Monday, 30 October 2023

आखिर सचिन पिलगांवकर ने किसकी वजह से इंडस्ट्री छोड़ी और फिर वापसी कैसे हुई... दोस्तो ये किस्सा शुरू हुआ था सन 1978 और

आखिर सचिन पिलगांवकर ने किसकी वजह से इंडस्ट्री छोड़ी और फिर वापसी कैसे हुई...
     दोस्तो ये किस्सा शुरू हुआ था सन 1978 और 1980 के बीच मे...20 फरवरी 1981 को रिलीस हुई "क्रोधी" फ़िल्म को धर्मेन्द्र के बहनोई रणजीत विर्क ने बनाया था.. और इस फ़िल्म को बॉलीवुड शोमैन सुभाष घई ने डायरेक्ट किया था ..पिक्चर में आये दिन फेर बदल हो रहे थे किसी को निकाला और किसी ऐक्टर को फ़िल्म में रिप्लेस किया जा रहा था.. तो उस दौर में अनिल कपूर कोई भी रोल पाने के लिए जी तोड़ कोशिश कर रहे थे और इसी के एवज वो प्रोड्यूसरों और डिरेक्टरों के दफ्तरों की खाफ छान रहे थे...इसी बीच सुभाष घई ने अनिल कपूर को अपनी फिल्म क्रोधी में लेने का आश्वासन दे दिया.. तो अनिल कपूर को पता चला के क्रोधी फ़िल्म में जो किरदार सचिन पिलगांवकर ने निभाया है वो अनिल कपूर को मिलने वाला है ..लेकिन उस दौर में सचिन पिलगांवकर ज्यादा सक्सेसफुल आर्टिस्ट थे.. क्योंके उनकी कई फिल्में चल निकली थी.. लेकिन उधर दूसरी तरफ प्रोड्यूसर रंजीत विर्क ने सचिन पिलगांवकर की अदाकारी देखी हुई थी.. तो रंजीत विर्क के कहने पर डायरेक्टर सुभाष घई को ये किरदार सचिन को देना पड़ा.. जिसकी वजह से क्रोधी फिल्म का किरदार अनिल कपूत के हाथों फिसल गया और सुभाष घई को अनिल कपूर को जवाब देना पड़ा.. 
       सचिन ने भी क्रोधी फ़िल्म में अपना किरदार बखूबी से निभाया.."चल चमेली बाग में, मेवा खिलाऊंगा"..आपको ये गाना तो याद ही होगा..जिसे सचिन और रंजीता पर फिल्माया गया था। कहते हैं के इन दोनों की शूटिंग देखते समय सचिन का टैलेंट देखकर धर्मेन्द्र ने सचिन को गले लगा लिया था.. लेकिन दूसरी तरफ सुभाष घई सचिन को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे थे..सुभाष घई को सचिन अपने दिल मे लगे एक काँटे की तरह चुभ रहे थे.. तो कहते है के इसी वजह से सुभाष घई ने एडिटिंग के दौरान सचिन के कई बेहतरीन सीनों पर कैंची चला दी.. सुभाष घई ने सचिन का वो बेहतरीन सीन जिसे धर्मेन्द्र के साथ फिल्माया गया था तथा जिस सीन में धर्मेन्द्र ने सचिन की अदाकारी देखकर उसे गले लगा लिया था उसे भी कट कर दिया....
     सचिन को जब पता चला तो वो हैरान थे के आखिर सुभाष घई का इरादा क्या है वो ऐसा क्यों कर रहे हैं..
 खैर, फ़िल्म रिलीस हुई और फ्लॉप हो गयी.. उसके बाद सचिन ने भी मीडिया में अपनी भड़ास निकाली...और फ़िल्म फ्लॉप होने का सारा ठीकरा सचिन ने सुभाष घई पर फोड़ दिया था.. अगर देखा जाए अकेले सुभाष घई ने सचिन के साथ ये सलूक नहीं किया था.. बल्कि बेहतरीन फिल्मे देने वाले डायरेक्टर यश चोपड़ा ने भी "त्रिशूल" फ़िल्म से सचिन के कई बेहतरीन सीन कट कर दिए थे.. वो सीन बेहतरीन थे के नहीं ये तो हम नहीं जानते ...लेकिन सचिन उन्हें बेहतरीन मानते थे..
      कहते है के इसीलिए सचिन  ने डाइरेक्टरों से तंग आकर डायरेक्टर ही बनने का फैसला कर लिया..और इसमें सचिन कामयाब भी हुए..वो मराठी में एक कामयाब डायरेक्टर बन गए...दरअसल सचिन के पिताजी मराठी फिल्मों के जाने माने निर्माता थे और सचिन पहले अपने पिता दुआर प्रोड्यूस की गई फ़िल्म में काम भी कर चुके थे और उस फिल्म से उन्हें नेशनल अवार्ड भी मिल चुका था ..इसी वजह से उन्हें ज्यादा दिक़तों का सामाना नहीं करना पड़ा और फिर उसके बाद ट्विस्ट ये आया के जब वो मराठी के एक कामयाब निर्देशक बन गए तो डायरेक्टर सुभाष घई ने सचिन को अपने होम बैनर मुक्ता आर्ट्स के तहत फ़िल्म प्रेम दीवाने का निर्देशन करने के लिए साइन कर लिया.. और ये फ़िल्म सचिन की बतौर निर्देशक पहली हिंदी फिल्म भी बनी..

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