Saturday 12 October 2024

गुलाबी ठंड ने दस्तक दे दी है, देश में जहाँ त्यौहारों की धूम है एक पार्टी अपनी लगन, आस्था और निष्ठा से तीसरी बार सत्ता में लौटने से बेहद प्रसन्न और उत्साहित है..

#दास_दरबार - 8
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गुलाबी ठंड ने दस्तक दे दी है, देश में जहाँ त्यौहारों की धूम है एक पार्टी अपनी लगन, आस्था और निष्ठा से तीसरी बार सत्ता में लौटने से बेहद प्रसन्न और उत्साहित है..

वहीं दूसरी ओर दिल्ली के एक पॉश इलाके के बड़े से बँगले में इसी परिणाम को लेकर पिछले कई दिनों से मातम पसरा हुआ है..

गोरी चिट्टी, 70 पार की विदेशी महिला पिछले चार दिनों से शराब की बोतल पर बोतल खाली किये जा रही है.. गोयाकि शराब परोसना कभी उसका धंधा था..

आज तीन, चार दिनों बाद इस अप्रत्याशित सदमे से आहत, निराश इस महिला ने इन परिणामों पर बातचीत करने के लिए अपने गिरोह के कुछ लोगों को बुलवाया है..

वो महिला बेहद गुस्से में अपने बँगले के बड़े से हॉल में बैठी है.. तभी सफेद टी शर्ट और खाकी पेंट पहने उसका मंदबुद्धि बेटा और उसकी मर्दाना शकल वाली लड़की भी हॉल में दाखिल होते हैं.. मंदबुद्धि लड़का जो हमेशा मस्ती और खुराफ़ात के मूड में ही रहता है वो भी अपनी माँ के तेवर देखकर चुपचाप पास वाले सोफे पर आकर बैठ गया है.. उसकी बहन भी सामने वाले सोफे पर पसर गई है उसकी मर्दाना शकल पर भी 12 बज रहे हैं..

इतने में 80 पार का धोती, कुर्ता पहने एक काला बूढ़ा आदमी दो सहायकों के सहारे कमरे में दाखिल होता है, वैसे तो इन तीनों माँ बेटों के सामने किसी भी ग़ुलाम को बैठने की अनुमति नहीं होती है लेकिन ये उनकी पार्टी का कठपुतली अध्यक्ष है और उम्र भी ज़्यादा हो गई है इसलिये उसे कुर्सी देना पड़ी है..

इसके बाद छोटी गर्दन वाली मोटी औरत, टीवी डिबेट्स में इसी के जैसे अपनी पार्टी के L लगवाने वाला एक प्रवक्ता जिसे एक खूबसूरत न्यूज़ एंकर जानें कितनी ही बार बेज़्ज़त कर चुकी है लेकिन वो फिर भी नहीं मानता है, वो भी दाखिल होता है.. 

अपने आपको CM पद का दावेदार मानने वाला एक बुड्ढा जिसने मर्दाना शकल वाली लड़की के पति को सैकड़ों एकड़ ज़मीन कौड़ियों के भाव दिलवाकर उन्हें करोड़ों रुपए कमवाकर दिए हैं.. वो भी दाखिल होता है और थोड़ी ही देर में इसी बुड्ढे के पैरों तले ज़मीन खिसकाने वाली एक परकटी महिला नेत्री भी दाखिल होती है..

महिला बेहद गुस्से में है.. सबके हॉल में आते से ही बँगले का नौकर महँगी शराब, तीन गिलास, ड्राय फ्रूट्स, नमकीन से भरी ट्रे लेकर हॉल में दाखिल होता है.. विदेशी मूल की महिला से उसकी पसंद के हिसाब से पैग का डोज़, सोडा, बर्फ मिलाकर उनके हाथ में सौंप देता है.. ऐसे ही दो पैग वो उसके दोनों बच्चों के भी बनाकर कमरे साइड में खड़ा हो जाता है..

हॉल में सन्नाटा है.. कोई कुछ नहीं बोल रहा है.. महिला गट गट गट करके एक साँस में ही पहला पैग उदरस्थ कर जाती है और पास में खड़ा नौकर तुरंत उतना ही बड़ा दूसरा पैग बनाकर फिर से साइड में खड़ा हो जाता है..

कमरे में खड़े सभी गुलामों के हाथ पैर थर थर काँप रहे हैं और सबसे ज़्यादा डरी सहमी हुई छोटी गर्दन वाली मोटी औरत है.. वो धीरे धीरे मंदबुद्धि बालक को इशारे करके उसकी माँ के गुस्से से बचाने की गुहार लगा रही है..

महिला दूसरा पैग भी बहुत तेजी से गटक जाती है और नौकर तीसरा लार्ज पैग बनाकर कमरे से बाहर निकल जाता है.. इतने में दूसरा नौकर तंदूरी चिकन, फिश पकौड़े लिए कमरे में दाखिल होता है और तीनों को बराबरी से सर्व करके बाहर निकल जाता है..

