Wednesday, 28 December 2022

भ्रष्टाचार पर चोट....... आखिर कैसे*... ❓👉 *सशक्त अभियोजन जरूरी*👉 *सरकार भ्रष्टाचार के प्रकरण में जितनी गंभीरता से जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है,, उतनी ही प्रमुखता से अभियोजन तंत्र को भी सशक्त बनाना होगा*

भ्रष्टाचार पर चोट....... आखिर कैसे*... ❓

👉 *सशक्त अभियोजन जरूरी*
👉 *सरकार भ्रष्टाचार के प्रकरण में जितनी गंभीरता से जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है,, उतनी ही प्रमुखता से अभियोजन तंत्र को भी सशक्त बनाना होगा*

👉 *भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस  को प्रदेश सरकार अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में सम्मिलित बताती है !! दो मत नहीं कि इस दिशा में कई कदम भी उठाए गए हैं,, लेकिन कुछ घटनाएं ऐसी हो जा रही हैं,, जो चिंताजनक है!! बरेली की एक पुलिस चौकी पर तैनात कर्मियों में रिश्वत की धनराशि बंटवारे को लेकर बेधड़क नोकझोंक हुई!! बात वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंची एक सिपाही  और 2 दरोगा निलंबित हुए!! संत कबीर नगर जिले में एक अधिकारी सांसद निधि से कराए गए कार्य में अपना कमीशन इस दबंगई से मांगता सुना गया,, जैसे पैतृक संपत्ति पर दावा जता रहा हो!! ऑडियो वायरल होने पर इस अधिकारी का भी निलंबन हुआ!! इन घटनाओं के साथ स्वाभाविक प्रश्न उठता है कि सरकार की  सख्ती के बाद भी इस तरह के प्रकरण कैसे घटित हो रहे हैं!! ऐसा करने वालों के मन में कानून का भय क्यों नहीं पैदा हो रहा है!! कहीं ऐसा तो नहीं कि यह कानून के कटघरे तक पहुंचने से पहले ही येन केन  प्रकारेण स्वयं को मुक्त कराने में सफल हो जा रहे है!! इस आशंका को अस्वीकार नहीं किया जा सकता!! लखनऊ में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष अदालत ने ₹300 रिश्वत लेने के मामले में एक लिपिक को 1 साल के कारावास की सजा सुनाई है!! स्पष्ट है कि आरोपित को कानून के कठघरे तक पहुंचाने में पूरी प्रक्रिया सफल रही,, तभी उसके विरुद्ध सजा सुनाई गई,, लेकिन सभी प्रकरणों में ऐसा नहीं होता!! अधिकांश मामलों में पहले निलंबन की कार्रवाई होती है और फिर जांच,, उसके बाद विभागीय स्तर पर ही निर्दोष घोषित कर दिया जाता है!!  यदि प्रकरण न्यायालय तक पहुंचा तो साक्ष्य का अभाव और अभियोजन के स्तर पर कमजोरी आरोपितों को दोष मुक्त कराने में सहायक साबित होती है!! आशय यह है कि सरकार भ्रष्टाचार के प्रकरण में जितनी गंभीरता से जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है,, उतनी ही प्रमुखता से अभियोजन तंत्र को भी सशक्त बनाना होगा!! जितने अधिक प्रकरणों में सजा होगी,, उतना ही प्रभावी संदेश जाएगा!!  क्योंकि किसी भी बड़े से बड़े प्रकरण में केवल निलंबित कर देना या लाइन हाजिर कर देना,, की नीति अभी तक जनता के गले उतरने वाला कानून नहीं है*!!
👉 *क्या इस प्रकार से विभाग द्वारा निलंबन या लाइन हाजिर कर देना वास्तव में सजा का पटाक्षेप है*...❓

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