Thursday, 22 February 2024

यह 16वीं सदी का दौर था। इटली में एक व्यक्ति रहा करता था। यह व्यक्ति एक दार्शनिक था, एक गणितज्ञ था और एक वैज्ञानिक था। सबसे बढ़कर यह सत्य का खोजी था। लेकिन कभी कभी सत्य की खोज करना व्यवस्था को रास नहीं आता। क्योंकि सत्य अकसर ही यथास्थिति को चुनौती दे डालता है।

यह 16वीं सदी का दौर था। इटली में एक व्यक्ति रहा करता था। यह व्यक्ति एक दार्शनिक था, एक गणितज्ञ था और एक वैज्ञानिक था। सबसे बढ़कर यह सत्य का खोजी था। लेकिन कभी कभी सत्य की खोज करना व्यवस्था को रास नहीं आता। क्योंकि सत्य अकसर ही यथास्थिति को चुनौती दे डालता है।

इस व्यक्ति का नाम था ब्रूनो। ब्रूनो रात्रि आकाश को निहारना पसंद करता था। वह घंटों तक सितारों का अवलोकन करता रहता था। उस समय यूरोप में कॉसमॉस का ज्ञान प्राचीन रोमन व ग्रीक विचारों  पर आधारित था, खासतौर पर टॉलमी व अरस्तु के विचारों पर। टॉलमी के मॉडल के हिसाब से पृथ्वी पूरी कॉसमॉस का केंद्र थी। सभी आसमानी पिंड, चाँद, सितारे, सूरज सब के सब पृथ्वी की परिक्रमा करते थे।

पृथ्वी को केंद्र मानने वाला यह मॉडल प्राचीन काल के ज्ञान विज्ञान व तकनीकी की सीमाओं पर आधारित था क्योंकि आसमान के पिंडों की गति सामान्य तौर पर ऐसी ही लगती है कि मानो वे पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हों।

उन दिनों यूरोप में कैथोलिक चर्च का बोलबाला था, खासतौर पर रोम व इटली में। टॉलमी का यह मॉडल चर्च व उस समय की यूरोप की सामाजिक राजनीतिक व्यवस्था यानी सामंतवाद के अनुकूल था। चर्च का मानना था कि ईश्वर ने पृथ्वी को अपनी सृष्टि के केंद्र में रखा है। ठीक वैसे ही जैसे राजा या सम्राट राज्य व्यवस्था के केंद्र में होता था।

इस दृष्टिकोण को कोई भी चुनौती सीधे तौर पर चर्च और उसकी सत्ता को चुनौती थी। अगर कोई ऐसा करता तो उसके लिये सिर्फ एक ही सजा निर्धारित थी। मौत की सजा। लेकिन ब्रूनो ने ठीक वही किया। ब्रूनो ने ब्रह्माण्ड का एक नया मॉडल प्रस्तुत कर दिया, 
जिसके केंद्र में पृथ्वी की बजाय सूर्य था।

हालांकि यह मॉडल बिलकुल ही नया नहीं था लेकिन इससे पहले किसी की हिम्मत ही न हुई कि चर्च के खिलाफ बोल सके। ब्रूनो ने यह घोषणा करके चर्च को आग बबूला कर दिया। हालांकि सूर्य भी ब्रह्माण्ड का केंद्र नहीं है लेकिन ब्रूनो के समय में यह भी पुराने विचारों व सत्ता को चुनौती ही थी। साथ ही इसने सदियों से जकड़े हुए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को आगे बढ़ने का मार्ग दिखाया था।

 यह एक रेडिकल विचार था जिसने उस समय व्याप्त विश्व दृष्टिकोण की चूलें हिला दी थी। ब्रूनो ने बताया कि धरती स्थिर नहीं है बल्कि सूर्य के चक्कर लगाती है। चर्च ने ब्रूनो को कहा कि वह अपनी जबान बंद रखे। ब्रूनो ने इंकार कर दिया। उसने कहा कि वह सत्य का रास्ता नहीं छोड़ेगा। उसका मानना था कि परिवर्तन अवश्यंभावी है। यह एक खतरनाक विचार था। चर्च ने उसे धमकियाँ दी, प्रलोभन दिये लेकिन वह टस से मस नहीं हुआ। 

उसने अपने साथी नागरिकों को प्रेरित किया कि वे भी पुराने व गलत विचारों का परित्याग करें व सत्य और विज्ञान के रास्ते पर चलें।

1600 ईस्वी में ब्रूनो को गिरफ्तार कर लिया गया। उस पर ईश निंदा व विधर्म का आरोप लगाया गया। ब्रूनो ने अपने मुक़दमे की खुद पैरवी की और सभी आरोपों की धज्जियाँ उड़ा दी। लेकिन इसके बावजूद ब्रूनो को दोषी घोषित कर दिया गया और उसे जिंदा जला डालने की सजा सुनाई गयी।
17 फरवरी 1600 यानी आज के दिन उसे जिंदा जला दिया गया।

तो क्या ब्रूनो सच में हार गया था? बिलकुल भी नहीं। ब्रूनो भले ही आग में जल गया हो लेकिन उसके विचारों की लौ जलती रही। आज सम्पूर्ण जगत यह मानता है कि धरती ब्रह्माण्ड का केंद्र नहीं है। ब्रूनो ने सत्य व विज्ञान के लिये शहादत दी थी।

उसकी कहानी हमें याद दिलाती है कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण कितना महत्वपूर्ण है। यह भी कि सत्य और परिवर्तन का रास्ता मुश्किलों से भरा होता है। यह भी कि किसी भी तरह की मुश्किल में सत्य का रास्ता नहीं छोड़ना चाहिये।

यह हमें बताती है कि दुनिया सतत परिवर्तनशील है। परिवर्तन अवश्यंभावी है। पुराने विचारों, पुरानी व्यवस्थाओं को नए के लिये मार्ग प्रशस्त करना ही होगा। लेकिन यह मार्ग कुर्बानियां भी मांगता है।

यह कहानी हमें अज्ञान व असहिष्णुता के खतरों से भी अवगत करवाती है। साथ ही यह भी बताती है कि ज्ञान व सच की हर हाल में रक्षा करनी चाहिये। यह हमें व्यवस्था पर सवाल उठाने, रूढ़िवाद को चुनौती देने और बदलाव का समर्थन करने की प्रेरणा देती है। 

तो आइये ब्रूनो को याद करें, उसकी शहादत को सम्मान दें। साथ ही यह संकल्प लें कि हम अपने में और अपनी आने वाली पीढ़ियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करेंगे। अपने बच्चों को रूढ़िवाद व अंधविश्वास से दूर रखेंगे। उन्हें सवाल उठाना सिखाएंगे।

साभार : डॉक्टर नवमीत

#इतिहासनामा #history #india

तस्वीर में बस की रूट को देखकर आपके मन में 2 तरह के सवाल आ रहे होंगे: क्या यह फोटो रियल है?

तस्वीर में बस की रूट को देखकर आपके मन में 2 तरह के सवाल आ रहे होंगे: क्या यह फोटो रियल है?
 
और अगर रियल है तो क्या सच में कलकत्ता से लंदन तक की बस आखिरकार चलती थी? हाँ दोस्तों, ये फोटो और ये तथ्य बिल्कुल सही हैं। कि आप एक ज़माने में!! मतलब "1957 से लेकर 1976 तक आप कोलकाता से लंदन सिर्फ़ एक बस के ज़रिए जा सकते थे और यह दुनिया का सबसे लॉन्गेस्ट बस रूट है, और है मैं इसलिए कह रही हूँ क्यूंकि आज भी कोई ऐसी बस सेवा नहीं जो की इतनी लम्बी जर्नी प्रदान करती हो।

मध्यवर्ती सारी यात्रा आवश्यकताएँ बस में उपलब्ध थीं जैसे स्लीपिंग बंक्स, रेडियो, वॉशरूम, रसोई और तकनीकी सालून लेकिन ये सेवा किसी इंडियन या ब्रिटिश कंपनी की नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलिया के अल्बर्ट टूर्स कंपनी के तरफ़ से शुरू की गई थी जो कोलकाता के धर्मतोला से शुरू होकर बनारस, दिल्ली, पाकिस्तान, बल्गारिया, होती हुई इंग्लैंड पहुंचती थी। 

और यह कुल मार्ग 32000 किलोमीटर लंबा था, आपकी संदर्भ के लिए पृथ्वी का एक गोल चक्कर लगाने में आपको लगभग 40000 किलोमीटर लगेंगे, इसलिए यह लगभग 50 दिन की लंबी यात्रा होती थी। पर इस बस सेवा को 1976 में बंद करना पड़ा क्योंकि ईरान में कुछ समस्याएं और भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के कारण।

वैसे आज के दिन में आप ऐसी बस यात्रा पर जिसके साथ जाना चाहोगे उसे टैग ज़रूर करें।

 #history #thebuffmedia #thehistorybuff #india

माघी की पूर्णिमा और संत रविदास जयंती माघ महीने की पूर्णिमा अत्यंत ही पवित्र मानी जाती है वैसे तो सनातन धर्म में हर एक पूर्णिमा पवित्र और विशिष्ट होती है लेकिन माघ माह की पूर्णिमा का एक अलग ही महत्व है इस महीने की पूर्णिमा बसंत ऋतु में पडती है और उसके तुरंत बाद फागुन महीना शुरू हो जाता है कहावत है ठंडी हवा मग में चलती पाला पड़ता खेती जलती माघ महीने की पूर्णिमा के दिन माना जाता है कि देवता और दिव्य शक्तियां गंगा नदी में स्नान करने आते हैं इस दिन गंगा नदी में स्नान करना परम पवित्र और पुणे फलदाई होता है लेकिन अगर ऐसा संभव न हो तो किसी भी नदी तालाब झील झरने पर या घर गंगाजल मिलाकर स्नान करने पर भी महान पूर्ण फल की प्राप्ति होती है*

*माघी की पूर्णिमा और संत रविदास जयंती माघ महीने की पूर्णिमा अत्यंत ही पवित्र मानी जाती है वैसे तो सनातन धर्म में हर एक पूर्णिमा पवित्र और विशिष्ट होती है लेकिन माघ माह की पूर्णिमा का एक अलग ही महत्व है इस महीने की पूर्णिमा बसंत ऋतु में पडती है और उसके तुरंत बाद फागुन महीना शुरू हो जाता है कहावत है ठंडी हवा मग में चलती पाला पड़ता खेती जलती माघ महीने की पूर्णिमा के दिन माना जाता है कि देवता और दिव्य शक्तियां गंगा नदी में स्नान करने आते हैं इस दिन गंगा नदी में स्नान करना परम पवित्र और पुणे फलदाई होता है लेकिन अगर ऐसा संभव न हो तो किसी भी नदी तालाब झील झरने पर या घर गंगाजल मिलाकर स्नान करने पर भी महान पूर्ण फल की प्राप्ति होती है* 

*माघ पूर्णिमा को भगवान श्री विष्णु और माता श्री लक्ष्मी की पूजा होती है भगवान श्री विष्णु को पीले रंग की मिठाई और वस्त्र तथा माता लक्ष्मी को सफेद रंग की मिठाई चढ़ाई जाती है माघ महीने में सर्दी और गर्मी बराबर होती है इसके बाद गर्मी की ऋतु धीरे-धीरे बढ़ने लगते हैं माघ महीने को फसलों का समय कहा जाता है और माग की पूर्णिमा तक रवि की अधिकांश फैसले जैसे गेहूं मटर चना सरसों अरहर पकाना शुरू हो जाती हैं इसलिए भी इस पूर्णिमा का अपार महत्व है इस वर्ष माघ की पूर्णिमा 24 फरवरी शनिवार के दिन पड़ रही है और इसी दिन रविदास की जयंती भी है* 


*महान संत शिरोमणि भक्ति रविदास का जन्म भी रविवार के दिन माघ महीने की पूर्णिमा को हुआ था जिसके कारण इनका रविदास कहा जाता है जो बिगाड़ कर रविदास हो गया है कहीं कहीं इनका रोहिदास भी कहा गया है इनका जन्म परम पवित्र प्राचीनतम नगरी वाराणसी के सीर गोवर्धनपुर गांव में हुआ है जहां पर इनका एक भव्य मठ है और जहां पर भारत से ही नहीं पूरी दुनिया से लोग उनका दर्शन और पवित्र फल अपने शेयर गोवर्धनपुर गांव आते हैं जो वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन और वाराणसी बस अड्डे के पास ही स्थित है इनका जन्म 1376 ई को और मृत्यु 1540 ई को हुई थी इस प्रकार या 174 वर्ष जीवित रहे रविदास जी के पिताजी का नाम संतोष दास रग्घू और माता जी का नाम कर्मा देवी कलसा था उनके दादाजी कालूराम तथा दादी लखपत्ती देवी थी उनकी पत्नी का नाम श्रीमती लोना जी और पुत्र का नाम श्री विजय दास था भक्त कवि रविदास भी प्रख्यात वैष्णव संत रामानंद जी के शिष्य और कबीर जी के गुरु भाई थे* 


*कबीर दास जी ने इन्हें संत शिरोमणि कहा अनेक बड़े-बड़े राजा रानी उनके शिष्य थे जिनमें मीराबाई और मेवाड़ की महारानी का नाम उल्लेखनीय है अपनी शक्ति और भक्ति तथा साधना से रविदास जी परम सिद्ध हो गए थे और उन्हें अपने चर्मकार का काम और जूते बनाते हुए अपार हर्ष आनंद की प्राप्ति होती थी इनके बारे में अनेक चमत्कार पूर्ण कहानी हैं* 

*एक बार की बात है एक व्यक्ति गंगा स्नान के लिए जा रहा था उसने संत रविदास से भी गंगा स्नान करने की प्रार्थना किया तो रविदास जी ने कहा भाई मुझे समय पर जूता बना कर देना है यह सिक्का लो मेरी तरफ से गंगा मां को दे देना लौटते समय जब स्नान के बाद उसे व्यक्ति ने सिक्का गंगा मां में डालना चाहा तो भगवती गंगा स्वयं आकर अपने हाथों में उस सिक्के को ग्रहण की यह देखकर वह व्यक्ति भाव विभोर हो गया और रविदास जी को जब सारी बात बताया तो रविदास जी ने खुद उसके पैर छूकर कहा तुम भगवती गंगा का साक्षात दर्शन पाकर परम पवित्र हो गया हूं*

*इसी प्रकार एक बार की बात है एक अभिमानी राजा रविदास जी को सोने का कंगन दान किया रविदास जी ने उसे अपने चमड़ा भिगोने वाली कठौती में रख दिया यह देखकर राजा को बहुत क्रोध हुआ तब रविदास जी ने उनसे कठौती में हाथ डालकर अपना कंगन निकालने को कहा जब राजा ने कंगन निकलना चाहा तो उनके कंगन से भी शुद्ध और अत्यंत ही शानदार एक से बढ़कर एक कंगन भरे पड़े थे यह देखकर वह राजा लज्जित हो गया उनके लाखों शिष्य और उनकी यश कीर्ति देखकर एक मुस्लिम पीर उन्हें अपना शिष्य बने यह सोच कर आया कि इससे लाखों मुसलमान एक साथ हो जाएंगे लेकिन इसका उलटा हुआ जब वह उनके पास आया तो खुद अपने साथ और अपने सारे मुस्लिम शिष्यों के साथ वह हिंदू हो गया* 


*कबीर दास जी की तरह रविदास जी ने भी सनातन धर्म की अपार सेवा की और उसकी बुराइयों से मुक्त किया उच्च नीच के बंधन से निकाला और मानव मात्र की समानता का उपदेश दिया आज के मनुष्य और राजनेता और अधिकारी लोग अगर इसे कुछ शिक्षा लेते तो देश पूरे विश्व में सबसे आगे हो जाता* 


