🌷 *षटतिला एकादशी व्रत* 🌷
{6 फरवरी 2024, मंगलवार}
माध् मास के कृष्ण पक्ष { *गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार पौष मास के कृष्ण पक्ष* } की एकादशी को ' *षटतिला एकादशी'* कहते हैं जो इस बार *6 फरवरी 2024, मंगलवार के दिन है* 🙏
कल 5 फरवरी 2024, सोमवार शाम 05:24 मिनट से
👉 *एकादशी तिथि समाप्त*
6 फरवरी 2024, मंगलवार शाम 04:07 मिनट पे
👉 *पारण का समय*
7 फरवरी 2024, बुधवार प्रातः 07:06 से 09:18 तक
{ *विशेष* : *एकादशी का व्रत सूर्य उदय तिथी मंगलवार के दिन ही रखें.....🙏* सोमवार शाम को एवं मंगलवार व्रत के दिन खाने में चावल या चावल से बनी हुई चीज वस्तुओं का प्रयोग बिल्कुल भी ना करें 🙏अगर आपने व्रत नहीं रखा है तो भी 🙏
"*षटतिला" का अर्थ है*
" *षट" यानी 6 {छे}*
*"तिला" यानी तिल*
कुल मिलाकर *6 प्रकार से तिल के प्रयोग को "षटतिला एकादशी" कहते हैं*
👉 *एकादशी व्रत पूजा विधि* 👇
👉"षट्तिला एकादशी" के दिन मनुष्य को भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखना चाहिए। व्रत करने वालों को गंध, पुष्प, धूप दीप, ताम्बूल सहित विष्णु भगवान का षोड्षोपचार से पूजन करना चाहिए। उड़द और तिल मिश्रित खिचड़ी बनाकर भगवान को भोग लगाना चाहिए। *रात्रि के समय तिल से 108 बार 'ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय स्वाहा' इस मंत्र से हवन करना चाहिए।*
{ *तिल की उत्पत्ति प्रभु श्री हरि विष्णु के शरीर से हुई है इसीलिए तिल को धार्मिक कार्यों में पवित्र माना जाता है}*
षटतिला एकादशी का व्रत रखने वालों को उस दिन तिल (Sesame) का प्रयोग करना होता है. इस व्रत में तिल का प्रयोग करने से सुख और सौभाग्य बढ़ता है. माघ मास में सर्दी होती है, तिल की तासीर गरम होती है और यह स्वास्थ्यवर्धक भी होता है. इस व्रत में तिल का प्रयोग करने से सेहत भी अच्छी रहती है🙏
*षटतिला एकादशी के दिन तिल का प्रयोग 6 प्रकार से करते हैं.* तिल के प्रयोग के बिना षटतिला एकादशी व्रत पूरा नहीं होता है, इसलिए आप भी यदि व्रत रखते हैं, तो इस👇 प्रकार से तिल का प्रयोग करें🙏
👉 *आइए जानते हैं कि "षटतिला एकादशी" व्रत में तिल का छे {6} प्रकार से प्रयोग कैसे करना है* ❓
*1.* यदि आप षटतिला एकादशी का व्रत रखते हैं, तो उस दिन प्रात:काल में स्नान करने से पूर्व *तिल का उबटन शरीर पर लगाएं* . उसके बाद ही स्नान करें🙏
*2* . स्नान करने के लिए तिल मिले हुए पानी का प्रयोग करें. इसके लिए आप *बाल्टी में पानी* भर लें और *उसमें तिल मिला दें. फिर स्नान करें.🙏*
*3* .षटतिला एकादशी का व्रत रहने वाले व्यक्ति को *तिल मिश्रीत जल पीना एवं शरीर में तिल के तेल से मालिश करना चाहिए.* ऐसा धार्मिक विधान है. ऐसा करना सेहत के लिए लाभदायक होता है🙏
*4.* षटतिला एकादशी व्रत के पूजा के समय *भगवान विष्णु को तिल से बने खाद्य पदार्थों का भोग लगाएं* . ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाओं को पूरा करते हैं. इस दिन व्रत रहने वालों को भी *तिल से बने खाद्य पदार्थों को फलाहार में शामिल करना चाहिए* 🙏
*5* . *भगवान विष्णु की पूजा करते समय तिल से हवन करना चाहिए* . इसके लिए आप तिल में गाय का घी मिलाकर हवन कर सकते हैं🙏
*6.* षटतिला एकादशी के दिन *तिल का दान करना उत्तम माना जाता है* .तिल का दान करने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है. उसे स्वर्ग में स्थान मिलता है🙏
👉 *माघ माह में तिल* 👇
*माघ माह में 'संकष्टी चतुर्थी, 'षटतिला एकादशी, 'लोहड़ी", 'मकरसंक्रान्ति' इन सभी त्यौहारों पर तिल का सर्वाधिक महत्व है। इसके पीछे हैं तिल के विशेष गुण जिनकी बजह से माघ माह में तिल को इतना महत्व दिया जाता है।*
*1* .तिल का सेवन हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है। सर्दियों में तिल व उसके तेल दोनों का ही सेवन करना चाहिए। काले तिल व सफेद तिल दोनों का ही उपयोग औषधीय रूप में भी किया जाता है। *तिल का तेल एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। वाइरस, एजिंग और बैक्टीरिया से शरीर की रक्षा करता है।*
*2.* ठंड में *तिल गुड़ दोनो* समान मात्रा में लेकर मिला लें। उसके लड्डू बना लें। प्रतिदिन 2 बार *1-1 लड्डू दूध के साथ खाने से मानसिक दुर्बलता एवं तनाव दूर होते है। शक्ति मिलती है।*
*3.* कठिन शारीरिक श्रम करने पर *सांस फूलना जल्दी बुढ़ापा आना बन्द हो जाता है।* इससे चुस्ती व स्फूर्ती बनी रहती है।
*4.* तिल व *तिल के तेल के सेवन से व सिर में इसकी मालिश* करने से न केवल बाल घने और चमकदार होते हैं बल्कि *बालों का गिरना भी कम हो जाता है।*
*5.* प्रतिदिन *दो चम्मच काले तिल को चबाकर खाइए* और उसके बाद ठंडा पानी पीजिए। इसका नियमित सेवन करने से *पुराना बवासीर भी ठीक हो जाता है।*
*6* .ठंड में तिल और गुड़ सर्द हवा से बचाता है। जिससे *सर्दी, खाँसी जैसे रोग भी दूर रहते हैं* ।
*7.* तिल का उपयोग चेहरे पर निखार के लिए भी किया जाता है। तिल को दूध में भिगोकर उसका पेस्ट चेहरे पर लगाने से चेहरे पर प्राकृतिक चमक आती है, और रंग भी निखरता है। इसके अलावा *तिल के तेल की मालिश करने से भी त्वचा क्रांतिमय हो जाती है* ।
*৪.* शरीर के किसी भी अंग की त्वचा के जल जाने पर, *तिल को पीसकर घी और कपूर के साथ* लगाने पर आराम मिलता है, और *घाव भी जल्दी ठीक हो जाता है* ।
*9.* *सूखी खाँसी होने पर तिल को मिश्री व पानी के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।* इसके अलावा तिल के तेल को लहसुन के साथ गर्म करके, गुनगुने रूप में कान में डालने पर *कान के दर्द में आराम मिलता है* ।
🙏 *ओम नमो नारायणाय* 🙏
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