Friday, 1 July 2022

यह मौसम लगभग 1 सप्ताह तक सुंदर सुहावना और जोरदार वर्षा वाला रहेगा कुछ स्थानों पर कम वर्षा भी हो सकती है लेकिन ज्यादातर स्थानों पर मध्यम से तेज और कहीं-कहीं भारी वर्षा होना निश्चित है इस वर्ष गर्मी उमस और पसीना ने ज्ञात अज्ञात सभी कीर्तिमान को ध्वस्त कर दिया है और लोगों ने शरीर जलाने वाली और शरीर सुखाने वाली दोनों भीषण गर्मी एक साथ किसी तरह बर्दाश्त किया पसीना और उमस ने सब को बेहाल कर दिया है*

[6/26, 4:51 PM] Dileep Singh Rajput Jounpur: *1 सप्ताह के मौसम का पूर्वानुमान और भविष्यवाणी भयंकर गर्मी उमस और पसीना वाला मौसम कल अर्थात 27 जून के बाद से समाप्त हो रहा है 27 जून को जौनपुर और आसपास के जनपद में बूंदाबांदी हल्की वर्षा होगी लेकिन शाम तक मौसम बदलना शुरू हो जाएगा*

*28 जून मंगलवार से बजरंगबली की कृपा से तेज वर्षा जौनपुर जनपद में ही नहीं बल्कि अयोध्या गोरखपुर कुशीनगर देवरिया बलिया गाजीपुर मऊ अंबेडकरनगर जमानिया गहमर आजमगढ़ वाराणसी मुगलसराय चंदौली सोनभद्र रावटसगंज मिर्जापुर भदोही प्रतापगढ़ प्रयागराज को सुल्तानपुर सहित संपूर्ण पूर्वी और दक्षिणी पूर्वी उत्तर प्रदेश में होगी और परसों रात होते-होते मौसम सुहावना हो जाएगा*

*यह मौसम लगभग 1 सप्ताह तक सुंदर सुहावना और जोरदार वर्षा वाला रहेगा कुछ स्थानों पर कम वर्षा भी हो सकती है लेकिन ज्यादातर स्थानों पर मध्यम से तेज और कहीं-कहीं भारी वर्षा होना निश्चित है इस वर्ष गर्मी उमस और पसीना ने ज्ञात अज्ञात सभी कीर्तिमान को ध्वस्त कर दिया है और लोगों ने शरीर जलाने वाली और शरीर सुखाने वाली दोनों भीषण गर्मी एक साथ किसी तरह बर्दाश्त किया पसीना और उमस ने सब को बेहाल कर दिया है*

*ISI dauran arthat 28 June se sampurn Purvi uttari Purvi Madhya Bharat aur dakshini paschimi Bharat Jharkhand Chhattisgarh Maharashtra aur Gujarat ke kafi bade भू-भागों mein Varsha jari raheg मौसम को देखते हुए आगे का कार्यक्रम आप लोग सुनिश्चित कर सकते हैं डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम और विज्ञान अनुसंधान केंद्र साथ में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के सुरेश कुमार वर्मा इसरो के राजकुमार मौर्य डॉ श्वेता सिंह कन्हैया लाल पांडे मनीष पांडे एसके उपाध्याय के एन राय एवं पद्मा सिंह*




6/26, 4:27 PM] Dileep Singh Rajput Jounpur: *दुनिया में और तो m c बनाए जाते हैं पर भारत में एक जन्मजात m c है जिसका नाम है एमसी सीतलवाड़ यह पूरा खानदान ही एमसी है और अंग्रेजों की गुलामी और देश की गद्दारी का पुरस्कार इस  m c परिवार को खूब मिले हैं और सच कहा जाए तो देश की अधिकांश धन दौलत सुख सुविधाएं और नौकरी पहले के अंग्रेजों के कृपा पात्र लोगों और बाद में उनके खानदान के उत्तराधिकारीयों को जी भर कर मिली हैं बाकी लोग तो किसी तरह रोजी-रोटी चला रहे हैं तो ऐसे एमसी के खानदान में संताने भी ऐसी ही होती हैं और इसी एमसी खानदान की उपज है तीस्ता सीतलवाड़ जो सनातन धर्म का नाम कलंकित कर आज तीस्ता जावेद सीतलवाड़ बन गई हैं अगर इस परिवार का पूरा इतिहास इंटरनेट पर पढ़ ले तो आपको घिन होने लगेगी ठीक वैसे जैसे खुशवंत सिंह और उसके पिता शोभा सिंह को पढ़कर लगती है दुर्भाग्य है आज भी देश का 90% धन दौलत नौकरियां और संसाधन ऐसे ही m c परिवारों ऐसे ही राजनेताओं और ऐसे ही बड़े बड़े अधिकारियों और धन कुबेर ओं के हाथ में है*
[6/26, 4:27 PM] Dileep Singh Rajput Jounpur: तीस्ता सीतलवाड का पितामह , M. C. Setalvad था । जो की स्वयम् एक सनातन द्रोही था और भारत का प्रथम एटॉर्नी जनरल था । जो की आज तक का सबसे लम्बे समय तक का चलने वाला अटॉर्नी जनरल  है। सनातन धर्म विरोधी गतिविधियों का केंद्र तत्कालीन पीएम और अटॉर्नी जनरल मिल कर रहे थे । 

