Suresh Chandra Agrawal:
*Bhagavad Gita App*
*Chapter:* 3
*श्लोक:* 4
*श्लोक:*
न कर्मणामनारम्भान्नैष्कर्म्य पुरुषोऽश्नुते ।
न च सन्न्यसनादेव सिद्धिं समधिगच्छति ॥ ४ ॥
*अनुवाद:* न तो कर्म से विमुख होकर कोई कर्मफल से छुटकारा पा सकता है और न केवल संन्यास से सिद्धि प्राप्त की जा सकती है।
*तात्पर्य:* भौतिकतावादी मनुष्यों के हृदयों को विमल करने के लिए जिन कर्मों का विधान किया गया है उनके द्वारा शुद्ध हुआ मनुष्य ही संन्यास ग्रहण कर सकता है। शुद्धि के बिना अनायास संन्यास ग्रहण करने से सफलता नहीं मिल पाती। ज्ञानयोगियों के अनुसार संन्यास ग्रहण करने अथवा सकाम कर्म से विरत होने से ही मनुष्य नारायण के समान हो जाता है। किन्तु भगवान् कृष्ण इस मत का अनुमोदन नहीं करते। हृदय की शुद्धि के बिना संन्यास सामाजिक व्यवस्था में उत्पात उत्पन्न करता है। दूसरी ओर यदि कोई नियत कर्मों को न करके भी भगवान् की दिव्य सेवा करता है तो वह उस मार्ग में जो कुछ भी उन्नति करता है उसे भगवान् स्वीकार कर लेते हैं (बुद्धियोग)। स्वल्पमप्यस्य धर्मस्य त्रायते महतो भयात्। ऐसे सिद्धान्त की रंचमात्र सम्पन्नता भी महान कठिनाइयों को पार करने में सहायक होती है।
*Download Bhagavad Gita App*
_*https://play.google.com/store/apps/details?id=com.bhagavad.gita.hindi.app*_
*जो विपरीत परिस्थितियों में भी सुदृढ़ रहता है - वही सच्चा हीरा है!!*
*एक राजा का दरबार लगा हुआ था। सर्दियों के दिन थे, इसीलिये राजा का दरबार खुले में बैठा था। पूरी आम सभा सुबह की धूप मे बैठी थीl*
*महाराज ने सिंहासन के सामने एक मेज रखवा रखी थी। पंडित लोग दीवान आदि सभी दरबार में बैठे थे ।*
*राजा के परिवार के सदस्य भी बैठे थे।*
*उसी समय एक व्यक्ति आया और राजा से दरबार में मिलने की आज्ञां मांगी। प्रवेश मिल गया तो उसने कहा, मेरे पास दो वस्तुएँ हैं, बिलकुल एक जैसी लेकिन एक नकली है और एक असली, मै हर राज्य के राजा के पास जाता हूँ और उन्हें परखने का आग्रह करता हूँ, लेकिन कोई परख नही पाता, सब हार जाते है और मैं विजेता बनकर घूम रहा हूँ ।*
*अब आपके नगर मे आया हूँ।*
*राजा ने उसे दोनों वस्तुओं को पेश करने का आदेश दिया।*
*तो उसने दोनों वस्तुयें टेबल पर रख दीं। बिल्कुल समान आकार समान रुप रंग, समान प्रकाश, सब कुछ नख शिख समान। राजा ने कहा, ये दोनों वस्तुएँ एक हैं, तो उस व्यक्ति ने कहा, हाँ दिखाई तो एक सी देती है लेकिन हैं भिन्न। इनमें से एक है बहुत कीमती हीरा और एक है काँच का टुकडा, लेकिन रूप रंग सब एक है। कोई आज तक परख नही पाया कि कौन सा हीरा है और कौन सा काँच? कोई परख कर बताये कि ये हीरा है या काँच। अगर परख खरी निकली तो मैं हार जाऊँगा और यह कीमती हीरा मै आपके राज्य की तिजोरी में जमा करवा दूँगा, यदि कोई न पहचान पाया तो इस हीरे की जो कीमत है उतनी धनराशि आपको मुझे देनी होगी। इसी प्रकार मैं कई राज्यों से जीतता आया हूँ।*
*राजा ने कई बार उन दोनों वस्तुओं को गौर से देखकर परखने की कोशिश की और अंत में हार मानते हुए कहा- मैं तो नहीं परख सकूंगा।*
