Sunday, 27 August 2023

ज्योतिष ज्योतिरविज्ञान चंद्रयान-3 भारत और इसरो डॉ दिलीप कुमार सिंह ज्योतिष शिरोमणि*

*ज्योतिष ज्योतिरविज्ञान चंद्रयान-3 भारत और इसरो डॉ दिलीप कुमार सिंह ज्योतिष शिरोमणि*
 *भारत का चंद्रयान-3 बिल्कुल चंद्रमा के निकट की कक्षा में पहुंच चुका है और इसका अंतिम चरण वेग घटाने का काम डीबूस्टिंग पूरी तरह सफल रहा है अब यह चंद्रमा के चारों ओर 25 किलोमीटर गुण 134 किलोमीटर की परिधि में चक्कर लगा रहा है इसका अर्थ है कि चंद्रमा का चक्कर लगाते समय जब चंद्रमा के सबसे अधिक निकट होता है तब यह केवल 25 किलोमीटर की दूरी पर रहता है और जब सबसे दूर होता है तब इसकी दूरी चंद्रमा से 134 किलोमीटर होती है यह कक्षा पूरी तरह गोलाकार ना होकर दीर्घवृताकार या अंडाकार है*

*इसके पहले भारत का chandrayaan-2 चंद्रमा के बिल्कुल पास पहुंचकर केवल 1 किलोमीटर दूर से अंतिम पल में असफल होकर चंद्रतल से टकराकर बेकार हो चुका था जिसके बाद भारत ने अत्यंत महत्वाकांक्षी योजना बनाई और उस बेहद ठंडे घने अंधेरे और पृथ्वी से ना दिखने वाले दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान 3 के उतारने का निर्णय लिया जहां तक अभी कोई भी देश सफल नहीं हुआ है वैसे भी अभी तक केवल अमेरिका रूस और चीन चंद्रमा पर मृदु अवतरण अर्थात सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल हुए हैं जबकि दक्षिणी ध्रुव पर अभी कोई देश अपना अंतरिक्ष यान उतर नहीं सका है*

*भारत को एक झटका उसे समय लगा था जब अचानक ही 1976 में लूना 24 के बाद सोवियत संघ ने लूना 25 को चंद्रयान-3 के पहले उतारने के लिए भेजा और वह चंद्रयान 3 के पहले ही चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया और 21 अगस्त 2023 को उतारने वाला था लेकिन अंतिम पलों में वह इस तरह चंद्र तल से टकराकर चकनाचूर हो गया जिस तरह भारत का चंद्रयान दो अनियंत्रित हो गया था और अपना वेग संभाल नहीं पाया था अर्थात अब चंद्रयान-3 पूरे विश्व का पहला ऐसा यान होगा जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरकर विश्व की कीर्तिमान बनाएगा कुछ लोगों को कहना था कि वह चंद्रयान-3 को चंद्रयान-2 की तरह विफल करने के लिए गया था लेकिन खुद ही विफल हो गया*

*चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव अत्यंत महत्वपूर्ण क्यों है चंद्रमा हमारे सौरमंडल का सबसे अद्भुत उपग्रह है जिसमें ग्रह और उपग्रह दोनों के लक्षण पाए जाते हैं इसका एक दिन धरती के 15 दिन के बराबर होता है यहां सबसे बड़ी बात यह है की बर्फ के रूप में ढेर सारा पानी इकट्ठा है जो अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भविष्य में पीने के कम से लेकर ऑक्सीजन बनाने तक के लिए प्रयोग किया जा सकता है दक्षिणी ध्रुव की मिट्टी की रासायनिक प्रक्रिया और उसमें उपस्थित जीवन के लक्षणों का खोज लगाना इसका दूसरा मुख्य कार्य है गहरे अंतरिक्ष के लिए चंद्रमा एक बहुत सुनहरा बिंदु है जहां स्टेशन के रूप में अंतरिक्ष में रॉकेट अंतरिक्ष यान भविष्य में भेजे जा सकते हैं इसके अलावा दक्षिणी ध्रुव पर दुर्लभ मृदा तत्व रेडियम प्लैटिनम और अन्य खनिज पदार्थ मौजूद हैं जो धरती पर नहीं है या बहुत अल्प मात्रा में है इसके अलावा वहां उपस्थित अंतरिक्ष से आए परग्रही एलियंस की उपस्थिति का पता लगाना भी है जिसको लोग प्रकट नहीं करते हैं ऐसा माना जाता है कि रूस चीन अमेरिका को उन्नतशील टेक्नोलॉजी इन्हीं परग्रही एलियंस के द्वारा मिली और माना जाता है कि यह तीनों देश या नहीं चाहते हैं कि भारत भी इस रहस्य और इस टेक्नोलॉजी को जान जाए*