M. C. Setalvad का बाप भी वकील और अंग्रेजों का दुमछल्ला था ।और उसका बाप ईस्ट इंडिया कंपनी का नौकर ।

और उसका बाप मुग़लों का एंजेंट जो टैक्स वसूलता था मुग़लों के लिए गुजरात में । 

और हमें लगता है की स्वतंत्रता 1947 में मिल गयी और देख सोच नहीं पाते की गौभक्ष बंद कैसे नहीं हुआ क्योंकि गौ भक्षियों के हांथ में ही शासन 1947 में चला गया ।

और M. C. Setalvad का अर्थ M. C. Setalvad ही है ।
तीस्ता जावेद सीतलवाड़ को गुजरात एटीएस ने मुंबई में हिरासत में लिया

हिंदुत्व और राष्ट्रवादी बिचारधार की विरोधी, तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात एटीएस ने मुंबई में हिरासत में ले लिया है. अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने शनिवार को ही तीस्ता सीतलवाड़, पूर्व पुलिस अधिकारी आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के साथ कुछ अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. संजीव भट्ट पहले ही फर्जी इनकाउंटर मामले में जेल की सजा काट रहा है. 

इन पर 468 (जाली कागजात इस्तेमाल करना ),  471 (जाली दस्तावेज बनाकर असली के तौर पर इस्तेमाल करना),194 ( फांसी जैसी सजा हो ऐसे झूठे सबूत गढ़ना), 211 ( नुकसान पहुंचाने के लिए झूठा आरोप लगाना),  218 (लोक सेवक होते हुए रिकॉर्ड की गलत बनाना), 120 B (आपराधिक साजिश रचना) जैसी धाराओं में मामला दर्ज किया गया है.  

यह कदम सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी के बाद आया है, जिसमें गुजरात दंगों के मामले में सवाल उठाते हुए कहा गया है कि कुछ लोग कढ़ाही को लगातार खौलाते रहना चाहते हैं. इसे तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ के संदर्भ में माना जा रहा है. सीतलवाड़ उस केस की सह याचिकाकर्ता हैं, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले में क्लीनचिट को चुनौती दी गई थी. 

तीस्ता और उनके पति जावेद के खिलाफ यह भी आरोप है कि उन्होंने 2007 से बड़े पैमाने पर धन संग्रह अभियान शुरू करके दंगा पीड़ितों के नाम पर करोड़ों  रुपये की धनराशि एकत्र करके धोखाधड़ी को अंजाम दिया. अदालत में यह आरोप लगाया गया था कि दान के माध्यम से जुटाए गए इन फंडों को युगल द्वारा शराब और विशिष्ट उपभोग के अन्य लेखों पर खर्च किया.

आइये अब आपको थोड़ा सा तीस्ता सीतलवाड़ के खानदान के बारे में भी बता दें.  तीस्ता सीतलवाड़ के परदादा का नाम "सर चिमन सीतलवाड़" था, नाम के साथ "सर" लगा है इसी से आप समझ सकते हैं कि- ये अंग्रेजों के बहुत ख़ास थे. जब जालियांबाला बाग़ के कारण देश की जनता बहुत उग्र थी तब अंग्रेजों ने उस  काण्ड की जांच करने के लिए "हंटर कमेटी" बनाई थी.   

"सर चिमन सीतलवाड़" भी "हंटर कमेटी" के एक सदस्य थे. हंटर कमेटी ने जांच के बाद फैसला सुनाया था कि- पंजाब के गवर्नर माइकल ओडवायर इस मामले में बिलकुल निर्दोष हैं. जनरल डायर ने अवश्य, जरूरत से ज्यादा बल का प्रयोग किया लेकिन यह किसी निजी कारण से नहीं बल्कि कर्तव्य को ग़लत समझते हुए नेकनीयत और सरकार के प्रति निष्ठा के साथ किया.

"सर चिमन सीतलवाड़"  मोतीलाल नेहरू के ख़ास मित्र थे. उनके पुत्र एम. सी. सीतलवाड़  भी जवाहर लाल नेहरू के ख़ास मित्र थे. आजादी के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एम.सी. सीतलवाड़ को भारत का पहला अटार्नी जनरल (1950 से 1963) बनाया था. एम. सी. सीतलवाड़ के पुत्र अतुल सीतलवाड़ भी मुंबई हाईकोर्ट के प्रशिद्ध वकील थे. 