*एक बार की बात है कि एक नवविवाहिता महिला का कंगन गंगा में स्नान करते गिर गया वह महिला डर के मारे फूट-फूट कर रोने लगी तो किसी ने बताया कि संत रविदास जी परम दयालु हैं उनके पास जाओ तो शायद तुम्हारा कंगन मिल जाए इस पर वह महिला रोते-रोते संत रविदास जी के पास गई सारी बात सुनकर उन्होंने कहा कि जो गंगा नदी में कंगन खोया है तो वहीं मिलेगा और उसे महिला को महान आश्चर्य हुआ जब वह फिर से गंगा स्नान करने लगी तो वह कंगन उसको मिल गया* 


*संत रैदास ने देश को मुस्लिम आक्रमण और मुसलमान बनने की प्रक्रिया को चट्टान की तरह रोका और लाख प्रयास करने के बाद भी मुस्लिम शासक और मुस्लिम धर्म गुरु उनका कुछ बिगाड़ न पाए आज संत शिरोमणि महान भक्त रविदास जी को उनके जयंती पर कोटि-कोटि अभिनंदन और नमन है डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि*

ख़बर विशेष**ये है कुंवारों का गांव**शादी की उम्मीद में बूढ़ा गए लोग* *यज्ञ-हवन सब फेल,**इस कारण नहीं आती कोई महिला*

*ख़बर विशेष*
*ये है कुंवारों का गांव*
*शादी की उम्मीद में बूढ़ा गए लोग*
 *यज्ञ-हवन सब फेल,*
*इस कारण नहीं आती कोई महिला*
बिहार में एक ऐसा गांव है, जिसे कुंवारों का गांव कहते हैं. इस गांव में रहने वाले ज्यादातर मर्द शादी की उम्मीद में ही बूढ़े हो चुके हैं. सवाल ये उठता है कि आखिर इस गांव में किसी की शादी क्यों नहीं होती है? दुनिया में ऐसी कई जगहें हैं, जो अपनी अजीबोगरीब खूबी की वजह से मशहूर हो जाती हैं. कहीं का खाना मशहूर होता है, भारत में एक गांव हैं, जहां सिर्फ जुड़वा बच्चे पैदा होते हैं. इसी तरह से बिहार का एक गांव भी मशहूर है. लेकिन उसकी वजह मजेदार है. दरअसल, इस गांव को कुंवारों का गांव कहा जाता है. ऐसा नहीं है कि इस गांव में मर्दों को शादी करने का मन नहीं है. इनकी शादी ना होने की ख़ास वजह है. हम बात कर रहे हैं बिहार की राजधानी पटना से करीब तीन सौ किलोमीटर दूर स्थित बरवां कलां नाम के गांव की. इस गांव को कुंवारों का गांव भी कहा जाता है. इस नाम की ख़ास वजह है. दरअसल, इस गांव में पिछले पचास साल में शादियां नहीं हुई है. किसी तरह से 2017 में यहां एक बार शहनाई बजी. लेकिन उसके बाद ये सिलसिला फिर से थम गया. आखिर ऐसी क्या वजह है कि इस जगह पर रहने वाले मर्दों को बिना शादी के ही जिंदगी गुजरानी पड़ रही है?

*श्राप नहीं ये है प्रशासनिक लापरवाही*
अगर आपको ऐसा लग रहा है कि ये जगह श्रापित है तो आप गलत हैं. ऐसा नहीं है कि इस जगह पर रहने वाले मर्दों पर किसी ने जादू-टोना किया है. दरअसल, इस गांव के लोगों की शादी ना होने की वजह है प्रशासनिक लापरवाही. ये गांव आज भी मूलभूत जरूरतों से अछूता है. इस गांव में बिजली नहीं है. पीने के पानी की सप्लाई नहीं है. यहां तक कि इस गांव में सड़क भी नहीं है. इस वजह से कोई भी परिवार अपनी बेटी को इस गांव में नहीं भेजता है. इस गांव में आपका मोबाइल भी बेकार हो जाएगा क्यूंकि यहां नेटवर्क नहीं आता.

*खुद बनाई सड़क*
इस गांव के रहने वाले लोगों ने कई बार सरकारी अधिकारियों से मदद मांगी. लेकिन ऐसा लगता है जैसे उन्हें इनकी समस्या से कोई लेना-देना ही नहीं है. कुछ साल पहले गांव वालों ने ही मिलकर खुद से पहाड़ काटकर एक कच्ची सड़क बनाई, जिसकी मदद से गाड़ियां अब गांव तक आने लगी हैं. यहां के युवा गांव में रहना नहीं चाहते हैं. कई लोग अपनी शादी के लिए यज्ञ-हवन तक करवाते हैं. लेकिन सब फेल है. अब देखना है कि आखिर कबतक इस गांव में लोग कुंवारे ही अपनी जिंदगी काटने को मजबूर रहेंगे.

Monday, 19 February 2024

आज कल और परसों जौनपुर दिल्ली सहित उत्तर भारत में होगी वर्ष तेज हवा बिजली की गलत चमक के साथ आज पंजाब हरियाणा दिल्ली पश्चिमी उत्तर प्रदेश

[: *आज कल और परसों जौनपुर दिल्ली सहित उत्तर भारत में होगी वर्ष तेज हवा बिजली की गलत चमक के साथ आज पंजाब हरियाणा दिल्ली पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के अनेक भागों में सुबह से वर्ष शुरू होगी देर शाम रात तक शाहगंज सहित जौनपुर के उत्तर पूर्वी भागों और अनेक भागों में हल्की वर्षा शुरू हो जाएगी कल जौनपुर और जौनपुर के सभी पड़ोसी जनपदों में जिसमें अयोध्या अकबरपुर गाजीपुर सुल्तानपुर प्रतापगढ़ प्रयागराज सोनभद्र मिर्जापुर भदोही पंडित दीनदयाल नगर वाराणसी पिंद्रा गाज़ीपुर आजमगढ़ शामिल है मैं हल्की से मध्यम वर्षा और कहीं-कहीं तेज वर्षा भी होगी कल रात से परसों रात के बीच कहीं-कहीं भारी वर्षा भी होने की संभावना है बिजली वज्रपात और हल्की ओलावृष्टि भी संभव है* 

*आज का अधिकतम तापमान 27 से लेकर 28 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाने की आशा है जबकि न्यूनतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया कल न्यूनतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस होने की आशा है आने वाले तीन-चार दिनों में तापमान और गिरेगी जिसके बाद बहुत तेजी से तापमान बढ़ेगा और 28 फरवरी तक है 30 डिग्री सेल्सियस के खतरनाक स्तर को पार कर जाएगा सिंचाई करने वालों से हमारे केंद्र का यह अनुरोध है कि वह 22 फरवरी तक प्रतीक्षा के बाद सिंचाई करें इससे उनके हजारों लाखों और पूरे जनपद और आसपास करोड़ों रुपए बचेंगे डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक*
[20/2, 6:53 am] drdileepsingh768: *कोई भी परीक्षा हो जहां पर बड़े-बड़े राजनेताओं सांसदों विधायकों मंत्रियों बड़े-बड़े अधिकारियों और धन कुबेर लोगों के बच्चों की सेटिंग नहीं हो पाती वहीं पर प्रश्न पत्र जानबूझकर आउट किया जाता है और परीक्षा फिर से कराई जाती है जिससे उनके बचे हुए सारे बच्चे परीक्षा उत्तीर्ण कर सके परीक्षा में प्रश्न पत्र आउट होने पर संबंधित चपरासी से लेकर संबंधित विभाग के मंत्री का एक महीने का वेतन काटकर और उनका निलंबन करके देख लो अगर एक भी पेपर आउट हो जाए तो फिर कहना यही हमेशा से होता चला आया है और जिस परीक्षा के पहले सारी सेटिंग पूरी हो जाती है वहां पर कभी भी पेपर आउट नहीं होता पेपर आउट नहीं होता बल्कि जिम्मेदार लोगों से कह कर जान बूझकर पेपर आउट कराया जाता है डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह***
ईश्वर और विश्वास - कहानी 

एक पंडित जी समुद्री जहाज से यात्रा कर रहे थे, रास्ते में एक रात तुफान आने से जहाज को एक द्वीप के पास लंगर डालना पडा। सुबह पता चला कि रात आये तुफान में जहाज में कुछ खराबी आ गयी है, जहाज को एक दो दिन वहीं रोक कर उसकी मरम्मत करनी पडेगी।
पंडित जी  नें सोचा क्यों ना एक छोटी बोट से द्वीप पर चल कर घूमा जाये, अगर कोई मिल जाये तो उस तक प्रभु का संदेश पहँचाया जाय और उसे
प्रभु का मार्ग बता कर प्रभु से मिलाया जाये।

तो वह जहाज के कैप्टन से इज़ाज़त ले कर एक छोटी बोट से द्विप पर गये, वहाँ इधर उधर घूमते हुवे तीन द्वीपवासियों से मिले। जो बरसों से उस सूने
द्विप पर रहते थे। पंडित जी उनके पास जा कर बातचीत करने लगा।

उन्होंने उनसे ईश्वर और उनकी आराधना पर चर्चा की । उन्होंने उनसे पूछा- “क्या आप ईश्वर को मानते हैं ?” 

वे सब बोले- “हाँ..।“

फिर उन्होंने  ने पूछा- “आप ईश्वर की आराधना कैसे करते हैं ?"

उन्होंने बताया- ''हम अपने दोनो हाथ ऊपर करके कहते हैं "हे ईश्वर हम आपके हैं, आपको याद करते हैं, आप भी हमें याद रखना ''

पंडित जी  ने कहा- "यह प्रार्थना तो ठीक नही है।"

एक ने कहा- "तो आप हमें सही प्रार्थना सिखा दीजिये।"
उन्होंने ने उन सबों को धार्मिक पुस्तके पढना और प्रार्थना करना सिखाया। तब तक जहाज बन गया। पंडित जी अपने सफर पर आगे बढ गये।

तीन दिन बाद पंडित जी ने जहाज के डेक पर टहलते हुवे देखा, वह तीनो द्वीपवासी जहाज के पीछे-पीछे पानी पर दौडते हुवे आ रहे हैं। उन्होने हैरान होकर जहाज रुकवाया, और उन्हे ऊपर चढवाया। 

फिर उनसे इस तरह आने का कारण पूछा- “वे बोले - ''!! आपने हमें जो प्रार्थना सिखाई थी, हम उसे अगले दिन ही भूल गये। इसलिये आपके पास उसे दुबारा सीखने आये हैं, हमारी मदद कीजिये।"

उन्होंने कहा- " ठीक है, पर यह तो बताओ तुम लोग पानी पर कैसे दौड सके?"

उसने कहा- " हम आपके पास जल्दी पहुँचना चाहते थे, सो हमने ईश्वर से विनती करके मदद माँगी और कहा - "हे ईश्वर!! दौड तो हम लेगें बस आप हमें गिरने मत देना ! और बस दौड पडे।“

अबपंडित जी सोच में पड गये.. उन्होने कहा- " आप लोग और ईश्वर पर आपका विश्वास धन्य है। आपको अन्य किसी प्रार्थना की आवश्यकता नहीं है। आप पहले कि तरह प्रार्थना करते रहें।"

ये कहानी बताती है कि ईश्वर पर विश्वास, ईश्वर की आराधना प्रणाली से अधिक महत्वपूर्ण है॥

संत कबीरदास ने कहा है - 
“माला फेरत जुग गया, फिरा ना मन का फेर, कर का मन का डारि दे, मनका-मनका फेर॥“

"हे ईश्वर!! दौड तो हम लेंगे, बस आप हमें गिरने मत देना॥
जय शिव शंकर जी
शादी की 21 वी सालगिरह

कल तक जिस रिश्ते से अनजान थी,
आज वही रिश्ता खास है,
वो मेरे दिल के पास है,
वो मेरा अभिमान है,
उनकी हर बात का मुझको मान है,
सारे रिश्ते छूट जाते हैं बदलते वक्त के साथ,
पर पति पत्नी का रिश्ता होता है मजबूत,
हर वक्त के साथ,
बिन देखें, बिन जाने जिससे रिश्ता जोड़ते है हम,
वो हमारा जीवनसाथी बन जाता है,
और पता ही नहीं चलता कब वो,
दिल की हर धड़कन में समा जाता है,
और ये रिश्ता दिल के साथ साथ,
आत्मा से भी जुड़ जाता है,
इसीलिए सच ही कहते है,
ये रिश्ता स्वर्ग में तय होता है,
और धरती पर आकर,
शादी की डोर में बंध जाता है,
और इन मधुर पलों के अहसास को,
फिर से ताजा कर सके हम,
इसलिए तो दोस्तों ये दिन प्रतिवर्ष,
शादी की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है।
औरत से प्रेम में अगर आप ये उम्मीद करते हैं कि वो आपसे पूरी तरह खुश है  तो आप नादानी में हैं...
ये औरत के मूल में ही नहीं है... 

अगर आप बहुत ज्यादा केयर करते है तो उससे भी ऊब जाएगी...
अगर आप बहुत उग्र हैं तो वो उससे भी बिदक जाएगी...
अगर आप बहुत ज्यादा विनम्र हैं तो वो उससे भी चिढ जाएगी...

अगर आप उससे बहुत ज्यादा बात करते हैं तो वो आपको टेक इट फौर ग्रांटड लेने लगेगी ...
अगर आप उससे बहुत कम बात करते हैं तो वो मान लेगी कि आपका चक्कर कहीं और चल रहा है... 

यानी आप कुछ भी कर लीजिए वो संतुष्ट नहीं हो सकती...

ये उसका स्वभाव है...

वो एक ऐसा डेडली काॅम्बीनेशन खोजती है जो बना ही न हो, बन ही न सकता हो...

ठीक वैसे ही जैसे कपड़ा खरीदने जाती है तो कहती कि इसी कलर में कोई दूसरा डिजाइन दिखाओ, इसी डिजाइन में कोई दूसरा कलर दिखाओ... 

कपड़े का गट्ठर लगा देती है... 
बहुत परिश्रम के बाद एक पसंद आ भी गया, तो भी संतुष्ट नहीं हो सकती...
आखिरी तक सोचती है कि इसमे ये डिजाइन ऐसे होता तो परफैक्ट होता...

इन सबके बावजूद एक बहुत बड़ी खूबी भी है औरत के अंदर ...
एक बार उसे कुछ पसंद आ गया तो उसे आखिरी दम तक सजो के रखती है  
वो चाहे रिश्ते हो या चूड़ी...

रंग उतर जाएगा, चमक खत्म हो जाएगी पर खुद से जुदा नहीं करेगी....बस यही खूबी औरत को विशिष्ट बनाती है....🥰

Sunday, 18 February 2024

*आज से लेकर 4/5 दिनों तक मौसम में लगातार परिवर्तन होगा आज और कल धूप छांव बादलों का आना-जाना लगा रहेगा परसों और नरसों जौनपुर और आसपास के क्षेत्र में वर्षा चमक गरज और विद्युतपात एवं ओलावृष्टि का योग बन रहा

*आज से लेकर 4/5 दिनों तक मौसम में लगातार परिवर्तन होगा आज और कल धूप छांव बादलों का आना-जाना लगा रहेगा परसों और नरसों जौनपुर और आसपास के क्षेत्र में वर्षा चमक गरज और विद्युतपात एवं ओलावृष्टि का योग बन रहा है चार-पांच दिनों के बाद मौसम फिर से सामान्य स्वच्छ और चटख धूप वाला होगा आज का न्यूनतम तापमान 12 डिग्री सेल्सियस रहा अधिकतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस होने की आशा है इन पांच दिनों के काल अवधि में न्यूनतम तापमान 12 से 15 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 23 27 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा* 

*वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहद खराब प्रदूषण की मात्रा अत्यधिक और अल्ट्रावायलेट किरणों की तीव्रता मध्यम रहेगी हवा की गति बहुत तेज होगी और यह 15 से लेकर 45 किलोमीटर प्रति घंटा के बीच रहेगी 21 22 23 के बीच झांझर झकोर घन गर्जन और नीरद माला का चित्र विचित्र रूप देखने को मिलेगा* 

*डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि और निर्देशक अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान और विज्ञान अनुसंधान केंद्र*

माना जाता है कि जीभ आपकी सेक्स लाइफ में दस गुना तक ऊर्जा भर सकती है। अगर उसका सही तरीके से प्रयोग किए जाए।

माना जाता है कि जीभ आपकी सेक्स लाइफ में दस गुना तक ऊर्जा भर सकती है। अगर उसका सही तरीके से प्रयोग किए जाए।

किस के दौरान एक-दूसरे की जीभ को सक करके आप न सिर्फ प्यार की गहराइयों में उतर सकते हैं बल्कि इससे आप किस के प्लेजर को सातवें आसमान पर भी पहुंचा सकते हैं।

किसी भी इंसान का गला और कान काफी सेंसेटिव होता है. सेक्स के लिए पार्टनर को उत्तेजित करने के लिए इन जगहों पर जीभ से लिक करना चाहिए. इन जगहों पर आप अपनी जीभ का इस्तेमाल करके प्यार की चिंगारी को भड़का सकते हैं.

