Thursday, 24 August 2023

चांद सी महबूबा हो मेरी तुम,* *ऐसा मैंने सोचा था ।* *हां तुम बिलकुल वैसी हो,* *जैसा मैंने सोचा था ।।*

*चांद सी महबूबा हो मेरी तुम,* 
       *ऐसा मैंने सोचा था ।* 
 *हां तुम बिलकुल वैसी हो,* 
      *जैसा मैंने सोचा था ।।* 
तौबा मेरी तौबा,अब ये पंक्तियां अपनी पत्नी के लिए कभी नहीं गाऊंगा,आज मैंने कसम खाई है, अब पत्नी को चांद नहीं कहूंगा, उसको रानी,महारानी,चंपा,जूही के नामो से संबोधित करूंगा, पर चांद नहीं कहूंगा,क्योंकि किसी ने सही कहा है,दूर के ढोल सुहाने होते हैं,जिस दिन से मेरी पत्नी ने चंद्रयान 3 के भेजे हुए चित्र  टेलीविजन पर देखे हैं,उसी दिन से मेरी आफत बढ़ गई है,पहले जब जब मैंने अपनी पत्नी को चांद कहा,तो वो खुश होकर मेरे लिए विभिन्न प्रकार के पकवान तैयार करती थी,मुझे नहीं मालूम था,उसने चंद्रयान 3 के भेजे हुए चित्र टेलीविजन पर देख लिए हैं,भाई अब नौबत ये आ गई है, पकवान तो छोड़िए,अब चटनी रोटी के भी लाले पड़ गए हैं,पत्नी गुस्से में तमतमाई हुई है,उसका कहना है,तुम मुझे चांद क्यों कहते थे,आज मुझे समझ में आ गया, तुम मुझे पसंद नहीं करते हो इसलिए,तुम मुझे चांद कहते हो,मैं उसे कैसे समझाऊं,इसमें मेरी गलती नहीं है,गलती तो हमारे चंद्रयान विक्रम की है,उसने न जाने कितने प्रेमियों का दिल तोड़ा है,अक्सर प्रेमी अपनी प्रेमिकाओं के लिए गानें की यह पंक्तियां गाया करते थे,चौदहवी का चांद हो,या आफताब हो,जो भी हो तुम खुदा की कसम लाजवाब हो,अगला गाना जिसको सुनकर प्रेमिकाओं के चेहरों पर मुस्कान आ जाती थी,यह चांद सा रोशन चेहरा जुल्फों का रंग सुनहरा,जब प्रेमी को अपनी प्रेमिका की याद आती थी,तो उसके लबों पर यह गीत अक्सर होता था,चंदा रे चंदा कभी तो ज़मीन पर आ,बैठेंगे बातें करेंगे,मगर आज चंद्रयान-3 विक्रम ने चांद की हकीकत खोल दी,न जाने कितने प्रेमियों का दिल टूटा,न जाने कितनी प्रेमिकाएं है, जो अपने प्रेमियों से नाराज़ हुई होगी, इसलिए कहते हैं,दूर के ढोल सुहाने लगते हैं ।
मेरी पत्नी के गुस्से का आलम यह है,खाना बनाते-बनाते खुद ही बात करती रहेगी और कहती है, बड़े आए,मुझे चांद कहने वाले,वह तो भला हो चंद्रयान-3 का जिसने मेरी आंखों के सामने से,मेरे पति के झूठ का पर्दा हटा दिया,मेरे पति मुझसे कहते थे,तुम बोलो तो तुम्हारे लिए चांद तोड़ कर ले आऊं,मैं ही बेवकूफ थी,जो मैं अपने पति की बातों में आकर खुश हो जाती थी,पति की बातों से ऐसा लगता था,चांद कोई फल है,जिसको हाथ बढ़ाकर तोड़कर जेब में मेरे पतिदेव रख लेंगे,वह तो भला हो टीवी वालों का, जिन्होंने बताया चांद पर पहुंचने के लिए हमारे देश ने करोड़ों रुपए खर्च किए हैं,जिस पर पहुंचने के लिए महीनों लग गए,मेरे पति मुझसे झूठ बोलते थे,तुम बहुत सुंदर हो,तुम बिल्कुल चांद की तरह हो,वह तो भला हो हमारे चंद्रयान 3 का इसने हमें बताया चांद पर गहरे गड्ढे और उबड़ खाबड़ जमीन है,चांद पर ना पानी है,ना सांस लेने के लिए हवा,चारों तरफ गहरे गड्ढे और रेगिस्तान हैं,पेड़ पौधों का नामोनिशान नहीं है,चांद पर ऐसा लगता है,जैसे कोई डरावनी फिल्म का दृश्य हो,चांद के दक्षिणी ध्रुव पर करीब ढाई हजार किलोमीटर चौड़ा और 8 किलोमीटर गहरा गड्ढा है,इतना खतरनाक है,चांद का दक्षिणी ध्रुव और मेरे पति मुझे चांद कहते थे, अब तो मैं रोज अपने पति को तेज़ मिर्च वाली चटनी खिलाऊंगी और बोले मुझे चांद ।
भाई साहब हम भी हिंदुस्तानी है, चटनी खाते रहेंगे,पर यह दुआ करते रहेंगे,अब हम मंगल ग्रह, सूरज पर, हमारे वैज्ञानिक  सैटेलाइट भेजते रहे और चंद्रयान 3 की तरह सफलता अर्जित करते रहे ।
चंद्रयान-3  सफलतापूर्वक चांद की धरती पर उतर गया,हमारे देश भारत ने पूरे विश्व में अपनी सफलता का झंडा फहराया,आप सबको  बधाई चंद्रयान 3 के सफलतापूर्वक चांद पर उतरने की।
 *मैं तुम्हारे चेहरे को* 
 *चांद कह नहीं सकता ।* 
 *चांद की हकीकत को* 
 अब सभी समझते हैं।।
🙏🙏🙏🙏
मोहम्मद जावेद खान 

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