[6/1, 8:47 PM] Dileep Singh Rajput Jounpur: [5/5, 19:06] Dr. Dileep Singh: *शिक्षा विभाग का भयंकर भ्रष्टाचार पाताल को भी चीरता हुआ अंतरिक्ष में फैल गया है भाग 1*
शिक्षक शिक्षा विभाग और शिक्षण संस्थान देश की नई पौध तैयार करने वाली कार्यशाला है और इस विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार सभी विभागों को भ्रष्टाचार में पीछे छोड़ चुका है यद्यपि भारत में कोई भी सरकारी विभाग और संस्थान ऐसा नहीं है जिसे कर्तव्यनिष्ठ ईमानदार और जनता के प्रति उत्तरदाई कहा जा सके परंतु शिक्षा विभाग ने तो इन सब को मिलो पीछे छोड़ दिया है
इस भ्रष्टाचार में भारत का प्रत्येक व्यक्ति भागीदार है लेकिन सबसे बड़ी जिम्मेदारी शिक्षा मंत्री से लेकर शिक्षण संस्थान और शिक्षा विभाग में कार्य कर्मचारी अधिकारी और अध्यापक ही हैं इस में व्याप्त भ्रष्टाचार को लिखने के लिए तो महाकाव्य बन जाएगा लेकिन जो मुख्य मुख्य बिंदु हैं उन पर मैं प्रकाश डालना चाहूंगा इसका उद्देश्य किसी को कलंकित करना नहीं बल्कि आने वाले भारत को भयंकर पतन से बचाना है
शिक्षा विभाग में सबसे अधिक व्याप्त भ्रष्टाचार ओं में से सर्वोपरि है प्रैक्टिकल की मौखिक परीक्षाएं वाह वाह कम से कम जौनपुर और उत्तर प्रदेश की हालत यह है कि 90% विज्ञान के पाठ्यक्रमों में प्रयोगशाला ही नहीं है केवल कुछ खाली सी सी बोतल रखकर मान्यता प्राप्त कर ली जाती है
जो लोग प्रायोगिक परीक्षाएं कराने आंतरिक और बाह्य परीक्षक के रूप में जाते हैं उनमें से अधिकांश लोगों का लक्ष्य अधिक से अधिक पैसे लेकर तथा विद्यालय परिवार और प्रबंधकों की मर्जी के अनुसार गधे लड़कों को ऊंचे से ऊंचे अंक देकर चले आना है जहां पर जितने ही अधिक कमजोर लड़के होंगे और कक्षाओं में नहीं आते होंगे केवल प्रैक्टिकल और सैद्धांतिक परीक्षा देने आते होंगे वही सबसे ज्यादा कमाई हैं
इसका एक ताजा उदाहरण अभी राजनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय शुक्ला पट्टी मऊ में देखने को मिला जहां 282 बच्चों में प्रैक्टिकल की परीक्षा में केवल 114 बच्चे उपस्थित थे और वाइबर लेने वाले एक ईमानदार परीक्षक के अलावा सभी लोग लिफाफा भरकर नोट लेकर चले गए वहां पर न कोई प्रयोगशाला ना कोई प्रधानाचार्य प्राचार्य और ना कोई विषय संबंधित अध्यापक ही रहे और हालत यह हो गई कि वे लोग ईमानदार परीक्षक के साथ गाली गलौज मारपीट और अभद्रता करने पर उतारू हो गए
इसको ऐसे समझा जा सकता है किसी भी स्नातक व स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्रैक्टिकल की परीक्षा होती है मान लो कि वह बीएससी की परीक्षा है तो 3 वर्ष में मिलाकर अगर एक एक कक्षा में 200 छात्र हैं तो हर एक छात्र से औसतन₹1000 से ₹2000 प्रैक्टिकल की फीस ली जाती है अगर औसत पंद्रह ₹100 मान लिया जाए तो कुल 600 छात्रों में₹900000 आसानी से जुट जाते हैं जिसमें संबंधित 3 परीक्षकों को ₹50000 और ₹50000 संबंधित विश्वविद्यालय को लेकर ₹800000 आसानी से प्रबंधक जेब में रख लेते हैं
इसके बदले में क्या करते हैं परीक्षा संचालन करने वाले लिपिक से मिलकर अपने मन से अंक चढ़ा देते हैं जो नहीं आता है उसको भी उपस्थित दिखा देते हैं कितने विद्यालय फर्जी बच्चे बच्चियों को बैठाकर परीक्षा कराते हैं और पकड़े जाने पर गुंडई करते हैं मारपीट पर आमादा हो जाते हैं और चौकी परीक्षा लेने वालों को कोई सुरक्षा विश्वविद्यालय नहीं देती है इसलिए वे अपमानित होने और मार खाने के डर से प्रबंधक की इच्छा अनुसार झुक जाते हैं और धीरे-धीरे हम मान लेते हैं कि ईमानदारी से प्रैक्टिकल कराना संभव नहीं है
