*यह पब्लिक हैं,*
*सब जानती है,*
*फूंक और थूक का,*
*खेल सब जानती है।।*
*हां बाबू,यह पब्लिक है,*
*सब जानती है।।*
फूक और थूक ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर ज़हर उगलना शुरू कर दिया है,आज तक यह बात समझ में नहीं आई,जब जब चुनाव आते हैं,कट्टरता से रंगे नेताओं के चेहरे हमारे सामने आने लगते हैं,क्या चुनाव धर्म के आधार पर ही जीते जाते हैं, चुनाव में तो विकास की बात होनी चाहिए बेरोजगारी की बात होना चाहिए काहे को मंदिर मस्जिद के मुद्दों के आधार पर चुनाव होने लगे हैं,जैसे-जैसे हमारा देश प्रगति कर रहा है वैसे वैसे हमारे दिलों में नफरतों के बीज बोए जा रहे हैं और अब चुनाव में नफरतों की फसल को तैयार करने में राजनीतिक दल थूक और फूंक का सहारा लेने में जुट गए हैं कहीं पर नेताओं पर हमले हो रहे है,या नेता अपने आप पर हमला करवा रहे हैं,यह सब राजनीति है बाबू,यह राजनीति हम आम इंसान से कोसों दूर है,कब दुश्मन दोस्त बन जाते हैं,पता ही नहीं चल पाता और कब दोस्त बागी हो जाए समझ में नहीं आता । अब चुनाव में वादों के दस्तरखान बिछने लगे हैं, राजनीतिक दल चुनावी दस्तरखान के मेनू कार्ड तैयार किए हुए हैं,कहीं पर बेरोजगारी भत्ता तो कहीं पर मंदिर का मुद्दा तो कहीं पर कब्रिस्तान की दीवार तो कहीं पर महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों को दस्तरखानो पर परोसने का वादा किया जा रहा है यू बोले मुंगेरीलाल के हसीन सपनों को दिखाने का प्रयास किया जा रहा है, हमें तो लगता था हमारा करेला ही कड़वा होता है पर राजनीतिक दलों के सिपहसालारो ने करेले की कड़वाहट को भी पीछे छोड़ दिया है,सिपहसालारो के मुख से निकलते विरोधियों के लिए कड़वाहट के बाण,कट्टरता का तड़का,और वादों की मिठास लो भैया बन गई
राजनीति की हंडी,हमारे राजनीति के सिपहसालार बड़े बुद्धिमान होते हैं,कब किस मुद्दे को जनता के सामने तड़का लगाकर पेश करना है,उनको इसमें महारत हासिल है,चाहे कोरोना महामारी का समय हो लोगों के ध्यान भटकाने के लिए बहुत सारे मुद्दे सोशल मीडिया से लेकर जनता के सामने परोस कर जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश में कामयाब रहे हैं यह सिपहसालार कभी एक धर्म के विशेष लोगों पर वायरस को फैलाने से लेकर नोटों एवं सब्जियों पर थूक लगाकर बेचने का आरोप लगाया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जमकर ट्रोल किया गया,इससे नफरतों की दीवार और ऊंची और मजबूत हो गई, हद हो गई भारत की बेटी लता मंगेशकर की अंत्येष्टि में शाहरुख खान के वीडियो पर सोशल मीडिया पर बवाल मच गया है। बहुत से लोग शाहरुख खान की जमकर आलोचना कर रहे हैं। हालांकि बहुत से यूजर्स ने इसे गलत बताया है कि शाहरुख ने पार्थिव शरीर पर थूका था। दरअसल शाहरुख ने दुआ पढ़ने के बाद फूंक मारी थी। इस्लाम में ऐसा बुरी शक्तियों को दूर करने के लिए दुआ पढ़ने के बाद किया जाता है।
सिर्फ राजनीति ही ऐसा पेशा है, जहां पर धर्म की आड़ में राजनीति का कारोबार किया जाता है,इन सिपहसालारो को हमारे बॉलीवुड से बहुत कुछ सीखना होगा इन सिपहसालारो को धर्मनिरपेक्षता क्या होती है इन बॉलीवुड के सितारों से सीखना होगा,भारत की बेटी लता मंगेशकर ने उस्ताद अमानत अली खां से शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू किया था और इसके बाद लता ने अमानत खां से संगीत की शिक्षा लेनी प्रारंभ की थी,पंडित तुलसीदास शर्मा और उस्ताद बड़े गुलाम अली खां जैसी जानी मानी शख्सियतों ने भी उन्हें संगीत सिखाया था, लता मंगेशकर ने हिंदू मुसलमान नहीं देखा सिर्फ उन्होंने संगीत से प्रेम किया और अपने मुसलमान उस्ताद का सम्मान किया इसलिए लता भारत की बेटी बनी ।
*देश की प्यारी जनता,*
*देश की भोली जनता ।*
*जिसने भी दिखाएं*
*झूठें सपने,*
*साथ उसी के हो*
*ली जनता।*
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
मोहम्मद जावेद खान
9009626191
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