*दीवान बोले- हम भी हिम्मत नही कर सकते, क्योंकि दोनो बिल्कुल समान है।*
*सब हारे, कोई हिम्मत नही जुटा पाया। हारने पर पैसे देने पडेंगे, इसका किसी को कोई मलाल नहीं था क्योंकि राजा के पास बहुत धन था लेकिन राजा की प्रतिष्ठा गिर जायेगी, इसका सबको भय था।*
*कोई व्यक्ति पहचान नही पाया। आखिरकार पीछे थोडी हलचल हुई। एक अंधा आदमी हाथ मे लाठी लेकर उठा। उसने कहा, मुझे महाराज के पास ले चलो, मैंने सब बाते सुनी हैं और यह भी सुना कि कोई परख नहीं पा रहा है। एक अवसर मुझे भी दो। एक आदमी के सहारे वह राजा के पास पहुचा उसने राजा से प्रार्थना की- मैं तो जनम से अंधा हूँ फिर भी मुझे एक अवसर दिया जाये जिससे मैं भी एक बार अपनी बुद्धि को परखूँ और हो सकता है कि सफल भी हो जाऊँ और यदि सफल न भी हुआ तो वैसे भी आप तो हारे ही हैं।*
*राजा को लगा कि इसे अवसर देने मे कोई हर्ज नहीं है और राजा ने उसे अनुमति दे दी। उस अंधे आदमी को दोनों वस्तुएं उसके हाथ में दी गयी और पूछा गया कि इनमे कौन सा हीरा है और कौन सा काँच?*
*कहते हैं कि उस आदमी ने एक मिनट मे कह दिया कि यह हीरा है और यह काँच। जो आदमी इतने राज्यों को जीतकर आया था वह नतमस्तक हो गया और बोला सही है, आपने पहचान लिया! आप धन्य हैं।*
*अपने वचन के मुताबिक यह हीरा मैं आपके राज्य की तिजोरी मे दे रहा हूँ। सब बहुत खुश हो गये और जो आदमी आया था वह भी बहुत प्रसन्न हुआ कि कम से कम कोई तो मिला परखने वाला। राजा और अन्य सभी लोगो ने उस अंधे व्यक्ति से एक ही जिज्ञासा जताई कि, 'तुमने यह कैसे पहचाना कि यह हीरा है और वह काँच?'*
*उस अंधे ने कहा- सीधी सी बात है राजन, धूप में हम सब बैठे हैं, मैंने दोनो को छुआ। जो ठंडा रहा वह हीरा, जो गरम हो गया वह काँच।*
*यही बात हमारे जीवन में भी लागू होती है, जो व्यक्ति बात बात में अपना आप खो देता है, गरम हो जाता है और छोटी से छोटी समस्याओं में उलझ जाता है वह काँच जैसा है और जो विपरीत* *परिस्थितियों में भी सुदृढ़ रहता है और बुद्धि से काम लेता है वही सच्चा हीरा है।*
🙏🙏
*जो प्राप्त है-पर्याप्त है*
*जिसका मन मस्त है*
*उसके पास समस्त है!!*
🙏🌹।। शुभ वंदन ।।🙏🌹
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः।
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।
मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
🌸♾️🌸♾️🌸♾️🌸♾️🌸♾️🌸
༺꧁ *🌞खुशियों का कल्पवृक्ष🌞*꧂༻
*"ठंडा"* पानी और गरम प्रेस *"कपड़ों"* की सारी सिकुड़न *"सलवटें"* निकाल देती हैं ऐसे ही ठंडा *"दिमाग"* और ऊर्जा से भरा हुआ *"दिल"* जीवन की सारी *"उलझन"* मिटा देते हैं..!!
॥ शांत रहिये, मस्त रहिए, स्वस्थ रहिये ॥
¸.•*""*•.¸
*🌹💐🌹*
""सदा मुस्कुराते रहिये""
🌹हँसते रहिये हंसाते रहिये🌹
🐚☀🐚
🐾स्नेह वंदन🐾
🙏🏻सुप्रभात🙏🏻
🙏🏻आपका दिन शुभ एवं मंगलमय हो🙏🏻
खुद से बोलिये
मैं खुश हूँ, मैं स्वस्थ्य हूँ । मेरा जीवन
ख़ुशियों से भरा हुआ है और मैं उसे
पूरे आनंद के साथ जी रहा हूँ !
