जो बीता प्राण धार छूकर
वो क्षण तो याद रहेगा न
कुछ मधुर- कटु संस्मरण लिए
अवसर तो याद रहेगा न
विपदा के मेघ घनेरे थे
प्राणों पर काल के फेरे थे
नित नव पीड़ा आलिंगन का
वो क्रम तो याद रहेगा न
जो हाथ राह में छूट गए
और बाँध आस के टूट गए
हर पल गिरती मानवता का
अंतर तो याद रहेगा न
तन बीमारी से चूर हुए
अपनों से अपने दूर हुए
रण मानव और महामारी का
संयम तो याद रहेगा न
★★★
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