पहलगाम का वीभत्स शैतानी और दिल दहला देने वाला हत्याकांड-डॉ दिलीप कुमार सिंह
22 अप्रैल 2025 का दिन भारत और विश्व के इतिहास में एक और काली शैतानी दुर्घटना और हत्याकांड के रूप में अंकित हो गया जो पुलवामा कांड के बाद हाल का सबसे बड़ा आतंकी हमला था जब स्थानीय लोगों के सहयोग से पाकिस्तानी कूटनीति और मिली भगत के चलते आतंकवादियों ने बैसरना घाटी पहलगाम में हजारों स्थानीय लोगों और पर्यटकों में से 27 गैर मुसलमानों को चुनकर उनका नाम पता पूछा कलमा पढ़वाया और उसके बाद संदेह होने पर नंगा करके खतना की जांच करके बहुत ही दर्दनाक और शैतानी वीभत्स ढंग से सबके सिर में उनके साथियों और परिजनों की उपस्थिति में बड़ी क्रूरता से गोली मार कर हत्या कर दिया और फिर आराम से घूमते टहलते निकल गए जिस पर भारत सहित पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है और मारे गए परिजनों की सुधि लेने वाला कोई दिखाई नहीं पड़ रहा है।
इस नृशंस हत्याकांड पर बहुत कुछ कहा गया सुना गया और लिखा गया लेकिन अधिकांश सच्चाई से परे और मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति पर आधारित था और इसको दबाने की हर संभव कोशिश हर प्रकार के तंत्र द्वारा की जा रही है और यह मामला काफी कुछ दब गया है अभी तक मोदी जी या सरकार द्वारा कोई भी प्रभावी कार्यवाही नहीं की जा सकी है केवल सिंधु नदी जल समझौता पाकिस्तानी लोगों को भारत देश छोड़ने का आदेश और इस तरह कुछ अन्य कार्यवाही करने की घोषणा की गई है सरकार समर्थक लोग और अधिकांश बड़े मीडिया वाले बहुत कुछ बड़ा घटित होने की भविष्यवाणी कर रहे हैं जो अभी भविष्य के गर्भ में है लेकिन यह घटना क्यों हुई कैसे हुई और इसके पीछे उत्तरदाई कौन-कौन से लोग हैं इसकी गहराई से और निष्पक्ष रूप से समीक्षा किया जाना आवश्यक है।
सबसे पहली बात यह है कि 1990 में जब से लाखों गैर मुसलमान को घाटी से सामूहिक हत्या और सामूहिक बलात्कार करके दंगा फसाद मचाकर डरा धमका कर पाकिस्तान स्थानीय लोगों के सहयोग और आतंकवादियों की प्रत्यक्ष कार्यवाही उनकी सामूहिक हत्या और बलात्कार दंगा फसाद के कारण सनातनी लोगों को कश्मीर के बाहर दिया गया था 1990 के बाद कश्मीर घाटी कभी भी शांत नहीं रही और वहां छोटे-बड़े आतंकी हमले और नरसंहार जारी रहे जिसमें हाल के वर्षों में पुलवामा में हुआ भीषण आतंकी हमला और नरसंहार शामिल है। 1990 से कश्मीर में शांति स्थापित करने के अनगिनत झूठे दावे किए गए लेकिन सच्चाई यही है कि कश्मीर आज भी गैर मुसलमान के लिए नरक से कम नहीं है और इस नर्क में जाने के बाद लोग स्वर्ग पहुंचते हैं तो सीधा स्वर्ग पहुंच जाते हैं
