Sunday, 7 September 2025

दुनिया बनाने वाले, तूने भी कैसी दुनिया बनाई! किसी को तूने अपार धन-दौलत दी, तो किसी के नसीब में भूख, गरीबी और बेबसी लिख दी। ऊपर वाले के खेल बड़े ही निराले हैं – कभी इंसान दर-दर की ठोकरें खाता है और कभी जानवरों के हिस्से में इंसान से बेहतर किस्मत आ जाती है।

फटे कपड़ों में ठिठुरते यह इंसान,
सूखी रोटी को तरसते यह इंसान।।

दुनिया बनाने वाले, तूने भी कैसी दुनिया बनाई! किसी को तूने अपार धन-दौलत दी, तो किसी के नसीब में भूख, गरीबी और बेबसी लिख दी। ऊपर वाले के खेल बड़े ही निराले हैं – कभी इंसान दर-दर की ठोकरें खाता है और कभी जानवरों के हिस्से में इंसान से बेहतर किस्मत आ जाती है।

यकीन मानिए, अमीर घरानों के पालतू कुत्तों की जिंदगी इतनी आलीशान होती है कि सात पीढ़ियाँ मेहनत करके भी इंसान उतना धन इकट्ठा न कर पाए, जितना उन पर महीने भर में खर्च होता है।

मशहूर पॉप गायिका मैडोना के घर का कुत्ता एक याट का मालिक है और उसका मासिक खर्च लगभग एक करोड़ रुपये है।

दुनिया का सबसे अमीर कुत्ता गुंथर, जो कि एक जर्मन शेफर्ड है, अपनी मालकिन कार्लोटा लीबेनस्टीन द्वारा छोड़े गए ट्रस्ट का वारिस है। उसकी संपत्ति आज 33 अरब रुपये से अधिक है।

भारत में, उद्योगपति परिवार अंबानी का कुत्ता हैप्पी करोड़ों की मर्सिडीज़ में घूमता था और अनंत अंबानी की शादी में उसके लिए भी लाखों के कपड़े सिलवाए गए थे। अफसोस, अब वह कुत्ता इस दुनिया में नहीं रहा, लेकिन उसकी किस्मत का आलिशान किस्सा हमेशा चर्चा में रहेगा।


दूसरी ओर, वही इंसान – जिसे दुनिया का सबसे बुद्धिमान प्राणी कहा गया – फुटपाथों पर ठिठुरता है, भूख से तड़पता है और नंगे पाँव धक्के खाता है। उसके हिस्से में चाँदी नहीं, बल्कि सूखी रोटी भी नसीब से आती है।

गरीबी समाज का आईना है। यह हमारी असमानताओं, बेरोज़गारी और टूटे सपनों को बेनकाब करती है। शहर की चमचमाती सड़कों पर जब कोई बच्चा फटी झोली लेकर भीख मांगता है, तो यह हमारे विकास के दावों पर करारा तमाचा है।

गरीब का दिन पेट की आग से शुरू होता है और रात ठंडी फुटपाथों पर खत्म होती है। सम्मान बेचकर, अपमान झेलकर भी वे सिर्फ पेट भरने के लिए हाथ फैलाने को मजबूर हैं। स्टेशन, चौराहे और फुटपाथ ही उनका आशियाना बन जाते हैं।
दुनिया बनाने वाले, तूने भी कैसी किस्मत बनाई,कुत्तों के हिस्से में ऐशो-आराम,
और गरीब इंसान के हिस्से में सूखी रोटी, तिरस्कार और अपमान।

नंगे पाँव ठिठुरते हैं, भूख से तड़पते हैं,
रोटी के टुकड़े खातिर, अपना ज़मीर बेचते हैं।
धनवान के कुत्तों से भी बदतर है इनका हाल,
गरीब की तकदीर लिखी क्यों इतनी बेहाल।।
मोहम्मद जावेद खान 

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