तीस्ता सीतलवाड़ उन अतुल सीतलवाड़ की ही बेटी है. तीस्ता के पति का नाम जावेद है. तीस्ता, नरेंद्र मोदी के खिलाफ क्यों थी, यह अब आपको समझ आ ही गया होगा. मुंबई के पॉश एरिया जुहू में जूहू तारा रोड पर अमिताभ बच्चन के बंगले के पास, अमिताभ बच्चन के बंगले से तीन गुना बड़ा बांग्ला है - निरांत.  यह आलीशान बँगला "तीस्ता जावेद सीतलवाड़" का है

खाना पकाने के कई तरीके होते हैं. कड़ाह में तल कर, हांडी में उबाल कर,  प्रेशर कुकर में सीटी लगाकर. अगर लिट्टी चोखा खाना हो तो सीधा उपले की आग में डाल कर...पर जो मजा बरबेक्यू पर पका कर खाने में है वह और कहीं नहीं. और उसमें भी सबसे अंत में, जब आंच कम हो जाए तो सबसे धीरे धीरे देर तक सेंक कर पकाई गई मछली के स्वाद का कोई मुकाबला नहीं है.

वैसे तो मोदीजी सादा जीवन जीते हैं, मांस मदिरा का लालच नहीं है लेकिन कोई ना कोई कमजोरी सबकी होती है. तो यह धीमी आंच पर बारबेक्यू करना मोदीजी का भी शौक है. 

M C सीतलवाड़ (हां जी, M C) पूरे नेहरू काल में भारत के पहले अटॉर्नी जनरल, लॉ कमीशन के चेयरमैन... पूरे भारत की ज्यूडिशियरी जिनके चरणों में बैठती थी...देश के पूरे लीगल सिस्टम में जो जहां था वह उनकी कृपा से था और उनके अनुग्रह का ऋणी था. उन एम सी सीतलवाड़ की पोती ने एक राज्य के मुख्यमंत्री के लीगल एससिनेशन की सुपाड़ी ली थी और हिंदुओं को सर उठाने की सजा देने का बीड़ा उठाया था. जिसे छूने और सजा देने का सपना भी पूरे सिस्टम को नहीं आता होगा. 

वर्षों की धीमी धीमी आंच पर वह मछली आज बारबेक्यु होकर तैयार हुई और गुजरात पुलिस ने उसे सर्व किया. वर्षों की घृणा और झूठ का पुलिंदा खुल कर सड़क पर आखिर बिखर गया. आज तीस्ता सीतलवाड़ को जेल भेज दिया गया. 

और भी दो बड़ी बड़ी मछलियां उधर नेशनल हेराल्ड की बारबेक्यू पर धीरे धीरे सेंकी जा रही हैं. जल्दी ही स्वादिष्ट डिश सर्व होगी. तसल्ली बनाए रखिए. अच्छा शेफ कभी जल्दीबाजी नहीं करता. वैसे सच कहूं तो भूख बहुत जोर की लगी है लेकिन...
[एक बहुत ही खतरनाक भविष्य का संक आज मैंने दैनिक हिंदुस्तान समाचार पत्र का संपादकीय लेख के बगल में छपा अख्तरुल वासे प्रोफेसर जामिया मिलिया इस्लामिया का एक लंबा चौड़ा लेख पढ़ा तो लगा सचमुच ही भारत की मीडिया कहीं ना कहीं इस्लामी देशों से गठजोड़ करके चल रही है यह पहली बार नहीं है जब कोई मुस्लिम लेखक मुखपृष्ठ पर कोई बड़ा कांड होते ही छप जाता है रमेश सिद्दीकी सहित तमाम अन्य लेखकों को भी मैंने ध्यान से पढ़ा है यह सब के सब हरे झंडे के समर्थक हैं बस केवल लोगों को समझ में नहीं आता पूरे भारत में एक भी मुस्लिम धर्मगुरु या बुद्धिजीवी अथवा साहित्यकार लेखक मैंने नहीं पढ़ा जो कश्मीर जैसी घटनाओं को गलत ठहराना तो दूर उसके बारे में 1 शब्द भी बोले आश्चर्य है कि कैसे इसे संपादकीय पृष्ठ में छा गया होगा इसके कुछ वाक्य में झोंका क्यों दोहरा रहा हूं

पहले ही पैराग्राफ में वे लिखते हैं की हिंसा आपकी कमजोरी को दर्शाती है जिसका सीधा संदेश है कि भारत के सनातनी इस हिंसा के बदले हिंसा ना करें