पहलगाम की दुर्घटना और हत्याकांड को लोग अलग-अलग दृष्टिकोण से अपने अनुसार नेता अपने राजनीतिक के अनुसार देख रहे हैं लेकिन इसका एकमात्र निष्पक्ष पक्ष यही है की शैतानों ने मानवता की हत्या उस सनातनी देश में किया है जिसे सनातनी धर्म के लोगों ने पाकिस्तान बांग्लादेश और कश्मीर को मुसलमानों को उनके डायरेक्ट एक्शन प्लान खून खराबा के कारण देकर प्राप्त किया है और इसके बाद भी गांधी नेहरू कांग्रेस और अंग्रेजों की दूरभिसंधि के फल स्वरुप जबरदस्ती भारत में रह रहे मुसलमानों ने पूरे देश में जो मानवता विरुद्ध शैतानी काम किया है कर चुके थे और कर रहे हैं आगे भी करेंगे वहां कभी शांति होगी इसकी कोई संभावना नहीं है और निकट भविष्य में भी ऐसी कोई संभावना नहीं दिख रही है कि कश्मीर के मुसलमान अन्य लोगों के साथ मिलकर सद्भावना पूर्वक रहेंगे
पूरी दुनिया में मुसलमानों का इतिहास यही है और सारी दुनिया इनसे परेशान है यूरोप और अमेरिका में खून की होली खेल रहे हैं विश्व व्यापार संघ और अमरीकी रक्षा विभाग पेंटागन और यूरोप के मेट्रो रेल सहित स्थान में हमले भारत में संसद पर सीधा हमला और वाराणसी से लेकर सोमनाथ मंदिर गुजरात बांग्लादेश से पाकिस्तान हर जगह या लोग हरकत खून की होली दंगा फसाद मचा कर रखे हैं इजराइल में उनके द्वारा की गई शैतानी और राक्षसी घटना से पूरी दुनिया थहल गई थी जब फिलिस्तीन आतंकवादियों ने मानवता को लज्जित करने वाली सबसे घिनौनी हरकत करते हुए हर लोगों को मार डाला गला काट लिया हाथ पैर काट लिया पेट को फाड़ दिया और सैकड़ो लोगों का अपहरण कर के ले गए और जाते-जाते शौच कर रहे लोगों की गोली मार कर हत्या कर दी और और सैकड़ो लोगों को साग भाजी गाजर मूली मुर्गा मुर्गी भेड़ बकरी की तरह हलाल कर दिया।
देश कोई भी हो मुसलमानों के साथ रहने वाले कोई भी अगर वह मुसलमान नहीं है तो इनका एक ही लक्ष्य है उसे मुसलमान बनाओ जिस देश में रह रहे हैं उसको मुस्लिम बनाना सर्वोपरि लक्ष्य है किसी भी देश का कानून नियम संविधान न्यायपालिका और रीति रिवाज इनको कांटे की तरह चुभते हैं और जैसे ही थोड़ा सा सक्षम होते हैं उससे खुलेआम बगावत करके अल्लाह पैगंबर शरिया कुरानऔर इस्लामी रंग ढंग से जबरदस्ती उसे रंग देना चाहते हैं और 57 देशों को यह लोग गैर मुस्लिम लोगों से रहित कर चुके हैं बाकी दुनिया को मिटाने का प्रयास लगातार जारी है ऐसे में कहीं भी शांति संभव नहीं है सभी प्रकार के मांस उपलब्ध रहने पर भी भारत में जानबूझकर गाय और बछड़े खाते हैं जिससे लोगों में उत्तेजना और पीड़ा फैल जाए जबकि यह जानते हैं कि भारत के लोग गाय को माता समझते हैं उनकी माता को काटकर खाते कीजिए और दिखाने के लिए भाईचारा और गंगा जमुनी संस्कृति का नारा लगाते हैं इतना ही नहीं सूर्य नमस्कार सरस्वती वंदना योग व्यायाम करना पाप समझते हैं और नकाब हिजाब बुर्का का प्रचार प्रचार दिन रात करते हैं
और सबसे बड़ी बात जहां गैर मुस्लिम नहीं होते वहां पर यह लोग लाउडस्पीकर का प्रयोग नहीं करते वहां पर्दा प्रथा नकाब हिजाब बुर्का का नामोनिशान नहीं रहता है और ना वहां पर यह लोग गंदगी ही करते हैं गैर मुस्लिम देश में नए प्रेम से रहते हैं ना किसी को शांति से रहने देते हैं लव जिहाद सहित छेड़ना शांति भंग करना दंगा प्रसाद करना कमजोर होने पर सींग पूंछ गिरा कर बकरी की तरह रहना और बलवान होने पर भेड़ियों की तरह टूट पड़ना इनका जन्मजात स्वभाव है पंचर छाप से लेकर आई ए एस प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति कुछ भी बन जाएंगे लेकिन स्वभाव और चाल चलन नहीं बदल सकता है। यह अटल और ध्रुव सत्य है इसीलिए इनको तुर्क यवन म्लेच्छ इत्यादि की संज्ञा दी गई है और इसमें गलत भी नहीं है यह अलग बात है कि इनके आतंक भय के कारण लोग इनके ऊपर कुछ लिखना पढ़ना तो दूर कहना भी नहीं चाहते हैं ।