अगर कोई ईमानदार परीक्षक इसके बाद भी नहीं मानता है तो छुट्टी हुई परीक्षा किसी मनपसंद डिग्री कॉलेज या पोस्ट डिग्री कॉलेज में करा कर मोटी रकम देकर सब कुछ समायोजित कर लेते हैं पूर्वांचल विश्वविद्यालय की स्थिति तो इतनी खराब है कि गाजीपुर में 1 परीक्षक बिना मौखिक परीक्षा कराए ही चले आए तो उसके प्रबंधक दयाशंकर यादव ने विश्वविद्यालय से मिलकर बिना परीक्षक के गए ही अपने छात्रों को अच्छे-अच्छे नंबर देकर मार्कशीट चढ़ावा लिया और उनका आज तक कुछ नहीं हुआ
इसके अलावा पता नहीं कितना घपला घोटाला चल रहा है प्रैक्टिकल की कक्षाओं में b.Ed इतिहास में तो यह स्थिति और भी भयंकर हैं जिसमें मनचाहा पाने के लिए गधे लड़के 5000 से लेकर ₹15000 तक प्रति छात्र देते हैं यह कोई छिपी हुई बात नहीं है लेकिन क्योंकि इसमें सारे तंत्र लिप्त हैं इसीलिए समाचार पत्र और टीवी चैनल भी डर के कारण इसे प्रकाशित नहीं करते हैं और बुद्धिजीवी लोग भी बेवजह अपना सिर खपाने उचित नहीं समझते क्योंकि उनको भी जानमाल इज्जत का डर रहता है इस प्रकार महाविद्यालय विश्वविद्यालय के लिपिक और संबंधित लोग तथा महाविद्यालयों के प्रबंधक इतने मनमाने हो गए हैं कि वह किसी को कुछ समझते ही नहीं हर जगह का रेट फिक्स हो गया है उसी सांचे में सबको डालना पड़ता है यही हाल उड़ाका दल का भी है थोड़ी बहुत शक्ति कमजोर विद्यालयों पर तो कर लेते हैं लेकिन मगरमच्छ और घड़ियाल ओके महाविद्यालय विद्यालय पर हाथ डालने की किसी की हिम्मत नहीं है स्वयं रजिस्ट्रार और कुलपति की भी हिम्मत नहीं है तो अन्य की क्या औकात है क्योंकि पता यही चलता है कि अधिकांश विद्यालय महाविद्यालय या तो बड़े बड़े अधिकारियों मंत्रियों माफिया लोगों धनकुबेर लोगों के हैं या उनकी पहुंच इन तक हैं ऐसे में कोई क्या कर सकता है हर जगह इन्हीं का कब्जा है
वास्तव में शिक्षण संस्थानों और शिक्षा विभागों में अरबों खरबों का नहीं उससे भी अधिक धन का बंदरबांट हर जगह होता है और लगभग सभी जिम्मेदार उच्च पदस्थ लोगों और राजनेता मंत्रियों तक पहुंचता है इसलिए शिक्षा विभाग कभी सुधर नहीं सकता है मान्यता देते समय भी किसी मानक का ध्यान में रखकर केवल पैसों के बल पर मान्यता दे दी जाती है कितने विद्यालयों ने तो किसानों की जमीन हड़प कर विवादित रूप से डिग्री कॉलेज और संस्थान खोलकर सारे नियम कानूनों को ताक पर रख दिया है
वैसे भी भारत का हर चीज घालमेल और घपले वाला हैं कोई भी चीज निश्चित नहीं है न यहां कोई राष्ट्रीय प्रधान है ना कोई संस्कृति है ना सभ्यता है जो राष्ट्रीय कहीं जा सके ना कोई राष्ट्रभाषा है हर 1 राज्यों में अलग-अलग शिक्षा के नियम हैं और पाठ्यक्रम हैं ऊपर से सरकारी विद्यालय केवल वेतन लेने और तान कर सोने का स्थान बन गए हैं इनकी हालत इतनी खराब है कि इन सरकारी विद्यालयों के शिक्षक चपरासी और कोई भी सरकारी विभाग का कर्मचारी अधिकारी इनमें अपने बच्चों को नहीं पढ़ाना चाहता आखिर क्यों सबके बच्चे या तो केंद्रीय विद्यालयों में या अंग्रेजी माध्यम के सीबीएसई आईसीएसई अथवा मदरसा संस्कृत माध्यम से पढ़ते हैं चारों और घनघोर भ्रष्टाचार व्याप्त है और सब जगह पैसों का खेल हो रहा है शिक्षण विभाग और संस्थान इतने पतित हो गए हैं कि पूरे कक्षा में एक भी स्तरीय विद्यार्थी मिलना मुश्किल हो गया है भाग-1 समाप्त