सफर बदलाव की ओर
*समस्त श्री कृष्ण भक्त रसिक जनों के श्री चरणों में दण्डवत् प्रणाम*🙏🏻
*सदैव जपिए एवँ प्रसन्न रहिए 🐚*
*!! हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे !!*
*हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे !!*
*"वान्छा कल्पतरुभ्यश्चय कृपासिन्धुभ्य एव च।*
*पतितानाम् पावनेभ्यो वैष्णेवेभ्यो नमो नमः॥"*
*मै भगवान के समस्त वैष्णव भक्तों को सादर नमस्कार करता हूं! वे कल्पवृक्ष के समान सबो की इच्छाएं पूर्ण करने में समर्थ हैं तथा पतित जीवात्मा के प्रति अत्यंत दयालु हैं !!*
*मुझसे पतीत और ना कोई आप मुझे अपने चरणों का आश्रय दे.*
यदा न कुरूते भावं सर्वभूतेष्वमंगलम्।
समदॄष्टेस्तदा पुंस: सर्वा: सुखमया दिश:॥
( श्रीमदभागवत 9|15|15 )
जो मनुष्य किसी भी जीव के प्रति अमंगल भावना नहीं रखता,जो मनुष्य सभी की ओर सम्यक् दृष्टि से देखता है, ऐसे मनुष्य को सब ओर सुख ही सुख है ।
*स्वस्थ रहे मस्त रहे*
यदि आप सुख तथा आनंद चाहते है तो अपने स्वास्थ्य की रक्षा करे, जिसके लिए संतुलित आहार, प्राणायाम तथा व्यायाम अत्यन्त आवश्यक है। चिंता करने के स्थान पर चिंतन करे। स्वस्थ व्यक्ति ही संसार के समस्त सुख भोग सकता है अतः स्वस्थ रहे, मस्त रहे
🇦🇪SHRIMAD BHAGAWAT KATHA🇦🇪
🔴Day 7
💛शास्त्र उसका नाम है जो हमारे जीवन पर अनुशासन करे। शस्त्र उसका नाम है जो दुश्मन पर अनुशासन करे।
🔸शास्त्रों से अपने मन पर अनुशासन होता है।यदि मन अनुशासित है तो हम इंद्रियों पर, शरीर पर, समाज पर, परिवार, राष्ट्र पर अनुशासन कर सकते हैं और यदि हमारा मन ही अनुशासित नहीं है तो हम किसी पर अनुशासन कर नहीं सकते। इसलिए मन को अनुशासित करने के लिए शास्त्रों की बात सुननी और माननी चाहिए।
💛श्याम सुंदर की आयु अभी सात वर्ष की है किन्तु प्रतिभा देखो कैसी है - उन्होंने समझा कि अभी संगठन का समय है, यदि संगठित नहीं रहेंगे तो हम शत्रुओं से परास्त हो जाएंगे। उन्होंने अपने पिता नन्दबाबा के सामने एक प्रस्ताव रखा कि अभी तक हम इंद्र की पूजा करते आये हैं, इन्द्र प्रसन्न होकर मेघों को आज्ञा देते हैं, जिससे वर्षा होती है।किन्तु अब हम इन्द्र की पूजा नहीं गिरिराज की पूजा करेंगे। उन्होंने तर्क भी दिए-गिरिराज की पूजा प्रकृति की पूजा है क्योंकि गिरिराज में वृक्ष है, पाषाण है जिसके कारण वर्षा होती है।
💛भय उसी को होता है जिसको भरोसा नहीं होता।भरोसा रखें।भरोसा हमारा बल होना चाहिए, निष्ठा हमारी संपत्ति होनी चाहिए, यह नहीं की छोटी-छोटी बात से हम हार मान जाए।
💛एक निष्ठ बनो! उपेक्षा किसी की नहीं, निंदा किसी की नहीं, अपनी इष्ट के प्रति आदर महत्वबुद्धि हो। जब आप एक निष्ठ बनोगे तब आपका इष्ट भी एक निष्ठ बन जाएगा, फिर आपके पक्ष में खड़ा नज़र आएगा।
🔸जो एक निष्ठ होता है फिर उसका अनिष्ट नहीं होता है।
💛ज़िंदगी महोत्सव है, इसे अशांत नहीं बनाना है। जब भी कोई शंका हो उसका निवारण तुरंत कर लेना चाहिए। शंका से दूर हटकर सहजता में जीना सीखो।
💛रस के विलास का नाम रास है। समुद्र जब तरंगायित होने लगे तब वह समुद्र का रास है। जब हृदय में आनंद की तरंगें उठने लगे, हमारे चारों तरफ़ परितः परमात्मा का अनुभव होने लगे तब जानना रास है।
💛जब तक हम शरीर से ऊपर नहीं उठेंगे तब तक हम शरीरी को पहचान नहीं पाएंगे।
💛भक्त वह है जिसका संसार में किसी के साथ राग न हो और हृदय में अभिमान की कणिका न हो।अभिमान में मान भले मिल जाए किंतु प्रेम का रस नहीं मिलता है।
💛प्रेम में पाने की इच्छा होती है, ज्ञान में जानने की इच्छा होती है। प्रेमी- जान लेता है तभी वह पाना चाहता है।
💛जो परमात्मा को चाहे बग़ैर चैन से रहता है वही पशु है।
💛किसी भी देश की उन्नति चाहिये तो व्यापारियों को सुरक्षित करना पड़ेगा। उन्हें सोषण से बचाना पड़ेगा। राष्ट्र की उन्नति धन से है और धन व्यापारियों से मिलता है।
🌸 आपसे कोई कहता है-'साधुओंके पास मत जाया करो। वे तुम्हें ठग लेंगे।' निश्चय ही वह आपका धन बचाना चाहता है और आपका हितैषी है। लौकिक दृष्टिसे उसकी सलाह ठीक है। लेकिन उसने श्रद्धाके स्थान पर सन्देह उत्पन्न किया। ईश्वरके स्थान पर धनका महत्त्व आपकी बुद्धिमें बैठाया। आपका प्रेम, वैराग्य, श्रद्धा, साधन, कोई भी नहीं ठग सकता। जो भगवान्को पाना चाहता है, उसे धनमें इतनी महत्त्वबुद्धि क्यों हो कि धन ठगे जानेके डरसे वह सत्सङ्गसे ही वञ्चित रहे।
🔗 प्रेम का विस्तार करो!
