामिल नहीं था।*❌
                     *ज़रा कल्पना करें कि आज यदि मुख्यमंत्री गहलोत वसुंधरा से मिलने उनके निवास पर पहुंच जाएं या वसुंधरा जी कोरोना के समय गहलोत के हालचाल पूछने चली जातीं तो क्या होता❓️कितने ही भुजंग फुंफकारने लगते?*🙄
                    *आज की राजनीती में इतना ज़हर घुल गया है कि सदाशयता या सुचिता जैसी कोई चीज़ शेष ही नहीं बची है। बड़े दिल वाले राजनेताओं की प्रजाति ही विलुप्त हो चुकी है। कांग्रेस के राहुल या प्रियंका हों या भाजपा के जुड़वां नेता मोदी और शाह!सभी गांठ बांध कर चलने की कला में पारंगत हैं।*🙋‍♂️
                    *कर्नाटक में आज मुख्यमंत्री की राजगद्दी का फ़ैसला हो जाएगा। फ़ैसला तो हो जाएगा मगर पद लोलुपता का खेल समाप्त नहीं होगा। सिद्धरमैया और डी.के. के बीच वही सचिन गहलोती युध्द शुरु हो जाएगा। हाई कमान ! बेचारा फिर "शीशा हो या दिल हो" वाला गाना शुरू कर देगा। एक को मनाऊं तो दूसरा रूठ जाता है।*😕
               *दोस्तो! सियासत अब दुश्मनी का पर्याय बन चुकी है। युध्द के भी कुछ नैतिक नियम होते हैं मगर आज राजनीती में नियमों या नैतिकता के कोई मायने नहीं होते। ब्लो बैल्ट हमले तो अब फ़ैशन बन चुके हैं।*😒
                      *मगर.....इस बुरे मौसम की अवधि बहुत ज़ियादा नहीं! देख लेना आखिर सुचिता ही आम आदमी को प्रभावित करेगी। जो ज़हर इंसानियत की रगों में घोला जा रहा है वह आखिर अपना असर खो देगा। आमीन।ततास्तु!*🙋‍♂️
[
 *‼️सत्ता की भूख!  राजस्थान को किस मोड़ पर ले आई है?‼️*🤔

