*भारत में 18वीं लोकसभा चुनाव परिणाम की निष्पक्ष विवेचना डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह*
*भारत के लोकसभा के चुनाव परिणाम आ चुके हैं इसमें थोड़ा बहुत परिवर्तन हो सकता है लेकिन इस समय जो स्थिति है उसमें बीजेपी गठबंधन ने 297 सीटें और इंडिया गठबंधन ने 226 सीटों पर विजय प्राप्त किया है भाजपा ने अकेले 245 सीटों पर विजय प्राप्त करके सबसे बड़ी सिंगल पार्टी होने का और सरकार बनाने का दावा पेश करने का अधिकार प्राप्त किया है*
*इसके पहले जितने भी चुनाव सर्वेक्षण और एग्जिट पोल हुए थे सब बुरी तरह से विफल हो गए क्योंकि किसी भी एग्जिट पोल में भाजपा गठबंधन को 325 सीटों से कम नहीं दिखाया गया था इंडिया गठबंधन इसे अपनी जीत मान रही है तो सत्ताधारी पार्टी इसको फिर से शासन करने का जनादेश मान रहे हैं अब उन कारणों की समीक्षा करना आवश्यक है जिसके कारण भाजपा गठबंधन को पिछली बार से 50 से 60 सीटों का नुकसान और इंडिया गठबंधन को 100 सीटों से भी अधिक का फायदा हुआ है*
*सर्वप्रथम तो जनादेश बिल्कुल साफ है उन्होंने भाजपा गठबंधन को सरकार चलाने का जनादेश तो दिया है लेकिन इसके साथ ही एक शक्तिशाली विपक्ष को भी उसके सामने खड़ा किया है जिससे कि सत्ताधारी पार्टी एकतरफा और मनमाना निर्णय न ले सके और यह एक लोकतांत्रिक देश के लिए उचित होता है जनता को शायद ऐसा प्रतीत हुआ कि दो बार भाजपा गठबंधन को प्रचंड बहुमत देने के बाद भी भाजपा गठबंधन जनता की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर सकी इसलिए इस बार उनको अपने अंदर सुधार करने का स्पष्ट संकेत दिया है साथ ही साथ विपक्षी गठबंधन इंडिया को भी यह जनता ने बिल्कुल स्पष्ट बता दिया है कि वह अभी भी देश की सरकार चलाने योग्य नहीं है भले ही वह एक साथ मिलकर आए इसके साथ निर्दलीय प्रत्याशी इस बार बहुत कम जीते हैं केवल 19 प्रत्याशी विजय हुए हैं तो जनता को निधन प्रत्याशियों पर भी भरोसा नहीं रह गया है*
*अगली महत्वपूर्ण बात जो इस जनादेश से बिल्कुल स्पष्ट है वह यह है कि जो सरकार जनता के प्रति संवेदनशील रहेगी और उनके बीच में उनके सुख-दुख में साथ रहेगी वह कभी भी नहीं हारेगी इस कसौटी पर भाजपा और भाजपा गठबंधन के अधिकांश सांसद खरे नहीं उतरे चुनाव जीतने के बाद 5 वर्ष तो वे क्षेत्र में दिखाई ही नहीं पड़े जौनपुर के दोनों वर्तमान सांसदों का हार जाना इस बात का स्पष्ट उदाहरण है इसलिए अबकी बार जनता ने लगभग उन सभी को बुरी तरह से पराजित कर दिया इसके साथ ही जनता ने विदेश नीति से अधिक महत्व महंगाई बेरोजगारी भ्रष्टाचार घूसखोरी शासन प्रशासन पुलिस में व्याप्त भीषण भ्रष्टाचार और संवेदनहीनता को अत्यंत गंभीरता से लिया इसका खामियाजा भाजपा गठबंधन को भोगना पड़ा और उन्हें 55 सीटों से अधिक सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा*
*अगला महत्वपूर्ण संदेश इस जनादेश में है कि अगर विपक्ष एक साथ संगठित होकर लड़े तो उसका मत प्रतिशत अपने आप ही बढ़ जाता है और वह जीतने की स्थिति में होती है लेकिन जनता को विपक्षी गठबंधन एक अवसरवादी संगठन से अधिक कुछ नहीं लगा इसीलिए जनता ने उन पर भरोसा नहीं किया और वह सब मिलकर भी भाजपा के अकेले 245 सीटों के पास भी नहीं पहुंच पाए यह जनादेश बिल्कुल साफ है कि विपक्षी इंडिया गठबंधन किसी भी प्रकार से शासन सत्ता करने लायक नहीं है*