🎆 प्रेम स्वरूप परमात्मा को अपने अन्तःकरण में प्रकट करने के लिये संकल्प करो कि सब को परमात्मा स्वरूप मानकर प्रेम करना है।
🌼नववर्ष आशीर्वचन🌼
प्रेम-प्रेम क्यों बक्त नेम बिन प्रेम कहाँ है ?
नेम क्षेम को हेतु, काम को नाश तहाँ है।
अपनी हठ को तजो, भजो वृन्दावन-मोहन ।
सजो शुद्ध श्रृंगार, करो अन्तरतम सोहन ।
अन्तस्तल की भावना, शुद्धि सु उसे पसन्द हैं।
इसी वस्तु से रीझता श्री वृन्दावनचन्द है।
🌸 यह मनुष्यका परम सौभाग्य है कि उसके जीवनमें भगवत्सम्बन्धी रसका उदय हो । क्योंकि यही रस जब पूर्ण होता है, तब अपना तन-मन तो रंगता ही है, पास-पड़ोसको भी रस-रंगमें डुबो देता है। ईश्वर तुम्हारे हृदयमें ऐसा प्रेम दे, जिससे तुम देखो, छुओ या जिसके बारेमें भी सोचो, वह भी प्रेमसे भर जाय । आज विश्वमें इसी प्रेम-रसकी ही तो आवश्यकता है !'
Suresh Chandra Agrawal:
💐💐अपनी क्षमता पहचानो💐💐
एक गाँव में एक आलसी आदमी रहता था, वह कुछ काम-धाम नहीं करता था।बस दिन भर निठल्ला बैठकर सोचता रहता था कि किसी तरह कुछ खाने को मिल जाये।
एक दिन वह यूं ही घूमते-घूमते आम के एक बाग़ में पहुँच गया। वहाँ रसीले आमों से लदे कई पेड़ थे।
रसीले आम देख उसके मुँह में पानी आ गया और आम तोड़ने वह एक पेड़ पर चढ़ गया, लेकिन जैसे ही वह पेड़ पर चढ़ा, बाग़ का मालिक वहाँ आ पहुँचा।
बाग़ के मालिक को देख आलसी आदमी डर गया और जैसे-तैसे पेड़ से उतरकर वहाँ से भाग खड़ा हुआ।
भागते-भागते वह गाँव में बाहर स्थित जंगल में जा पहुँचा, वह बुरी तरह से थक गया था। इसलिए एक पेड़ के नीचे बैठकर सुस्ताने लगा।
तभी उसकी नज़र एक लोमड़ी (Fox) पर पड़ी, उस लोमड़ी की एक टांग टूटी हुई थी और वह लंगड़ाकर चल रही थी।
लोमड़ी को देख आलसी आदमी सोचने लगा कि ऐसी हालत में भी इस जंगली जानवरों से भरे जंगल में ये लोमड़ी बच कैसे गई? इसका अब तक शिकार कैसे नहीं हुआ?
जिज्ञासा में वह एक पेड़ पर चढ़ गया और वहाँ बैठकर देखने लगा कि अब इस लोमड़ी के साथ आगे क्या होगा?