आप अपने पार्टनर के पैरों पर भी अपने जीभ से लिक कर सकते हैं. पैरों के अंगूठे और उंगलियों पर लिक करने से आपके और आपके पार्टनर के बीच रोमांस और ज्यादा बढ़ जाएगा.

फोरफ्ले के दौरान अपने पार्टनर के चेस्ट या ब्रेस्ट पर अपने जीभ से लिक करके आप न सिर्फ उन्हें सेक्स के लिए उत्तेजित कर सकते हैं बल्कि इससे उस खास लम्हे को आप पैशन से भी भर सकते हैं.

पेट पर जीभ से लिक करने से भी आपका पार्टनर उत्तेजित हो जाएगा. पेट और नाभि के आस-पास जीभ से लिक करने पर आपके पार्टनर पर मदहोशी छाने लगेगी और वो आपके प्यार में मदहोश होने को बेताब हो जाएंगे.

और अंत में यो नी और लिं ग को चूसे चाटे॥

राणा सांगा का बाबर के खिलाफ युद्ध▪️

▪️राणा सांगा का बाबर के खिलाफ युद्ध▪️
वीरता की प्रत्यक्ष मूर्ति महाराणा संग्राम सिंह जिन्हें इतिहास में सांगा के नाम से जाना जाता हैं का जन्म 12 अप्रैल 1484 को मेवाड़ रियासत में हुआ। ये महाराणा कुम्भा के पौत्र एवं महाराणा रायमल के पुत्र थे । ये बचपन से ही वीर एवं बुद्धिमान थे। इनकी राजयोग की भविष्वाणी बचपन में ही कर दी गयी थी जिससे इनका बचपन बेहद मुसीबत भरा रहा एवं इस संघर्ष में इनको अपनी एक आँख खोनी पड़ी एवं राज्य छोड़ना पड़ा । ये अपने मुसीबत के समय अजमेर के करमा पवार के पास रहे थे । अपने बड़े भाई की मृत्यु के बाद ये मेवाड़ लोटे एवं 1509 में राजगद्दी पे बैठे।जब ये राजगद्दी पे बैठे उस समय मेवाड़ की स्थति नाजुक थी। अतः इन्होंने पडोसी राजाओं को अपना मित्र बनाया। महाराणा सांगा हिन्दूपत के नाम से जाने जाते थे। ये राजपूताने के अन्तिम शासक थे जिनके झंडे के नीचे सारा राजपुताना लड़ा। इन्होंने अपने जीवन में अनेकों युद्ध लड़े एवं 1 को छोड़कर सभी में विजयी हुए।

खानवा का युद्ध:-
1526 में इब्राहिम लोदी को हराने के बाद बाबर एक शक्तिशाली शासक बन चूका था।
महाराणा सांगा के जो उस समय उत्तरी भारत के सबसे शक्तिशाली शासक थे के साथ बाबर का युद्ध होना अवश्यम्भावी था। यह वो युद्ध था जो भारत की तस्वीर बदलने वाला था। अतः महाराणा सांगा नेराजपूतो की पोती परवन की पुरानी परम्परा को पुनः जीवित किया एवं राजपूताने के सभी शासको को अपने साथ युद्ध में मिलाया।
राजपूत शासक जो महाराणा के साथ लड़े:-
अलवर महाराजा -हसन खा मेवाती
आमेर महाराजा-पृथ्वीराज
बीकानेर युवराज-कल्याणमल
जोधपुर युवराज -मालदेव
ईडर राजा - भारमल
चंदेरी राजा -मेदनीराय
राव वीरम देव -मेड़ता
डूंगरपुर महारावल -उदयसिंह
महमूद लोदी

महाराणा सांगा एवं बाबर के मध्य पहला युद्ध फरवरी 1527 में हुआ जब महारणा सांगा ने बयाना के किले पर हमला किया एवं बाबर की सेना को भगा दिया।
अतः बाबर महाराणा की और भड़ा एवं उसने खानवा के मैदान में डेरा डाला।
लेकिन महाराणा ने छोटा रास्ता छोड़कर लंबा रास्ता अपनाया जिससे बाबर को तैयारी का वक़्त मिल गया।17 मार्च 1527 में दोनों की सेना आमने सामने हुई। राजपूतो को अपने सामने देखकर तुर्को में खलबली मच गई एवं उनके पैर उखड़ने लगे उस समय बाबर ने घबराकर मदिरा ना पीने की शपथ ली एवं युद्ध को जिहाद घोषित किया। इस युद्ध में उसने तुलगमा पद्धति एवं तोपखाने का प्रयोग किया जिससे राजपूत अनजान थे.भयंकर युद्ध चला रहा था की अचानक एक तीर महाराणा के सिर में लगा एवं वो बेहोश हो गए एवं उनको युद्ध मैदान से ले बाहर ले जाया गया एवं उनका स्थान झाला अज्जा ने लिया।राजपूतो को इस युद्ध में हर झेलनी पड़ी एवं बाबर ने युद्ध के पश्चात राजपूतो के सिर की मीनार बनवाई।
महाराणा को बसवा (दौसा) ले जाया गया जहा पे होश आने पर उन्होंने मेवाड़ लौटने से इंकार कर दिया एवं दूसरे युद्ध की तैयारी करना शुरु कर दिया अतः वो सरदार जो नए युद्ध के विरोधी थे उन्होंने महाराणा को जहर दे दिया एवं 30 जनवरी 1528 को महाराणा वीरगति को प्राप्त हुए। इनकी समाधी मांडलगढ़ (भीलवाड़ा ) में बनी हुई है। रायसीन के राजा सिह्लदी तंवर ने महाराणा के साथ धोखा किया एवं वो बाबर के साथ मिल गया ।

महाराणा के शरीर पर 80 घाव थे उनके एक आँख ,एक हाथ व एक पैर देश की रक्षा में कुर्बान हुए किन्तु उन्होंने अंतिम दम तक देश सेवा की।
कर्नल जेम्स टॉड ने महाराणा को सैनको का भग्नावशेष कहा है।
महाराणा सांगा राजपूताने के वो शासक थे जिनके सेनापतित्व में लड़ना अन्य राजपूत राजा अपना गौरव समझते थे।

Thursday, 15 February 2024

राणा सांगा का बाबर के खिलाफ युद्ध▪️

▪️राणा सांगा का बाबर के खिलाफ युद्ध▪️
वीरता की प्रत्यक्ष मूर्ति महाराणा संग्राम सिंह जिन्हें इतिहास में सांगा के नाम से जाना जाता हैं का जन्म 12 अप्रैल 1484 को मेवाड़ रियासत में हुआ। ये महाराणा कुम्भा के पौत्र एवं महाराणा रायमल के पुत्र थे । ये बचपन से ही वीर एवं बुद्धिमान थे। इनकी राजयोग की भविष्वाणी बचपन में ही कर दी गयी थी जिससे इनका बचपन बेहद मुसीबत भरा रहा एवं इस संघर्ष में इनको अपनी एक आँख खोनी पड़ी एवं राज्य छोड़ना पड़ा । ये अपने मुसीबत के समय अजमेर के करमा पवार के पास रहे थे । अपने बड़े भाई की मृत्यु के बाद ये मेवाड़ लोटे एवं 1509 में राजगद्दी पे बैठे।जब ये राजगद्दी पे बैठे उस समय मेवाड़ की स्थति नाजुक थी। अतः इन्होंने पडोसी राजाओं को अपना मित्र बनाया। महाराणा सांगा हिन्दूपत के नाम से जाने जाते थे। ये राजपूताने के अन्तिम शासक थे जिनके झंडे के नीचे सारा राजपुताना लड़ा। इन्होंने अपने जीवन में अनेकों युद्ध लड़े एवं 1 को छोड़कर सभी में विजयी हुए।

खानवा का युद्ध:-
1526 में इब्राहिम लोदी को हराने के बाद बाबर एक शक्तिशाली शासक बन चूका था।
महाराणा सांगा के जो उस समय उत्तरी भारत के सबसे शक्तिशाली शासक थे के साथ बाबर का युद्ध होना अवश्यम्भावी था। यह वो युद्ध था जो भारत की तस्वीर बदलने वाला था। अतः महाराणा सांगा नेराजपूतो की पोती परवन की पुरानी परम्परा को पुनः जीवित किया एवं राजपूताने के सभी शासको को अपने साथ युद्ध में मिलाया।
राजपूत शासक जो महाराणा के साथ लड़े:-
अलवर महाराजा -हसन खा मेवाती
आमेर महाराजा-पृथ्वीराज
बीकानेर युवराज-कल्याणमल
जोधपुर युवराज -मालदेव
ईडर राजा - भारमल
चंदेरी राजा -मेदनीराय
राव वीरम देव -मेड़ता
डूंगरपुर महारावल -उदयसिंह
महमूद लोदी

महाराणा सांगा एवं बाबर के मध्य पहला युद्ध फरवरी 1527 में हुआ जब महारणा सांगा ने बयाना के किले पर हमला किया एवं बाबर की सेना को भगा दिया।
अतः बाबर महाराणा की और भड़ा एवं उसने खानवा के मैदान में डेरा डाला।
लेकिन महाराणा ने छोटा रास्ता छोड़कर लंबा रास्ता अपनाया जिससे बाबर को तैयारी का वक़्त मिल गया।17 मार्च 1527 में दोनों की सेना आमने सामने हुई। राजपूतो को अपने सामने देखकर तुर्को में खलबली मच गई एवं उनके पैर उखड़ने लगे उस समय बाबर ने घबराकर मदिरा ना पीने की शपथ ली एवं युद्ध को जिहाद घोषित किया। इस युद्ध में उसने तुलगमा पद्धति एवं तोपखाने का प्रयोग किया जिससे राजपूत अनजान थे.भयंकर युद्ध चला रहा था की अचानक एक तीर महाराणा के सिर में लगा एवं वो बेहोश हो गए एवं उनको युद्ध मैदान से ले बाहर ले जाया गया एवं उनका स्थान झाला अज्जा ने लिया।राजपूतो को इस युद्ध में हर झेलनी पड़ी एवं बाबर ने युद्ध के पश्चात राजपूतो के सिर की मीनार बनवाई।
महाराणा को बसवा (दौसा) ले जाया गया जहा पे होश आने पर उन्होंने मेवाड़ लौटने से इंकार कर दिया एवं दूसरे युद्ध की तैयारी करना शुरु कर दिया अतः वो सरदार जो नए युद्ध के विरोधी थे उन्होंने महाराणा को जहर दे दिया एवं 30 जनवरी 1528 को महाराणा वीरगति को प्राप्त हुए। इनकी समाधी मांडलगढ़ (भीलवाड़ा ) में बनी हुई है। रायसीन के राजा सिह्लदी तंवर ने महाराणा के साथ धोखा किया एवं वो बाबर के साथ मिल गया ।

महाराणा के शरीर पर 80 घाव थे उनके एक आँख ,एक हाथ व एक पैर देश की रक्षा में कुर्बान हुए किन्तु उन्होंने अंतिम दम तक देश सेवा की।
कर्नल जेम्स टॉड ने महाराणा को सैनको का भग्नावशेष कहा है।
महाराणा सांगा राजपूताने के वो शासक थे जिनके सेनापतित्व में लड़ना अन्य राजपूत राजा अपना गौरव समझते थे।

Wednesday, 14 February 2024

15 फरवरी से लेकर 29 फरवरी तक मौसम लगातार परिवर्तनशील रहेगा और तापमान 25 से 27 डिग्री सेल्सियस होने के बाद भी लगातार कोहरा धुंध बादल और बीच-बीच में हल्की वर्षा होने का पूरा-पूरा योग है इस प्रकार यह मौसम पूरे फरवरी भर चलता रहेगा और 15 सितंबर से शुरू हुई गुलाबी ठंड 15 मार्च को गुलाबी ठंड के साथ ही समाप्त होगी इस प्रकार बहुत लंबे समय के बाद पूरे 6 महीने की ठंड पड़ी है*

*15 फरवरी से लेकर 29 फरवरी तक मौसम लगातार परिवर्तनशील रहेगा और तापमान 25 से 27 डिग्री सेल्सियस होने के बाद भी लगातार कोहरा धुंध बादल और बीच-बीच में हल्की वर्षा होने का पूरा-पूरा योग है इस प्रकार यह मौसम पूरे फरवरी भर चलता रहेगा और 15 सितंबर से शुरू हुई गुलाबी ठंड 15 मार्च को गुलाबी ठंड के साथ ही समाप्त होगी इस प्रकार बहुत लंबे समय के बाद पूरे 6 महीने की ठंड पड़ी है*

 *15 मार्च के बाद बहुत तेजी से गर्मी बढ़ेगी और तापमान 35 डिग्री सेल्सियस को भी पार कर जाएगा इसी बीच 15 फरवरी से 29 फरवरी तक दक्षिण दक्षिण पश्चिम उत्तर उत्तर पश्चिमी हवाएं बदल बदल कर चलती रहेगी हवा की गति अधिकांश समय 7 किलोमीटर से 15 किलोमीटर प्रति घंटे के बीच रहेगी लेकिन बीच-बीच में 25 से 45 किलोमीटर की रफ्तार भी पार कर सकती हैं वायु गुणवत्ता सूचकांक 100 से 200 के बीच में बना रहेगा जबकि प्रदूषण और गंदगी की मात्रा वायुमंडल में अत्यधिक रहेगी अल्ट्रावायलेट किरणों की तीव्रता सामान्य से माध्यम अर्थात तीन से लेकर 9 के बीच रहेगी* 

*जहां तक पूरे भारत के मौसम की बात है तो अभी एक सप्ताह तक दक्षिणी भारत उत्तरी पूर्वी भारत में बादलों के साथ वर्षा होगी जबकि लेह लद्दाख जम्मू कश्मीर उत्तराखंड हिमाचल प्रदेश नेपाल भूटान सिक्किम अरुणाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले भागों पर तीव्र बर्फबारी होगी इस हिमपात के कारण कई स्थानों का तापमान-25 से -40 डिग्री सेल्सियस हो जाएगा और ठंड और गलन का प्रभाव पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली गुजरात के उत्तरी भाग मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश बिहार झारखंड और बंगाल तक पहुंचेगी*
 

*जहां तक विश्व के मौसम की बात है तो अभी पूरे फरवरी भर अमेरिका यूरोप रूस चीन मंगोलिया कोरिया जापान पाकिस्तान अफगानिस्तान और अरब देशों के कुछ भागों में उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर लगातार हिमपात होता रहेगा और यहां की जमीन बर्फ से ढकी हुई नजर आएगी यहां की ठंड और भी तेजी से बढ़ेगी और यहां अनेक चक्रवात और बर्फीले तूफानों का सामना करना पड़ेगा यहां के अधिकांश भागों का तापमान 0 से नीचे रहेगा और इन सभी देशों में मौसम बहुत ही खराब रहेगा कहीं कहीं तापमान माइनस 50 से -80 के बीच चल जाएगा ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में तथा मध्य दक्षिणी अमेरिका में प्रचंड गर्मी उमस और वर्षा का तथा बवंडर और तूफान का मौसम रहेगा जबकि न्यूजीलैंड शांत रहेगा इन 15 दिनों में दुनिया में कुछ परसेंट भूकंप ज्वालामुखी विस्फोट और समुद्री हलचल होने की प्रबल संभावना बन रही है**

