हिन्दू, जिसके पास 13 उपनिषद हैं, दो महाकाव्य हैं, बारह ज्योतिर्लिंग, चार धाम और सैंकड़ों प्राचीन मंदिर हैं उसको तब भी कौन सी कमी रह जाती है जो ऐसी जगह जाना ही पड़ता है जहाँ उनपर किसी भी बात पर बेअदबी का आरोप लग सकता है?
2019 से भी बहुत पहले एक परिचित युवती का अनुभव मुझे याद है कि वह अपनी लोकलिटी में ऐसी ही विजिट पर थी, नियमतः उसने सिर को ढंका भी हुआ था पर वस्त्र के जरा आगे-पीछे होने पर बहुत हार्श ढंग से चिल्लाहट का सामना करना पड़ रहा था, वह फिर से वहाँ कभी नहीं गई।
वहीं अगर कन्याएँ आस-पास मंदिर जाएँ तो न सिर ढँकने का कोई ऑब्लिगेशन है, न ऐसा रीस्ट्रिक्शन कि जीन्स नहीं पहनना है या टीशर्ट नहीं पहनना है (नए उगे माॅडेस्टी- obsessed धर्मरक्षकों को इग्नोर करें), ऐट लीस्ट उनपर चिल्लाया नहीं जाएगा, बेअदबी का आरोप नहीं लगेगा। वह लड़की जिसने पाँच सेकेंड योगमुद्राएँ परफाॅर्म की, किसी मंदिर प्रांगण में की होती तो यह उसके लिए घर के जैसा होता।
हिन्दू कब सच में अपनी एथ्निसिटी पर प्राइड लेना शुरु करेंगे? आपके मंदिरों में भी कम भंडारे नहीं होते, बस आप इसके फोटोज वायरल नहीं करते पेज बनाकर। आप सबसे कलरफुल, समृद्ध और उदार संस्कृति के फाॅलोवर हैं, यू लिव इन ए राॅयल पैलेस, डोन्ट बी अनवान्टेड गेस्ट एनिव्हेअर, क्नोव योर वर्थ। सेल्फ-रिस्पेक्ट शुड बी द प्रायरिटी।
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