Saturday, 7 May 2022

किशोर न्याय अधिनियम पर संगोष्ठीसरजू प्रसाद शैक्षिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था जज कॉलोनी जौनपुर के तत्वाधान में विधिक जागरूकता शिविर किशोर न्याय अधिनियम के तहत आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ जन शिक्षण संस्थान के डायरेक्टर डॉक्टर सुधा सिंह ने दीप प्रज्वलित करके किया। ने कहा कि पंचायतों के प्रतिनिधियों के माध्यम से जन जागरूकता बाल विवाह के संदर्भ में बड़े पैमाने पर की जा सकती है।

किशोर न्याय अधिनियम पर संगोष्ठी
सरजू प्रसाद शैक्षिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था जज कॉलोनी जौनपुर के तत्वाधान में विधिक जागरूकता शिविर  किशोर न्याय अधिनियम के तहत आयोजित किया गया।  कार्यक्रम का शुभारंभ जन शिक्षण संस्थान के डायरेक्टर डॉक्टर सुधा सिंह ने  दीप प्रज्वलित करके किया। ने कहा कि पंचायतों के प्रतिनिधियों के माध्यम से जन जागरूकता बाल विवाह के संदर्भ में बड़े पैमाने पर की जा सकती है।

 कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विधिक सेवा प्राधिकरण के मध्यस्थता अधिकारी डॉ दिलीप सिंह ने कहा कि बाल विवाह पर पूरी दुनिया में लगभग सभी देश में प्राचीनतम काल से  विद्यमान रहा है लेकिन भारत में ज्ञात आंकड़ों में सबसे अधिक पूरी दुनिया में बाल विवाह होता है। एक आंकड़े के अनुसार दुनिया के सारे बाल विवाह का 40% भारत में  होता है । इसमें हिमाचल प्रदेश में सबसे कम 9% बाल विवाह होता है। सबसे अधिक बाल विवाह राजस्थान में होता है।

 शारदा एक्ट में सर्वप्रथम 1929 में बाल विवाह की सीमा 14 से 18 वर्ष मानी गई थी । जिसे 1978 में बढ़ाकर कम से 18 से 21 वर्ष कर दिया गया था लेकिन 2021 में यह आयु सीमा  बालक - बालिकाओं का दोनों समान रूप से 21 वर्ष कर दिया गया है। यह माना जाता है कि बाल विवाह से जहां अनेक कुसंस्कार समाज में पैदा होता है वहीं महिलाओं की शैक्षणिक तथा अन्य प्रगति में बाधा उत्पन्न होती है उनसे बीमारी एचआईवी जैसे भयंकर रोगों के साथ-साथ गर्भस्थ शिशु के मरने की दर भी बहुत ज्यादा हो जाती है

 और महिलाएं आत्मनिर्भर नहीं हो पाती हैं। यह बहुआयामी एक ऐसा सूत्र है जिसे समाप्त किए बिना भारत का चौमुखी विकास संभव नहीं है। आज जरूरत है कि सरकार पूरे देश में एक प्रभावी विचार - विमर्श और सामंजस्य समन्वय बनाकर एक ऐसी संस्था का निर्माण करें जिससे पूरे देश में बाल विवाह पर अंकुश लग सके।

 मुख्य अतिथि जिला प्रोबेशन अधिकारी श्री अभय कुमार ने कहा कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत बाल विवाह एक दंडनीय अपराध है इसके लिए 2 साल तक की कड़ी कैद या ₹100000 तक के जुर्माने की सजा दी जा सकती है। बाल विवाह को रोकने के लिए अदालत निषेधाज्ञा जारी कर सकती है। अनुच्छेद 13, पीसीएमए 2006 इस अधिनियम के तहत उल्लिखित अपराध एक संज्ञेय  और गैर - जमानती अपराध है ।अनुच्छेद 15, पीसीएमए 2006,...। इस कानून के तहत इन लोगों को सजा दी जा सकती है इसमें ऐसा कोई भी व्यक्ति जो बाल विवाह का कराता है या उस को बढ़ावा देता है या उसने सहायता देता है नाबालिक लड़की से शादी करने वाला 18 साल से अधिक उम्र का कोई भी पुरुष हो सकता है ऐसा भी कोई व्यक्ति जिसके पास बच्चे की देखभाल की जिम्मेदारी है।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए साहित्यकार गिरीश कुमार श्रीवास्तव गिरीश ने कहा कि बाल विवाह हमारे  सभ्य समाज के लिए एक कलंक  है।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से श्रीमती सुषमा सिंह रिपुदमन सिंह समन्वयक मनोज कुमार पाल छाया उपाध्याय  ललितेश मिश्र लक्ष्मी नारायण  यादव दिनेश मौर्य इत्यादि लोग उपस्थित रहे।
अंत में कार्यक्रम आयोजक पूर्व चेयरमैन चाइल्ड वेलफेयर कमेटी/ संस्था सचिव संजय उपाध्याय ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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