*जनादेश का एक महत्वपूर्ण संकेत यह भी है कि सरकार मनमानी ढंग से बिजली पानी खाद तेल गैस सिलेंडर पेट्रोल डीजल का दम नहीं बढ़ा सकती और इसके लिए राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय कारण जनता की समझ के पड़े होता है यह भी सच है कि जितनी महंगाई इस बार वही उतना महंगाई कभी नहीं रही और अगर यह महंगाई का लाभ किसान और जनता को मिला होता तो बात और इसका अधिकतम लाभ पूंजी परियों के कारण मिला अब भारत जैसे देश में ₹1200 का गैस सिलेंडर दिया जाना ऊपर से भाजपा के दलालों द्वारा उसका समर्थन किया जाना जनता की समझ में नहीं आया क्योंकि सरकारी वर्ग तो सरकार में मानव मल कर रखा है लेकिन जनता के दुख दर्द व भूल गए हैं कि 5 से ₹10000 कमाने वाली देश की 90% जनता इस महंगाई को खेलने में पूरी तरह असमर्थ है इसका बहुत बड़ा खामियाजा मोदी सरकार को भुगतना पड़ा पेट्रोल डीजल का ₹100 होना और मनमानी किराया वृद्धि किया जाना किसी भी प्रकार जनता के गले से नहीं उतरा हालात या हो गई है कि 60 किलोमीटर वाराणसी का भाड़ा ₹100 से अधिक हो चुका है*
*जनादेश का अगला महत्वपूर्ण संदेश बंगाल राजस्थान उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में देखने को मिला जो भाजपा के गढ़ माने जाते थे लेकिन यहां पर सत्तारूढ पार्टी के द्वारा ज्यादातर खराब अपराधी और घोटाले बाज छवि वाले प्रत्याशियों और बाहर से आए प्रत्याशियों या अन्य पार्टियों से आए हुए लोगों को टिकट दिया गया जिसका जनादेश ने खुलकर विरोध किया और लगभग वे सभी हार गए यह बहुत स्पष्ट रूप से संदेश दिया गया कि अगर मोदी जी खुद को साफ सुथरी छवि का नेता बताते हैं तो वह अन्य दलों से दागी अपराधी और घोटाले बाज लोगों को भाजपा में टिकट क्यों देते हैं भाजपा के कार्यकर्ताओं से लेकर संघ और भाजपा के तमाम राजनेताओं में भी इस बात पर गहरा असंतोष था कि उनकी उपेक्षा हो रही है और इतना ही नहीं मोदी जी का तानाशाही पूर्ण रवैया बिना जनता और अपने दल के राजनेताओं को विश्वास में लिए लागू करना किसी को कदापि पसंद नहीं आया*
*महाराष्ट्र में उठापटक और गठबंधन जनता को रास नहीं आया और इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में योगी जी की उपेक्षा और गलत प्रत्याशियों का चयन जनता बर्दाश्त नहीं कर पाई इसलिए लगभग सभी गलत प्रत्याशी हार गए योगी को महत्वपूर्ण मंचों से अलग रखना उत्तर प्रदेश में यह सब प्रदर्शित किया कि अकेले मोदी का जादू कुछ भी नहीं है मोदी के बिना योगी योगी के बिना मोदी अधूरे हैं और देश की जनता योगी को ही अगले प्रधानमंत्री के रूप में देखती है मोदी जी ने बिना अपने कार्यकर्ताओं बड़े राजनेताओं यहां तक की योगी जी की भी अपेक्षा करते हुए जो मनमाना और तन साहब पूर्ण रवैया अपनाया उसी का फल है कि वाराणसी चुनाव बड़ी मुश्किल से डेढ़ लाख वोटो से जीत सके जबकि शिवराज सिंह चौहान 8 लाख 20 हजार और भाजपा के ही महेश शर्मा 5:30 लाख वोटो से अधिक जीते यहां तक की राहुल गांधी भी मोदी से बहुत अधिक ज्यादा वोटो से विजय हुआ*
*और भाजपा को पंजाब बंगाल उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र और राजस्थान में 70 सीटों का नुकसान उठाना पड़ गया जिसकी भरपाई वह दक्षिण भारत और कुछ राज्यों में सभी सिम प्राप्त करके भी नहीं कर सके राजस्थान में तो विजय राजेश सिंधिया को मुख्यमंत्री ने बनाना मोदी जी के अहंकार के कारण एक नए व्यक्ति को शासन सत्ता सौंप देना बहुत ही घातक बन गया*