*जहां तक अन्य क्षेत्रों के भविष्यवाणी की बात है तो भारत में सामान्य निर्वाचन अप्रैल महीने में होना निश्चित है इस चुनाव में बसपा सपा तृणमूल कांग्रेस आम आदमी पार्टी डीएमके और कांग्रेस की ऐसी भयानक दुर्गति होगी जिसका असर भीषण रहेगा और वैसे भी चुनाव तक उनके तमाम बड़े दिग्गज नेता भाजपा गठबंधन में शामिल हो जाएंगे लालू और उनके बेटों का साम्राज्य डूब जाएगा भारत में अचानक दो नई राजनीतिक पार्टियों का जन्म होगा जिसमें एक अच्छी सफलता पाएगी यूक्रेन और इसराइल अब युद्ध चलता रहेगा* 

*अनेक अरब देशों और यूरोप के देशों में सत्ता परिवर्तन गृह युद्ध भीषण रूप लेगा पाकिस्तान की स्थिति चिंताजनक बनी रहेगी लेकिन मीडिया द्वारा की गई विश्व युद्ध और परमाणु युद्ध की भविष्यवाणी पूरी तरह गलत होगी भारत चीन भारत पाकिस्तान में मिली मर नूरा कुश्ती के तहत कुछ छोटी-मोटी झड़प होगी पूरी दुनिया में महंगाई बेरोजगारी भ्रष्टाचार आतंक वाद हो जाएगी अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत सहित दुनिया के कदम तेजी से आगे बढ़ेंगे

 *हमारे अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान और विज्ञान अनुसंधान केंद्र की मार्च 2023 कि वह भविष्यवाणी बिल्कुल सही होगी जिसमें अकेले भाजपा को 315 से 355 सिम और भाजपा गठबंधन को 360 से 415 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की गई है ज्ञान विज्ञान टेक्नोलॉजी और अन्य क्षेत्रों में लाभदायक खोज होगी परंतु उसका लाभ सामान्य जनता को नहीं मिलेगा*

 *खेलों में अनेक विश्व और ओलंपिक कीर्तिमान बनेंगे जिसमें भारत के खिलाड़ियों का भी कुछ योगदान होगा इस वर्ष पेरिस ओलंपिक तमाम परेशानी के बाद भी भारत के लिए बहुत अच्छा सिद्ध होगा जहां भारत पहली बार पांच स्वर्ण पदक सहित 15 पदक पाने की आशा कर सकता है पूरे विश्व में सनातन धर्म उसके संस्कृति सभ्यता ज्ञान विज्ञान कला कौशल का प्रचार प्रसार तेज हो जाएगा और लोग तेजी से सनातन धर्म की ओर झुक जाएंगे डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह*

इसके साथ-साथ सभी लोग भी इस जानकारी से अवगत रहे ताकि आने वाले समय में अपनी खेती बाड़ी बागवानी और अन्य कामों को समायोजित कर सके*

*भारतीय मौसम विज्ञान विभाग और स्काई वेदर चैनल के अनुसार कल भी जौनपुर और आसपास जोरदार बारिश हुई और आज भी दिनभर वर्षा हो रही है जबकि हमारे अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम और विज्ञान अनुसंधान केंद्र की भविष्यवाणी आज भी गलत हुई क्योंकि मैंने कहा था कि 3 फरवरी से 6 फरवरी के बीच ही कोई वर्षा संभव है डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह*


*यह 30 जनवरी के समाचार पत्र हैं और लगभग सभी समाचारों में यही लिखा है इसके पहले इंटरनेट गूगल और विदेशी मौसम विभाग से उधार की जानकारी लेकर भारतीय मौसम विभाग और स्काईमेट वेदर द्वारा कहा गया था कि इस वर्ष ठंड बहुत कम पड़ेगी आखिर इसीलिए तो विश्व विख्यात है भारत की हर चीज*
[

: *आज का अधिकतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस होने की आशा है जबकि न्यूनतम तापमान भोर में 4:00 बजे 11 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया कल के मौसम के बारे में अनुमान है कि आज की तरह मौसम साफ रहेगा अधिकतम और न्यूनतम तापमान भी लगभग आज की तरह रहेगा कल रात से मौसम बदलने की संभावना है चार और पांच फरवरी को जौनपुर पूर्वांचल और आसपास के जनपदों में बारिश होने की प्रबल संभावना है इस दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक और प्रदूषण की मात्रा दोनों बहुत ही खराब रहेंगे जबकि पराबैंगनी किरणों की तीव्रता मध्य हवा की गति भी हल्के से मध्यम रहेगी डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह*

: *हमारे अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान और विज्ञान अनुसंधान केंद्र की सलाह और चेतावनी है कि अभी आप लोग गर्म कपड़े स्वेटर रजाई कंबल अंदर ना रखें अभी ठंड लौटेगी और यह कम से कम पूरे फरवरी भर रहेगी 15 फरवरी के बाद ही मोटे कपड़े और स्वेटर इत्यादि अंदर ले जाएं अभी 3 और 4 फरवरी को बारिश के साथ ठंड लौट आएगी यद्यपि प्रथम श्रेणी की ठंड नहीं लौटेगी पर द्वितीय श्रेणी की ठंड 15 फरवरी तक रहेगी डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह*

*मौसम की भविष्यवाणी आज का अधिकतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है जबकि न्यूनतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस अंकित किया गया हवा बहुत ही तेज 20 से लेकर 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी और इसकी दिशा उत्तरी पश्चिमी और परिवर्तित रहेगी दो-तीन दिनों तक वायु गुणवत्ता सूचकांक 70 से लेकर 100 के बीच में रहेगा जो अच्छा माना जाता है इस बीच परा बैंगनी  किरणों कीतीव्रता मध्यम रहेगी प्रदूषण की मात्रा भी मध्यम रहेगी आने वाले मौसम के बारे में अनुमान है कि अगले दो दिनों में तेज हवाओं और बिजली की चमक गरज के साथ जौनपुर शाहगंज अकबरपुर अयोध्या प्रतापगढ़ सुल्तानपुर बेला प्रयागराज सोनभद्र मिर्जापुर भदोही वाराणसी संत रविदास नगर गैरवाह दीनदयाल नगर आजमगढ़ गाजीपुर मछली शहर और पूर्वांचल में हल्की से मध्यम और कहीं-कहीं तेज बारिश होने की प्रबल संभावना है डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि और निर्देशक अलका शिप्रा वैष्णवी मौसम पूर्वानुमान एवं विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर*
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 *इसके पहले भारत के मौसम विज्ञान विभाग और स्काईमेट स्काई वेदर के मौसम की भविष्यवाणी 101% गलत सिद्ध हुई जिसमें 31 जनवरी और 1 फरवरी को जौनपुर और आसपास के जिलों में भारी वर्षा की बार-बार भविष्यवाणी की गई थी और चेतावनी दी गई थी जबकि लाखों रुपए वेतन पाने वाले यह लोग उपग्रह से लेकर कई लाख करोड़ रूपयों के उपकरणों से सुसज्जित होते हैं*
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भारतीय मौसम विज्ञान विभाग और स्काई वेदर चैनल के अनुसार कल भी जौनपुर और आसपास जोरदार बारिश हुई और आज भी दिनभर वर्षा हो रही है जबकि हमारे अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम और विज्ञान अनुसंधान केंद्र की भविष्यवाणी आज भी गलत हुई क्योंकि मैंने कहा था कि 3 फरवरी से 6 फरवरी के बीच ही कोई वर्षा संभव है डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह*

: *यह 30 जनवरी के समाचार पत्र हैं और लगभग सभी समाचारों में यही लिखा है इसके पहले इंटरनेट गूगल और विदेशी मौसम विभाग से उधार की जानकारी लेकर भारतीय मौसम विभाग और स्काईमेट वेदर द्वारा कहा गया था कि इस वर्ष ठंड बहुत कम पड़ेगी आखिर इसीलिए तो विश्व विख्यात है भारत की हर चीज*

: *आज का अधिकतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस होने की आशा है जबकि न्यूनतम तापमान भोर में 4:00 बजे 11 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया कल के मौसम के बारे में अनुमान है कि आज की तरह मौसम साफ रहेगा अधिकतम और न्यूनतम तापमान भी लगभग आज की तरह रहेगा कल रात से मौसम बदलने की संभावना है चार और पांच फरवरी को जौनपुर पूर्वांचल और आसपास के जनपदों में बारिश होने की प्रबल संभावना है इस दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक और प्रदूषण की मात्रा दोनों बहुत ही खराब रहेंगे जबकि पराबैंगनी किरणों की तीव्रता मध्य हवा की गति भी हल्के से मध्यम रहेगी डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह*
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हमारे अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान और विज्ञान अनुसंधान केंद्र की सलाह और चेतावनी है कि अभी आप लोग गर्म कपड़े स्वेटर रजाई कंबल अंदर ना रखें अभी ठंड लौटेगी और यह कम से कम पूरे फरवरी भर रहेगी 15 फरवरी के बाद ही मोटे कपड़े और स्वेटर इत्यादि अंदर ले जाएं अभी 3 और 4 फरवरी को बारिश के साथ ठंड लौट आएगी यद्यपि प्रथम श्रेणी की ठंड नहीं लौटेगी पर द्वितीय श्रेणी की ठंड 15 फरवरी तक रहेगी डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह*


 *मौसम की भविष्यवाणी आज का अधिकतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है जबकि न्यूनतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस अंकित किया गया हवा बहुत ही तेज 20 से लेकर 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी और इसकी दिशा उत्तरी पश्चिमी और परिवर्तित रहेगी दो-तीन दिनों तक वायु गुणवत्ता सूचकांक 70 से लेकर 100 के बीच में रहेगा जो अच्छा माना जाता है इस बीच परा बैंगनी  किरणों कीतीव्रता मध्यम रहेगी प्रदूषण की मात्रा भी मध्यम रहेगी आने वाले मौसम के बारे में अनुमान है कि अगले दो दिनों में तेज हवाओं और बिजली की चमक गरज के साथ जौनपुर शाहगंज अकबरपुर अयोध्या प्रतापगढ़ सुल्तानपुर बेला प्रयागराज सोनभद्र मिर्जापुर भदोही वाराणसी संत रविदास नगर गैरवाह दीनदयाल नगर आजमगढ़ गाजीपुर मछली शहर और पूर्वांचल में हल्की से मध्यम और कहीं-कहीं तेज बारिश होने की प्रबल संभावना है डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि और निर्देशक अलका शिप्रा वैष्णवी मौसम पूर्वानुमान एवं विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर*


: *इसके पहले भारत के मौसम विज्ञान विभाग और स्काईमेट स्काई वेदर के मौसम की भविष्यवाणी 101% गलत सिद्ध हुई जिसमें 31 जनवरी और 1 फरवरी को जौनपुर और आसपास के जिलों में भारी वर्षा की बार-बार भविष्यवाणी की गई थी और चेतावनी दी गई थी जबकि लाखों रुपए वेतन पाने वाले यह लोग उपग्रह से लेकर कई लाख करोड़ रूपयों के उपकरणों से सुसज्जित होते हैं*


: आज का न्यूनतम तापमान 11.5 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 22.5 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है सुबह खुले आसमान के साथ दिन शुरू होगा 8:00 बजे से 10:00 तक आसमान बादलों से गिर जाएगा जो धीरे-धीरे घना होता जाएगा और रात 9:10 वर्ष शुरू हो जाएगी जो कल भी जारी रहेगी वायु गुणवत्ता सूचकांक प्रदूषण की मात्रा मध्यम रहेगी आने वाले कल के बारे में अनुमान है कि कहीं हल्की कहीं माध्यम कहीं-कहीं तेज वर्षा गरज चमक तेज हवाओं के साथ होगी इन सभी बातों की भविष्यवाणी हमारे केंद्र के द्वारा एक सप्ताह पहले ही दर्जनों पत्र पत्रिकाओं और मीडिया तथा सोशल मीडिया में कर दी गई है और यह सभी लोग जानते हैं जबकि इसके पहले मौसम विभाग और स्काई वेदर की भविष्यवाणी जो 31 जनवरी और 1 फरवरी को वर्षा होने के बारे में की गई थी वह 1000 प्रतिशत गलत सिद्ध हुई वर्षा तो दूर बादल भी नहीं दिखाई दिए डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह
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 आज का न्यूनतम तापमान 11.5 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 22.5 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है सुबह खुले आसमान के साथ दिन शुरू होगा 8:00 बजे से 10:00 तक आसमान बादलों से गिर जाएगा जो धीरे-धीरे घना होता जाएगा और रात 9:10 वर्ष शुरू हो जाएगी जो कल भी जारी रहेगी वायु गुणवत्ता सूचकांक प्रदूषण की मात्रा मध्यम रहेगी आने वाले कल के बारे में अनुमान है कि कहीं हल्की कहीं माध्यम कहीं-कहीं तेज वर्षा गरज चमक तेज हवाओं के साथ होगी इन सभी बातों की भविष्यवाणी हमारे केंद्र के द्वारा एक सप्ताह पहले ही दर्जनों पत्र पत्रिकाओं और मीडिया तथा सोशल मीडिया में कर दी गई है और यह सभी लोग जानते हैं जबकि इसके पहले मौसम विभाग और स्काई वेदर की भविष्यवाणी जो 31 जनवरी और 1 फरवरी को वर्षा होने के बारे में की गई थी वह 1000 प्रतिशत गलत सिद्ध हुई वर्षा तो दूर बादल भी नहीं दिखाई दिए डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह


 *एक सप्ताह तक पड़ेगी कड़ाके की ठंड आने वाले दोनों में 7 फरवरी से लेकर 15 फरवरी तक एक बार फिर से कड़ाके की ठंड और शीतलहर की वापसी हो रही है और इस दौरान जौनपुर और आसपास के जनपदों सहित संपूर्ण उत्तर उत्तर पश्चिम और मध्य भारत तथा पूर्वोत्तर भारत में कड़ाके की ठंड शीतलहर लहर और गलन का प्रकोप रहेगा अचानक ही तापमान बहुत तेजी से नीचे गिरेगी और न्यूनतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से घटकर चार से पांच डिग्री सेल्सियस तक आ जाएगा और अधिकतम तापमान भी 24 डिग्री सेल्सियस से गिरकर 15 से 20 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा* 

*हिमालय पर प्रचंड बर्फबारी उत्तरी ध्रुव और मध्य तथा यूरोप की भीषण ठंडी और शीतल हवाओं ला नीना अल नीनो समुद्र की सतह के तापमान परिवर्तन प्रदूषण के कारण और शुष्क मौसम की वजह से भयंकर ठंड चरम रूप पर होगी और 9 से लेकर 12 फरवरी तक या ठंड गैलन शीतलहर अपने चरम रूप पर होगी केवल आंध्र प्रदेश तमिलनाडु कर्नाटक तेलंगाना गोवा इस प्रचंड ठंड से अछूता रहेगा* 

*इसके बाद एक एक नया उत्तर पश्चिमी विक्षोभ जन्म लेगा और 15 फरवरी के बाद मौसम धीरे-धीरे सुधार पर आ जाएगा यद्यपि इस दौरान धूप होते रहने से दिन में कुछ राहत रहेगी लेकिन भीषण ठंडी हवाओं और गलन के कारण तापमान बहुत ऊंचा नहीं हो पाएगा हमारे अलका शिप्रा वैष्णवी मौसम पूर्वानुमान एवं विज्ञान अनुसंधान केंद्र के अनुसार इन स्थितियों में एक बार फिर से ठंड गलन और शीतलहर भीषण और जानलेवा हो सकती है* 


*इसी दौरान हिमालय क्षेत्र और पश्चिमोत्तर भारत में वर्षा और तेज हवाएं चलने से स्थितियां और भी विकराल हो जाएंगी कहीं कहीं ओलावृष्टि भी संभव है लेकिन जौनपुर और आसपास तथा उत्तर के मैदाने में फिलहाल एक सप्ताह तक मौसम सूखा और धूप युक्त रहेगा डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि और निर्देशक*



 *एक सप्ताह से फिर हमारे अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम और विज्ञान अनुसंधान केंद्र द्वारा दी रही चेतावनी को दोहराया जा रहा है कि 13 और 14 फरवरी को जिनका शुभ विवाह मुहूर्त है वह सावधान रहें क्योंकि इन दोनों दोनों में तेज हवाओं के साथ बारिश होने की प्रबल संभावना है जौनपुर जिले के साथ-साथ  और आसपास के जिले इसमें शामिल हैं डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि और निर्देशक प्रवचन ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान और विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर*
[10/2, 2:07 pm]: *इसके साथ-साथ सभी लोग भी इस जानकारी से अवगत रहे ताकि आने वाले समय में अपनी खेती बाड़ी बागवानी और अन्य कामों को समायोजित कर सके*
[12/2, 5:22 pm]: *एक बार सबको अंतिम चेतावनी और जानकारी दी जा रही है कि आज दिनांक 12 फरवरी 2024 की रात में आधी रात के बाद जौनपुर और आसपास के जनपदों में कभी भी और कहीं भी बूंदाबांदी तेज हवाओं के साथ शुरू हो सकती हैं और कल परसों नरसों 3 दिन तक कहीं हल्की कहीं मध्यम कहीं तेज वर्षा होगी इसलिए अगर अभी जो लोग सिंचाई नहीं किए हैं उनसे भी यह निवेदन है कि 14 तारीख तक देखकर तब सिंचाई करें बहुत सारे पैसे बच जाएंगे और मांगलिक कार्य करने वाले लोग भी अपना उपाय करके रखें डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह*

Monday, 12 February 2024

विश्व_इतिहास में एकलौता उदाहरण .हमने सुनी कहानी थी।"हाड़ी-रानी"..

