1764 के अक्टूबर में लड़ा गया बक्सर का युद्ध हिंदुस्तान के इतिहास का एक बड़ा टर्निंग पॉइंट था। इस जंग में, हेक्टर मुनरो की अगुवाई वाली अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी का मुकाबला मुगल बादशाहत, बंगाल के नवाब और अवध के नवाब की मिली हुई फौज से हुआ था।
हालांकि अंग्रेजों की संख्या कम थी, फिर भी वो जीत गए। ये कुछ हद तक भारतीय राजाओं के आपस में तालमेल न बिठा पाने की वजह से हुआ था। ये लड़ाई 1765 में इलाहाबाद के एक समझौते (Treaty) पर मुहर लगने के साथ खत्म हुई। इस समझौते ने ईस्ट इंडिया कंपनी को बहुत बड़ा फायदा दिला दिया। उन्हें बंगाल, बिहार और उड़ीसा में टैक्स वसूलने का हक मिल गया, यानी वो इन इलाकों के खजाने पर कब्जा कर सकते थे।
बक्सर के युद्ध के बाद भारत में बहुत बड़े बदलाव आए। इस लड़ाई ने मुगल साम्राज्य को कमजोर कर दिया और अंग्रेजों की बादशाहत को मजबूत कर दिया। ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत की दौलत को हड़पना शुरू कर दिया, जिससे यहां के लोगों में गुस्सा बढ़ता गया। आखिरकार ये गुस्सा 1857 के सिपाही विद्रोह जैसी लड़ाइयों में फूट पड़ा, जिसने अंग्रेजों के राज को चुनौती दी।
कुल मिलाकर, बक्सर का युद्ध एक ऐसा मोड़ था जिसने भारत की तकदीर बदल दी। इसके बाद करीब दो सौ सालों तक भारत अंग्रेजों के राज के अधीन रहा।
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