अब फिर से लौट कर पहलगाम के भयानक शैतानी हत्याकांड पर लौट आते हैं जो वैसरन घाटी में हुआ था यह हत्याकांड बहुत सोची समझी रणनीति थी जिसको पूरा करने में स्थानीय मुस्लिम समाज वहां के दुकानदार पाकिस्तान और पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों का मिला-जुला हाथ था जिसमें यात्रा करने वाले लोगों की लापरवाही सरकारी गुप्तचर तंत्र की विफलता ने और भी भयानक बना दिया इस घाटी की पृष्ठभूमि ऐसी है की कोई भी व्यक्ति पहाड़ों पर जंगल के रास्ते भाग नहीं सकता ऐसे में स्वाभाविक रूप से यह प्रश्न उठता है कि जहां केवल गधे खच्चर से ही लोग जा सकते हैं जहां सड़क भी नहीं है कोई वाहन भी नहीं आ जा सकते है वहां घंटे तक इस प्रकार का शैतानी हत्याकांड होता रहा जो कि इस्लामी सभ्यता की एक आवश्यक बुराई है और सरकार सरकार की पुलिस सेना किसी को जानकारी नहीं हुई यह अपने आप में सबसे बड़ा संदेहास्पद प्रश्न है अगर केंद्र या राज्य सरकार चाहती तो हेलीकॉप्टर से तत्काल ही शूटर या कमांडो भेज कर उनको मारा जा सकता था कहीं ना कहीं बहुत ही अधिक उलझा हुआ मामला है और सब की पोल पट्टी खुलने का भी डर है।
जब यह भयानक हत्याकांड हो रहा था तब वहां के स्थानीय दुकानदार और स्थानीय लोग और पर्यटकों को ले जाने वाले हजारों की संख्या में थे लेकिन किसी के द्वारा एक भी वीडियो नहीं बनाया गया किसी को पुलिस की सूचना नहीं दी गई न किसी के द्वारा सेना को सूचित किया गया यह सब अपने आप में चीख चीख कर बता रहा है की क्या और कैसे हुआ सब कुछ कुर्सी की राजनीति के पीछे छुप गया है और सत्य कभी सामने नहीं आएगा क्योंकि सब सामने आने पर हर दलों के नेता बेनकाब हो जाएंगे और सबका प्लान भी खुल जाएगा किस तरह देशवासियों को भय और असुरक्षा के वातावरण में जीना पड़ रहा है और स्वयं यह लोग बहुत आराम से हर सुख सुविधा के साथ भारत की ही नहीं पूरी दुनिया की सैर कर रहे हैं
सबसे गंभीर प्रश्न तो केंद्र और राज्य सरकार पर उठाता है जहां पर आए दिन सैनिक मुठभेड़ में मारे जा रहे हैं आम जनता भी आतंकवाद की शिकार हो रही थी वहां पर इस तरह खुलेआम पर्यटन को अनुमति क्यों दी गई इसका उत्तर ना तो फारूक अब्दुल्ला के पास है और ना केंद्र सरकार के पास है इसके अलावा देश की सर्वश्रेष्ठ गुप्तचर एजेंसियां क्या कर रहे थे जिसके कारण 27 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा वैसे तो अनुमान यह है कि वास्तविक रूप से मारे गए लोगों की संख्या इससे बहुत ज्यादा है लेकिन विवशता है कि सरकारी आंकड़ों पर ही विश्वास करना पड़ता है और सबको ज्ञात है कि सरकारी आंकड़े क्या होते हैं?