#विश्व_इतिहास में एकलौता उदाहरण .

हमने सुनी कहानी थी।
"हाड़ी-रानी"
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"सिसोदिया कुलभूषण, क्षत्रिय शिरोमणि महाराणा राजसिंह को रूपनगर की राजकुमारी का प्रणाम। महाराज को विदित हो कि मुगल औरंगजेब ने मुझसे विवाह का आदेश भेजा है। आप वर्तमान समय में क्षत्रियों के सर्वमान्य नायक हैं। आप बताएं, क्या पवित्र कुल की यह कन्या उस मलेच्छ का वरण करे? क्या एक राजहंसिनी एक गिद्ध के साथ जाए?
महाराज! मैं आपसे अपने पाणिग्रहण का निवेदन करती हूँ। मुझे स्वीकार करना या अस्वीकार करना आपके ऊपर है, पर मैंने आपको पति रूप में स्वीकार कर लिया है। अब मेरी रक्षा का भार आपके ऊपर है। आप यदि समय से मेरी रक्षा के लिए न आये तो मुझे आत्महत्या करनी होगी। अब आपकी...."
     मेवाड़ की राजसभा में रूपनगर के राजपुरोहित ने जब पत्र को पढ़ कर समाप्त किया तो जाने कैसे सभासदों की कमर में बंधी सैकड़ों तलवारें खनखना उठीं।
     महाराज राजसिंह अब प्रौढ़ हो चुके थे। अब विवाह की न आयु बची थी न इच्छा, किन्तु राजकुमारी के निवेदन को अस्वीकार करना भी सम्भव नहीं था। वह प्रत्येक निर्बल की पीड़ा को अपनी पीड़ा समझने वाले राजपूतों की सभा थी। वह अपनी प्रतिष्ठा के लिए सैकड़ों बार शीश चढ़ाने वाले क्षत्रियों की सभा थी। फिर एक क्षत्रिय बालिका के इस समर्पण भरे निवेदन को अस्वीकार करना कहाँ सम्भव था! पर विवाह...? महाराणा चिंतित हुए।
      महाराणा मौन थे पर राजसभा मुखर थी। सब ने सामूहिक स्वर में कहा, "राजकुमारी की प्रतिष्ठा की रक्षा करनी ही होगी महाराज! अन्यथा यह राजसभा भविष्य के सामने सदैव अपराधी बनी कायरों की भाँती खड़ी रहेगी। हमें रूपनगर कूच करना ही होगा।
      महाराणा ने कुछ देर सोचने के बाद कहा, "हम सभासदों की भावना का सम्मान करते हैं। राजकुमारी की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है, और हम अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटेंगे। राजकुमारी की रक्षा के लिए आगे आने का सीधा अर्थ है औरंगजेब से युद्ध करना, सो सभी सरदारों को युद्ध के लिए तैयार होने का सन्देश भेज दिया जाय। हम कल ही रूपनगर के लिए कूच करेंगे।
       महाराणा रूपनगर के लिए निकले, और इधर औरंगजेब की सेना उदयपुर के लिए निकली। युद्ध अब अवश्यम्भावी था। 
       सलूम्बर के सरदार रतन सिंह चुण्डावत के यहाँ जब महाराणा का संदेश पहुँचा, तब रतन सिंह घर की स्त्रियों के बीच नवविवाहिता पत्नी के साथ बैठे विवाह के बाद चलने वाले मनोरंजक खेल खेल रहे थे। उनके विवाह को अभी कुल छह दिन हुए थे। उन्होंने जब महाराणा का सन्देश पढ़ा तो काँप उठे। औरंगजेब से युद्ध का अर्थ आत्मोत्सर्ग था, यह वे खूब समझ रहे थे। खेल रुक गया, स्त्रियाँ अपने-अपने कक्षों में चली गईं। सरदार रतन सिंह की आँखों के आगे पत्नी का सुंदर मुखड़ा नाचने लगा। उनकी पत्नी बूंदी के हाड़ा सरदारों की बेटी थी, अद्भुत सौंदर्य की मालकिन...
       प्रातः काल मे मेघों की ओट में छिपे सूर्य की उलझी हुई किरणों जैसी सुंदर केशराशि, पूर्णिमा के चन्द्र जैसा चमकता ललाट, दही से भरे मिट्टी के कलशों जैसे कपोल, अरुई के पत्ते पर ठहरी जल की दो बड़ी-बड़ी बूंदों सी आँखे, और उनकी रक्षा को खड़ी आल्हा और ऊदल की दो तलवारों सी भौहें, प्रयागराज में गले मिल रही गङ्गा-यमुना की धाराओं की तरह लिपटे दो अधर, नाचते चाक पर कुम्हार के हाथ में खेलती कच्ची सुराही सी गर्दन... ईश्वर ने हाड़ी रानी को जैसे पूरी श्रद्धा से बनाया था। सरदार उन्हें भूल कर युद्ध को कैसे जाता?
       रतन सिंह ने दूत को विश्राम करने के लिए कहा और पत्नी के कक्ष में आये। सप्ताह भर पूर्व वधु बन कर आई हाड़ी रानी से महाराणा का संदेश बताते समय बार-बार काँप उठते थे रतन सिंह, पर रानी के चेहरे की चमक बढ़ती जाती थी। पूरा सन्देश सुनने के बार सोलह वर्ष की हाड़ा राजकुमारी ने कहा, " किसी क्षत्राणी के लिए सबसे सौभाग्य का दिन वही होता है जब वह अपने हाथों से अपने पति के मस्तक पर तिलक लगा कर उन्हें युद्ध भूमि में भेजती है। मैं सौभाग्यशाली हूँ जो विवाह के सप्ताह भर के अंदर ही मुझे यह महान अवसर प्राप्त हो रहा है। निकलने की तैयारी कीजिये सरदार! मैं यहाँ आपकी विजय के लिए प्रार्थना और आपकी वापसी की प्रतीक्षा करूंगी।"
       रतन सिंह ने उदास शब्दों में कहा, "आपको छोड़ कर जाने की इच्छा नहीं हो रही है।युद्ध क्षेत्र में भी आपकी बड़ी याद आएगी! सोचता हूँ, मेरे बिना आप कैसे रहेंगी।"
       रानी का मस्तक गर्व से चमक उठा था। कहा," मेरी चिन्ता न कीजिये स्वामी! अपने कर्तव्य की ओर देखिये। मैं वैसे ही रहूंगी जैसे अन्य योद्धाओं की पत्नियाँ रहेंगी। और फिर कितने दिनों की बात ही है, युद्ध के बाद तो पुनः आप मेरे ही संग होंगे न!"
       रतन सिंह ने कोई उत्तर नहीं दिया। वे अपनी टुकड़ी को निर्देश देने और युद्ध के लिए  कूच करने की तैयारी में लग गए। अगली सुबह प्रस्थान के समय जब रानी ने उन्हें तिलक लगाया तो रतन सिंह ने अनायास ही पत्नी को गले लगा लिया। दोनों मुस्कुराए, फिर रतन सिंह निकल गए।
       तीसरे दिन युद्ध भूमि से एक दूत रतन सिंह का पत्र लेकर सलूम्बर पहुँचा। पत्र हाड़ी रानी के लिए था। लिखा था-
         " आज हमारी सेना युद्ध के पूरी तरह तैयार खड़ी है। सम्भव है दूसरे या तीसरे दिन औरंगजेब की सेना से भेंट हो जाय। महाराणा रूपनगर गए हैं सो उनकी अनुपस्थिति में राज्य की रक्षा हमारे ही जिम्मे है। आपका मुखड़ा पल भर के लिए भी आँखों से ओझल नहीं होता है। आपके निकट था तो कह नहीं पाया, अभी आपसे दूर हूँ तो बिना कहे रहा नहीं जा रहा है। मैं आपसे बहुत प्रेम करता हूँ। आपका- सरदार रतन सिंह चूंडावत।"
       रानी पत्र पढ़ कर मुस्कुरा उठीं। किसी से स्वयं के लिए यह सुनना कि "मैं आपको बहुत प्रेम करता हूँ" भाँग से भी अधिक मता देता है। रानी ने उत्तर देने के लिए कागज उठाया और बस इतना ही लिखा-
        "आपकी और केवल आपकी...."
       पत्रवाहक उत्तर ले कर चला गया। दो दिन के बाद पुनः पत्रवाहक रानी के लिए पत्र ले कर आया। इसबार रतन सिंह ने लिखा था-
        "उसदिन के आपके पत्र ने मदहोश कर दिया है। लगता है जैसे मैं आपके पास ही हूँ। हमारी तलवार मुगल सैनिकों के सरों की प्रतीक्षा कर रही है। कल राजकुमारी का महाराणा के साथ विवाह है। औरंगजेब की सेना भी कल तक पहुँच जाएगी। औरंगजेब भड़का हुआ है, सो युद्ध भयानक होगा। मुझे स्वयं की चिन्ता नहीं, केवल आपकी चिन्ता सताती है।"
         रानी ने पत्र पढ़ा, पर मुस्कुरा न सकीं। आज उन्होंने कोई उत्तर भी नहीं भेजा। पत्रवाहक लौट गया। अगले दिन सन्ध्या के समय पत्रवाहक पुनः पत्र लेकर उपस्थित था। रानी ने उदास हो कर पत्र खोला। लिखा था-
        "औरंगजेब की सेना पहुँच चुकी। प्रातः काल मे ही युद्ध प्रारम्भ हो जाएगा। मैं वापस लौटूंगा या नहीं, यह अब नियति ही जानती है। अब शायद पत्र लिखने का मौका न मिले,सो आज पुनः कहता हूँ, मैंने अपने जीवन मे सबसे अधिक प्रेम आपसे ही किया है। सोचता हूँ, यदि युद्ध में मैं वीरगति प्राप्त कर लूँ तो आपका क्या होगा। एक बात पूछूँ- यदि मैं न रहा तो क्या आप मुझे भूल जाएंगी? आपका- रतन सिंह।"
        हाड़ा रानी गम्भीर हुईं। वे समझ चुकीं थीं कि रतन सिंह उनके मोह में फँस कर अपने कर्तव्य से दूर हो रहे हैं। उन्होंने पल भर में ही अपना कर्तव्य निश्चित कर लिया। उन्होंने सरदार रतन सिंह के नाम एक पत्र लिखा, फिर पत्रवाहक को अपने पास बुलवाया। पत्रवाहक ने जब रानी का मुख देखा तो काँप उठा। शरीर का सारा रक्त जैसे रानी के मुख पर चढ़ आया था, केश हवा में ऐसे उड़ रहे थे जैसे आंधी चल रही हो। सोलह वर्ष की लड़की जैसे साक्षात दुर्गा लग रही थी। उन्होंने गम्भीर स्वर में पत्रवाहक से कहा-"मेरा एक कार्य करोगे भइया?"
       पत्रवाहक के हाथ अनायास ही जुड़ गए थे। कहा, "आदेश करो बहन"
      "मेरा यह पत्र और एक वस्तु सरदार तक पहुँचा दीजिये।"
       पत्रवाहक ने हाँ में सर हिलाया। रानी ने आगे बढ़ कर एक झटके से उसकी कमर से तलवार खींच ली, और एक भरपूर हाथ अपनी ही गर्दन पर चलाया। हाड़ी रानी का शीश कट कर दूर जा गिरा। पत्रवाहक भय से चिल्ला उठा, उसके रोंगटे खड़े गए थे।
       अगले दिन पत्रवाहक सीधे युद्धभूमि में रतन सिंह के पास पहुँचा और हाड़ी रानी की पोटली दी। रतन सिंह ने मुस्कुराते हुए लकड़ी का वह डब्बा खोला, पर खुलते ही चिल्ला उठे। डब्बे में रानी का कटा हुआ शीश रखा था। सरदार ने जलती हुई आँखों से पत्रवाहक को देखा, तो उसने उनकी ओर रानी का पत्र बढ़ा दिया। रतन सिंह ने पत्र खोल कर देखा। लिखा था-
        "सरदार रतन सिंह के चरणों में उनकी रानी का प्रणाम। आप शायद भूल रहे थे कि मैं आपकी प्रेयसी नहीं पत्नी हूँ। हमने पवित्र अग्नि को साक्षी मान कर फेरे लिए थे सो मैं केवल इस जीवन भर के लिए ही नहीं, अगले सात जन्मों तक के लिए आपकी और केवल आपकी ही हूँ। मेरी चिन्ता आपको आपके कर्तव्य से दूर कर रही थी, इसलिए मैं स्वयं आपसे दूर जा रही हूँ। वहाँ स्वर्ग में बैठ कर आपकी प्रतीक्षा करूँगी। रूपनगर की राजकुमारी के सम्मान की रक्षा आपका प्रथम कर्तव्य है, उसके बाद हम यहाँ मिलेंगे। एक बात कहूँ सरदार? मैंने भी आपसे बहुत प्रेम किया है। उतना, जितना किसी ने न किया होगा।"
        रतन सिंह की आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। वे कुछ समय तक तड़पते रहे, फिर जाने क्यों मुस्कुरा उठे। उनका मस्तक ऊँचा हो गया था, उनकी छाती चौड़ी हो गयी थी। उसके बाद तो जैसे समय भी ठहर कर रतन सिंह की तलवार की धार देखता रहा था। तीन दिन तक चले युद्ध में राजपूतों की सेना विजयी हुई थी, और इस युद्ध मे सबसे अधिक रक्त सरदार रतन सिंह की तलवार ने ही पिया था। वह अंतिम सांस तक लड़ा था। जब-जब शत्रु के शस्त्र उसका शरीर छूते, वह मुस्कुरा उठता था। एक-एक करके उसके अंग कटते गए, और अंत मे वह अमर हुआ।
       रूपनगर की राजकुमारी मेवाड़ की छोटी रानी बन कर पूरी प्रतिष्ठा के साथ उदयपुर में उतर चुकी थीं। राजपूत युद्ध भले अनेक बार हारे हों, प्रतिष्ठा कभी नहीं हारे। राजकुमारी की प्रतिष्ठा भी अमर हुई।
       महाराणा राजसिंह और राजकुमारी रूपवती के प्रेम की कहानी मुझे ज्ञात नहीं। मुझे तो हाड़ी रानी का मूल नाम भी नहीं पता। हाँ! यह देश हाड़ा सरदारों की उस सोलह वर्ष की बेटी का ऋणी है, यह जानता हूँ मैं।
जय राजपूताना 🙏
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#हाड़ी_रानी

