Monday, 24 June 2024

करनाल के मैदानों से जब सब भाग खड़े हुए तब नादिरशाह के सामने सीना तान कर जो खड़ा था वो था राव बालकिशन और उनकी 5000 अहीरों की फौज

करनाल के मैदानों से जब सब भाग खड़े हुए तब नादिरशाह के सामने सीना तान कर जो खड़ा था वो था राव बालकिशन और उनकी 5000 अहीरों की फौज
 #राव_बालकिशन 

ईरानी लूटेरा और शासक #नादिरशाह हिंदुस्तान पर चढ़ आया तो अहीरवाल की तलवारे फिर जोश में चमक उठी ! रेवाड़ी के पांच हज़ार मर्द कौम अहीर अपने शेर सरदार राव बालकिशन के साथ करनाल के मोर्चे पर डट गयी !ईरानी और हिन्दुस्तानी सेनाये आमने-सामने अपनी-अपनी तलवारों के जोर को तोलने लगी , मैदाने जंग में यलगार हुई और कायर मुगलिया फौज दिल्ली की मैदान से भाग कड़ी हुई ,मुग़ल बादशाह और उसके सिपहसालारो के हाथ से हथियार छूट गए! पर सुनो नस्ल-ए -हिन्द ये कायरता का इलज़ाम मेरे  वीर अहिर यसुवंशीयो
पर न लगा क्योंकि मर्द अहीर विजय या वीरगति के लिए वचनबद्ध थे ।।
परम वीर सपूत,तलवार और जबान का धनी शेर बच्चा  बहादुर राव बालकिशन अपने 5000 अहीर जानिसारों के साथ करनाल के रण-खेतो में अड़ के खड़ा हुआ था ! नादिरशाह को तब तक फ़तेह नसीब नहीं हो सकती थी जब तक अहीर योद्धा  शमशीर लिए पहाड़ बन कर खड़े थे !  तलवारों और हथियारों से करनाल के रणखेत पट गए थे पर फिर भी रण -बांके रेवाड़ी के- नाम "वीर अहीर" को अमर कर रहे थे ! और अंत क्या - एक विशाल फौज के सामने लड़ते हुए  गौरवशाली ,बलशाली और तेग का धनी -  वीर पुत्र राव बालकिशन अपने भाइयो के साथ सहीद हो गए ! युद्ध का अंत तमाम मर्द अहीरो के सहीद होने के बाद हो गया ! 
युद्ध के बाद नादिरशाह मुग़ल बादशाह से मिला तो राव बालकिशन और उसके मर्द अहीरों की दिलावरी की तारीफ़ करते हुए ब्यान किया -"अगर फौजशाही उस बहादुर सरदार का तहेदिल से साथ देती और जंगे-मैदान से फरार नहीं होती तो आज हम को दिल्ली देखना नसीब नहीं होता, बल्कि वापस ईरान लोटना मुश्किल हो जाता अगर वोह दिलावर मर्द मैदाने जंग में शहीद न हो गया होता ". मुग़ल बादशाह सन्न रह गया अहीर यदुबंशी  वीर पुत्र की तारीफ़ नादिर शाह के मुह से सुनकर ।।जय हो राव बालकिशन धन्य है भारत माता जहा आप जैसे वीर पैदा होते है

जय अहीरवाल 🚩
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