यहां पर एक बात मैं और कहना चाहूंगा कि क्या सचमुच सनातनी हिंदू इतने मूर्ख होते हैं कि अपने ही पैसे से अपना ही कत्ल कराते हैं जब आपको अच्छी तरह मालूम है कि कश्मीर की स्थितियां बहुत खराब है आए दिन सेना के साथ पुलिस की मुठभेड़ हो रही है लोग मारे जा रहे हैं तो आप क्या करने के लिए वहां घूमने टहलने जा रहे हैं क्या भारत में जम्मू कश्मीर के अलावा ऐसी कोई जगह नहीं है जहां पर आप घूम सकें । मैं ऐसे लोगों को बताना चाहता हूं कि आप कश्मीर को छोड़ दो कन्याकुमारी रामेश्वरम जाओ मुंबा देवी गुजरात में सोमनाथ द्वारिका तीर्थ पर चले जाओ पुरी भुवनेश्वर पूर्वोत्तर भारत चित्रकूट और मथुरा वृंदावन जैसी एक से बढ़कर एक जगह है और अगर कश्मीर जाना ही चाहते हो तो उससे अच्छा उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में है और उत्तराखंड किसी भी तरह जम्मू कश्मीर से कम नहीं है लेकिन जिस तरह ताजमहल को झूठा प्रचार प्रसार करके बहुत अच्छा दिखाया गया है वही हाल जम्मू और कश्मीर का है और धरती का स्वर्ग जी कश्मीर को आप बोलते हो वह इस समय पाकिस्तान के कब्जे में है जिसका नाम बाल्टिस्तान गिलगित है जिसे आजाद कश्मीर कहा जाता है मैं तो लोगों से यहां तक कहूंगा कि कुछ वर्ष के लिए माता वैष्णो देवी और अमरनाथ की यात्रा भी छोड़ दो सभी आतंकी और उनको शरण देने वाले स्थानीय लोग भूख से मर जाएंगे और यह सभी पाकिस्तान भाग जाएंगे।
भारत के सनातनी लोगों को यह अच्छी तरह से जान लेना चाहिए कि कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं हो सकती सांप चाहे प्रेम से काटेगा और चाहे क्रोध से काटेगा वह जहर ही उगलेगा और भेड़िया शेर लकड़बग्घा जैसे जानवर कभी शाकाहारी नहीं होंगे जिसकी जो प्रवृत्ति है वह बदल नहीं सकती है इसके बाद भी अगर मूर्खतावश मारे जा रहे हैं तो उसमें किसी का कोई दोष नहीं है अभी भी बहुत समय बचा है बहुत सावधान होने की आवश्यकता है क्योंकि भारत की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि यहां सेना पुलिस प्रशासन सहित किसी भी सरकारी तंत्र पर भरोसा करने वाला बेमौत मारा जाता है यही असली सच है उसके बाद कहने के लिए कुछ नहीं बचा हुआ है जो लोग मारे गए वह तो वापस नहीं आ सकते लेकिन उनसे सबक लेकर बाकी लोग क्रूर और नृशंस हत्या दंगा फसाद बलात्कार और उत्पीड़न से बच सकते हैं।
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