पति पत्नी के कमजोर होते जा रहे रिश्तों की डोर पहुंच रही थाने और कोर्ट..!!*

*पति पत्नी के कमजोर होते जा रहे रिश्तों की डोर पहुंच रही थाने और कोर्ट..!!*

आज देखा जा रहें कि पति पत्नी के छोटे छोटे विवाद पर पुलिस थाने व कोर्ट में एक दूसरे के खिलाफ प्रताड़ित होने के प्रार्थनापत्र दिए जा रहें यह कैसी रिश्तों की डोर.!!कभी एक जमाने मे देखा जाता था कि ऐसे घरेलू झगड़ों का कारण पति, पत्नी और 'वो'! होता था,
लेकिन अब ऐसे झगडों का कारण मोबाइल और आपसी अहम बन रहा! जिसके कारण पति पत्नि के रिश्ते खंडित हो रहें हैं!पति पत्नी के द्वारा किये गए कबूल नामा की हम एक दूसरे के साथ दुख दर्द में साथ रहेंगे यह वादे निभाने  मुश्किल हो रहे हैं! कहीं रिश्तों में दरार पड़ रही है तो कहीं टूट भी जा रहा हैं!दुनिया के सबसे अच्छे रिश्तों में एक रिश्ता पति और पत्नी का भी है कहते हैं कि जोड़ियां स्वर्ग में बनती हैं और पृथ्वी पर उनका मिलन होता है,पति और पत्नी का रिश्ता एक पवित्र रिश्ता है जिसमें सम्मान, विश्वास और अनुशासन का एक ऐसा तानाबाना है कि बुरे वक्त और उम्र के आखिरी पड़ाव तक कायम रहता है,यही इस रिश्ते की सबसे बड़ी खूबसूरती है।शादी, विवाह, बंधन और जन्म जन्मान्तर के रिश्ते जैसी बातें तो अब काल्पनिक ही लगने लगी है। कभी हमारे समाज में पति को परमेश्वर और रिश्ते को 'जन्म-जन्मान्तर' का दर्जा दिया जाता था। पर वही रिश्ते आज इतने कमजोर होते जा रहे हैं कि रिश्तों की डोर एक दिन भी चलना मुश्किल होती जा रही है। इस आधुनिकता की बयार में सामाजिक रिश्तों की कड़ी बेहद कमजोर हो चली हैं तथा मोबाइल हर किसी की जरूरत है,उसे छीना नहीं जा सकता,पति-पत्नी दोनों को सही और गलत समझना होगा,दांपत्य जीवन में सब कुछ सीमा में हो तो सही है किसी भी रिश्ते में सामजंस्य और आपसी समझदारी दिखाने पर ही वह मजबूत होता है।तथा वही ऐसे मामलों में अकेले ना लें फैसला तो अच्छा है घर परिवार के मामलों में कोई भी फैसला अकेला न करें,पति और पत्नी को मिलकर हर छोटे बड़े फैसले  लेने चाहिए ऐसा करने से रिश्ता मजबूत होता है और निर्णय सफल होने की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए दोनो को मिलकर फैसला करने की आदत विकसित करनी चाहिए।तथा वही कभी भी एक दूसरे को नीचा न दिखाएं,पति पत्नी का रिश्ते में सम्मान और एक मर्यादा होती है जिसका हमेशा ही ध्यान रखना चाहिए एक दूसरे की कमजोरियों को किसी को नीचा दिखाने के लिए प्रयोग नहीं करना चाहिए ऐसा करने से कलह पैदा होती है और रिश्ता कमजोर होता है।

Sunday, 11 February 2024

*बंद जो सामान्य स्थिति को पंगु बना देता है फरहत अली खान*

*बंद जो सामान्य स्थिति को पंगु बना देता है फरहत अली खान* 
मुस्लिम महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष फरहत अली खान ने कहा पंजाब और हरियाणा के कुछ  संगठनों ने 13 फरवरी, 2024 से दिल्ली मार्च का आह्वान किया है। इस आंदोलन में प्रमुख राजमार्गों और अन्य मुख्य सड़कों के माध्यम से देश के विभिन्न हिस्सों से दिल्ली के लिए   तमाम संगठनों का सामूहिक आंदोलन शामिल होगा। इससे आंदोलनकारियों की भीड़ के कारण परिवहन सेवाओं में बड़े पैमाने पर व्यवधान उत्पन्न होने की संभावना है

अतीत में, अब निरस्त किए गए केंद्रीय कृषि अधिनियमों के खिलाफ 2020 में किसानों द्वारा इसी तरह के विरोध प्रदर्शन के कारण भारत के कई हिस्सों में आवश्यक वस्तुओं और दवाओं की कमी हो गई थी। प्रस्तावित किसान जमावड़े के कारण इसी तरह के परिदृश्य की तीव्र संभावना है। अधिकांश दवा विनिर्माण इकाइयां पंजाब जैसे उत्तरी राज्यों में स्थित हैं। हिमाचल और हरियाणा आदि अन्य राज्यों में दवाओं का वितरण मुख्य रूप से सड़क मार्ग से होता है। आपातकालीन दवाओं की अनुपलब्धता के कारण कई रोगियों को कठिनाई का सामना करना पड़ा था, जो दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन के कारण बाधित हुआ था, गंभीर बीमारी के इलाज के लिए अन्य राज्यों से रोगियों को दिल्ली ले जाने वाली एम्बुलेंस / वाहनों का प्रवेश भी प्रभावित हुआ था। ऐसी ही स्थिति फिर उत्पन्न हो सकती है यदि आंदोलनकारी एक बार फिर सड़कों पर उतरे.

सड़क और रेल नाकेबंदी से पेट्रोल डीजल और आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले ट्रकों और मालगाड़ियों की आवाजाही में बाधा आएगी। इससे आपूर्ति शृंखला बाधित होगी, जिससे अत्यधिक जमाखोरी होगी और घबराहट में खरीदारी होगी। इससे आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी होगी। स्थानीय लोगों की आवाजाही, विशेषकर एनएच-44 के दोनों ओर स्थित गांवों में रहने वाले लोग, जो दिल्ली को हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों से जोड़ते हैं, प्रभावित होंगे। यह मार्ग जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए जीवन रेखा है जो मुख्य रूप से केवल इसी मार्ग के माध्यम से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति पर निर्भर हैं।इन बंदों और नाकेबंदी से आम आदमी को जो तकलीफ हो रही है, उस पर चिंतन करने की जरूरत है।  एक छोटे वर्ग के असंतुष्ट लोगों के द्वारा आम लोगों के इस ब्लैकमेल को रोकने की जरूरत हैl

Thursday, 8 February 2024

होटल पर बैठे एक शख्स ने दूसरे से कहा यह होटल पर काम करने वाला बच्चा इतना बेवकूफ है कि मैं पाँच सौ और पचास का नोट रखूंगा तो यह पचास का ही नोट उठाएगा। और साथ ही बच्चे को आवाज़ दी और दो नोट सामने रखते हुए बोला इन मे से ज़्यादा पैसों वाला नोट उठा लो, बच्चे ने पचास का नोट उठा लिया।

होटल पर बैठे एक शख्स ने दूसरे से कहा यह होटल पर काम करने वाला बच्चा इतना बेवकूफ है कि मैं पाँच सौ और पचास का नोट रखूंगा तो यह पचास का ही नोट उठाएगा। और साथ ही बच्चे को आवाज़ दी और दो नोट सामने रखते हुए बोला इन मे से ज़्यादा पैसों वाला नोट उठा लो, बच्चे ने पचास का नोट उठा लिया।

दोनों ने क़हक़हे लगाए और बच्चा अपने काम मे लग गया पास बैठे शख्स ने उन दोनों के जाने के बाद बच्चे को बुलाया और पूछा तुम इतने बड़े हो गए तुम को पचास और पाँच सौ के नोट में फर्क नही पता।

यह सुनकर बच्चा मुस्कुराया और बोला-- यह आदमी अक्सर किसी न किसी दोस्त को मेरी बेवक़ूफ़ी दिखाकर एन्जॉय करने के लिए यह काम करता है और मैं पचास का नोट उठा लेता हूँ, वह खुश हो जाते है और मुझे पचास रुपये मिल जाते है, जिस दिन मैंने पाँच सौ उठा लिया उस दिन यह खेल भी खत्म हो जाएगा और मेरी आमदनी भी।
ज़िन्दगी भी इस खेल की ही तरह है हर जगह समझदार बनने की जरूरत नही होती, "जहां समझदार बनने से अपनी ही खुशियां मुतासिर होती हो वहां बेवक़ूफ़ बन जाना समझदारी है।"

बहुसंख्यक मुसलमान समान नागरिक संहिता के ख़िलाफ़ नहीं हैं फरहत अली खान*

*बहुसंख्यक मुसलमान समान नागरिक संहिता के ख़िलाफ़ नहीं हैं फरहत अली खान*

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के मुद्दे पर 22वें विधि आयोग द्वारा लोगों और धार्मिक संगठनों की राय मांगे जाने के बाद यह एक बार फिर चर्चा में है। स्वाभाविक है कि विधि आयोग की इस चर्चा पर राजनीतिक और धार्मिक समुदायों की ओर से बयानबाजी होगी. लेकिन, सवाल ये है कि देश में समान नागरिक संहिता से किसे दिक्कत है? जब भी समान नागरिक संहिता की चर्चा होती है तो मुसलमानों के खिलाफ कुछ इस तरह से दुष्प्रचार किया जाता है कि अगर यूसीसी लागू हो गया तो मुसलमानों की धार्मिक आस्था खतरे में पड़ जाएगी. जबकि देश के अन्य कानून सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होते हैं, जिससे किसी भी धर्म के अनुयायियों और उनकी धार्मिक मान्यताओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। यदि विवाह, तलाक, भरण-पोषण, उत्तराधिकार, विरासत आदि के मामलों में एकरूपता है तो यह किसी विशेष धर्म के विरुद्ध कैसे होगी?

दूसरे, संविधान में यूसीसी के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश हैं कि राज्यों को इसे लागू करने का प्रयास करना चाहिए। यदि सरकार ऐसा करती है तो यह संविधान की मंशा के अनुरूप होगा। जब सरकार द्वारा 'तीन तलाक' को अवैध घोषित किया गया, तो समुदाय के अधिकांश लोगों ने इसे स्वीकार कर लिया क्योंकि यह उनके सर्वोत्तम हित में था। 'तीन तलाक' पर प्रतिबंध को मुस्लिम मामलों में सरकार के हस्तक्षेप के रूप में भी प्रचारित किया गया, जबकि सच्चाई यह है कि यह मुस्लिम महिलाओं के लिए वरदान बन गया। जहां अशरफिया समुदाय के एक वर्ग ने यूसीसी का विरोध किया, वहीं पसमांदा समुदाय ने इसका स्वागत किया। इसके पीछे कारण यह है कि पसमांदा समाज शादी के मामले में भारतीय संस्कृति को अपनाता है और इसके विपरीत, अरबी/ईरानी संस्कृति के कारण अशरफ समाज में दूसरी शादी और बहुविवाह बहुत आसान और आम बात है।

इसी तरह जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया तो खूब हंगामा हुआ. भारत के हर राज्य का अशराफ़ वर्ग पसमांदा समाज से हर मामले में बहुत आगे है, लेकिन कश्मीर में ये अंतर और भी बड़ा है. केंद्र सरकार की कई जनकल्याणकारी योजनाओं सहित सामाजिक न्याय का आरक्षण, जो अब तक विशेषाधिकार के कारण पूरी तरह से लागू नहीं हो सका और जिसका सीधा नुकसान मूलनिवासी पसमांदा समुदाय को उठाना पड़ा, अब पूरी तरह से लागू किया जाएगा। परिणामस्वरूप, कश्मीर की पसमांदा भी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की पसमांदा की तरह विकास के समान अवसरों की हकदार होंगी। सच तो यह है कि अगर सरकार यूसीसी पर आगे बढ़ती है तो  मुसलमान इस पहल का स्वागत जरूर करेंगे.
फरहत अली खान
एम ए गोल्ड मेडलिस्ट

पंचायत अधिकारी कुलदीप तिवारी के अत्याचार से सात ग्राम सभा वासियों में मचा हाहाकर* *ग्राम पंचायत अधिकारी कुलदीप तिवारी ने सात ग्राम सभा का किया चीर हरण* *सात ग्राम सभाओ में कैसे लगेंगे विकास के पंख*अम्बेडकरनगर

*पंचायत अधिकारी कुलदीप तिवारी के अत्याचार से सात ग्राम सभा वासियों में मचा हाहाकर* 
 
