Sunday, 28 September 2025

ब्रह्म ऋषि वाल्मीकि अत्यंत पिछड़ी जाति के थे और स्वयं भगवान विष्णु के अवतार ने उन पर धरती पर सबसे अधिक विश्वास करते हुए अपनी गर्भवती पत्नी देवी सीता को उनके हवाले करके छोड़ दिया था यह भेदभाव का पहला उदाहरण है और यह भी की अस्पृश्यता का वहां बोल वाला था

अपने गंदे और विदेशी फंदे में बिके हुए राजनेताओं के द्वारा भटक कर विनाश की ओर जा रहे अनुसूचित जाति जनजाति और पिछड़े जाति के लोगों को मैं एक नंगा और कड़वा सच निष्पक्ष रूप से बताना चाहता हूं जिसको पढ़ना बहुत ही आवश्यक है

ब्रह्म ऋषि वाल्मीकि अत्यंत पिछड़ी जाति के थे और स्वयं भगवान विष्णु के अवतार ने उन पर धरती पर सबसे अधिक विश्वास करते हुए अपनी गर्भवती पत्नी देवी सीता को उनके हवाले करके छोड़ दिया था यह भेदभाव का पहला उदाहरण है और यह भी की अस्पृश्यता का वहां बोल वाला था 

भक्त शिरोमणि रविदास जी ‌ आरती पिछड़े हरिजन जाति के थे और सबसे उच्च कुल की मीराबाई उनके भक्त और शिष्य थी और क्षत्रिय राजपूत को सबसे अधिक सम्मान देते थे सारी जनता बिना भेदभाव के उन्हें अपना मानते थे यह अस्पृश्यता छुआछूत भेदभाव का अगला उदाहरण है।

बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी एक राजा के द्वारा ही संपूर्ण सहायता देकर विदेश भेजे गए और कल अंतर में भारत के मंत्री बने और संविधान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा किया यह अस्पृश्यता छुआ-छूत और भेदभाव का तीसरा उदाहरण है 

गृत्समद ‌ नाम के वैदिक ऋषि ने वेदों को रचा जो अत्यंत पिछड़ी शूद्र जाति के थे और लोग कहते हैं कि अगर शुद्ध के कान में पड़ जाए तो कान में पिघला शीशा डाल देना चाहिए कुछ तो निष्पक्ष रूप से विचार करो की सरकार और आपके राजनेता जहर बोकर आपको कहां ले जा रहे हैं। यह अगला उदाहरण है ‌ भेदभाव छुआछूत और अस्पृश्यता का 

साक्षात भगवान विष्णु के अवतार संपूर्ण संसार जीतने वाले तीनों लोकों के विजेता रावण का वध करने वाले भगवान श्री राम ने अत्यंत ही दलित शबरी के झूठे बेर खाए आज कोई भी दलित अनुसूचित जाति जनजाति का नेता बता दे कि उसने अपनी जाति के किसी झूठ भोजन को खाया हो यह प्रश्न मायावती मुलायम लालू अखिलेश सहित हर नेताओं को है जो खुद को दलित जनता का पिछड़े जनता का हमदर्द समझते हैं और समानता का सिद्धांत लाना चाहते हैं 

कागभुशुण्डि सूतजी ‌ शौनक जी वेदव्यास जी ‌ मतंग ऋषि दादू रविदास मलूक दास गज सहित लाखों दलित अनुसूचित जाति जनजाति के संत महात्मा विद्वान का मान सम्मान किसी भी क्षत्रिय ब्राह्मण या वैश्य जाति के विद्वान ऋषि मुनि से काम नहीं है यह अगला उदाहरण है। 

यह ‌ सारे राजनेता दलित हितैषी क्रिश्चियन और मुस्लिम देशों के इशारों पर पंचमाकर पर बिकर सनातन धर्म अखंड भारत नष्ट और बर्बाद करने में दिन-रात एक किए हैं और आलीशान कोठी बंगले और गाड़ियों में शानदार जीवन जी रहे हैं और दलित लोगों को भड़का रहे हैं ताकि उनका व्यापार चलता रहे उनके इशारे पर बिके हुए कुछ दलित अनुसूचित जाति जनजाति के आरोग्य बुद्धिजीवी शाम को एक मोती दो रोटी और एक पानी शराब पर बिकर देश को बर्बाद करने वाला बहुत भयानक षड्यंत्र कर रहे हैं 

इसलिए है दलित भाइयों अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों तुम किसी की एक बात मत सुनो ‌ लेकिन ऊपर कहानी हुई बातों को एक बार पढ़ कर गंभीरता से सोचो की क्या कोई भी दलित अनुसूचित जाति और जनजाति का नेता आपको किसी प्रकार की मदद कर रहा है डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि

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