कुछ ही पल बीते थे कि पूरा जंगल शेर (Lion) की भयंकर दहाड़ से गूंज उठा, जिसे सुनकर सारे जानवर डरकर भागने लगे, लेकिन लोमड़ी अपनी टूटी टांग के साथ भाग नहीं सकती थी, वह वहीं खड़ी रही।
शेर लोमड़ी के पास आने लगा, आलसी आदमी ने सोचा कि अब शेर लोमड़ी को मारकर खा जायेगा,लेकिन आगे जो हुआ, वह कुछ अजीब था।
शेर लोमड़ी के पास पहुँचकर खड़ा हो गया,उसके मुँह में मांस का एक टुकड़ा था, जिसे उसने लोमड़ी के सामने गिरा दिया।
लोमड़ी इत्मिनान से मांस के उस टुकड़े को खाने लगी, थोड़ी देर बाद शेर वहाँ से चला गया।
यह घटना देख आलसी आदमी सोचने लगा कि भगवान सच में सर्वेसर्वा है,उसने धरती के समस्त प्राणियों के लिए, चाहे वह जानवर हो या इंसान, खाने-पीने का प्रबंध कर रखा है, वह अपने घर लौट आया।
घर आकर वह २-३ दिन तक बिस्तर पर लेटकर प्रतीक्षा करने लगा कि जैसे भगवान ने शेर के द्वारा लोमड़ी के लिए भोजन भिजवाया था, वैसे ही उसके लिए भी कोई न कोई खाने-पीने का सामान ले आएगा।
लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, भूख से उसकी हालात ख़राब होने लगी। आख़िरकार उसे घर से बाहर निकलना ही पड़ा। घर के बाहर उसे एक पेड़ के नीचे बैठे हुए बाबा दिखाए पड़े। वह उनके पास गया और जंगल का सारा वृतांत सुनाते हुए वह बोला, “बाबा जी! भगवान मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं? उनके पास जानवरों के लिए भोजन का प्रबंध है, लेकिन इंसानों के लिए नहीं।
बाबा जी ने उत्तर दिया, “बेटा! ऐसी बात नहीं है,भगवान के पास सारे प्रबंध है। दूसरों की तरह तुम्हारे लिए भी, लेकिन बात यह है कि वे तुम्हें लोमड़ी नहीं शेर बनाना चाहते हैं।
💐💐सीख💐💐
*हम सबके भीतर क्षमताओं का असीम भंडार है,बस अपनी अज्ञानतावश हम उन्हें पहचान नहीं पाते और स्वयं को कमतर समझकर दूसरों की सहायता की प्रतीक्षा करते रहते हैं।स्वयं की क्षमता पहचानिए। दूसरों की सहायता की प्रतीक्षा मत करिए।*
*इतने सक्षम बनिए कि आप दूसरों की सहायता कर सकें।*
🙏🙏
*जो प्राप्त है-पर्याप्त है*
*जिसका मन मस्त है*
*उसके पास समस्त है!!*
जय श्री कृष्णा 🙏🌹जय श्री राधे 🙏🌹
घर की नई नवेली इकलौती बहू एक प्राइवेट बैंक में बड़े ओहदे पर थी । उसकी सास तकरीबन एक साल पहले ही गुज़र चुकी थी । घर में बुज़ुर्ग ससुर औऱ उसके पति के अलावे कोई न था । पति का अपना कारोबार था ।
पिछले कुछ दिनों से बहू के साथ एक विचित्र बात होती ।बहू जब जल्दी जल्दी घर का काम निपटा कर ऑफिस के लिए निकलती ठीक उसी वक़्त ससुर उसे आवाज़ देते औऱ कहते बहू ,मेरा चश्मा साफ कर मुझें देती जा। लगातार ऑफिस के लिए निकलते समय बहू के साथ यही होता । काम के दबाव औऱ देर होने के कारण क़भी कभी बहू मन ही मन झल्ला जाती लेकिन फ़िरभी अपने ससुर को कुछ बोल नहीं पाती ।
जब बहू अपने ससुर के इस आदत से पूरी तरह ऊब गई तो उसने पूरे माजरे को अपने पति के साथ साझा किया ।पति को भी अपने पिता के इस व्यवहार पर बड़ा ताज्जुब हुआ लेकिन उसने अपने पिता से कुछ नहीं कहा। पति ने अपनी पत्नी को सलाह दी कि तुम सुबह उठते के साथ ही पिताजी का चश्मा साफ करके उनके कमरे में रख दिया करो ,फिर ये झमेला समाप्त हो जाएगा ।
अगले दिन बहू ने ऐसा ही किया औऱ अपने ससुर के चश्मे को सुबह ही अच्छी तरह साफ करके उनके कमरे में रख आई।लेकिन फ़िरभी उस दिन वही घटना पुनः हुई औऱ ऑफिस के लिए निकलने से ठीक पहले ससुर ने अपनी बहू को बुलाकर उसे चश्मा साफ़ करने के लिए कहा। बहू गुस्से में लाल हो गई लेकिन उसके पास कोई चारा नहीं था। बहू के लाख उपायों के बावजूद ससुर ने उसे सुबह ऑफिस जाते समय आवाज़ देना नहीं छोड़ा ।
