Sunday, 7 September 2025

पितृ पक्ष का रहस्य क्यों नहीं करते हैं धूप दीप अगरबत्ती से पूजा और शुभ कार्य

पितृ पक्ष का रहस्य क्यों नहीं करते हैं धूप दीप अगरबत्ती से पूजा और शुभ कार्य 
क्या कभी आपने सोचा है कि 15 दिन पितृपक्ष में पूजा पाठ क्यों नहीं करना चाहिए धूप दीप अगरबत्ती क्यों नहीं जलाना चाहिए शुभ और धार्मिक और मांगलिक काम क्यों नहीं करना चाहिए बहुत बड़े-बड़े लोगों ने इस प्रश्न का उत्तर खोजा है लेकिन सही उत्तर यह है कि धरती पर हमारा जन्म और अस्तित्व पितरों के कारण ही है और एक दिन हम आप सभी लोग पितर बन जाएंगे
 पितर प्रेत योनि में रहते हैं और भूत-प्रेत पिशाच बुरी और काली शक्तियों वहां प्रवेश नहीं कर सकती जहां पर पूजा पाठ शुभ और मांगलिक कार्य होता है धूप दीप अगरबत्ती जलाई जाती है हरि कीर्तन होता है या किसी भी देवी देवता बजरंगबली का नाम लिया जाता है इसीलिए पितर लोगों के लिए 15 दिनों तक किसी भी प्रकार के शुभ और मंगल कार्यों को पूजा पाठ को मना किया गया है यहां तक की सुगंधित पुष्प भी चढ़ाने को निषेध किया गया है सुगंध रहित नीला काला सफेद फूल को ही पितरों पर चढ़ाया जाता है काला तिल और चावल भी उनको इसीलिए अर्पण किया जाता है काला तिल काली शक्तियों का प्रतीक है और सफेद अक्षत उनका भोजन बनता है


 जिस तरह काजू किशमिश बादाम मुनक्का का अर्क निकाल लेने पर भी वह जैसे के तैसे रहते हैं उसी प्रकार श्रद्धा भाव और समर्पण से दिया गया पिंड पितर उसके अर्क और सुगंध के द्वारा खींच लेते हैं और भोजन जैसे का तैसा बना रहता है इस बात को आप इस तरह से सत्यापित कर सकते हैं कि जब कभी हम किसी के शुद्धक और 13वीं में जाकर भोजन करते हैं तो उसका स्वाद और सुगंध घर में बने भोजन या शुभ और मांगलिक भोजन से पूरी तरह अलग होता है यही बात वहां भी देखी जाती है जहां श्मशान होता है 

हमारा सनातन धर्म और हमारे ऋषि मुनि ब्रह्म ऋषि ज्ञानी विज्ञानी गुरु और महाज्ञानी कितने महान थे जिन्होंने 15 दिन का समय अपने पितरों को दिया और उन्हें देव की संज्ञा दिया इसलिए आप सभी 15 दिन तक केवल पितृ देवो भव नाम के मंत्र का ही जाप करें 

अगर पितर प्रसन्न है तभी आपके घर में धन-धान्य  संतान पुत्र यश कीर्ति और स्वास्थ्य की वृद्धि होगी लोगों को इस बारे में बहुत सारी शंकाएं भरम और संदेह रहते हैं और हजारों लोग फोन से प्रश्न पूछते रहते हैं इसलिए पूर्ण वैज्ञानिक धार्मिक और दार्शनिक उत्तर दे दिया हूं और यही अटल और ध्रुव सत्य है मंत्रों में और ध्वनि में इतनी शक्ति होती है कि इसी नाद से सारा संसार उत्पन्न होता है और मंत्र की कंपन शक्ति से भूत पिसाच निकट नहीं आवैं महावीर जब नाम सुनावे वाली बात सत्य होती है 


अभी हमारा विज्ञान बहुत पीछे है लेकिन धीरे-धीरे अब इन चीजों को आधुनिक विज्ञान समझ रहा है और भारतीय दर्शन धर्म विज्ञान मेधा शक्ति के आगे नतमस्तक हो गया है जिस समय यात्रा और भूतकाल भविष्य काल में जाने की आज कल्पना हो रही है वहां पर बहुत पहले ही हमारे देवता पितर ऋषि मुनि और ईश्वरी शक्तियां तथा ईश्वरी वरदान से संपन्न मनुष्य आते जाते रहे हैं सम्राट मांधाता और सम्राट दशरथ का इंद्रलोक में जाकर लड़ना राक्षसों का स्वर्ग लोक और अंतरिक्ष पर आक्रमण रावण का यम ग्रह में जाकर आक्रमण करना भगवान कृष्ण के साथ अर्जुन का करैड़ों ब्रह्मांड पार करके महा विष्णु लोक में जाना राजा रैवत का ब्रह्म लोक में जाना और धरती पर आते-आते लाखों वर्ष बीत जाना इन सब का प्रमाण है एक बात और बता दें किसी के घर में संतान का ना होना पुत्र का प्राप्त न होना इस बात का प्रमाण है कि उसके माता-पिता बाबा दादा और पितर उसे पूरी तरह प्रसन्न नहीं है यह अटल और ध्रुव सत्य है संपूर्ण मेडिकल साइंस भी ऐसे लोगों को संतान और पुत्र रत्न नहीं दे सकता है इसलिए अपने जन्मदाता पितरों के प्रति श्रद्धा कृतज्ञता समर्पण भाव रखें उनका सम्मान करें याद रखें कि हमारे समस्त पितर अंतरिक्ष में यह देखने के लिए उत्सुक रहते हैं कि उन्होंने जिन संतानों को जन्म दिया क्या उनके मन में हृदय में कुछ भी सम्मान श्रद्धा भाव बचा है या नहीं और 15 दिनों तक वह आपके द्वारा दिए गए श्रद्धा को बड़े ही प्रेम से ग्रहण करते हैं रामायण में सम्राट दशरथ का इंद्रलोक से श्री राम के राज्याभिषेक में आना और महाभारत में संपूर्ण मरी हुई कौरव पांडव सी और सभी मृतमहावीरन का गंगा नदी के जाल में प्रकट होना इस बात का प्रमाण है कि यह कोई कल्पना नहीं हैअगर कुछ न कर सके तो सुबह उठकर स्नान करके अक्षत और काला तिल सफेद या नीले सुगंध रहित फूल के साथ अंजलि में पानी रखकर उन्हें दक्षिण मुख दिशा करके समर्पित कर दें तो लिए हम अपने पितरों को श्रद्धा के साथ नमन करें उनका बंधन और उनका अभिनंदन अंदन पितृ देवो भव- डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि

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