**अद्भुत भौगोलिक दिन है 21 जून** डॉ दिलीप कुमार सिंह ज्योतिष शिरोमणि मौसम विज्ञानी एवं निदेशक अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम और विज्ञान अनुसंधान केंद्र*
डॉ दिलीप सिंह जौनपुर से
*हमारी धरती अभी तक संपूर्ण सृष्टि और अनंत अंतरिक्ष में फैले हुए सभी ग्रह नक्षत्र चांद तारों में सबसे अद्भुत है जिसके पास जलवायु के पौधे वनस्पति मनुष्य सभी कुछ हैं अभी तक किसी अन्य सौर परिवार या आकाशगंगा में मानव जीवन की खोज नहीं कर पाया है ऐसा नहीं कि कहीं जीवन नहीं है लेकिन अभी हमारी सभ्यता इतनी उन्नत नहीं कि हम उसे खोज सकें*
*अब अपने मौलिक विषय पर आते हैं हमारी धरती लगभग नारंगी के आकृति की है जो दोनों ध्रुवों पर चपटी हैं और लट्टू की तरफ एक और तो अपनी धुरी पर तेजी से घूमती है और दूसरी तरफ यह 106000 किलोमीटर प्रति घंटा के वेग से सूर्य की प्रदक्षिणा करती रहती है पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने को परिभ्रमण और सूर्य के चारों ओर अन्य ग्रहों के साथ चक्कर लगाने की क्रिया को परिक्रमण कहते हैं जिसमें 365 दिन 5 घंटे 51 मिनट 55 सेकंड लगते हैं इसी के फलस्वरूप हिंदी वर्ष में मलमास क्षयमास और अंग्रेजी वर्ष में लीप ईयर फरवरी में बढ़ता है*
*पृथ्वी के केंद्र को मानकर अक्षांश और देशांतर में बांटा गया है जो दोनों ध्रुवों को मिलाती हैं अर्थात उत्तर से दक्षिण चलती हैं उन्हें देशांतर कहते हैं या मध्य रेखा के दोनों ओर 180 पूर्वी और 180 अंश पश्चिमी देशांतर पश्चिमी कुल मिलाकर 360 देशांतर रेखाएं होती हैं और इसी तरह पूर्व से पश्चिम तक धरती के केंद्र से इसे अक्षांश में बांटा गया है विषुवत रेखा इसके बीच में गुजरती है जिसके उत्तर में 90 अंश अक्षांश और दक्षिण में भी 90 अंश अक्षांश कुल मिलाकर 180 अक्षांश होते हैं जहां पर अक्षांश और देशांतर रेखाएं एक दूसरे को काटती हैं वही धरती का केंद्र माना गया है*
*पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने के कारण दिन और रात होते हैं और इसके परिभ्रमण से सूर्य पूर्व में उदित होते हुए पश्चिम में डूबता दिखाई देता है जबकि पृथ्वी का परिक्रमण के कारण जलवायु और ऋतु में परिवर्तन होता है अगर पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमना बंद कर दे तो यह सभी समाप्त हो जाएगा पृथ्वी लगभग 24 घंटे में अपनी धुरी पर पूरा घूम लेती है यही कारण है कि जब पूर्व में आधी धरती पर अर्थात जापान भारत इतिहास में दिन होता है तब पश्चिमी जगत में अर्थात उत्तरी दक्षिणी अमेरिका इत्यादि में रात होती है*
*इसके अलावा पृथ्वी अपनी धुरी पर लड्डू की तरह सीधी नहीं है बल्कि 23१/२ अंश झुकी हुई है इसीलिए पृथ्वी पर दिन और रात बराबर नहीं होते हैं विषुवत रेखा पर दिन 12 घंटे और रात भी 12 घंटे होती है इसके उत्तर या दक्षिण जाने पर दिन और रात की अवधि घटती बढ़ती रहती हैं उदाहरण के लिए भारत में जाड़े में 13 घंटे से अधिक रात और 11 घंटे से भी कम दिन का समय होता है जबकि दक्षिणी गोलार्ध में इसका ठीक उल्टा अर्थ आती 11 घंटे की रात और 13 घंटे का दिन होता है*
*इसी तरह गर्मी के दिनों में उतरे ध्रुव की ओर बहने पर दिन की मात्रा भर्ती जाती है और दक्षिण भारत में हर आज की मात्रा गाती जाती है मैं जून और जुलाई महीने ऐसे हैं जहां 66१/२ अंश अक्षांश के आगे 2 महीने सूरज डूबता ही नहीं और 70 अंश पार करने पर 3 महीने 80 अंश पर करने पर 4 महीने सूर्य नहीं डूबता जबकि 90 अंश अर्थात उत्तरी ध्रुव पर 6 महीने केवल दिन रहती है और इसके ठीक विपरीत दक्षिणी ध्रुव पर इस समय अर्थात गर्मी में 6 महीने की रात होती है कुंभकरण इन्हीं ध्रुव प्रदेशों में 6 महीने सोया करता था*
