Wednesday, 12 March 2025

मैं पुरुष हूँ ***

मैं पुरुष हूँ ***
मर्दानगी की सूली पर चढ़ा हूँ 
कठोर हूँ, निर्मम हूँ ,निर्भय हूँ 
इस तरह ही गढ़ा हूँ 

मैं पुरुष हूँ •••
मैं खारिज भी किया गया हूँ 
कभी बेटा नालायक,
कभी पति निकम्मा 
कभी पिता नाकाबिल बताया गया हूँ 

मैं पुरुष हूँ ***
बस जिस्म तक सोचता हूँ 
मैं हवस की दलदल में धंसा 
हवस का पुजारी बताया गया हूँ 

मैं पुरुष हूँ ***
दर्द से मेरा क्या रिश्ता
मैं पत्थर हूँ 
आंसुओं से मेरा क्या वास्ता
मगर सच तो ये है 
कि मैं भी रूलाया गया हूँ 

जब भी किसी गलत को गलत कहता हूँ 
अपने ही घर में जालिम करार दिया जाता हूँ 
मैं पुरुष हूँ, ऐसे ही दबा दिया जाता हूँ 

मुझमें भी हैं परतें 
मुझमें भी पानी बहता है
खोल सकोगे जो परतें मेरी
तो देखोगे•••
मुझमें भी सैलाब रहता है
मैं पुरुष हूँ ***

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