 *ग्राम पंचायत अधिकारी कुलदीप तिवारी ने सात ग्राम सभा का किया चीर हरण* 

*सात ग्राम सभाओ में कैसे लगेंगे विकास के पंख*

अम्बेडकरनगर 
जनपद के विकासखंड रामनगर के ग्राम सचिव कुलदीप तिवारी सात ग्राम पंचायत में कार्यरत है। ग्राम पंचायत भोजपुर,न्योरी, पहाड़पुर, कसदाहा शाहपुर, महमदपुर, रुस्तमपुर , अमोल बुजुर्ग, तिघरा दाउदपुर ग्राम पंचायत अधिकारी कुलदीप तिवारी ने मनमानी तरीके से सातों ग्राम पंचायत में जमकर सरकारी धन को पलीता और प्रधानमंत्री आवास के नाम पर  अवैध धन भी वसूले गए ‌। जनता को लॉलीपॉप देकर आवास के नाम पर रुपए तो ले लिए गए लेकिन अभी तक उनको छत नसीब नहीं हुआ। जिससे सातों ग्राम सभा के ग्रामवासी में बेहद नाराजगी में है और आकर्षित भी दिखाई दे रहे हैं जिलाधिकारी अगर कुलदीप तिवारी की कार्यकाल देखें तो सरकारी धन गमन का कल चिट्ठा खुलकर सामने आ जाएगा। प्रधानमंत्री का सपना है और यह प्रधानमंत्री आवास के जरिए फ्री आवास गरीबों में दिए जाए  लेकिन यहां तो जैसे द्रोपदी का चीर हरण हुआ था वैसे यहां कुलदीप तिवारी के द्वारा जनता के ही चीर हरण कर डालें फिलहाल विकासखंड रामनगर के जिम्मेदार अधिकारी वी डी ओ से लेकर एडीओ पंचायत तक अपने अधीनस्थ अधिकारी को बचाने का ही काम करते हैं । गौरतलब है कि जनता तो दुखी है ही आकोर्षित भी है वहीं पर प्रधान भी ग्राम पंचायत अधिकारी कुलदीप  तिवारी ग्राम प्रधानों ने भी काफी नाराज ग्राम प्रधानों का कहना है बिना हमारे जानकारी में कुलदीप तिवारी ग्राम पंचायत अधिकारी अपने मनमानी तरीके से  बिना बताए धन की वसली ग्रामीणों से की और कुछ फंड भी निकले इसकी शिकायत प्रार्थना पत्र के द्वारा सीडीओ को देकर जनता और ग्राम प्रधान ने न्याय की गुहार लगाई है फिलहाल देखा जाए तो मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी सरकार को जमकर बदनाम करने में अधीनस्थ अधिकारी विकासखंड रामनगर के कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं मजे की बात तो यह है जब से जिलाधिकारी अविनाश सिंह जिले के कमान को संभाला है तब से भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कस  रहे।लेकिन विकासखंड रामनगर के अधिकारी जिलाधिकारी अविनाश सिंह की छवि खराब करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
 *विकासखंड रामनगर के वी डी ओ से लेकर ए डी ओ पंचायत तक भ्रष्टाचार की गिरफ्त में* 
पूर्व में भी ग्राम पंचायत अधिकारियों ने अरविंद अग्रहरि के मशीनरी स्टोर से सामान लगवा कर किसी दूसरे फर्म से कराए गए भुगतान की खबर प्रिंट मीडिया से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक खबर प्रकाशित होती रहे समय-समय पर। अरविंद अग्रहरि तीन वर्षों तक अधिकारियों के चक्कर भी लगाते रहे लेकिन हाथ निराशा ही आई अरविंद अग्रहरि थक हारकर कुछ दिन पहले अरविंद अग्रहरि के द्वारा ब्लॉक रामनगर में धरना दिया  दीपावली के दिन धरना के दिन आलापुर एसडीएम आश्वासन दिए कि हम आपका भुगतान करवाएंगे से बेचारा अरविंद अग्रहरि दो-तीन महीने एसडीम महोदय का चक्कर लगाता रहा आखिर में अरविंद अग्रहरि के साथ क्या न्याय नहीं  हुआ विकासखंड के वीडियो और एडीओ  पंचायत  ग्राम सचिव को ही नोटिस मारते हैं और नोटिस में जवाब में आता है सचिवों के द्वारा कि अरविंद अग्रहरि का कोई भुगतान नहीं बाकी है। जबकि एडीओ पंचायत के द्वारा बीच-बीच में जानकारी ली गई की जांच में क्या हुआ  उन्होंने कहा जांच पूरी हो गई है भुगतान कर दिया जाएगा। लेकिन अगर देखा जाए तो यह कड़ी एक ही नजर आ रही है कोई चोर यह नहीं कहेगा कि हमने ही चोरी की है । वह कब कबूल करता है जब प्रशासन की लाठी चलती है या फिर ईश्वर की लाठी चलती है तब वह कबूल करता है की हां हमने ही गलती की थी यहां तो ऐसा कुछ भी नहीं है कि प्रशासन की लाठी चले उल्टा शिकायतकर्ता के ऊपर ही लाठी चल जाती है। फिलहाल ऐसा लगता है । कि जब तक ईश्वर का कोई चमत्कार नहीं होगा तब तक अंबेडकर नगर में न्याय मिल पाना बड़ा मुश्किल होगा देखना यह होगा इन सब मामलों में जिलाधिकारी भी भ्रष्टाचार्यों के खिलाफ कुछ कर दिखाने की तमन्ना रखते हैं भ्रष्टाचारियों को नहीं छोड़ेंगे।  फिलहाल जनता जिलाधिकारी से काफी उम्मीद लगा कर बैठी।

संशोधित नई तिथि व समय**आवश्यक सूचना : गुलाबी गैंग लोकतांत्रिक द्वारा जिला अस्पताल का घेराव आज*

*संशोधित नई तिथि व समय*

*आवश्यक सूचना :  गुलाबी गैंग लोकतांत्रिक द्वारा जिला अस्पताल का घेराव आज*

*फतेहपुर, जिला अस्पताल में ब्याप्त भ्रष्टाचार व अनियमितताओं के विरुद्ध गुलाबी गैंग लोकतांत्रिक अध्यक्ष हेमलता पटेल के नेतृत्व में सैकड़ों महिलाओं द्वारा आज 8 फरवरी को जिला अस्पताल का घेराव सुनिश्चित | समय दोपहर  1:00 बजे*

*भ्रष्टाचार व अनियमितताओं में सम्मिलित जिम्मेदारों के खिलाफ गंभीर साक्ष्यों के साथ अध्यक्ष हेमलता पटेल द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर अतिशीघ्र जाँच व कार्यवाही कर समस्या निवारण हेतु की जायेगी पुरजोर मांग |*

Wednesday, 7 February 2024

यदि हमारे पूर्वजो को हवाई जहाज बनाना नहीं आता, तो हमारे पास "विमान" शब्द भी नहीं होता। यदि हमारे पूर्वजों को Electricity की जानकारी नहीं थी, तो हमारे पास "विद्युत" शब्द भी नहीं होता।

यदि हमारे पूर्वजो को हवाई जहाज बनाना नहीं आता, तो हमारे पास "विमान" शब्द भी नहीं होता। 

यदि हमारे पूर्वजों को Electricity की जानकारी नहीं थी, तो हमारे पास "विद्युत" शब्द भी नहीं होता। 

यदि "Telephone" जैसी तकनीक  प्राचीन भारत में नहीं थी तो,  "दूरसंचार" शब्द हमारे पास क्यो है। 

Atom और electron की जानकारी नहीं थी तो अणु और परमाणू शब्द कहा से आए। 

Surgery का ज्ञान नहीं था तो, "शल्य चिकितसा" शब्द कहा ये आया। 

विमान,  विद्युत, दूरसंचार ,  ये शब्द स्पष्ट प्रमाण है, कि ये तकनीक भी हमारे पास थी। 

फिसिक्स के सारे शब्द आपको हिन्दी में मिल जाएगे। 

बिना परिभाषा के कोई शब्द अस्तित्व में रह नहीं सकता। 

सौरमंडल में नौ ग्रह है व सभी सूर्य की परिक्रमा लगा रहे है, व बह्ममांड अनंत है, ये हमारे पूर्वजो को बहुत पहले से पता था। रामचरित्र मानस में काक भुशुंडि - गरुड संवाद पढिए, बह्ममांड का ऐसा वर्णन है, जो आज के विज्ञान को भी नहीं पता।

अंग्रेज जब 17-18 सदी में भारत आये तभी उन्होने विज्ञान सीखा,  17 सदी के पहले का आपको कोई साइंटिस्ट नहीं मिलेगा,  

17 -18 सदी के पहले कोई अविश्कार यूरोप में नहीं हुआ, भारत आकर सीखकर, और चुराकर अंग्रेजो ने अविश्कार करे। 

भारत से सिर्फ पैसे की ही लूट नहीं हुई, ज्ञान की भी लूट हुई है। 

वेद ही विज्ञान है और हमारे ऋषि ही वैज्ञानिक है

जय श्री राम , जय सनातन संस्कृति ।

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भारत में मुस्लिम महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाना*

*भारत में मुस्लिम महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाना*

 भारत की उपलब्धियों की समृद्ध सूची में, तीन उल्लेखनीय महिलाएं चमकती हैं।  लखनऊ की चिकनकारी कलाकार नसीम बानो, अपनी कला से जटिल कहानियाँ बुनती हैं, जस्टिस एम फातिमा बीवी, सुप्रीम कोर्ट में सेवा देने वाली पहली मुस्लिम महिला और तकदीरा बेगम, बंगाल की कांथा सिलाई कारीगर हैं।  हालाँकि इन सभी महिलाओं की जीवन कहानी पहले से ही लाखों मुस्लिम महिलाओं को प्रेरित कर रही है, लेकिन पद्म पुरस्कार 2024 के माध्यम से सरकार द्वारा उनकी हालिया मान्यता ने फिर से महिला सशक्तिकरण के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता पर ध्यान केंद्रित कर दिया है।  ये महिलाएं लचीलेपन, विविधता का प्रतीक हैं और उनके योगदान ने भारत की प्रगति और समानता की कहानी को आकार देने में मदद की है।

 लखनऊ शहर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में एक विशिष्ट सूत्र का दावा करता है।  इस विरासत के केंद्र में 62 वर्षीय महिला नसीम बानो हैं, जिन्होंने नाजुक कपड़ों को कला के कार्यों में बदल दिया है।  नसीम की यात्रा को हाल ही में सरकार द्वारा सम्मानित पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किए जाने के साथ राष्ट्रीय मंच पर मान्यता मिली।  इन वर्षों के दौरान, नसीम विभिन्न पुरस्कारों की प्राप्तकर्ता रही हैं, जिनमें 1985 में राज्य पुरस्कार और 2019 में शिल्पगुरु पुरस्कार शामिल हैं। ये सम्मान उनकी स्थायी प्रतिबद्धता और सृजन की कोशिश कर रही कई मुस्लिम महिलाओं के लिए एक पथप्रदर्शक के रूप में उनकी भूमिका के प्रमाण के रूप में खड़े हैं।  इस पुरुष प्रधान दुनिया में अपने लिए एक जगह।

 साथ ही, भारत के सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचने वाली पहली मुस्लिम महिला, न्यायमूर्ति एम फातिमा बीवी की कहानी का उल्लेख करोड़ों हाशिये पर पड़ी मुस्लिम महिलाओं की प्रेरणा के रूप में किया जा सकता है।  1927 में केरल के एक छोटे से गाँव में जन्मी वह एक रूढ़िवादी मुस्लिम परिवार में पली बढ़ीं।  सामाजिक मानदंडों और अपने समुदाय में महिलाओं के लिए सीमित अवसरों के बावजूद, उन्होंने असाधारण शैक्षणिक कौशल का प्रदर्शन किया और राज्य की पहली महिला वकीलों में से एक बन गईं।  इन वर्षों में, उन्होंने कई ऐतिहासिक मामले लड़े, जिनमें प्रसिद्ध शाहबानो मामला भी शामिल है, जिसने मुस्लिम पर्सनल लॉ में तत्काल तलाक की भेदभावपूर्ण प्रथा को चुनौती दी थी।  उनकी निडर और सैद्धांतिक वकालत ने उनके कई प्रशंसक और समर्थक बनाए।  1989 में, उन्होंने इतिहास रचा जब उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया, और वह प्रतिष्ठित पद संभालने वाली पहली महिला और पहली मुस्लिम बनीं।  उनके कार्यकाल को कई ऐतिहासिक निर्णयों द्वारा चिह्नित किया गया था, जिसमें ऐतिहासिक विशाखा मामला भी शामिल था, जिसने कार्यस्थल में महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए दिशानिर्देश स्थापित किए थे।  न्यायमूर्ति फातिमा बीवी की यात्रा लचीलेपन, दृढ़ संकल्प और साहस की थी।  उनका जीवन और विरासत महिलाओं और पुरुषों की पीढ़ियों को बाधाओं को तोड़ने और न्याय और समानता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित करती रहेगी।

 धैर्य और दृढ़ संकल्प का एक ऐसा ही उदाहरण तकदीरा बेगम की कहानी में देखा जा सकता है।  बंगाल में जन्मी और पली-बढ़ी तकदीरा ने लगभग तीन दशकों में कांथा सिलाई में अपने कौशल को निखारा।  इस पारंपरिक कढ़ाई तकनीक में उनकी महारत ने न केवल उनकी प्रशंसा अर्जित की है, बल्कि उनके समुदाय की महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत के रूप में भी काम किया है।  हाल ही में, तकदीरा को कांथा सिलाई की कला में उनके योगदान के लिए भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक, पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।  इस मान्यता ने उनकी कहानी को व्यापक दर्शकों तक पहुंचाया है, जिससे उनकी प्रतिभा और महिलाओं द्वारा अपने समुदायों में निभाई जा सकने वाली मूल्यवान भूमिका पर प्रकाश पड़ा है।  अपनी कलात्मकता के माध्यम से, तकदीरा लचीलेपन और आत्मनिर्भरता की भावना को प्रदर्शित करती है जो उन महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन में बाधाओं और चुनौतियों का सामना करती हैं।  उनकी कहानी महिला सशक्तिकरण का एक सशक्त उदाहरण है, जो दर्शाती है कि कड़ी मेहनत और समर्पण से कुछ भी संभव है।

  यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि भारत बाहरी दबावों और नफरत भरे प्रचार के बावजूद समानता का प्रतीक है।  सरकार द्वारा नसीम बानो, न्यायमूर्ति एम फातिमा बीवी और तकदीरा बेगम के प्रयासों को मान्यता देना दर्शाता है कि कड़ी मेहनत और प्रतिभा ही सफलता के सच्चे चालक हैं, धार्मिक मतभेदों को दूर करना और सभी के लिए सशक्तिकरण को बढ़ावा देना।  इस तरह के कृत्य भारतीय बीमुस्लिम बी महिलाओं की विविधता, दृढ़ता और अडिग भावना के लिए एक श्रद्धांजलि के अलावा और कुछ नहीं हैं।
लेखक :फरहत अली खान
एम ए गोल्डमेडलिस्ट

Monday, 5 February 2024

षटतिला एकादशी व्रत* 🌷 {6 फरवरी 2024, मंगलवार}माध् मास के कृष्ण पक्ष { *गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार पौष मास के कृष्ण पक्ष* } की एकादशी को ' *षटतिला एकादशी'* कहते हैं जो इस बार *6 फरवरी 2024, मंगलवार के दिन है* 🙏👉 *एकादशी तिथि प्रारम्भ*

🌷 *षटतिला एकादशी व्रत* 🌷
      {6 फरवरी 2024, मंगलवार}

माध् मास के कृष्ण पक्ष { *गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार पौष मास के कृष्ण पक्ष* } की एकादशी को ' *षटतिला एकादशी'* कहते हैं जो इस बार  *6 फरवरी 2024, मंगलवार के दिन है* 🙏

👉 *एकादशी तिथि प्रारम्भ* 

कल 5 फरवरी 2024, सोमवार  शाम 05:24 मिनट से 

 👉 *एकादशी तिथि समाप्त* 

6 फरवरी 2024, मंगलवार शाम  04:07 मिनट पे 

 👉 *पारण का समय* 
 
7 फरवरी 2024, बुधवार प्रातः 07:06 से 09:18 तक

{ *विशेष* : *एकादशी का व्रत सूर्य उदय तिथी मंगलवार  के दिन ही रखें.....🙏*  सोमवार शाम को एवं मंगलवार व्रत के दिन खाने में चावल या चावल से बनी हुई चीज वस्तुओं का प्रयोग बिल्कुल भी ना करें 🙏अगर आपने व्रत नहीं रखा है तो भी 🙏

"*षटतिला" का अर्थ है* 
" *षट" यानी 6 {छे}*
 *"तिला" यानी  तिल*

 कुल मिलाकर *6 प्रकार से तिल के प्रयोग को "षटतिला एकादशी" कहते हैं* 

👉 *एकादशी व्रत पूजा विधि* 👇

👉"षट्तिला एकादशी" के दिन मनुष्य को भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखना चाहिए। व्रत करने वालों को गंध, पुष्प, धूप दीप, ताम्बूल सहित विष्णु भगवान का षोड्षोपचार से पूजन करना चाहिए। उड़द और तिल मिश्रित खिचड़ी बनाकर भगवान को भोग लगाना चाहिए। *रात्रि के समय तिल से 108 बार 'ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय स्वाहा' इस मंत्र से हवन करना चाहिए।* 

{ *तिल की उत्पत्ति प्रभु श्री हरि विष्णु के शरीर से हुई है इसीलिए तिल को धार्मिक कार्यों में पवित्र माना जाता है}* 

षटतिला एकादशी का व्रत रखने वालों को उस दिन तिल (Sesame) का प्रयोग करना होता है. इस व्रत में तिल का प्रयोग करने से सुख और सौभाग्य बढ़ता है. माघ मास में सर्दी होती है, तिल की तासीर गरम होती है और यह स्वास्थ्यवर्धक भी होता है. इस व्रत में तिल का प्रयोग करने से सेहत भी अच्छी रहती है🙏 

 *षटतिला एकादशी के दिन तिल का प्रयोग 6 प्रकार से करते हैं.* तिल के प्रयोग के बिना षटतिला एकादशी व्रत पूरा नहीं होता है, इसलिए आप भी यदि व्रत रखते हैं, तो इस👇 प्रकार से तिल का प्रयोग करें🙏