[6/1, 20:27] Dr. Dileep Singh: क्या ऐसे ही चलेगा वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय यह पोस्ट विश्वविद्यालय की आलोचना नहीं है बल्कि इसलिए लिखा जा रहा है कि वाइस चांसलर सहित सभी शीर्ष अधिकारी ध्यान दें कि आखिर विश्वविद्यालय चाहता क्या है साथ ही साथ जनपद का प्रशासन और उत्तर प्रदेश शासन एवं माननीय राज्यपाल कुलाधिपति महोदय भी इस घटना को गंभीरता से लें तो अच्छा होगा
वैसे तो संपूर्ण शिक्षा जगत और संस्थान ही आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा है लेकिन जिस तरह से स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाओं में प्रैक्टिकल की स्थिति है और जिस तरह इसको लेकर धन वसूली डिग्री कॉलेज कर रहे हैं विशेषकर प्राइवेट डिग्री कॉलेज वह गंभीर चिंता की बात है और मोदी जी और योगी जी की नई शिक्षा नीति को यह रसातल भेजने जैसा है
इसके पूर्व भी मैंने राजनाथ महाविद्यालय शुक्ला पट्टी मऊ जनपद के बारे में लिखा था जहां डॉक्टर एलपी मौर्य प्रैक्टिकल की परीक्षा लेने गए तो वहां पर 282 बच्चों में केवल 114 बच्चे ही उपस्थित मिले बाकी सभी के सभी अनुपस्थित थे
उन सभी अनुपस्थित लोगों को उपस्थित दिखाकर अच्छे नंबर देने के लिए न केवल विश्वविद्यालय द्वारा भेजे गए डॉक्टर एलपी मौर्य के साथ वहां संस्थान के जिम्मेदार लोगों और उनके पालतू गुंडों द्वारा गाली गलौज अभद्रता की गई वर्णन उन्हें मारपीट कर जबरदस्ती नंबर देने का विवश करने का प्रयास भी हुआ जो सफल नहीं हो पाया इसके बाद भी उसने डरने और लज्जित होने की जगह देख लेने की धमकी दिया और 24 मई को डॉक्टर एलपी मौर्य के महाविद्यालय स्नातकोत्तर महाविद्यालय जौनपुर विश्वविद्यालय के कुछ लोगों की मिलीभगत से आकर धमका और अनुपस्थित बच्चों को उपस्थित करते हुए उन्हें ढेर सारे नंबर देने के लिए कहा
उसके साथ मैनेजर गुन्नू राय अरूणा मेमोरियल कॉलेज मऊ और नेता सूर्यभान यादव तथा कुछ गुंडे टाइप के लोग थे जिन्होंने नियम कानून की धज्जियां उड़ा कर महाविद्यालय में ही गाली गलौज किया और जान से मारने की धमकी दिया लेकिन मौके पर आसपास के काफी लोगों के उपस्थित हो जाने पर प्रैक्टिकल संबंधित बाबू आरके ओझा का नाम लेते हुए यह कहते हुए चला गया कि इनको तो मैं उपस्थित करा कर भरपूर नंबर अपनी इच्छा अनुसार दिलाऊंगा और तुमको मैं देख लूंगा
उसने यहां तक कहा कि जब विश्वविद्यालय के सभी कर्मचारी प्राध्यापक परसों पर बिके हुए हैं और पैसे लेकर अनुपस्थित को उपस्थित कराते हैं और इसके पूर्व जाने वाले सभी परीक्षक प्रैक्टिकल में उन्हीं बच्चों को उपस्थित भी किए हैं तो तुम कौन बड़े सत्यवादी हरिश्चंद्र हो तुम्हारा तो मैं ऐसा हाल करूंगा कि पता भी नहीं चलेगा और कुलपति रजिस्ट्रार मेरे खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं कर सकते हैं