धीरे धीरे समय बीतता गया औऱ ऐसे ही कुछ वर्ष निकल गए। अब बहू पहले से कुछ बदल चुकी थी। धीरे धीरे उसने अपने ससुर की बातों को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया और फ़िर ऐसा भी वक़्त चला आया जब बहू अपने ससुर को बिलकुल अनसुना करने लगी ।
ससुर के कुछ बोलने पर वह कोई प्रतिक्रिया नहीं देती औऱ बिलकुल ख़ामोशी से अपने काम में मस्त रहती। गुज़रते वक़्त के साथ ही एक दिन बेचारे बुज़ुर्ग ससुर भी गुज़र गए।
समय का पहिया कहाँ रुकने वाला था,वो घूमता रहा घूमता रहा। छुट्टी का एक दिन था। अचानक बहू के मन में घर की साफ़ सफाई का ख़याल आया। वो अपने घर की सफ़ाई में जुट गई। तभी सफाई के दौरान मृत ससुर की डायरी उसके हाथ लग गई।बहू ने जब अपने ससुर की डायरी को पलटना शुरू किया तो उसके एक पन्ने पर लिखा था-"दिनांक 26.10.2019.... आज के इस भागदौड़ औऱ बेहद तनाव व संघर्ष भरी ज़िंदगी में, घर से निकलते समय, बच्चे अक्सर बड़ों का आशीर्वाद लेना भूल जाते हैं जबकि बुजुर्गों का यही आशीर्वाद मुश्किल समय में उनके लिए ढाल का काम करता है। बस इसीलिए, जब तुम चश्मा साफ कर मुझे देने के लिए झुकती थी तो मैं मन ही मन, अपना हाथ तुम्हारे सिर पर रख देता था क्योंकि मरने से पहले तुम्हारी सास ने मुझें कहा था कि बहू को अपनी बेटी की तरह प्यार से रखना औऱ उसे ये कभी भी मत महसूस होने देना कि वो अपने ससुराल में है औऱ हम उसके माँ बाप नहीं हैं। उसकी छोटी मोटी गलतियों को उसकी नादानी समझकर माफ़ कर देना । वैसे मेरा आशीष सदा तुम्हारे साथ है बेटा!!
डायरी पढ़कर बहू फूटफूटकर रोने लगी। आज उसके ससुर को गुजरे ठीक 2 साल से ज़्यादा समय बीत चुके हैं लेकिन फ़िर भी वो रोज़ घर से बाहर निकलते समय अपने ससुर का चश्मा साफ़ कर, उनके टेबल पर रख दिया करती है, उनके अनदेखे हाथ से मिले आशीष की लालसा में।
जीवन में हम रिश्तों का महत्व महसूस नहीं करते हैं, चाहे वो किसी से भी हो, कैसे भी हो और जब तक महसूस करते हैं तब तक वह हमसे बहुत दूर जा चुके होते हैं।
रिश्तों के महत्व को समझें और उनको सहेज कर रखें।
🙏🙏
Bhagavad Gita (श्रीमद्भगवद्गीता):
प्रेरणा लेनी है तो लहरों से लीजिये इसलिये नही कि वे
उठती हैं और गिर जाती हैं बल्कि जब भी गिरती है नए
जोश से फिर उठ जाती हैं.........
हर इन्सान अच्छा भी है और बुरा भी !
अगर हम यह समझते हैं कि
कोई इन्सान सिर्फ अच्छा ही है
या कोई सिर्फ बुरा है,
तो हमारी समझदारी में कमी है !
कोई इन्सान तभी तक अच्छा लगता है,
जब तक वह हमारे हिसाब से चलता है,
हमारी पसन्द का काम करता है,
अच्छा व्यवहार करता है !
जिस दिन इन्सान हमारे विचारों, सोच, पसन्द,
ज़रूरत से विपरीत काम करने लग जाता है,
वह इन्सान बुरा लगने लग जाता है !
मन्त्र बड़ी लम्बी यात्रा में खोजे गये हैं ।
उन्हें बड़ी मेहनत से निर्णीत किया गया है ।
अग़र हम बैठ कर ओंकार ध्वनि ही करते रहें,
तो हम पायेंगे कि
हमारे भीतर रूपान्तरण शुरू हो गया है ।
क्योंकि ध्वनि को मात्र ध्वनि न समझें ;
क्योंकि ध्वनि तो हमारे प्राणों का सार है ।
हम जो भी ध्वनि अपने भीतर करेंगे,
उस जैसे ही होने लगेंगे ।
इसलिए मन्त्र का बड़ा मूल्य है ।
मन्त्र जीवन को बदलने की एक कीमिया है ।
वह ध्वनिशास्त्र है ।
उसके भीतर बड़ा विज्ञान छिपा है ।
हमारी इच्छाओं से भी ज्यादा सुन्दर
ईश्वर की योजनाये होती है !!
