महाराणा प्रताप जी का चेतक घोड़ा इतना खतरनाक था कि बड़े से बड़े हाथी से भीड़ जाता था और हाथी घबरा कर पीछे हट जाते थे क्योंकि महाराणा प्रताप ने अपने घोड़े चेतक को हाथी की सूंड का मुखौटा पहन रखा था बताया जाता है । की वह मुखौटा बहुत भारी था । जिस कारण से वह और भी ज्यादा भयंकर और खतरनाक लगता था जब युद्ध मैदान में चेतक हवा की तरह दौड़ लगाता हुआ युद्ध मैदान में महाराणा प्रताप के साथ मुगलों से युद्ध किया करता था तो मुगल सैनिक भी डर जाते थे। और युद्ध मैदान से भाग जाते थे।
जब यह बात अकबर को पता लगी थी तो अकबर ने चेतक घोड़े को पकड़ने के लिए शाही दरबार में बैठक बैठाई थी । और यह ऐलान कर दिया था कि जो भी चेतक घोड़े को पकड़ कर हमारे पास लता है उसे मुंह मांगा इनाम दिया जाएगा किंतु अकबर की मनसा ये कभी पूरी ना हो पाई।
ऐसे वीर चेतक घोड़े योद्धा को हमें हमेशा याद रखना चाहिए।👺
🙏🏼 जय हो चेतक वीर की 🙏🏼
बताया जाता है कि चेतक की रफ्तार एक आम घोड़े से तीन गुना तेज थी
1. **नाम का उत्पत्ति**: चेतक घोड़े का नाम संस्कृत शब्द "चेतक" से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है "चेतना" या "आत्मविश्वास"।
2. **उत्पत्ति**: चेतक घोड़ा भारत का नामी रसायनज्ञ चाणक्य द्वारा निर्मित किया गया था।
3. **विशेषताएं**: चेतक घोड़ा अत्यधिक तेजी से दौड़ने वाला और बहुत ही बुद्धिमान था।
4. **रक्त संबंध**: महाराणा प्रताप के चेतक को वे खास बचपन से पालते थे।
5. **धावकता**: इसकी तेजी और आत्मविश्वास की वजह से, यह घोड़ा दुश्मनों के लिए खतरनाक साबित होता था।
6. **महाराणा प्रताप के साथ साझेदारी**: चेतक घोड़ा महाराणा प्रताप के वफादार साथी और युद्धक के रूप में निरंतर उपस्थित था।
7. **वीरता**: चेतक को वीर और उत्तम योद्धा के रूप में सम्मानित किया गया।
8. **शोध कार्य**: चेतक के विज्ञानिक गुणों की प्रशंसा विभिन्न विद्वानों और वैज्ञानिकों ने की थी।
9. **पुरानी कहानियाँ**: चेतक के बारे में कई पुरानी कहानियां और लोककथाएं हैं जो इसे महान बनाती हैं।
10. **आज की महत्वपूर्णता**: आज भी चेतक को भारतीय साहित्य, कला और संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है।
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