Wednesday, 28 December 2022

एक बार एक पंडित जी ने एक दुकानदार के पास पांच सौ रुपये रख दिए।

💐💐किसान की समझदार बेटी💐
एक गरीब किसान अपनी बेटी के साथ झोपड़ी में रहता था।

उसके पास खेती करने के लिए थोड़ी सी जमीन थी। फसल बेचकर थोड़े रुपए ही मिलते थे। उन से वे दो समय का खाना भी नहीं खा पाते थे। एक दिन वह राजा के पास अपनी समस्या लेकर गया। राजा बहुत दयालु था।

उसने किसान को खेती करने के लिए अपनी जमीन में से थोड़ी सी जमीन दे दी।

राजा ने कहा 'यह जमीन तो हमारी ही रहेगी, परन्तु इस पर उगने वाली फसल तुम्हारी होगी। किसान बहुत खुश हुआ और राजा को धन्यवाद देकर अपने गांव लौट आया।

एक दिन वह खेत की जुताई कर रहा था। तभी उसका हल एक कठोर चीज से जा टकराया। उसने खोदकर देखा तो उसे सोने की एक ओखली मिली। किसान बहुत ईमानदार था। उसने अपनी बेटी से कहा कि हमें यह ओखली राजा के खेत से मिली हैं, जिसकी जमीन है, उसी की यह ओखली भी है। इसलिए हमे यह ओखली राजा को लौटा देनी चाहिए।

लेकिन किसान की बेटी बोली कि नहीं, पिताजी आप ऐसा ना करें। आपको केवल ओखली ही मिली है, अगर राजा ने आपसे इसकी सोने की मूसली भी मांगी तो आप क्या करेंगे? इसीलिए आप इस ओखली को अपने ही पास रख लिजिए। परन्तु किसान को अपनी बेटी की यह बात अच्छी नहीं लगी।

वह राजा के पास ओखली लेकर जा पहुंचा। दरबार में वैसा ही हुआ, जैसा कि उसकी बेटी ने कहा था।

राजा ने सोचा कि किसान ने लालच में आकर मूसल अपने पास रख ली है। किसान, राजा को सोने की मूसल कहां से लाकर देता।

नतीजा यह हुआ कि किसान को जेल में डाल दिया गया। भोले किसान को ऐसी गलती की सजा मिली थी, जो उसने की ही नहीं थी। लेटे-लेटे वह दिन रात रोता रहता और यही कहता था कि काश मैंने अपनी बेटी की बात मान ली होती।

एक दिन राजा ने उसे यह कहते हुए सुन लिया। फिर उन्होंने किसान से पूछा कि आखिर वह ऐसा क्यों कह रहा है। किसान ने राजा को पूरी बात बताई। यह सुनकर राजा को अपनी गलती का अहसास हुआ और किसान को फौरन छोड़ दिया गया।

उसकी बेटी को राजा ने अपने दरबार में बुलाया। उससे बातें करने के बाद राजा को पता चल गया कि वह बहुत ही बुद्धिमान है। राजा ने उस को राज्य के खजाने का मंत्री बना दिया, उन्हें रहने के लिए घर और सारी सुख-सुविधाएं भी दी। इसके बाद से किसान और उसकी बेटी हमेशा सुख से रहें।

*अंत में जीत सदैव सच्चाई की ही होती है

सदैव प्रसन्न रहिये।
जो प्राप्त है, वहीं पर्याप्त है।।

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*🕉️🌄🌅शुभ प्रभात🌅🌄🕉️*

एक बार एक पंडित जी ने एक दुकानदार के पास पांच सौ रुपये रख दिए।
उन्होंने सोचा कि जब मेरी बेटी की शादी होगी तो मैं ये पैसा ले लूंगा।
कुछ सालों के बाद जब बेटी सयानी हो गई,
तो पंडित जी उस दुकानदार के पास गए।

लेकिन दुकानदार ने नकार दिया और बोला- आपने कब मुझे पैसा दिया था?
बताइए! क्या मैंने कुछ लिखकर दिया है?

पंडित जी उस दुकानदार की इस हरकत से बहुत ही परेशान हो गए और बड़ी चिंता में डूब गए।
फिर कुछ दिनों के बाद पंडित जी को याद आया,
कि क्यों न राजा से इस बारे में शिकायत कर दूं।
ताकि वे कुछ फैसला कर देंगे और मेरा पैसा मेरी बेटी के विवाह के लिए मिल जाएगा।

फिर पंडित जी राजा के पास पहुंचे और अपनी फरियाद सुनाई।

राजा ने कहा- कल हमारी सवारी निकलेगी और तुम उस दुकानदार की दुकान के पास में ही खड़े रहना।

दूसरे दिन राजा की सवारी निकली।
सभी लोगों ने फूलमालाएं पहनाईं और किसी ने आरती उतारी।

पंडित जी उसी दुकान के पास खड़े थे।
जैसे ही राजा ने पंडित जी को देखा,
तो उसने उन्हें प्रणाम किया और कहा- गुरु जी! आप यहां कैसे?
आप तो हमारे गुरु हैं।
आइए! इस बग्घी में बैठ जाइए।

वो दुकानदार यह सब देख रहा था।
उसने भी आरती उतारी और राजा की सवारी आगे बढ़ गई।

थोड़ी दूर चलने के बाद राजा ने पंडित जी को बग्घी से नीचे उतार दिया और कहा- पंडित जी! हमने आपका काम कर दिया है।
अब आगे आपका भाग्य।

उधर वो दुकानदार यह सब देखकर हैरान था,
कि पंडित जी की तो राजा से बहुत ही अच्छी सांठ-गांठ है।
कहीं वे मेरा कबाड़ा ही न करा दें।
दुकानदार ने तत्काल अपने मुनीम को पंडित जी को ढूंढ़कर लाने को कहा।

पंडित जी एक पेड़ के नीचे बैठकर कुछ विचार-विमर्श कर रहे थे।
मुनीम जी बड़े ही आदर के साथ उन्हें अपने साथ ले आए।

दुकानदार ने आते ही पंडित जी को प्रणाम किया और बोला- पंडित जी! मैंने काफी मेहनत की और पुराने खातों को‌ देखा,
तो पाया कि खाते में आपका पांच सौ रुपया जमा है।
और पिछले दस सालों में ब्याज के बारह हजार रुपए भी हो गए हैं।
पंडित जी! आपकी बेटी भी तो मेरी बेटी जैसी ही है।
अत: एक हजार रुपये आप मेरी तरफ से ले जाइए,
और उसे बेटी की शादी में लगा दीजिए।

इस प्रकार उस दुकानदार ने पंडित जी को तेरह हजार पांच सौ रुपए देकर बड़े ही प्रेम के साथ विदा किया।

------ तात्पर्य ------
जब मात्र एक राजा के साथ सम्बन्ध होने भर से हमारी विपदा दूर जो जाती है, तो हम अगर इस दुनिया के राजा यानि कि परमात्मा से अपना सम्बन्ध जोड़ लें, तो हमें कोई भी समस्या, कठिनाई या फिर हमारे साथ किसी भी तरह के अन्याय का तो कोई प्रश्न ही नहीं उत्पन्न होगा।

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