_*कांग्रेसी लोंग, इलायची सुपारी लेकर अपने ही दल को दलदल बना रहे है!*_🤦‍♂️

_*और कमल दलदल में ही खिलता है!!*_🪷

              *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

                 *"जीरो परसेंट टॉलरेंस" । यानि कुछ भी सहन नहीं किए जाना। इन तीन शब्दों की जुगाली राजस्थान कांग्रेस के छोटे बड़े नेता सब बड़ी आन बान और शान के साथ कर रहे हैं ,मगर मज़ेदार बात यह है कि "हंड्रेड परसेंट टॉलरेंस"  तक पहुंचा जा चुका है। जिसे देखो ज़ुबान पर ज़ीरो परसेंट भी कंट्रोल नहीं कर पा रहा। मचक मचक कर बक़वास किये जा रहे हैं। चारों तरफ से आरोपों और प्रत्यारोपों की बारिशें हो रही हैं। हाईकमान इतना लुल्लु तो कभी नहीं बना था।*🫢
                    *कर्नाटक के चुनावों की व्यस्तता का रोना रोते हुए सोनिया, राहुल, प्रियंका, खड़गे ,रन्धावा एंड हिज कम्पनी पूरी तरह राजस्थान के बेशर्म नेताओं की हठधर्मिता और मनमानी का गवाह बन चुकी है। जैसे मवेशियों का कोई हांकने वाला नहीं हो।*😴
                  *बकरे बकरियां बके जा रहे हैं। गाय भैंसे चरे जा रही है। अब तो हाल यह है कि मवेशी अपने ही खेतों में मुँह मार कर ,चुनावी फसलें चौपट कर रहे हैं। किन हालातों में कर्नाटक के युध्द को जीता गया है यह भूल कर राजस्थान में नेता सत्ता में वापसी के दावे कर रहे हैं। आत्मघाती मानव बमों में तब्दील हुए राजनेता अब तो जनता में मज़ाक बन कर रह गए हैं।*😟
                *आम आदमी भी अब तो अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहे वाक युद्ध पर तंज कसने लगा है। गहलोत की जनहित की सारी योजनाएं धरी रह जाएंगी यदि सचिन और गहलोत के बीच छिड़ा यह युध्द समाप्त नहीं हुआ। यह सफ़ेद सच जनता!मीडिया!विपक्ष !सब जान रहे हैं मगर कांग्रेसी नहीं समझ पा रहे।*😔
                  *पहले तो यह समझा और कहा जा रहा था कि कर्नाटक चुनावों के बाद हाईकमान कठोर फ़ैसले लेगा मगर अद्भुत चुनाव परिणाम हांसिल करने के बावज़ूद राजस्थान को अखाड़ेबाजों के हाथों में सौंप दिया गया है।*🤨
                   *गहलोत और सचिन दोनों पार्टी के एसेट्स हैं यह भ्रम पाल कर बैठा हाईकमान इस ग़लतफ़हमी से मुक्त नहीं हो पा रहा। दोनों "एसेट्स" जीती हुई बाज़ी को हारने पर आमादा बैठे हैं। अब तो दोनों क्षत्रपों के तरफदार भी मैदान में उतर गए हैं।*💁‍♂️
                 *कोई सचिन की शान में क़सीदे पढ़ रहा है तो कोई गहलोत के गीत गा कर उनको महान अशोक सम्राट सिद्ध कर रहा है। सचिन के पक्ष में तो भाजपा के नेता भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे।जैसे उन्होंने ही सचिन को इलायची दे रखी हो। गहलोत के एक अनुयायी सुभाष गर्ग ने तो ट्वीट करके इशारे इशारे में भाजपा द्वारा सचिन को सुपारी देने के बयान दे दिए हैं।*🫢
                  *मुझे तो लगता है कि हर कांग्रेसी नेता जैसे लोंग इलायची सुपारी लेकर पार्टी का दुश्मन बन हुआ है। महेश जोशी कह रहे हैं कि गहलोत सरकार जीरो परसेंट टॉलरेंस की नीति पर चल रही है। सचिन को अपनी ही सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने से पहले सोचना चाहिए कि जिस पर आरोप लगाए जा रहे हैं वे सब पार्टी के बाहर के नहीं अंदर के लोग हैं।*😒
               *मामा महेश जोशी जी! यह बात ज़रा आप अपने मुखिया जी को भी समझा देते!उनको भी बता देते कि करोड़ों रुपये विधायकों द्वारा मानेसर में भाजपा से लिये जाने के आरोप वह अपने ही विधायकों पर लगा रहे हैं! यदि यह कृत्य हुआ भी तो उन्होंने संयम से काम क्यों नहीं लिया!!!???*🙄
                    *क्यों उन्होंने पार्टी की भद्द उड़वाई❓️क्यों सचिन की गर्दन पर फीता लगा कर नाप दिया❓️*😣
                       *अब चेतन डूडी जी अलग अपना राग अलाप रहे हैं। वह सचिन के गले में गजेंद्र सिंह जी की संजीवनी बूटी डाल रहे हैं। कह रहे हैं कि सचिन और उनकी दोस्ती मानेसर से है तभी उनका घोटाला सचिन को नज़र नहीं आ रहा।*😳
                  *मंत्री राम लाल जाट कह रहे हैं कि पेपर लीक मामले में जितने भी अपराधी कांड में शामिल थे एक एक करके सब जेल के सींकचों में हैं। आर पी एस सी के सदस्य तक को जेल पहुंचा दिया गया है। क़ानून किसी को नहीं बख़्श रहा। जाट साहब यह कह कर पेपर लीक कांड से पैदा हुई स्थिति को भूल रहे हैं। युवाओं के चौपट हुए भविष्य पर इतनी आसानी से पीछा छुड़ा रहे हैं।*😉
                          *प्रताप खाचरियावास उनसे दो क़दम आगे हैं। वह आह भी भर रहे हैं वाह भी कर रहे हैं। मंत्री रह कर सारे सुख भी उठा रहे हैं और सरकार पर सवाल भी!! वाह जी वाह!! कभी सचिन के लूम जाते हैं कभी गहलोत के! कोई स्थायित्व ही नहीं! अरे भाई यदि गहलोत सरकार नकारा निकम्मी और इतनी ही भ्रष्ट है तो आप उसमें मंत्री क्यों बने हुए हो❓️ऐसी निकम्मी सरकार का पल्लु क्यों नहीं छोड़ रहे❓️❓️😴*
                      *कमाल की बात है कि ऐसे कई मंत्री और नेता अशोक गहलोत सरकार की नाव में बैठे हैं जो नाव के छेदों की तरफ इशारा कर रहे हैं मगर नाव से उतर नहीं रहे।पर्यटन राज्य मंत्री मुरारी लाल मीणा हों या ऐसे ही कई मंत्री  जो सत्ता का सुख भी भोग रहे हैं और सत्ता को गालियाँ भी बक रहे हैं।*🥱
                *आज यदि सचिन को इस कथित भ्रष्ट सरकार का मुखिया बना दिया जाए तो वह ख़ुश हो जाएंगे! उनके सारे मतभेद ख़त्म हो जाएंगे!*😕
                      *क्या सचिन इस बात के लिए जनता को आश्वस्त कर सकते हैं कि यदि आज उनको मुख्यमंत्री बना दिया जाए तो क्या वह अपनी तीनों मांगे पूरी कर देंगे जो उन्होंने गहलोत के सामने रखी हैं❓️😨*
                 *मित्रों! सत्ता लोलुपता में अंधी हो चुकी राजनीति राजस्थान का वर्तमान बनी हुई है। सभी राजनीतिक दलों में सत्ता हथियाने की होड़ मची हुई है।बेचारी जनता जब किसी पार्टी पर विश्वास करके उसे राजगद्दी सौंपती है तब उसकी उम्मीदें पवित्र होती हैं और जब सत्ता में बैठे लोग उस पवित्रता को गंदी नालियों में बहाने लगते हैं तो वह अपने आपको ठगा हुआ महसूस करती है।*😫
                 *राजस्थान में यह क्रम सिलसिले वार चल रहा है।इस बार ये अगली बार वो। फिर वो फिर ये। हर बार जनता परिवर्तन करके अपनी ग़लती सुधारना चाहती है और हर बार वह फिर ग़लती कर बैठती है।देखते हैं इस बार की ग़लती किसे सत्ता में लाती है❓️😇*

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