कविता - जब साथ में तुम रहते हो
**सारी परेशानियां मिट जाती हैं,जब साथ में तुम रहते हो**
मैं हूं हमेशा तुम्हारे साथ, जब मेरा माथा चुमकर, तुम ये कहते हो....
**सारी परेशानियां मिट जाती हैं,जब साथ में तुम रहते हो**
चलते-चलते जब मैं थक जाती हूं,
थोड़ी देर आराम कर लो....
ये मेरा हाथ पकड़ तुम कहते हो....
**सारी परेशानियां मिट जाती हैं,जब साथ में तुम रहते हो**
बीमार जब मैं पड़ जाती हूं, तो छुपी नजरो से मुझे देखते हो....
मेरे अकेलेपन को बड़ी आसानी से पढ़ लेते हो....
**सारी परेशानियां मिट जाती हैं,जब साथ में तुम रहते हो**
ये तो सच है मेरी आंखे, एकदम नम हो जाती है....
थोड़ा सा डाटते हो, पर फ़िर अपना कंधा दे देते हो....
**सारी परेशानियां मिट जाती हैं,जब साथ में तुम रहते हो**
कभी-कभी गुस्सा आता है, तेरी कई बातों पर....
गुस्से में भी अच्छी लगती हों, ये कहकर हँसा देते हो....
**सारी परेशानियां मिट जाती हैं,जब साथ में तुम रहते हो।।**
**************************
लेखिका - रश्मि अग्रवाल
No comments:
Post a Comment