आज पत्रकारिता दिवस पर एक संगोष्ठी का आयोजन राज होटल रिजविखन जौनपुर में डॉ दिलीप कुमार सिंह के आवास पर सुबह आयोजित किया गया जिसमें पत्रकारिता दिवस और इसके विभिन्न आयामों का विस्तार पूर्वक विचार विमर्श किया गया
इस संगोष्ठी में मुख्य रूप से श्रीमती पदमा सिंह शिप्रा सिंह बाल गोपाल अनुरोध शिवानी सचिन जायसवाल मुन्ना बिंद अतुल सिंह एसके उपाध्याय के एन राय कमलेश कुमार अग्रहरी जैसे विद्वानों ने अपने अपने विचार व्यक्त किए
वक्ताओं ने कहा की उदंत मार्तंड जिसे हिंदी का प्रथम समाचार पत्र माना जाता है कि समय से अब तक हिंदी साहित्य में अनगिनत पत्र पत्रिकाएं प्रकाशित हो रही हैं और समय के साथ साथ हिंदी पत्रकारिता में विश्व की पत्रकारिता के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना सीख लिया है और आज हिंदी की पत्रकारिताभारत और विश्व व्यापार में प्रमुख स्थान रखती है
वक्ताओं ने कहा कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ इंटरनेट मीडिया और सोशल मीडिया जिसमें प्रमुख रुप से व्हाट्सएप टि्वटर फेसबुक हैं ने भी बहुत अग्रगामी भूमिका निभाई है और अब कलम की जगह कीबोर्ड और उसके आगे वॉइस टाइपिंग जैसी सुविधाओं से पत्रकारिता जगत में क्रांति आ गई है और प्रत्येक व्यक्ति पत्रकार बन सकता है
वक्ताओं ने कहा कि पत्रकारिता के लिए अर्थ वित्त बहुत आवश्यक है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि केवल अर्थ वित्त के पीछे भागते हुए पत्रकारिता का स्तर पूरी तरह गिरा कर इसे अविश्वसनीय बना दिया जाए और कलम की ताकत को पैसे के आगे समर्पित कर दिया जाए वास्तव में जो सामान्य जनता नहीं खा पाते उनकी कष्ट पीड़ा व्यथा को व्यक्त करना पत्रकारिता जगत का मुख्य दिए हैं साथ ही साथ देश विदेश की प्रमुख घटनाओं को विश्वसनीय रूप में देना भी हर प्रकार के पत्रकारिता का लक्ष्य है और साथ ही अभी मीडिया को देखना चाहिए कि वह पाठकों को और जनता को अधिक दे रहा है अथवा पैसो के चक्कर में विज्ञापन दाताओं को सर्वोच्च वरीयता दे रहा है
यह भी विचार व्यक्त किया गया कि यद्यपि विश्व की सबसे बड़ी और सबसे प्रामाणिक तथा कंप्यूटरीकृत भाषा हिंदी ही है लेकिन हिंदी को अभी तक हर पार्टियों की सरकारों ने मिलकर राष्ट्रभाषा का दर्जा भी नहीं प्रदान किया है और स्वतंत्र देश में हिंदी अंग्रेजी की गुलाम बनकर रह गए हैं लोगों के अंदर सरकार द्वारा यह बात बैठा दी गए कि बिना अंग्रेजी के उनका उद्धार नहीं है
विद्वान वक्ताओं के द्वारा कहा गया कि श्रेष्ठ पत्रकारिता और पत्रकार जब अपनी आवाज उठाते हैं तो वह मुख्य रूप से शासन प्रशासन और पुलिस के विरुद्ध होता है या फिर माफिया अराजक तत्व और देश विरोधी तत्वों के विरुद्ध होता है इसलिए अनेक बार उनको जान का खतरा उत्पन्न हो जाता है और उपर्युक्त सभी लोग उन्हें पीड़ित प्रताड़ित करने लगते हैं और सच का लिखना असंभव हो जाता है सबसे बड़ी बात की मीडिया जगत के और सोशल मीडिया के मालिक ऐसे धनकुबेर हैं जिनका आधार ही चोरी बेईमानी लूट खसोट और शेयरों की