कर्म पर विश्वास,
ईश्वर पर आस्था,और ईमानदारी से वास्ता,
कितना भी मुश्किल हो वक़्त,
निकालेगा जरूर रास्ता।।
🙏🏻जय श्री कृष्णा 🙏🏻
हे कान्हा......
तुम्हारा नाम लेते ही
चेहरे पर मुस्कान आ जाती है...!!!
मुश्किल हो कैसे भी
जान में जान आ जाती है...!!!💞
🌷जय श्री राधे कृष्णा जी 🌷
बड़ा अनपढ़ सा हूँ माधव
तेरे सिवा कुछ समझ ना आता ।।
चरणों से लगाय रखना
कृपा बरसाए रखना
🌹🌹श्री राधे।।🌹🌹
अगर ज़िंदगी को खुशहाल बनाना चाहते हो,,
तो अपने विचारों को चुनना सीखो,,
हमारे विचार व व्यवहार ही हमारी प्रशन्नता,और व्यथित होने के परिचायक है,,!!
सीताराम
लड़ लो, झगड़ लो लेकिन
कभी परिवार से अलग मत होना !
क्योंकि
बिना गुच्छे वाले अँगूर का
क़ोई मोल भाव नहीं होता !
As soon as the fear approaches near, attack and destroy it.
जैसे ही भय आपके करीब आये , उसपर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दीजिये.
जब जब किसी को चाहने का सवाल आया मुझे बस मेरे राम आप ही याद आये
🌹❤
भूखे मर जाना लेकिन
भाई के साथ धोखा कर के
उसकी सम्पत्ति मत हड़प लेना
वरना परिणाम इस जन्म तो क्या
अगले जन्म तक भुगतने को तैयार रहना
!! यह कटु सत्य है !!
सब को बोल रखा है मैंने,
मेरा श्याम आएगा!
मेरे भरोसे की लाज रखना कान्हा,
नही तो ये सेवक टूट जाएगा..!!
🙏जय श्री कृष्णा🙏
सिंहासन से उठ कर देख लो,
कोई आवाज लगा रहा है,
उस का कोई नही है तेरे सिवा,
कृष्णा कृष्णा पुकार रहा है..!!
🙏जय श्री हरि 🙏
हरी है जिस के सारथी,
निश्चय उस की जीत ,
जिस मन में श्री हरि बसे,
उस मन प्रीत ही प्रीत ।
🙏 श्री राधे।🙏
माता पिता भले ही अनपढ़ क्यों न हो, लेकिन शिक्षा और संस्कार देने कि जो क्षमता उनमें है वो दुनिया के किसी स्कूल में नहीं है...!
किस्मत में लिखा हुआ मिलकर ही रहता है परंतु कब कहां और कैसे मिलना है यह परमात्मा ही जानता है...!
किसी से ईर्ष्या करके मनुष्य उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता, पर अपनी नींद और सुख चैन अवश्य खो देता है...!
कुछ तो बहुत अच्छा ज़रुर है सभी में ,
फिर ज़रा सी बुराईयों का हिसाब क्या रखना...!
इंसान जब श्मशान से किसी
अपने को अग्नि में अर्पण करके
आता हैं तो घर के रास्ते भर वह
सब बुराईयाँ छोड़ कर जीवन
सार्थक बनाने का...
प्रण मन ही मन में करता हैं
परन्तु घर आके वो जैसे ही
नहाता हैं उसके समस्त सुविचार
धुल जाते हैं और वो उसी दुनिया
में वापस रंग जाता हैं, यही
जीवन हैं |
There is poison in the fang of the serpent, in the mouth of the fly and in the sting of a scorpion; but the wicked man is saturated with it.
साप के फन, मक्खी के मुख और बिच्छु के डंक में ज़हर होता है; पर दुष्ट व्यक्ति तो इससे भरा होता है.
सीताराम राधेकृष्ण हर हर महादेव
वहा एक दिन न भी ना रुके जहा ये पाँच ना हो. धनवान व्यक्ति , विद्वान् व्यक्ति जो शास्त्रों को जानता हो, राजा, नदियाँ, और चिकित्सक
उस देश मे निवास न करे जहा आपकी कोई इजजत नहीं, जहा आप रोजगार नहीं कमा सकते, जहा आपके कोई मित्र नहीं और जहा आप कोई ज्ञान आर्जित नहीं कर सकते .
