शमशी अज़ीज़
लखनऊ --------------- उत्तर प्रदेश
जौनपुर नगर में मान्यता व अमान्य सैकड़ो पाठशालायें संचालित है जो धड़ल्ले से चल भी रहे है अधिकतम निजी पाठशालाओ के स्वामी या तो राजनेताओं के सगे सम्बन्धी होते है या सत्ताधारी नेताओ के सम्बन्धी होते है जिस कारण वे बिना भय के मानक से विपरीत कार्य किया करते है जौनपुर प्रशासन की कार्यशैलो निजी पाठशालाओं के प्रति लचरता व शून्य है जिस पर सदैव प्रश्नचिन्ह लगा करता है क्योंकि जौनपुर प्रशासन न तो न्यायलय के आदेशों को पालन कराने में सक्षम है और न ही मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ जी के आदेशों के नियमो का ही पालन कराने में गम्भीरता दिखाती है जनपद जौनपुर में प्रतिवर्ष अप्रिय घटना घटित होती ही रहती है यहाँ बच्चों की सुरक्षा के सम्बन्ध में अभिभावको द्वारा सदैव प्रश्न उठते ही रहते है फिर भी अभिभावक बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ न करते हुए निसहाय हो कर भारी शुल्क देने में विवश है वैसे तो स्कूल बस निसन्देह छात्र परिवहन का सबसे सुविधाजनक साधन होता है पर यहाँ की स्कूलो कि बस तो केवल पोताई तक सीमित है इसमें न नियम न कानून न ही मानक के अनुरूप कोई कार्य ही दिखता है दिखता है तो बस इतना है कि कुछ चर्चित पाठशालायें अपने अधिक लाभ हेतु बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ किया करते है जैसे सेंट जोन्स, सेंट पैट्रिक, डालिम्स, मा दुर्गा, रिज़वी लर्नर्स आदि इन सभी स्कूलों की बसों में क्षमताओं से अधिक बच्चों को ठूंसा जाता है तथा बस चालको का लाइसेंस भी हैवी लाइसेंस न हो कर 4 व्हीलर लाइसेंस पर ही नियुक्त कर लिया जाता है, साथ ही साथ इन बसों के चालको का न तो कोई ड्रेस, न ही बस में जी.पी.एस, न ही सी.सी.टी.वी.और न ही खिड़कियों पर क्षैतिज ग्रिल होती है, तथा फर्स्ट एंड बॉक्स भी नदारत होता है,जिसका मूल्य कारण सहायक संभागीय परिवहन वाहन विभाग की दलाली है जिससे हर एक अनुचित कार्य दुगुना धन के अभाव में उचित बन जाते है तथा एआरटीओ अधिकारी व अन्य अधिकारी की जाँच खानापूर्ति तक ही सीमित रहती है यही कारण है कि प्रतिदिन कष्टप्रद घटना होती रहती है।
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संवाददाता लखनऊ लाइव
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