तभी सफेद दाढ़ी, कुर्ता पायजामा पहने, गले में गमछा डाले एक और आदमी हॉल में प्रवेश करता है और वो तीनों को झुककर प्रणाम करके बाकी लोगों के साथ खड़ा हो जाता है..

ये आदमी कभी चुनाव विश्लेषक हुआ करता था और इसने विदेशी मूल की महिला की पार्टी की लहर, आंधी, सुनामी चलने की बात कही थी, ये आदमी धीरे धीरे इतने प्यार से बातें करता है कि चाशनी भी इसकी मिठास के आगे खुद को फीका समझने लगती है.. ऐसा बताते हैं इसको ज़्यादा सुनने से लोगों को डायबीटीज भी हो जाती है.. ये बहुत बड़ा परजीवी है जो हमेशा दूसरे जीवों पर आश्रित रहकर उन्हें मीठी मीठी बातें सुनाकर अपनी दुकानदारी बरसों से चला रहा है..

इस आदमी के आते से महिला गुस्से में चिल्लाती है.. ख्यो रे गुलामों... ये ख्या हुआ.. टुम सब तो कहते थे खि हमारी भोत बड़ी जीत होने जा रही है.. तो ये ख्या हुआ...

उसने घूरकर छोटी गर्दन वाली गालीबाज़ मोटी महिला की तरफ देखा.. यूँ तो टीवी डिबेट्स में हद दर्जे की बदतमीज़ी करने वाली और ज़ोर ज़ोर से चिल्लाकर झूठ बोलने वाली इस महिला को मानों जैसे दस्त ही लग जाएँगे..

वो घबराकर बोली - म.. म.. म.. मैडम ये ये प.. प.. प.. पक्का EVM में सेटिंग करके ही सब हुआ है वरना ह.. ह..हमारी जीत तय थी.. 

उसका समर्थन करते हुए मुँह से डायबीटीज कराने वाला धीरे से बोला - मैडम जहाँ तक मैं समझता हूँ और जितना मेरा अनुभव है उसको देखते हुए मैं ये दावे के साथ कह सकता हूँ कि जीत तो हमारी तय थी लेकिन एक जगह तो हमारा संविधान बच गया और यहाँ खतरे में पड़ गया.. आप तो जानती हैं कि पिछले लगभग तीन चार वर्षों से हमने जिस तरह से बॉर्डर सील करके, लोगों को परेशान करके, किसानों, पहलवानों को भड़काकर के जो जो भी अथक परिश्रम किया था उसके बाद इस तरह का परिणाम आना मेरे लिए तो स्वीकार्य नहीं है.. मैंने जितनी पेमेंट आपसे ली उससे कहीं ज़्यादा काम करके दिया था..

इतना सुनते से ही विदेशी मूल की महिला ने आधे खाए हुए चिकन की टाँग इस डायबीटीज के मुँह पर दे मारी..

इस हरकत से बाकी गुलाम और भी ज़्यादा घबरा गए... इधर मंदबुद्धि लड़का भी दो पैग गटक चुका था और अब वो छोटी गर्दन वाली मोटी औरत को देखकर लार चुआने लगा था लेकिन माँ से डरा हुआ भी था..

इधर 85 पार का पार्टी अध्यक्ष बैठे बैठे कुर्सी पर ही खर्राटे लेने लगा तभी उसके टकले सिर पर कुछ ज़ोर से लगा तो देखा कि दो चार काजू उसके आजू बाजू गिरे हुए थे.. उसके मन में काजू देखकर पहले तो लड्डू फूटे लेकिन तभी उसने देखा कि उसकी मालकिन का गुस्सा भयंकर रूप से फूटा हुआ है..

मालकिन बोली - ख्यो रे खड्डे.. तू ख्या बोला था खि मैडम आप तो जश्न खी तैयारी खरो हम ज़ोरदार पार्टी खरेंगे.. ये जश्न है तेरा..

बुड्ढा घबरा गया और बोला - मैडम हम तो जीत ही रहे थे लेकिन लास्ट लास्ट में जो बाबा ने जलेबी की फैक्ट्री लगाने वाली बात कही उससे वो पहले से ज़्यादा हँसी का पात्र बन गए और सब तरफ बस जलेबी जलेबी की ही चर्चा होने लगी और ऊपर से आप तो जानते हैं उस सफेद दाढ़ी वाले के भक्त लोग और प्रवक्ता कैसे बिना तेल लगाए हमको पेलते हैं..

