Friday, 2 May 2025

अप्रैल के अंतिम और मैं के पहले सप्ताह में भारतवर्ष में जबरदस्त मौसम परिवर्तन का कारण और भारत में मानसूनी वर्षा की भविष्यवाणी डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक

अप्रैल के अंतिम और मैं के पहले सप्ताह में भारतवर्ष में जबरदस्त मौसम परिवर्तन का कारण और भारत में मानसूनी वर्षा की भविष्यवाणी डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक

सामान्य रूप से अप्रैल के अंतिम और मैं के प्रथम सप्ताह में भयंकर धूप के साथ तापलहर और लू की स्थितियां रहती हैं और भारत के अधिकांश भागों में अधिकतम तापमान 40 से 47 डिग्री सेल्सियस रहता है जिसमें महाराष्ट्र गुजरात मध्य प्रदेश उड़ीसा आंध्र प्रदेश के कुछ भाग बंगाल बिहार छत्तीसगढ़ झारखंड दिल्ली पंजाब हरियाणा नोएडा राजस्थान प्रमुख है जबकि अन्य स्थानों में जैसे जम्मू कश्मीर उत्तराखंड हिमाचल प्रदेश नेपाल भूटान सिक्किम और पूर्वोत्तर भारत में अधिकतम तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस रहता है जबकि भारत के तमिलनाडु केरल कर्नाटक और आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के अधिकांश भागों में खुली धूप प्रचंड गर्मी के कारण अधिकतम तापमान 35 से 40 डिग्री सेल्सियस रहता है 

लेकिन इस बार 27 अप्रैल से 5 में तक संपूर्ण भारत का मौसम पूरी तरह से बदल गया है और इन सभी भागों में मौसम परिवर्तन के कारण आंधी बवंडर तूफान और 20 से लेकर 50 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से हवाएं चल रही हैं और संघनन और वाष्पन क्रियाओं के कारण भयंकर वज्रपात बिजली की चमक और गरज के साथ अल्पकालिक तेज बौछारें या हल्की से तेज वर्षा हो रही है और गर्मी के मौसम में आने का स्थान पर आश्चर्यजनक रूप से ओलावृष्टि भी हो रही है और अभी यह मौसम 5 मई तक इसी तरह चलेगा और 5 में से अचानक ही मौसम बहुत तेजी से बदल जाएगा और भयंकर गर्मी पादना शुरू हो जाएगी 

इन सब के पीछे वैसे तो अनेक कारण है लेकिन प्रमुख कारण है कि दक्षिण के पठारी भाग में खुली धूप भयंकर गर्मी के कारण अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में वृक्षोंप पैदा होने से ठंडी हवाएं बहुत तेजी से दक्षिण और मध्य भारत की ओर दौड़ नहीं है जबकि उत्तर पश्चिम में एक विक्षोभ पहले से ही सक्रिय है जिसका प्रभाव पश्चिम उत्तर भारत से लेकर उत्तर प्रदेश बिहार और बंगाल मध्य प्रदेश तक है जिसके कारण अचानक ही पूरे देश में मौसम आश्चर्यजनक रूप से बदल गया है इसमें सक्रिय भूमिका अल नीनो और ला नीनो के अलावा सूर्य में होने वाले प्रचंड विस्फोट सौर ज्वाला हैं और लाखों किलोमीटर तक दौड़ने वाली सुर ज्वालामुखी कारण हो रहा है जबकि ओजोन की परत में बढ़ रहा छेद और वैश्विक गर्मी अर्थात ग्लोबल वार्मिंग चारों तरफ भयानक गति से बढ़ रहा कूड़ा कचरा और प्रदूषण भी इसमें महत्वपूर्ण कारक निभा रहा है जंगल और हरे क्षेत्र का लगातार घटते जाना सीमेंट और कंक्रीट के जंगलों का बढ़ना इसमें बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है 

वैसे तो अनेक निजी मौसम के चैनलों और सरकारी मौसम विभाग ने यह बताया है कि इस बार भारत में सामान्य से अधिक 109 प्रतिशत वर्षा होगी लेकिन हमारे अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम विज्ञान पूर्वानुमान और अनुसंधान केंद्र के अनुसार इस वर्ष की वर्षा सामान्य के बराबर भी हो जाए तो बहुत अच्छी बात है यह वर्ष 99 से 101% के बीच रहेगी लेकिन इसका कम एक समान नहीं रहेगा और इस बार लगातार कई दिनों तक वर्षा होने की जगह बहुत भीषण लेकिन कम अवधि की वर्षा बार-बार होगी ।

इस वर्ष एक चौथाई भारत में सूखा और अकाल की स्थिति रहेगी जबकि तीन चौथाई भारत में अधिकांश जगहों पर अल्पकालिक और कुछ जगहों पर दीर्घकालिक वर्षा जलप्रलय और बाढ़ की स्थिति रहेगी वर्षों से सामान्य से कम वर्षा का चक्र झेल रहा उत्तर प्रदेश और बिहार विशेष कर पूर्वांचल इस बार अधिक वर्षा की आशा कर सकता है । जौनपुर जैसे जनपदों में 1984 85 के बाद पहली बार बाढ़ जैसी स्थिति हो सकती है इस वर्ष पूरे भारत में वज्रपात और आकाशीय बिजली तथा झंझावात से धन-जन पशु पक्षियों और वृक्षों की भयानक कहानी होने का अनुमान है और जून से लेकर सितंबर अक्टूबर तक दो भयानक महा चक्रवात और दो सामान्य चक्रवात बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उठने की आशा है

मुझे तो लगता है कि मानसून की वर्षा अनिश्चित अनियमित और विलंबित चक्र में चलेगी जिसे काफी नुकसान कृषि और बागवानी तथा जनजीवन और पशु पक्षियों पर पड़ेगा अब समय के साथ सितंबर के अंत में पता चलेगा कि हमारे केंद्र के द्वारा की गई वह वर्षा की भविष्यवाणी अधिक सटीक रही या फिर अन्य सरकारी गैर सरकारी मौसम विभाग के द्वारा की गई वर्षा की भविष्यवाणी सटीक रहेगी मेरा अनुमान है कि इस बार की वर्षा 99 से लेकर 101% के बीच रहेगी जो लगभग सामान्य है

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