Friday, 29 April 2022

मेरी बीमारियों में रात भर सोई नहीं अम्मा।।।मुसीबत से लड़ी पर धैर्य को खोई नहीं अम्मा।।हमेशा देती थी साहस, छिपा लेती थी आँसू को-कभी बच्चों के अपने सामने रोई नहीं अम्मा।।

मेरी बीमारियों में रात भर सोई नहीं अम्मा।।।
मुसीबत से लड़ी पर धैर्य को खोई नहीं अम्मा।।
हमेशा देती थी साहस, छिपा लेती थी आँसू को-
कभी बच्चों के अपने सामने रोई नहीं अम्मा।।

हमारे घर की रौनक है हमारी लाज है अम्मा।।
खुशी होती है साहस पर मुझे भी नाज है अम्मा।।
झुकाना सर नहीं सीखा,नमन हिम्मत वो साहस को-
मुसीबत हार जाती थी ,बड़ी जाबांज है अम्मा।।

खिला कर पहले मुझको, बाद में खाती मेरी अम्मा।।
कभी ऐसा भी होता भूखी सो जाती मेरी अम्मा।।
हमेशा सोचती रहती, थी गुम हो जाती थी अक्सर-
न जाने कौन सी दुनियाँ में खो जाती मेरी अम्मा।।

निकट संम्बंध मामा का मेरा अपना बताती माँ।।
बुलाकर चाँद धरती पर, मधुर लोरी सुनाती माँ।।
कहानी राजा रानी और परियों की सुनाती थी-
मेरी नन्हीं सी आँंखों मे सुघर सपने सजाती माँ।।

गरीबों की कभी असहायों की कहती व्यथा अम्मा।।
बयां करती थी राज और रानी की कथा अम्मा।।
सुहाने थे वो दिन बचपन के कितने याद आते हैं-
सुनाया करती थीं किस्सा मेरी दादी तथा अम्मा।।

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