आज के दिन माँ दुर्गा ने राक्षस महिंषासुर का वध किया था, ओर हमारे श्री राम ने राक्षस रावण का अंत किया था,
आसुरी शक्तियों के अंत के उपलक्ष्य में बनाया जाता है पर्व दशहरा,🙏
आज के दिन तकरीबन घरों में उड़द की दाल चावल बनाने खाने का रिवाज है,
अभी उडद की दाल खाई क्यों जाती है🤔???
एक रिवाज या मान्यता है, आसुरी शक्तियों के भक्षण करने के सूचक के रूप में महाकाली ऊर्जा को बलि देने का प्रावधान है,
अब सनातन धर्म मे जीव हत्या को महापाप माना गया है, हर जीव को जीने का अधिकार है,
अब देवी को राक्षस भक्षण के रूप में बलि देने का रिवाज भी पूरा करना है,ओ जीव हत्या जैसे पाप भी नही करना,
तो अब ये सनातन धर्म की सुंदरता का एक ओर उदाहरण है, की प्रथा को भी निभाया ओर जीव हत्या जैसा पाप भी नही किया,
जीव हत्या के विपरीत तीन चीजों को बलि स्वरूप में इस्तेमाल करने का प्रावधान बनाया गया,
1👉 नारियल बलि👉 क्योंकि उसमें स्थित पानी को
"श्वेत रक्त" कहा जाता है, यही वजह है शरीर मे खून में सेल या प्लेटनेट कम होने पर नारियल पानी पीने को कहा जाता है, क्योंकि खून में लाल रक्त कणिकाएँ श्वेत रक्त कणिकाओं के बढ़ने पर सुचारू हो जाती है,
2👉 तरबूज की बलि👉 कपाल के सूचक के रूप में अंदर से लाल रक्त रंग होने के कारण बीज रूपी तरबूज की बलि माँ को भक्षण स्वरूप देने का प्रावधान है,
3👉उड़द बलि👉 उड़द जो कि शनि का प्रतीक है शनि जो वात बीमारी नाम के राक्षस का कारक ग्रह है, उड़द को इसीलिए तामसिक भोजन माना गया है, क्योंकि बुद्धि में पानी को सोख कर बेचैनी पैदा करता है, ओर बेचैनी राक्षस प्रवित्ति को जन्म देती है👍
जीव हत्या का दोष न करते हुए राक्षस प्रवित्ति के अंत के दिन दशहरा पर राक्षस प्रवित्ति के सूचक कर रूप में उड़द की दाल का भक्षण किया जाता है, क्योंकि हर शरीर मे "क्रोध" तत्व के रूप में माँ महकाली ऊर्जा का वास है,
अपनी बुद्धि में स्थित महिंषासुर ओर रावण प्रवित्ति को अपने अंदर स्थित माँ महकाली को उड़द रूप में भक्षण करवा देना ही दशहरे के असल मतलब है👍
ये है संसार के सबसे पहले ओर सबसे सुंदर धर्म सनातन में दशहरे पर्व में अपनाए जाने वाले का महत्व ओर कारण
उम्मीद है जानकारी समझ आये💐 जय श्री राम🙏
महर्षि सांदीपनि गुरुकुल स्वाध्याय केंद्र, उज्जैन 8602666380/6260144580✍️....
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