#स्त्री_का_मौन
स्त्री जब #मौन हो जाएं
अपना कोई #अधिकार ना दिखाएं
#नाज #नखरे सब भूल जाएं
बस जी हुजूरी ही #निभाएं
समझ लेना तुमने उसे #खो दिया है
उसका #सब #कुछ तुमने ले लिया है
वो साथ होकर भी साथ #नहीं है
उसके हाथों में तेरा #हाथ नहीं है
वो अब #थक चुकी है
और #रुक भी चुकी है
उसमें अब #रवानी नहीं
बस #दरिया का पानी है
तुम #सोचते हो तुमने उसे जीत लिया
अपने अनुरूप #हासिल किया
#नहीं जनाब तुम हार चुके हो
जो तुम्हारे #साथ है
वो बस #एक काया है
जिसे तुम्हारे #गुरुर ने भरमाया है..
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