*भाजपा को 70 सीटों का नुकसान उठाना पड़ गया जिसकी पूर्ति वह पूरे भारत में नहीं कर पाए बंगाल में प्रधानमंत्री का नरम और लचीला रुख सनातनी जनता को पसंद नहीं आया संदेश खाली पालघर के संतो करना सहित तमाम बिंदु पर मोदी जी का मौन रहना या नरम धोखा अपनाना जनता को पसंद नहीं आया इसी प्रकार जनसंख्या नियंत्रण कानून और समान नागरिक संहिता लागू न करना जनता की समझ के बाहर रहा जबकि इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय भी सहमत था और कोई भी बहाना नहीं था*
*भाजपा और मोदी जी के लिए सैकड़ो लोग बलिदान हुए औरतों पर भीषण अत्याचार हुए और अराजकता की स्थिति में भी प्रधानमंत्री लगभग मौन रहे आसानी से राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता था लेकिन ऐसा ना कर पाना भी उन पर भारी पड़ा जिन लोगों ने अपनी जान पर खेल कर भाजपा के लिए बंगाल में संघर्ष किया जल्दी ही वह निराश हो गए बंगाल में पुलिस प्रशासन ने भी भाजपा का साथ नहीं दिया और बाहर से आए हुए बांग्लादेशी लोगों के एक तरफ वोट से भाजपा को यहां 10 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा अलबत्ता बिहार में आश्चर्यजनक चुनाव परिणाम रहे जहां सभी अनुमानों के विपरीत भाजपा गठबंधन को भारी सफलता प्राप्त हुई*
*जनादेश का अगला महत्वपूर्ण बिंदु भाजपा और भाजपा गठबंधन का पूरे भारत में प्रसार होना है तमिलनाडु और केरल में भाजपा की सफलता तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भारी सफलता यही प्रदर्शित करती है कि भाजपा अब कम से कम दक्षिण भारत में भी स्वीकार की जाने लगी है और उसका मत प्रतिशत भी बढ़ रहा है लेकिन अभी दक्षिण में प्रभावी होने के लिए विशेष कर केरल और Tamil Nadu में उसको लंबा रास्ता तय करना है भाजपा को सीटों की कमी अवश्य हुई है लेकिन एक बहुत बड़ी सफलता भाजपा को अरुणाचल प्रदेश आंध्र प्रदेश और उड़ीसा में विधानसभा के चुनाव में भी प्राप्त हुई है जहां पर उन्हें उड़ीसा और अरुणाचल में अकेले और आंध्र में चंद्रबाबू नायडू के साथ पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ है और इन तीन राज्यों में कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया हो गया है*
*जनादेश का अगला महत्वपूर्ण संदेश है कि कांग्रेस का 40 सीटों से 100 सीटों के लगभग पहुंच जाना यह चौंकाने वाला तथ्य नहीं है विशेष करके कांग्रेस का उत्थान मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में हुआ है जहां मुस्लिम और इसाई बाहुल्य क्षेत्र थे वहां से अधिकतर सीट कांग्रेस ने जीती है*
*दिल्ली में भाजपा का सभी सीट जीत जाना एक चमत्कार जैसा है और यह इस बात पर मोहर लगता है कि देश की जनता भाजपा गठबंधन को ही केंद्र में पसंद करती है स्वयं भाजपा और उसके नेताओं को भी सभी सिम जीतने की आशा नहीं थी मध्य प्रदेश में सभी सीटों पर भाजपा का जीतना चमत्कार है इसी तरह से हिमाचल और उत्तराखंड में भी भाजपा ने चमत्कार किया है आंध्र प्रदेश में भी भाजपा गठबंधन में सारी सीट जीत लिया है यह सभी भाजपा के बढ़ते हुए देशव्यापी स्वीकार्यता को दिखाता है पंजाब में अलग बिंदु है जहां अकाली दल गठबंधन समाप्त होने के बाद भाजपा कभी भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए इस चुनाव में मोदी सहित किसी का भी जादू नहीं चल पाया*
