कर्जदार हम जैसे गरीब कभी नही होते है कर्जदार वे होते है जो हकाम का सफर करके भी पैसे नही देते है कर्जदार वे होते है जो छल कपट हिंसा गालियो दबंगई होशियारी चालाकी गुंडई से धन अर्जित करते है कर्जदार वे होते है
जो कानून का उलंघन करके धन बटोरते है कर्जदार वे होते है जो अपने वचनो को दूशित करते है झूठ बोल करके मक्कारी गाली गलौच करके किसी का सुकून छीन करके धन हड़प करके चोरी बेईमानी करके कर्जा मोल ले लेते है जिसमे खाकी की अधिक ही मुख्य भूमिका रही है और आज भी है हराम की रकम व सवारी करके किराया ना देने की दिन भर मे न जाने खाकी हराम की कितने सवारी करते है पैसे मांगो तो रौब दिखाते है वर्दी का कलंकित करके रख दिया है खाकी को यदि
कोई ना किरा़ा मांगे तो क़्ा खाकी का ये फर्ज नही बनता है कि बिन मांगे एक गरीब का उसका हक दे दिया जाए परंतु नही भई ये तो कानून के रखवाले है तौहीन जो हो जाएगी खाकी की कि एक वर्दी वाले ने किसी चीज का पैसा दे दिया फिर खाकी
वर्दी की क्या एहमियत रह जाएगी
आल कल यही हो रहा है और दावा ये है कि प्रशासनिक सुधार हो चुका है भविष्य मे गरीब का ये धन कैसे चुकाएंगे कुछ पता नही परंतु जैसा भी सुधार हो रहा है बहुत ही अच्छा हो रहा है किसी गरीब को ये अधिकार तक नही है है कि वो अपना पैसा खाकी से मांग सकें ऐसा कोई ना नियम है ना कानून है क्योकि यदि पैसा मांगा तो समझो गया व्यापार खाई मे किसी ना किसी धारा मे धर देंगे
जिसका ना कोई सबूत होगा ना कोई गवाह अधिकतर लोग ऐसे ही भयवश व्यापार करने पर विवश है और खाकी अनन्य कर्जो
से लदती चली जा रही है कल अधिक तो वर्तमान मे भ्रष्टाचार व्याप्त है फिर किसी को भविष्य की चिंता क्या करना जो होगा देखा जाएगा ओउम नमः शिवायः
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