दूसरे अनुच्छेद में अख्तरुल वासे लिखते हैं कि आपको कोई भी परेशानी है तो न्याय प्रणाली और संविधान का सहारा लीजिए अपने हाथ किसी अपराध है खून से क्यों रंगते हैं इसका मतलब समझ में आया अर्थात जो कत्ल हो गया वह हो गया अब कानून के सहारे चलिए और अब कम से कम 30 वर्ष लंबी लड़ाई के लिए तैयार हो जाइए जहां कुछ होना भी नहीं है सब कुछ हो लेकिन सनातनी हिंदू सिख जैन बौद्ध पारसी और गैर मुसलमान हिंसक कदापि ना हो

तीसरे अनुच्छेद में आप देखिए कितनी चालाकी से उर्दू और अरबी शब्दों का जबरदस्ती प्रयोग करते हुए कहते हैं हां पिछले दिनों गलत या हिंसक नारे लगे थे अर्थात नूपुर शर्मा और उनके समर्थक पूरी तरह गलत थे और इसलिए हत्या करके जो वीडियो बनाया गया उसको अप्रत्यक्ष रूप से है सही से देख कर रहे हैं लेकिन हमारी आपकी समझ में नहीं आ रहा है

चौथे अनुच्छेद में वह सनातन धर्म के लोगों को डाकू सिद्ध करते हुए कहते हैं चंद लोगों की गलती की वजह से आप सब को बदनाम नहीं कर सकते पहले डाकू मुट्ठी भर ही तो आते थे कुछ समय के लिए सब को बंधक बना लेते थे ऐसे डाकू आज भी हैं सोच लीजिए क्या लिख रहे हैं

5 में पैराग्राफ में वे लिखते हैं कि सारा मामला पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के कथित अपमान किए जाने से शुरू हुआ अर्थात वह पूरी तरह से सहमत हैं कि हजरत साहब का अपमान हुआ ऊपर से हजरत मोहम्मद साहब और हजरत निजामुद्दीन औलिया का उदाहरण दे डाला और कहा जो बर्दाश्त कर लेता है वह मार डालता है अर्थात सनातनी लोग बर्दाश्त करना सीख ले

छठे अनुच्छेद में वह मशहूर सूफी सर हाफिज का एक शेर पढ़ते हैं और कहते हैं कि मुसल मान के साथ अल्लाह अल्लाह कहो और ब्राह्मण के साथ राम राम कहो कहो मैंने तो इस शहर का नाम तक नहीं सुना और मैं पूछना चाहता हूं कि किसी ने मस्जिद में राम राम जपा है कितनी सफाई से इस्लाम को सही और सनातन धर्म को गलत बना रहे हैं फिर आगे चलकर वे जिगर मुरादाबादी का एक शेर कहते हैं अब देश में कानून व्यवस्था की चुनौती बढ़ गई उसे बिना पक्षपात बिना हस्तक्षेप के काम करना चाहिए और इतने सारे क्रम में एक बार भी कश्मीर की शैतानी कांड की मोपला विद्रोह की कैराना कश्मीर बंगाल की और अन्य तमाम चीजों का नाम तक नहीं लिया
आगे वे कहते हैं हमें अपने नेबर हुड स्कीम को मजबूत करना होगा बताइए कौन सी पड़ोसी योजना और भाईचारा को सिद्ध करना चाह रहे हैं शायद यही कि हिंदू भाई बने और चारा के रूप में इस्तेमाल किए जाएं फिर कहते हैं आहिस्ता आहिस्ता सबकी समझ में आएगा शायद 1400 वर्ष उनके लिए कम है

और अंतिम पैराग्राफ में अपने दादा हुजूर का उदाहरण देते हैं कि कैसे वे दलितों और ठाकुरों के यहां विवाह और उत्सव इत्यादि में जाते थे और ईद बकरीद की मुबारकबाद देने पंडित उनके घर आते थे और बगैर बर्तन को छुए उंगलियों से इलायची निकाल कर खा जाते थे या भारत के सबसे उदार बुद्धिजीवी प्रोफेसर का कथन है जिसे एक राष्ट्रीय अखबार ने अपने संपादक की कलम में स्थान दिया है तो आप खुद समझ लीजिए प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कैसे सनातन धर्म का विनाश कर रही है इस तरह के लेख से क्या सिद्ध करना चाहते हैं अगर ऐसा ही कोई लेख एक सनातनी हिंदू सिख जैन बौद्ध पारसी किसी राष्ट्रीय समाचार पत्र के संपादकीय स्तंभ ने किसी मुस्लिम की हत्या सनातन धर्म के किसी व्यक्ति के द्वारा किए जाने पर लिखता तो पहली बार कोई समाचार पत्र तैयार ही नहीं होता और दूसरी बात अगर छपता भी तो बवाल मच जाता बाकी आप खुद सोच लीजिए

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