*चुनाव का अगला बहुत बड़ा संदेश यह है कि जो भी पार्टी या नेता जनता के बीच रहेगा और जनता के दुख दर्द में काम आएगा उसको जनता कभी उपेक्षित नहीं करेगी और जो सांसद विधायक और पार्टी चापलूस चालबाज मक्खनबाज दलाल चमचों और 420 से घिरी रहेगी उसे पर जनता कभी प्रसन्न नहीं हो सकती है*
*इस प्रकार बाहर से ले गए प्रत्याशी भाजपा जैसे दलों को कभी भी सूट नहीं कर सकते हैं जहां तक वोट प्रतिशत की बात है भाजपा को पहले से अधिक वोट प्रतिशत प्राप्त हुए लेकिन विपक्ष के संयुक्त और संगठित हो जाने से उसकी सिम घट गई है एक बात और है कि जनता ने मोदी के द्वारा और भाजपा नेताओं के द्वारा विपक्षी दलों की स्तरहीन आलोचना को पसंद नहीं किया क्योंकि जनता तो उन सबको पहले से ही जानती हैं और चीन पाकिस्तान के प्रति मोदी की अनर्गल बयान बाजी भी जनता को पसंद नहीं आई 1 इंच जमीन भी 10 साल में नहीं ले सके जनादेश में एक और स्पष्ट बात है की बुरे लोग बुरे काम ही करेंगे यह निश्चित है लेकिन अगर भाजपा जैसी अच्छी पार्टी समझौता की राजनीति में दागी चरित्र के और बाहर से आयातित नेताओं का चुनाव करेगी तो जनता उसे कभी भी क्षमा नहीं कर पाएगी गुजरात में भाजपा का एक सीट हार जाना थोड़ा सा आश्चर्यजनक जनादेश है उत्तर पूर्व में भाजपा का प्रदर्शन सुधरा है लेकिन कुछ अन्य राज्यों में भाजपा के प्रदर्शन में गिरावट आई एक बात जनादेश में और भी स्पष्ट है कि पूरे भारत में लगभग हर जगह मुस्लिम समझने भाजपा और मोदी के विरुद्ध एकजुट होकर मतदान कांग्रेस के पक्ष में किया*
*इस प्रकार 18वीं लोकसभा के चुनाव में भारत की जनता ने तानाशाही और निरंकुश प्रवृत्ति के शासन की जगह देश हित पर काम करने वाले जनता के बीच रहने वाले पार्टी और प्रत्याशी को वरीयता देकर एक शक्तिशाली विपक्ष को चुना है जिससे विपक्ष शिकायत करने या रोने धोने की स्थिति में ना रहे यह अभी स्पष्ट है कि एक महीने के अंदर ही तमाम छोटी-मोटी पार्टियों भाजपा गठबंधन में शामिल हो जाएंगे और वह फिर से 350 सीटों के आसपास पहुंच जाएगी जनादेश में एक बहुत आश्चर्यजनक परिवर्तन आया है कि भाजपा ने एससी एसटी ओबीसी और मुसलमान के लिए अपनी प्रतिष्ठा और कुर्सी दांव पर लगा दिया लेकिन ऐन वक्त पर इन लोगों ने भाजपा के साथ विश्वासघात किया जिसके कारण भाजपा को 50 से 60 सीटों की कमी आई है*
*जो लोग राम मंदिर के प्रभाव को इस चुनाव में प्रभावित नहीं मान रहे हैं उनको यह जानना चाहिए कि भारत में विशेष कर दक्षिण भारत में श्री राम मंदिर का बहुत बड़ा योगदान रहा अगर श्री राम मंदिर नहीं बना होता तो भाजपा गठबंधन 200 के अंदर ही सिमट गया होता कुल मिलाकर चुनाव का जनादेश बिल्कुल स्पष्ट है और जनता ने भाजपा गठबंधन को ही देश प्रशासन करने पर मोहर लगा दिया है संक्षेप में संघ और भाजपा के लोग भी भाजपा की और मोदी की कुछ नीतियों से बेहद नाराज थे मोदी के शासन को तो देश के अधिकांश जनता ने पसंद किया लेकिन उनकी नीतियां जनता को पसंद नहीं आई इस चुनाव का सबसे बड़ा संदेश जनता ने दिया है कि देश के महानायक हम हैं हमारा ही जादू चलता है बाकी ना किसी नेता में कोई जादू है ना वह देश का महानायक हम जिसे चाहेंगे वही धरती से आसमान पर जाएगा और हमारा विश्वास करते ही आसमान से धरती पर धड़ाम हो जाएगा डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह*
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