*इसका ताजा उदाहरण है _आज का दैनिक जागरण और नई दुनिया अखबार!*
देश में सबसे ज्यादा छपने और बिकने वाले हिंदी अखबार 'दैनिक जागरण’ और इसी समूह के एक अन्य अखबार 'नईदुनिया’ के सभी संस्करणों में आज पहले पन्ने पर सात कॉलम में खबर छपी है कि भारत ने पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक किया।
यह खबर न तो सेना के हवाले से और न ही सरकार के हवाले से छपी है। सुबह अखबार बाजार में आने के कुछ ही घंटों बाद भारतीय सेना ने इस खबर का खंडन किया और इसे फेक न्यूज करार दिया। मगर सवाल है कि 'इतनी बड़ी खबर’ रक्षा मंत्रालय या सैन्य अधिकारियों से पुष्टि किए बगैर छपी कैसे?
आमतौर पर अखबार का संवाददाता जब ऐसी कोई खबर लिख कर देता है तो उसे अखबार में कई स्तरों पर जांचा जाता है। संवाददाता की लिखी हुई खबर को ब्यूरो चीफ, उप संपादक, मुख्य उप संपादक और समाचार संपादक के साथ ही पदनामधारी स्थानीय संपादक, प्रधान संपादक और अखबार के मालिक तक देखते हैं और विभिन्न माध्यमों से तथ्यों की पुष्टि करने के बाद ही वह खबर छपती है।
चूंकि सेना की ओर से दैनिक जागरण और नईदुनिया में छपी खबर को फर्जी करार दिया जा चुका है, लिहाजा जाहिर है कि अखबार ने जान-बूझ कर गलत इरादे से यह फर्जी खबर छापी है। यह बताने की जरूरत नहीं कि ऐसी फर्जी खबरों से किस पार्टी को फायदा होता है।
इसलिए तय मानिए कि अखबार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। कोई आश्चर्य नहीं कि यह अखबार किसी यह खबर भी छाप दे कि भारत ने चीन पर हमला कर तिब्बत को आजाद कराया और कैलास मानसरोवर पर कब्जा किया।
मैंने दिल्ली में रहते हुए नईदुनिया में करीब चार साल तक काम किया है और मौजूदा प्रबंधन के खिलाफ अभी भी मेरा मुकदमा अदालत में विचाराधीन है, इसलिए तकनीकी तौर पर मैं अभी भी नईदुनिया से संबद्ध हूँ। लेकिन मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी इस अखबार का इस कदर पतन हो जाएगा।
*बहरहाल एक बार फिर सभी से निवेदन है कि देशहित में और अपने स्वयं के हित में भी टीवी चैनल देखना और अखबार पढ़ना बंद कर दीजिए।*
*घर पर अखबार उसी स्थिति में मंगवाइए जब आपके यहां दो-तीन साल के छोटे बच्चे हो, ताकि अखबार का उचित उपयोग हो सके।*✍🏻
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