*अब आपको आसानी से समझ में आ गया होगा कि क्यों पृथ्वी पर दिन रात होते हैं सर्दी गर्मी ज्यादा बरसात आती है इसी के साथ एक और विचित्र तथ्य है कि जैसे-जैसे हम भूमध्य रेखा अर्थात विषुवत वृत्त से उत्तर या दक्षिण जाते हैं वहां पर गर्मी कम होती जाती है और ठंड बढ़ने लगती है यहां तक की उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव महाद्वीप अर्थात आर्केटिक और एंटार्कटिक सदैव बर्फ से ढके रहते हैं जब पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है तो वर्ष में 1 दिन ऐसा आता है जब वह सूर्य के बिल्कुल सामने और सबसे कम दूरी पर होती है यह समय 21 जून उत्तरी गोलार्ध के लिए होता है और 22 दिसंबर दक्षिणी गोलार्ध के लिए होता है अर्थात 21 जून को सबसे बड़ा दिन उत्तरी गोलार्ध में और सबसे गर्म समय होता है जबकि 22 दिसंबर को दक्षिणी गोलार्ध में सबसे बड़ा दिन और सबसे गर्म समय होता है दक्षिणी गोलार्ध में स्थित ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका जैसे देश जहां आपके परिचित रहते हैं आपको याद होगा वहां पर छुट्टियां हमारी तरह जून में ना होकर दिसंबर महीने और जनवरी महीने में होती है क्योंकि वह गर्मी का दिन होता है*
*यही कारण है कि जून महीने के पहले 2 महीने तक अर्थात अप्रैल और मई और 2 महीने बाद तक अर्थात जुलाई और अगस्त प्रचंड गर्मी के महीने उत्तरी गोलार्ध के लिए होते हैं जिसके कारण घनघोर वर्षा होती है जबकि इसी समय दक्षिणी गोलार्ध में प्रचंड ठंड पड़ती है और मौसम ज्यादातर सूखा रहता है इसी तरह 22 दिसंबर को उत्तरी गोलार्ध में सबसे छोटा दिन होता है और अक्टूबर-नवंबर एवं जनवरी-फरवरी घनघोर ठंड के महीने होते हैं*
*21 और 22 जून को हमारे क्षेत्र अर्थात जौनपुर प्रयागराज अयोध्या सोनभद्र चंदौली सुल्तानपुर प्रतापगढ़ इत्यादि क्षेत्रों में 13 घंटे 45 मिनट का दिन और केवल 10 घंटे 15 मिनट की रात होती है जैसा कि इस समय आप लोग देख रहे होंगे कि जून महीने में रात कब बीत जाती है पता ही नहीं चलता जबकि इसी समय अगर आप उत्तरी चीन उत्तरी ईरान मध्य यूरोप और कनाडा जैसे देशों में चले जाए तो वहां केवल 4 घंटे का दिन और 20 घंटे की रात होती है और उत्तरी यूरोप उत्तरी रूस कनाडा के उत्तरी भाग में और ग्रीनलैंड में इस समय केवल दिन ही दिन होता है सूर्य दिखता ही नहीं दिन रात आसमान पर दिखाई देता है ना रोया और फिनलैंड में दूर-दूर से पर्यटक ऐसे अद्भुत दृश्य देखने जाते हैं जब आधी रात में भी सूर्य चमकता रहता है इसीलिए 21 जून और 22 दिसंबर की तिथियां बहुत अद्भुत ऐतिहासिक और खगोलीय आश्चर्य का केंद्र है*
*इन सबके अतिरिक्त वर्ष में दो समय ऐसे भी आते हैं जब दिन और रात पूरी धरती पर एक समान होता है और सर्दी गर्मी बराबर रहती है ऐसा समय 21 मार्च और 23 सितंबर को आता है जब 23 सितंबर से 23 अक्टूबर तक ठंडी और गर्मी दिन और रात की अवधि लगभग बराबर आती है यही स्थिति मार्च में होती है जब 21 फरवरी से 23 मार्च तक ठंडी गर्मी और दिन रात की अवधि बराबर होती है*
*इसीलिए धरती के लिए 21 जून और 22 दिसंबर तथा 21 मार्च और 23 सितंबर की तिथियां अत्यधिक महत्वपूर्ण और आश्चर्यजनक है जो पृथ्वी के परिक्रमण और परिभ्रमण पर आधारित हैं और एक आश्चर्यजनक वातावरण का निर्माण करती है डॉ दिलीप कुमार सिंह*
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