ध्यान देने योग्य बात है कि आजमगढ़ मऊ और गाजीपुर के अधिकांश डिग्री कॉलेज इसी तरह के हैं और वहां सामूहिक नकल और प्रैक्टिकल में भारी भरकम पैसों की वसूली छात्र छात्राओं से की जाती है और उसका कुछ हिस्सा विश्वविद्यालय के संबंधित विभागों और बाबू लोगों को बांट कर खुलेआम अंधेर कर दी मचाई जाती हैं उपर्युक्त लोगों ने और राजनाथ महाविद्यालय के प्राचार्य प्रबंधक के द्वारा यहां तक कहा गया कि तुम अपना नंबर रखे रहो मैं उसे नए सिरे से वजह से मिलकर अपने मन से चढ़ा लूंगा और कुछ नहीं कर पाओगे इन जनपदों की हालत इतनी खराब है कि वहां प्रैक्टिकल के नाम पर कुछ शीशे की कांच बोतल जा रखकर मनमाना काम किया जा रहा है संजोग की बात थी कि मैं भी उस दिन गोरखपुर से लौट रहा था तो जब पता चला कि डॉक्टर मौर्य जी हां परीक्षा को कर आए हैं तो सोचा मिलता चलूं और वहां की हालत देखकर तो मुझे इतना क्रोध है कि क्या कहें खैर स्थितियां बहुत ही गंभीर हैं और सारी शिक्षा योजना केवल कागजों पर चल रही है विश्वविद्यालय में अंधेर गर्दी मची हुई है और जमकर लूट शोर हो रहा है आश्चर्य की बात है कि इसे प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार लोग बखूबी जानते हैं लेकिन डर के कारण कोई मुंह खोलने को तैयार नहीं है ऐसे में विश्वविद्यालय और उनके संबद्ध महाविद्यालयों के छात्र छात्राओं की क्या दुर्गति होगी ईश्वर ही मालिक है
वहां के तमाम छात्र छात्राओं ने स्पष्ट रूप से बताया कि उनसे प्रति छात्र 1000 से ₹2000 लिया गया है और जो लोग उपस्थित नहीं है उनसे 10,000 से लेकर भारी भरकम धनराशि गई है मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि जनपद के संपूर्ण बुद्धिजीवी और प्रशासनिक अधिकारी एवं उत्तर प्रदेश का शासन और माननीय कुलाधिपति इस घटना की गंभीरता से लेते हुए संपूर्ण विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की गुप्त रूप से जांच करा कर तत्काल कठोर कदम उठाएंगे इसके पहले भी आजमगढ़ का एक महाविद्यालय थे जहां परीक्षक गए ही नहीं और बिना उनके गए विश्वविद्यालय से मिलकर यादव परिवार ने बिना प्रैक्टिकल के ही पिछले वर्ष नंबर चढ़ा लिया था डॉक्टर एलटी मौर्य द्वारा दी गई उपर्युक्त जानकारी जहां एक और स्तब्ध करने वाली है वही मोदी जी और योगी जी की सारी योजनाओं पर पानी भी फे रने वाली है सबसे ज्यादा परेशान तो विश्वविद्यालय के वे ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारी और अधिकारी गण हैं तथा व प्राध्यापक हैं जो अपना काम सच्चाई ईमानदारी से करना चाहते हैं परंतु उनकी सुनने वाला कोई नहीं है चारों ओर अंधेरा गर्दी गुंडागर्दी घूसखोरी भ्रष्टाचार पैसों की लूटपाट मची हुई है पीएचडी की परीक्षाओं और थीसिस में तो और भी स्थिति खराब है
[6/1, 9:48 PM] Dileep Singh Rajput Jounpur: *बहुत कम लोगों को ही पता है कि दुनिया की सबसे घातक बीमारी कैंसर एड्स को रोना ना होकर हृदय रोग है भारत में हर वर्ष एक करोड़ लोग लोगों से मरते हैं जिसमें से केवल हृदय रोग से ही 2000000 लोग मर जाते हैं और कोरोना से 2 साल में भारत में कॉल 525000 लोग मरे इसी से समझ लीजिए कितना तक है और दुर्भाग्य से बढ़ता हुआ तनाव और पशुओं के प्रति बढ़ता भौतिकवाद नकली जिंदगी और चमक-दमक वाला रहन सहन तथा सुबह देर तक सोने फास्ट फूड जंक फूड को खाना की आदत से भारत के अधिकतर युवक और युवतियों का हृदय बचपन में ही खराब हो जा रहा है शहरों में 12% जबकि गांव में 8%भारतीय रोग के शिकार हैं*
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