जब परिस्थिति बदलना हमारे बस में ना हो तब मन की स्थिति बदल के देखिए, सब कुछ तो नहीं पर बहुत कुछ आपके अनुरूप हो जाएगा...!
जब दिमाग कमजोर होता है, परिस्थितियां समस्या बन जाती हैं…
जब दिमाग स्थिर होता है, परिस्थितियां चुनौती बन जाती हैं...
लेकिन जब दिमाग मजबूत होता है, परिस्थितियां अवसर बन जाती हैं...!
A man is great by deeds, not by birth.
कोई व्यक्ति अपने कार्यों से महान होता है, अपने जन्म से नहीं.
जिसमें विद्या, तप, दान,ज्ञान, शील,गुण और धर्म कुछ भी नहीं है, वे मृत्यु लोक में पृथ्वी का भार बने हुए मनुष्य के रूप में पशु ही हैं
मेरे
कृष्ण की भी एक अदा है
वो भी राधा कहनें
वालो पे फिदा है.
*पत्तागोभी है गुणों का खजाना*
विटामिन और आयरन से भरपूर पत्तागोभी आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होती है
पत्तागोभी के फायदे
चाऊमीन को हरा-भरा बनाने के लिए पत्तागोभी डाला जाता है तो कभी टेस्ट के लिए पत्तागोभी का सूप बना कर पिया जाता है। यह बंदगोभी भी बोली जाती है जिसकी सब्जी पूड़ी के साथ खाने में बहुत ही स्वादिष्ट लगती है। स्वाद में जितनी ये टेस्टी है गुणों में भी यह उतनी बेस्ट है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि ये लगभग पूरे साल मिलती है। तो अगर आप स्वस्थ रहना चाहते हैं तो भरपूर मात्रा में पत्तागोभी खाएं और अपने शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखें।
कैंसर से बचाए
कैंसर से पत्तागोभी में मौजूद आइसोसाइनेट्स शरीर में एस्ट्रोजिन मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया को तेज कर शरीर में कैंसर से बचाए रखता है। साथ ही इसमें डिनडॉलीमेथेन (डीआईएम), सिनीग्रिन, ल्यूपेल, सल्फोरेन और इंडोल- 3 कार्बीनॉल (13 सी) जैसे जरूरी मिनरल्स पाए जाते हैं। ये सारे तत्व कैंसर से बचाव करते हैं।
मोटापे से छुटकारा
आज के शहरीकरण का सबसे बड़ा श्राप इंसानी जीवन में मोटापा है। पूरी दुनिया में आज हर तीसरा आदमी मोटापे से ग्रस्त हैं। लेकिन पत्तागोभी के सेवन से मोटापे से छुटकारा मिल सकता है। पत्तागोभी में कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती है जो वजन को बढ़ने नहीं देती। मोटापा कम होने की वजह से आपका शरीर अन्य बीमारियों का भी घर नहीं बनता।
खून की कमੀ
अधिकतर लोगों को खून की कमी होती है खासकर महिलाओं को। ऐसे लोगों को पत्तागोभी का नियमित सेवन सलाद के रुप में करना चाहिए। पत्तागोभी में फोलिक एसिड होता है जो खून की कमी को पूरा करता है। फोलिक एसिड शरीर में नए ब्लड सेल्स का निर्माण करता है जिससे शरीर में खून की कमी पूरी हो जाती है
*चुकंदर चेहरे को बनाएगी गुलाबी*
चुकंदर का सेवन त्वचा में गुलाबी निखार लाता है। चुकंदर में काफी मात्रा में आइरन होता है, जिससे हीमोग्लोबिन मिलता है। इसे पीस कर चेहरे पर भी लगा सकते हैं। रोजाना इसे आजमाने से चेहरे पर गुलाबी निखार आता है।
*खांसी से तुरंत छुटकारा दिलाता है अजवाइन का ऐसा प्रयोग*
1. खांसी होने पर :- अजवाइन के रस में दो चुटकी काला नमक मिलाकर उसका सेवन करें और उसके बाद गर्म पानी पी लें। इससे आपकी खांसी ठीक हो जाएगी। आप काली खांसी से परेशान हैं तो जंगली अजवाइन के रस को सिरका और शहद के साथ मिलाकर दिन में 2-3 बार एक-एक चम्मच सेवन करें, राहत मिलेगी।
2. सर्दी जुकाम में :- बंद नाक या सर्दी जुकाम होने पर अजवाइन को दरदरा कूट कर महीन कपड़े में बांधकर सूंघें। सर्दी में ठंड लगने पर थोड़ी-सी अजावाइन को अच्छी तरह चबाएं और चबाने के बाद पानी के साथ निगल लें। ठंड से राहत मिलेगी।
No comments:
Post a Comment