Wednesday, 26 February 2025

यह हैं जिम थॉर्प। तस्वीर को ध्यान से देखें, आप देख सकते हैं कि उन्होंने अलग-अलग मोज़े और जूते पहने हुए हैं। लेकिन यह कोई फैशन स्टेटमेंट नहीं था। यह 1912 के ओलंपिक खेलों की बात है, जहां जिम, जो ओक्लाहोमा के एक मूल अमेरिकी थे, अमेरिका का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।

यह हैं जिम थॉर्प। तस्वीर को ध्यान से देखें, आप देख सकते हैं कि उन्होंने अलग-अलग मोज़े और जूते पहने हुए हैं। लेकिन यह कोई फैशन स्टेटमेंट नहीं था। यह 1912 के ओलंपिक खेलों की बात है, जहां जिम, जो ओक्लाहोमा के एक मूल अमेरिकी थे, अमेरिका का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।

जिस सुबह उनकी प्रतियोगिता होनी थी, किसी ने उनके जूते चुरा लिए। लेकिन जिम ने हार नहीं मानी। उन्होंने कूड़ेदान में दो जूते खोजे और वही पहन लिए। इनमें से एक जूता बड़ा था, इसलिए उन्हें अतिरिक्त मोज़ा पहनना पड़ा। और इन असमान जूतों को पहनकर भी, जिम ने उस दिन दो स्वर्ण पदक जीते।

यह घटना हमें याद दिलाती है कि हमें अपने जीवन की परेशानियों को बहाना नहीं बनने देना चाहिए।

तो क्या हुआ अगर ज़िंदगी हमेशा न्यायपूर्ण नहीं रही? आज आप इसके बारे में क्या करने वाले हैं? चाहे सुबह उठते ही आपको कोई कठिनाई मिली हो—चोरी हुए जूते, खराब सेहत, असफल रिश्ते, या कोई डूबा हुआ व्यापार—इन्हें अपने सफर में बाधा मत बनने दें।

आपके पास या तो बहाने हो सकते हैं, या फिर परिणाम... लेकिन दोनों एक साथ नहीं।

मेरे प्रिय मित्रों, चाहे हमारे "जूते" (जीवन की परिस्थितियाँ) कैसे भी हों, हमें अपने सफर को जारी रखना चाहिए। खुश रहें और पूरे जोश के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ें—"बिना पछतावे के जीवन जिएं।"

साभार सोशल मीडिया

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