हेराफेरी तथा गलत धंधों पर टिका है अब उनके विरुद्ध कोई लिख नहीं सकता यह पत्रकारिता जगत की सबसे बड़ी खामी है और शासन प्रशासन पुलिस भी निडर निर्भीक निष्पक्ष पत्रकारों को पीड़ित करके चापलूस और पीत पत्रकारिता के लोगों को घोषित करता है और उन्हीं को अनुदान पुरस्कार जबरदस्ती प्रदान करता है पत्रकारों का जीवन खतरों से भरा होता है यूक्रेन का युद्ध उदाहरण है जहां अनेक निडर और प्रसिद्ध पत्रकार मारे गए इस संगोष्ठी में गणेश शंकर विद्यार्थी और प्रताप नारायण मिश्र जैसे पत्रकारों को याद किया गया
बैठक की अध्यक्षता करते हुए डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी एवं मध्यस्थता अधिकारी ने कहा कि जो यह समझते हैं कि बिना अंग्रेजी के भारत का विकास और उद्धार नहीं हो सकता वही लोग देश के विकास और हिंदी के विकास के सबसे बड़े विरोधी हैं और देशद्रोही हैं
स्पेन जर्मनी फ्रांस नार्वे नीदरलैंड सहित यूरोपीय देशों का रूस और जापान तथा चीन का खोरिया वियतनाम इजराइल का और तमाम दक्षिणी अमेरिकी देशों का उदाहरण देते हुए उन्होंने विस्तार से समझाएं कि इनमें से एक भी देश अंग्रेजी नहीं बोलता और वह सभी विश्व की महाशक्ति हैं इसराइल ने तो मरी हुई हिब्रू भाषा को 2000 वर्ष बाद जिंदा कर दिया और यहां हम लोग संस्कृत पूरी तरह भूल गए हैं जिससे हिंदी ही नहीं समस्त विश्व की भाषाओं का जन्म हुआ है उन्होंने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि अभी भी संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी अंतर्राष्ट्रीय भाषा नहीं बन पाई ना राष्ट्रभाषा ही बन पाए जबकि स्पेन और और फ्रांस तथा अरबी और रूसी भाषाएं वहां की अंतर्राष्ट्रीय भाषा है जो मिला कर भी हिंदी की आधी भी नहीं है चीनी अंग्रेजी भी हिंदी से कम बोली और समझी जाती हैं उन्होंने कहा कि हिंदी का साहित्य दुनिया के हर साहित्य से सर्वश्रेष्ठ हैं
और इसके महाकवि चंद्रवरदाई अब्दुल रहमान सर्रहपा jagnik Kabir Surdas Kabir Das mirabai Tulsidas Premchand aage Upendra nath yah Shankar Prasad Mahadevi Verma Suryakant Tripathi Nirala pant ramdhari Singh Dinkar Mahadevi Verma हिंदी ही नहीं विश्व के सर्वश्रेष्ठ कवि और साहित्यकारों में अग्रगण्य हैं जिनमें गोस्वामी तुलसीदास और जयशंकर प्रसाद जय सब पूरे विश्व साहित्य में कोई फायदा ही नहीं हुआ है
यह भी कहा गया कि संसार के हर महान काम में बाधाएं आती हैं और बाधाओं से निखर कर आगे बढ़ना ही जीवन शक्ति और भाषा की जिजीविषा का प्रमाण है आज नहीं तो कल हिंदी राष्ट्रभाषा और विश्व भाषा बन कर रहेगी क्योंकि अब पूरी दुनिया में बोली और समझी जा रही है और जो जो विज्ञान-टेक्नॉलॉजी बढ़ रहा है इसका विकास लगातार बढ़ता चला जा रहा है पंत जी के पंक्ति का उद्धरण दिया गया आज पल्लवित हुई है डाल खिलेगा कल गुंजित मधुमास मुकदर होंगे मधु से मधु बाल सूरज से अस्थिर मरुत आकाश
इस संगोष्ठी का संचालन शिवानी सिंह के द्वारा किया गया
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