इस्लाम ने शिक्षा प्राप्त करने को बहुत महत्व दिया है। यह इस तथ्य से परिलक्षित हो सकता है कि अल्लाह द्वारा पैगंबर मुहम्मद (PBUH) पर उतारा गया पहला शब्द "इकरा..." था, जिसका अर्थ है, पढ़ना, सुनाना, घोषणा करना। गहराई से, शब्द इकरा को समझने, विश्लेषण करने, जांच करने, वितरित करने, अध्ययन करने आदि के लिए अधिक व्यापक रूप से व्याख्या या अनुवाद किया जा सकता है। कुरान पढ़ने, अध्ययन करने, चिंतन करने और जांच करने के महत्व पर जोर देता है, और यह सभी मुसलमानों के लिए निर्धारित एक आदेश है। इसलिए ज्ञान प्राप्त करना एक पवित्र कर्तव्य है। हम, मुसलमानों और कुरान के अनुयायियों के रूप में, जीवन के सभी पहलुओं में शिक्षा प्राप्त करना अपने लिए अनिवार्य बना लेना चाहिए ताकि हम दोनों जहान में सफल हो सकें।
आज के दौर में मुस्लिम महिलाओं को प्रतिस्पर्धा का सामना करना पडता है। क्यों की वह दूसरो पर निर्भर करती हैं। अब वो समय आ गया है की महिलाओं को अपने पिता, भाई, पति या बेटे को आय के स्रोत के रूप में देखना बंद कर देना चाहिए। एक करियर महिला के रूप में, मेरा संदेश ज़ोरदार और स्पष्ट है, खुद को शिक्षित करें और एक सभ्य सम्मानजनक जीवन जिएँ। मुसलमान को अल्लाह कुरान और नबी के हुक्म को मानते हुए पांच फर्जो की तरह, छटा फ़र्ज़ शिक्षा को मानते हुए इल्म हासिल करनी की पूरी कोशिश करना चाहिए । इस नेक कार्य में मुस्लिम महिलाओ को अहम भूमिका निभानी पड़ेगी।
फरहत अली खान
राष्ट्रीय अध्यक्ष मुस्लिम महासंघ
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