👉 *आइए जानते हैं कि "षटतिला एकादशी" व्रत में तिल का छे {6} प्रकार से प्रयोग कैसे करना है* ❓

 *1.* यदि आप षटतिला एकादशी का व्रत रखते हैं, तो उस दिन प्रात:काल में स्नान करने से पूर्व *तिल का उबटन शरीर पर लगाएं* . उसके बाद ही स्नान करें🙏

 *2* . स्नान करने के लिए तिल मिले हुए पानी का प्रयोग करें. इसके लिए आप *बाल्टी में पानी* भर लें और *उसमें तिल मिला दें. फिर स्नान करें.🙏* 

 *3* .षटतिला एकादशी का व्रत रहने वाले व्यक्ति को *तिल मिश्रीत जल पीना  एवं शरीर में तिल के तेल से मालिश करना चाहिए.* ऐसा धार्मिक विधान है. ऐसा करना सेहत के लिए लाभदायक होता है🙏
 
 *4.* षटतिला एकादशी व्रत के पूजा के समय *भगवान विष्णु को तिल से बने खाद्य पदार्थों का भोग लगाएं* . ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाओं को पूरा करते हैं. इस दिन व्रत रहने वालों को भी  *तिल से बने खाद्य पदार्थों को फलाहार में शामिल करना चाहिए* 🙏 

 *5* . *भगवान विष्णु की पूजा करते समय तिल से हवन करना चाहिए* . इसके लिए आप ​तिल में गाय का घी मिलाकर हवन कर सकते हैं🙏

 *6.* षटतिला एकादशी के दिन *तिल का दान करना उत्तम माना जाता है* .तिल का दान करने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है. उसे स्वर्ग में स्थान मिलता है🙏

👉 *माघ माह में तिल* 👇

 *माघ माह में 'संकष्टी चतुर्थी, 'षटतिला एकादशी, 'लोहड़ी", 'मकरसंक्रान्ति' इन सभी त्यौहारों पर तिल का सर्वाधिक महत्व है। इसके पीछे हैं तिल के विशेष गुण जिनकी बजह से माघ माह में तिल को इतना महत्व दिया जाता है।* 

 *1* .तिल का सेवन हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है। सर्दियों में तिल व उसके तेल दोनों का ही सेवन करना चाहिए। काले तिल व सफेद तिल दोनों का ही उपयोग औषधीय रूप में भी किया जाता है। *तिल का तेल एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। वाइरस, एजिंग और बैक्टीरिया से शरीर की रक्षा करता है।* 

 *2.* ठंड में *तिल गुड़ दोनो* समान मात्रा में लेकर मिला लें। उसके लड्डू बना लें। प्रतिदिन 2 बार *1-1 लड्डू दूध के साथ खाने से मानसिक दुर्बलता एवं तनाव दूर होते है। शक्ति मिलती है।* 

 *3.* कठिन शारीरिक श्रम करने पर *सांस फूलना जल्दी बुढ़ापा आना बन्द हो जाता है।* इससे चुस्ती व स्फूर्ती बनी रहती है।

 *4.* तिल व *तिल के तेल के सेवन से व सिर में इसकी मालिश* करने से न केवल बाल घने और चमकदार होते हैं बल्कि *बालों का गिरना भी कम हो जाता है।* 

 *5.* प्रतिदिन *दो चम्मच काले तिल को चबाकर खाइए* और उसके बाद ठंडा पानी पीजिए। इसका नियमित सेवन करने से *पुराना बवासीर भी ठीक हो जाता है।* 

 *6* .ठंड में तिल और गुड़ सर्द हवा से बचाता है। जिससे *सर्दी, खाँसी जैसे रोग भी दूर रहते हैं* ।

 *7.* तिल का उपयोग चेहरे पर निखार के लिए भी किया जाता है। तिल को दूध में भिगोकर उसका पेस्ट चेहरे पर लगाने से चेहरे पर प्राकृतिक चमक आती है, और रंग भी निखरता है। इसके अलावा *तिल के तेल की मालिश करने से भी त्वचा क्रांतिमय हो जाती है* ।

 *৪.* शरीर के किसी भी अंग की त्वचा के जल जाने पर, *तिल को पीसकर घी और कपूर के साथ* लगाने पर आराम मिलता है, और *घाव भी जल्दी ठीक हो जाता है* ।

 *9.* *सूखी खाँसी होने पर तिल को मिश्री व पानी के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।* इसके अलावा तिल के तेल को लहसुन के साथ गर्म करके, गुनगुने रूप में कान में डालने पर *कान के दर्द में आराम मिलता है* ।
                    
🙏 *ओम नमो नारायणाय* 🙏

पुण्यतिथि महाराजा गंगा सिंह जी बीकानेर के भागीरथ वर्ष 1899-1900 में राजस्थान में एक बदनाम अकाल पड़ा था...

#पुण्यतिथि महाराजा गंगा सिंह जी बीकानेर के भागीरथ 
वर्ष 1899-1900 में राजस्थान में एक बदनाम अकाल पड़ा था...

विक्रम संवत १९५६ (1956) में ये अकाल पड़ने के कारण राजस्थान में इसे छप्पनिया-काळ कहा जाता है...

एक अनुमान के मुताबिक इस अकाल से राजस्थान में लगभग पौने-दो लाख लोगों की मृत्यु हो गयी थी...
पशु पक्षियों की तो कोई गिनती नहीं है...
लोगों ने खेजड़ी के वृक्ष की छाल खा-खा के इस अकाल में जीवनयापन किया था...

यही कारण है कि राजस्थान के लोग अपनी बहियों (मारवाड़ी अथवा महाजनी बही-खातों) में पृष्ठ संख्या 56 को रिक्त छोड़ते हैं...
छप्पनिया-काळ की विभीषिका व तबाही के कारण राजस्थान में 56 की संख्या अशुभ मानी है....

इस दौर में बीकानेर रियासत के यशस्वी महाराजा थे...
गंगासिंह जी राठौड़(बीका राठौड़ अथवा बीकानेर रियासत के संस्थापक राव बीका के वंशज)....

अपने राज्य की प्रजा को अन्न व जल से तड़प-तड़प के मरता देख गंगासिंह जी का हृदय द्रवित हो उठा....

गंगासिंह जी ने सोचा क्यों ना बीकानेर से पँजाब तक नहर बनवा के सतलुज से रेगिस्तान में पानी लाया जाए ताकि मेरी प्रजा को किसानों को अकाल से राहत मिले...

नहर निर्माण के लिए गंगासिंह जी ने एक अंग्रेज इंजीनियर आर जी कनेडी (पँजाब के तत्कालीन चीफ इंजीनियर) ने वर्ष 1906 में इस सतलुज-वैली प्रोजेक्ट की रूपरेखा तैयार की...

लेकिन....
बीकानेर से पँजाब व बीच की देशी रियासतों ने अपने हिस्से का जल व नहर के लिए जमीन देने से मना कर दिया....
नहर निर्माण में रही-सही कसर कानूनी अड़चनें डाल के अंग्रेजों ने पूरी कर दी...

महाराजा गंगासिंह जी ने परिस्थितियों से हार नहीं मानी और इस नहर निर्माण के लिए अंग्रेजों से एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी और जीती भी...

बहावलपुर (वर्तमान पाकिस्तान) रियासत ने तो अपने हिस्से का पानी व अपनी ज़मीन देने से एकदम मना कर दिया...

महाराजा गंगासिंह जी ने जब कानूनी लड़ाई जीती तो वर्ष 1912 में पँजाब के तत्कालीन गवर्नर सर डैंजिल इबटसन की पहल पर दुबारा कैनाल योजना बनी...

लेकिन...
किस्मत एक वार फिर दगा दे गई...
इसी दरमियान प्रथम विश्वयुद्ध शुरू हो चुका था...

4 सितम्बर 1920 को बीकानेर बहावलपुर व पँजाब रियासतों में ऐतिहासिक सतलुज घाटी प्रोजेक्ट समझौता हुआ..

महाराजा गंगासिंह जी ने 1921 में गंगनहर की नींव रखी...

26 अक्टूम्बर 1927 को गंगनहर का निर्माण पूरा हुआ....
हुसैनवाला से शिवपुरी तक 129 किलोमीटर लंबी ये उस वक़्त दुनियाँ की सबसे लंबी नहर थी...

गंगनहर के निर्माण में उस वक़्त कुल 8 करोड़ रुपये खर्च हुए...
गंगनहर से वर्तमान में 30 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है...

इतना ही नहीं...
वर्ष 1922 में महाराजा गंगासिंह जी ने बीकानेर में हाई-कोर्ट की स्थापना की...
इस उच्च-न्यायालय में 1 मुख्य न्यायाधीश के अलावा 2 अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति भी की...
इस प्रकार बीकानेर देश में हाई-कोर्ट की स्थापना करने वाली प्रथम रियासत बनी...

वर्ष 1913 में महाराजा गंगासिंह जी ने चुनी हुई जनप्रतिनिधि सभा का गठन किया...
महाराजा गंगासिंह जी ने बीकानेर रियासत के कर्मचारियों के लिए एंडोमेंट एश्योरेंस स्कीम व जीवन बीमा योजना लागू की...

महाराजा गंगासिंह जी ने निजी बैंकों की सुविधाएं आम नागरिकों को भी मुहैय्या करवाई...
महाराजा गंगासिंह जी ने बाल-विवाह रोकने के लिए शारदा एक्ट कड़ाई से लागू किया....
महाराजा गंगासिंह जी ने बीकानेर शहर के परकोटे के बाहर गंगाशहर नगर की स्थापना की....

#बीकानेर #रियासत की #इष्टदेवी #माँकरणी में गंगासिंह जी की अपने पूर्व शासकों की भाँति अपार आस्था थी...
इन्होंने देशनोक धाम में माँ करणी के मंदिर का जीर्णोद्धार भी करवाया...
महाराजा गंगासिंह जी की सेना में गंगा-रिसाला नाम से ऊँटों का बेड़ा भी था...

इसी गंगा-रिसाला ऊँटों के बेड़े के साथ महाराजा गंगासिंह जी ने प्रथम व द्वितीय विश्वयुद्ध में अदम्य साहस शौर्य वीरता से युद्ध लड़े...
इन्हें ब्रिटिश हुकूमत द्वारा उस वक़्त सर्वोच्च सैन्य-सम्मान से भी नवाजा गया...
गंगासिंह जी के ऊँटों का बेड़ा गंगा-रिसाला आज सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की शान है.... व देश सेवा में गंगा-रिसाला हर वक़्त मुस्तैद है....

(बीकानेर महाराजा करणीसिंह... निशानेबाजी में भारत के प्रथम अर्जुन पुरस्कार विजेता)...
(वर्तमान में करणीसिंह जी की पौत्री व बीकानेर राजकुमारी सिद्धि कुमारी जी (सिद्धि बाईसा) बीकानेर से भाजपा विधायक है)....

कहते हैं माँ गंगा को धरती पे राजा भागीरथ लाये थे इसलिए गंगा नदी को भागीरथी भी कहा जाता है...
21 वर्षों के लंबे संघर्ष और कानूनी लड़ाई के बाद महाराजा गंगासिंह जी ने अकाल से जूझती बीकानेर/राजस्थान की जनता के लिए गंगनहर के रूप रेगिस्तान में जल गंगा बहा दी थी...
गंगनहर को रेगिस्तान की भागीरथी कहा जाता है...
इसलिए...

महाराजा गंगासिंह जी को मैं कलयुग का भागीरथ कहूँ तो इसमें अतिशयोक्ति नहीं होगी!!!!....
गंगा नहर परियोजना की खुदाई के दुर्लभ चित्र उस समय ऊँटगाड़ो की सहायता से नहर खुदाई का कार्य सम्पन्न हुआ था। नमन है उन कामगारों को जिनकी मदद से आज वीरान राजस्थान हरा भरा हुआ है....

#rayadav #इतिहास #history #viral #lifestyle #new

Thursday, 1 February 2024

उत्तर प्रदेश: मुरादाबाद जिला पुलिस ने गाय काटने में बजरंगदल जिला प्रमुख सुमित उर्फ मोनू विश्नोई बजरंगी सहित रमन चौधरी, राजीव चौधरी, शहाबुद्दीन को पकड़ा है। इस गैंग ने 15 दिन में 2 जगह गोकशी कराई।

उत्तर प्रदेश: मुरादाबाद जिला पुलिस ने गाय काटने में बजरंगदल जिला प्रमुख सुमित उर्फ मोनू विश्नोई बजरंगी सहित रमन चौधरी, राजीव चौधरी, शहाबुद्दीन को पकड़ा है। इस गैंग ने 15 दिन में 2 जगह गोकशी कराई।

मकसद था शहाबुद्दीन के दुश्मन महमूद को जेल भिजवाने का। इसलिए गोकशी वाली जगह महमूद का फोटो/नाम छोड़ा गया, जिससे पुलिस उसे जेल भेज दे। पुलिस ने अच्छी इन्वेस्टिगेशन की और महमूद को नहीं पकड़ा।

फिर बजरंगियों ने SHO को हटवाने की साजिश रची। इसलिए एक बार और गोकशी करके अवशेष फेंक दिए और खुद SHO के खिलाफ प्रोटेस्ट करने लगे। लेकिन पुलिस जांच में सारी साजिश खुल गई।

किशनगढ़ के राजा मानसिंह राठौड़ की बहन चारूमति राठौड़ की खूबसूरती के किस्से सुनकर औरंगजेब ने मानसिंह से कहा कि हम तुम्हारी बहन से शादी करेंगे

किशनगढ़ के राजा मानसिंह राठौड़ की बहन चारूमति राठौड़ की खूबसूरती के किस्से सुनकर औरंगजेब ने मानसिंह से कहा कि हम तुम्हारी बहन से शादी करेंगे
मानसिंह बादशाह को मना करने की स्थिति में नहीं थे, पर चारुमति राठौड़ ने इस विवाह प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए कहा कि यदि ऐसा हुआ, तो मैं अपने प्राण त्याग दूंगी

राजा मानसिंह ने अपने कुटुम्ब के लोगों से बातचीत कर फैसला किया कि मुगल बादशाह के खिलाफ जाना समूचे राजपूताने में मेवाड़ महाराणा राजसिंह जी के ही बस की बात है

राजा ने बहन से कहा कि तुम खुद महाराणा को पत्र लिखो, इससे महाराणा के चित्त पर प्रभाव पड़ेगा और वे मना नहीं करेंगे

चारुमति राठौड़ ने पत्र में लिखा "आप एकलिंग महादेव के उपासक व महाराणा प्रताप के प्रपौत्र हैं। जिस तरह भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी से विवाह किया, उसी प्रकार यदि आपने मुझसे विवाह कर उस मुगल बादशाह आलमगीर (औरंगजेब) के पंजे से ना छुड़ाया, तो मैं विष खा लूंगी और ये अपराध आपके सिर रहेगा"

इस पत्र के साथ ही एक और पत्र राजा मानसिंह ने महाराणा को लिखा कि "यदि आप हमारी इच्छा से चारुमति को ले जायेंगे, तो औरंगजेब हमें जीवित नहीं छोड़ेगा। आप अपनी फौज के साथ यहां आकर हमें कैद कर चारुमति से विवाह करके ले जाइयेगा, जिससे की बादशाह को हम पर शक ना हो"

महाराणा राजसिंह ने सहर्ष प्रस्ताव स्वीकार किया और जैसा कि तय हुआ था, महाराणा ने राजा मानसिंह को एक महल में बन्द किया व सबका आना-जाना बन्द करवाकर रानी चारुमति राठौड़ से विवाह कर मेवाड़ पधारे

औरंगज़ेब ने रानी चारूमति को लाने के लिए जो डोले भेजे थे, वो जब खाली लौटे तो औरंगजेब तिलमिला उठा पर मन मसोसकर रह गया

पोस्ट लेखक :- तनवीर सिंह सारंगदेवोत (लक्ष्मणपुरा - मेवाड़)