*23 अगस्त को शाम के 6:04 पर ही क्यों उतारा जा रहा है chandrayaan-3 chandrayaan-3 कार और और प्रज्ञान शाम को 6: 04 पर इसलिए उतारा जा रहा है कि इस समय चंद्रमा पर सूर्योदय शुरू होता है इसके पहले इसका समय 5:45 पर रखा गया था लेकिन बाद में उसकी 17 मिनट विलंबित किया गया जिसका कारण यह है कि उतारने के पहले इसकी गहरी आंतरिक जांच होगी ताकि इसका हल चंद्रयान दो या लूना 25 जैसा ना हो और सूर्य की रोशनी में यह पूरे 15 दिन काम करेगा और इसके सोलर पैनल आवश्यक ऊर्जा सूर्य से देते रहेंगे इसके तुरंत बाद 14 दिन से लंबी रात शुरू हो जाएगी जब चंद्रमा का तापमान शून्य से भी नीचे 100 डिग्री सेल्सियस चला जाएगा इस स्थिति में कोई भी यंत्र कम करने में अक्षम हो जाएगा इसीलिए चंद्रयान तीन का समय अवधि 14 दिन रखा गया है*

*क्या इस बार चंद्रमा पर सफल अवतरण हो सकेगा ज्योतिष और विज्ञान दोनों के आंकड़ों के अनुसार इस बार chandrayaan-3 के चंद्रतल पर धीमे से उतरने की प्रक्रिया जिसे अंग्रेजी में सॉफ्ट लैंडिंग कहा जाता है पूरी तरह सफल होने की 99% संभावना है देशकाल परिस्थितियों ग्रह नक्षत्र सभी इसके अनुकूल हैं चंद्रमा भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान रहने वाला ग्रह है और सावन का महीना भी चल रहा है 23 अगस्त को देशकाल परिस्थितियों ज्योतिष के अनुसार पूरी तरह अनुकूल हैं इसलिए chandrayaan-3 के कुशलतापूर्वक चंद्रमा पर उतर जाने में कोई बाधा नहीं दिख रही हैं अगर इसमें कोई छेड़छाड़ वहां पर उपस्थित परग्रही एलियंस के द्वारा रूस चीन अमेरिका के द्वारा की गई तो इस बार गारंटी के साथ chandrayaan-3 चंद्रतल पर उतर कर दुनिया को आश्चर्यचकित कर देने वाली हैरतअंगेज जानकारियां देगा*

*रहस्यों का खजाना है चंद्रमा चंद्रमा के बारे में जितना ही अधिक अध्ययन किया जा रहा है इसका रहस्य उतना ही गहरा होता चला जा रहा है कुछ लोग इस पृथ्वी पर किसी बड़े ग्रह या तारे के आकर्षण के द्वारा तो कुछ लोग प्रशांत महासागर से किसी ग्रह के टकराने के फल स्वरुप इसके जन्म को बताते हैं चंद्रमा का व्यास पृथ्वी का एक चौथाई है इसमें चंद्र जैसे 81 उपग्रह धरती में समा सकते हैं यह सबसे निकट सबसे चमकीला उपग्रह है भारत के ज्योतिष के अनुसार यह भी एक नक्षत्र है और इसको एक ग्रह माना जाता है भारत के ज्योतिष ग में यह मन से उत्पन्न माना गया है जहां पर अमृत विद्यमान है इसलिए शिवजी इसे अपने जाता में धारण करते हैं और वैसे भी वहां जाने वाले मनुष्य मानसिक रूप से पागल हो जाते हैं यह पृथ्वी का एक चक्कर लगभग 30 दिन में लगा लेता है इसका एक ही छोर हमेशा दिखता है यह पृथ्वी से 384 हजार किलोमीटर दूर है यहां पर दिन में तापमान उबलते हुए पानी से अधिक हो जाता है तो रात में इसका तापमान शून्य से भी 100 डिग्री नीचे चला जाता है जब 1981 82 में मैंने तिलकधारी सिंह इंटर कॉलेज की वह वल्लरी पत्रिका में लिखा कि चंद्रमा मंगल ग्रहपर हवा पानी जीव जंतु वनस्पतियां है तब सब लोग हंसी उड़ाते थे लेकिन आज वह बात सच हो गई* 

*इस बात को अमेरिका रूस चीन भारत से छुपाते रहे लेकिन चंद्रयान-1और2 ने हमारी तथा भारत के ज्योतिष ग की बात को सही सिद्ध किया अगर धरती पर कोई 10 फीट ऊंचा उछल सकता है तो चंद्रमा पर वह 60 फीट ऊंचा उछल सकता है इसलिए वहां पर चलते समय उछल-उछल कर लोग चलते हैं अभी तक केवल 12 अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर उतरे हैं और सब के सब अमेरिका के हैं अब आगे देखना है और क्या-क्या रहस्य भारत का चंद्रयान तीन उजागर करता है डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह*


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