स्वधर्म संदेश 1055
एक मुस्लिम स्कॉलर की बातों को मैं सुन रहा था। उसकी बातें मुझे बहुत ज्यादा प्रभावित किया। वह बोल रहा था कि अगर इस्लाम के माध्यम से मुसलमान कट्टरवादी, आतंकी है। हिंदुओं की मां बहनों की अस्मत लूटते हैं। धर्म परिवर्तन के लिए लोगों को उकसाते हैं। लव जिहाद जैसे गलत गतिविधियों को प्राथमिकता देते हैं। जबरन धर्म परिवर्तन में भी लगे हुए हैं। उसके लिए तो उसका धर्म इस्लाम दोषी हो सकता है। क्योंकि वह अपने धर्म को धारण किया है। माना है। स्वीकार किया है। इसीलिए वह कट्टर हो गया है। भले उसका धर्म अधार्मिक ही क्यों न हो? वह अपने धर्म के प्रति वफादार हैं पर आप? वह बोल रहा था कि भारत के सनातनियों तुमने अपने धर्म ग्रंथो से क्या सीखा है? क्या तुम्हारे धर्म ग्रंथ सिर्फ लाल कपड़े में ढक कर रखने के लिए तुम्हें उपलब्ध कराया गया है। क्या तुमने अपने धर्म ग्रंथो से अपनी रक्षा के लिए कुछ नहीं सीखता! लानत है, भारत के हिंदुओं पर जो हर पल मुसलमान से डरता है। जबकि हिंदुओं की आबादी 95 करोड़ है, और मुसलमानो की संख्या मात्र 25 करोड़। इसीलिए हिंदूओ को धार्मिक नहीं कहा जा सकता। तुम अपने धर्म के प्रति वफादार नहीं हो। तुम्हारे धर्म ने तो दुनिया को मार्गदर्शन किया है। गीता और रामायण को पढ़ लो तो जीवन जीने की कला सीख सकते हैं। अपने जीवन की रक्षा के विषय में तुम्हारे धर्म में हर कुछ बताया है पर तुम अधर्मी हो। सॉन्ग रचते हो। पाखंडी हो।
उस स्कॉलर की बातों ने मेरी सोच को बहुत ज्यादा प्रभावित किया।
कारण चाहे जो भी हो। भारत का हिंदू समाज अपने धर्म की सच्चाइयों को पूरी तरह से धारण नहीं कर सका है, न तो हम अपने धर्म की ज्ञान को प्राप्त करने की स्थिति में रह गए हैं और न ही धर्म के आधार पर अपने कर्तव्यों को निर्वहन के प्रति उत्तरदाई है। निश्चित तौर पर हिंदू समाज में कुछ इस तरह की गतिविधियों को देश की राजनीतिक व्यवस्था द्वारा प्रभावी किया और कराया गया है, ताकि हिंदू समाज अपने पेट और परिवार की सीमाओं तक ही सोच सके। मुसलमान में भी जातियां हैं, पर मुसलमान में जाति के आधार पर भेदभाव और अंतर इसीलिए नहीं है क्योंकि वहां आरक्षण में जातीय दृष्टिकोण को बढ़ावा नहीं दिया गया। जबकि हिंदू समाज में रिजर्वेशन आरक्षण को जातीय दृष्टिकोण से प्रभावित कर राजनीतिक उद्देश्यों को प्राप्ति करने का अस्त्र बनाया गया। निश्चित तौर पर आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी द्वारा भारत के अंदर भारत विरोधी गतिविधियों को ताकत दिया गया। धर्म परिवर्तन की व्यवस्था आजादी के बाद 1950 मे संविधान की धारा 25 में बदलाव कर किया गया। धर्म परिवर्तन मुसलमान और ईसाइयों के लिए नहीं होता है।यह काम सिर्फ हिंदुओं के लिए ही किया गया। इसलिए सरकार का आजादी के बाद का यह पहला निर्णय भारत के विरोध में किया गया निर्णय के रूप में आप देख सकते हैं।1951मे मंदिरों पर टैक्स लादे गये जबकि मस्जिद और गिरजाघर को टैक्स से वंचित किया गया। मंदिरों से चलने वाले सामाजिक गतिविधियों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया। जिसकी वजह से मंदिर सामाजिक निर्माण का केंद्र के रूप में स्थापित था। जहां से 730 लाख गुरुकुल चलते थे। भारत का मंदिर देश के निर्माण का सबसे श्रेष्ठतम केंद्र था। उसके निर्माणक गतिविधियों को पूरी तरह से ध्वस्त करने का प्रयास आजाद भारत के कांग्रेस सरकार द्वारा ही किया गया। मंदिरों में औषधालय आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति बहुत उन्नत थी। वेधशाला था। अनुसंधान केंद्र थे। जहां से भारतीय धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए लोगों को जागृत किया जाता था। जिसकी वजह से भारतीय समाज व्यवस्था का विश्व में व्यापक प्रभाव था। आजाद भारत की सरकार की नीतियों ने मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति को बढ़ावा देकर मुसलमान को संगठित अस्तित्व में बनाकर उसे अपना राजनीतिक उपयोग का अस्त्र बनाया गया और हिंदुओं को विखंडित करके उसकी शक्ति को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया। जिसका परिणाम है कि भारत के अंदर आज हिंदू मुसलमान की शक्ति का विभाजन स्पष्ट दिखाई देता है। जो मुस्लिम स्कॉलर की बातें हैं।उस विचार को ताकत भारत के इस्लामिक मानसिकता रखने वाले हिंदू नेताओं की वजह से हैं पर देश की जनता आज इस अवस्था में नहीं है कि वह सच्चाई को समझे और कांग्रेस को पूरी तरह से भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने वाले नेताओं को सड़कों पर चलने से रोक सके। देश के अंदर सरकार इसीलिए परेशान है, क्योंकि जनता का जिस तरह से सरकार को समर्थन मिलना चाहिए। वह इसीलिए उसे प्राप्त नहीं हो पा रहा है, क्योंकि भारत की जनता को लोभी स्वार्थी और अवसरवादी बनाकर, उसे अपने पेट और परिवार तक सीमित कर दिया गया है। यह सारी घटनाएं आजादी के बाद की 53 वर्षों में कांग्रेस के शासन के काल में ही स्थापित किया गया। इसीलिए भारत को कभी भी बाहर के आकताओं ने हानि नहीं पहुंचाया बल्कि भारत को हमेशा भारत के गद्दार मिर्जापुर जयचंदो ने ही धोखा किया है। आज भी भारत के अंदर जो भी समस्याएं हैं। वह सारी समस्याएं कांग्रेस के काल में योजनागत ढंग से स्थापित कराया गया है। अज्ञानी सोच की वजह से स्वार्थी मनोदशा भारत में प्रभावित हो गया है। जिसकी वजह से इस देश का पराभव स्पष्ट दिखाई देता है। इस्लामिक कट्टरवादी शक्तियों के संगठित गतिविधियों और हिंदुओं के विघटित समझ में बदलाव नहीं होने की स्थिति में ऐसा प्रतीत होता है कि भारत के अंदर हिंदुओं का भविष्य सिर्फ ईश्वरीय ताकत के बल पर ही सुरक्षित हो सकती है।
डॉ राजू कुमार विद्यार्थी
सामाजिक राजनीतिक विचारक
संस्थापक स्वधर्म शोध संस्थान फरीदाबाद हरियाणा
7217731138
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