इतना सुनते से ही इस बार मंदबुद्धि लड़के ने दो चार काजू उठाकर बूढ़े के ऊपर फेंककर मारे.. और अपनी माँ से बोला - मम्मी वो जलेबी की फैक्ट्री लगाने का आईडिया मुझे इसी डायबीटीज ने दिया था और ये बुढ़ऊ ने भी हामी भरी थी.. इसमें मेरी कोई गलती नहीं है.. मुझे तो पुड़िया लेने के बाद जोभी पर्ची पकड़ाई जाती है मैं बोल देता हूँ.. मैं तो जलेबी की फ्रेंचाइजी भी देने वाला था लेकिन वो छोटी गर्दन वाली मोटी औरत ने कहा - नहीं सर ये नहीं बोलना है, ऐसा बोलते हुए उसने उस औरत को देखकर आँख मार दी क्योंकि आँख मारने में उसको महारत हासिल है..

काले बूढ़े के पास ही CM बनने का ख्वाब पाले एक और बुड्ढा खड़ा था और उसकी निगाह डायबीटीज के पास गिरी हुई चिकन की टाँग पर थी क्योंकि झिड़कियां खाते हुए तो उसकी सारी उम्र बीत गई थी वो इसका आदि था इसलिये उसकी निगाह टंगड़ी पर थी..

विदेशी मूल की महिला उससे बोली - ख्यो रे हड्डे.. तुझे भी नहीं दिखाई दिए तेरे नीचे हैं खितने खड्डे और तू तो सपने देख रहा था CM बनने खे..

उस बूढ़े ने हड़बड़ाकर कहा - मैडम ये सारा इस परकटी का किया धरा है, इसी ने मेरी कुर्सी पर नज़र लगा दी थी और यही सब तरफ हँस हँसकर इंटरव्यू दे रही थी जिसमें कोई मेरे CM बनने की बात करता तो ये ज़ोर ज़ोर से हँसने लगती थी.. 

विदेशी मूल की महिला ने परकटी की तरफ देखा तभी वो बोली - देक्खो मैडमजी ये बुड्ढा तो बावळा हो गिया से.. इससे अब इसके छोरा छोरी नी सँभाळते बन रे हैं तो ये परदेस कैसे सँभाळेगा.. इस बावळी बुच की बातां पे ध्याण ना दो और थारे छोरे को समझाओ के जलेब्बी की फैक्ट्री णी होवे है.. बस अब म्हारे से णी होणा है कुछ मैं जा री हाँ.. और निकल जाती है..

इतना सुनकर विदेशी मूल की महिला और भी ज़्यादा गुस्से में भर जाती है और अपने पास बैठे, लार चुआते मंदबुद्धि बेटे को एक ज़ोर का थप्पड़ रसीद कर देती है.. और ज़ोर से चिल्लाती है.. हरामखोर.. तेरे लिए पानी खी तरह पैसा बहा दिया.. विदेशों से भी ला लाखर दिया.. ख्या ख्या प्लानिंग खरी.. तुझे गधे से घोड़ा बनाने पर खरोड़ों खर्च डाले लेखिन तेरे में खोई चेंज नहीं आया.. सब लोग तेरे खो जोखर ही समझते हैं.. 

इतना कहकर महिला दो पैग तेजी से गटक जाती है और गिलास को हड्डे के पास पूरी ताकत से फेंक देती है और निकल जाती है..

बँगले के नौकर साफ सफाई में जुट जाते हैं.. सारे गुलाम एक एक करके हॉल से बाहर निकलने लगते हैं..

मंदबुद्धि इस थप्पड़ के बाद ज़ोर ज़ोर से हँसते हुए और दो पैग गटक जाता है..

सब ग़ुलाम हॉल से बाहर निकल जाते हैं.. तब मंदबुद्धि लड़का छोटी गर्दन वाली मोटी औरत की गर्दन में हाथ डालकर कहता है.. आओ रूम में चलते हैं.. 

छोटी गर्दन वाली मोटी औरत घबराकर कहती है - सर आज नहीं सर, आज अच्छा नहीं लग रहा है, घर जाकर मैं भी दो पैग लगाती हूँ, मेरे सोशल मीडिया हैंडल्स पर भक्तों ने मेरा जीना मुश्किल किया हुआ है, मेरा नाम बदलकर जलेबी बाई रख दिया है.. 

उफ्फ.. कितना कुछ सहना पड़ता है मुझे भी और आपको सपोर्ट करने वाले सभी लोगों को, ऊपर से मैडम का गुस्सा.. अब तो मन करता है कि ज़हर खा लूँ लेकिन फिर सोचती हूँ गालियाँ ही तो मिल रही है लेकिन कमाई भी तो हो रही है..

तभी डायवीटीज छोटी गर्दन वाली मोटी औरत का हाथ धीरे से पकड़कर कहता है - आइये आज इस गरीब के गरीबखाने पर चलिये, आखिर हम भी तो बेज़्ज़त होकर ही दो पैसे कमाते हैं और सारे गुलाम बँगले से निकल जाते हैं..

छोटी गर्दन वाली मोटी औरत अब डायबीटीज के गरीब खाने पर है..दोनों टुन्न हैं, अपनी दुनिया में मस्त हैं..

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