Wednesday, 29 November 2023

मुन्नी एक नंबरी अलीशा अंसारी10 नंबरी*

*मुन्नी एक नंबरी अलीशा अंसारी10 नंबरी*

जी हां यह फिल्म का डायलॉग है यह फिल्म शक्ति कपूर कादर खान की भूमिका में बनाई गई थी आज भी इसी फिल्म का दूसरा दृश्य कोतवाली गंगा घाट जनपद उन्नाव की रहने वाली अलीशा अंसारी पति जान मोहम्मद पुत्री निजामुद्दीन तथा मां मुन्नी बेगम का मामला सामने आ रहा है जिसने पूर्व में कानपुर के रावतपुर चमनगंज बेगमगंज कानपुर देहात थाना जूही जनपद उन्नाव जनपद लखनऊ के मेले तथा सुनारों की दुकान गैंग के साथ चोरी जेब काटने का गोरख धंधा करती आ रही है मां मुन्नी बेगम खाला गुड्दो तथा जीनत अन्य कई महिला का पूर्व में लंबा चौड़ा गैंग है इनकी दहशत भय आज इतनी है कि कोतवाली गंगा घाट जनपद उन्नाव मनोहर नगर जो की पूर्व में चिनारपुरावा के नाम से जाना पहचाना जाता है सूत्रों से इन महिलाओं का गोरख धंधा क्षेत्र की सीधी शादी महिलाओं को बहला फुसलाकर देहव्यापार का धंधा भी कराती थी सूत्रों से, गुजरात बैंगलोर तथा पाकिस्तान के बड़े-बड़े धन्ना सेटो को महिला बेटियां उपलब्ध कराती थी सूत्रों से पूरे गैंग के तार बड़े-बड़े राजनेताओं बड़े-बड़े अधिवक्ता बड़े-बड़े मंत्री से लेकर कानपुर नगर के डी 2 गैंग से जुड़े हैं सूत्रों से,सन 2016 में थाना जूही से अपराधी महिला अलीशा अंसारी तथा सहेली जीनत सोने चोरी में पकड़ी गई मुकदमा अपराध संख्या 137/16 धारा,380,411
सोना बरामद होने पर सीधे इन दोनों को कानपुर जेल का रास्ता जूही थाना प्रभारी ने दिखाया अब यहीं से शुरू होती है सतिर मां मुन्नी बेगम की कहानी,कोतवाली गंगा घाट मनोहर नगर उर्फ़ चिनारपुरवा क्षेत्र सभासद धर्मेंद्र सिंह पप्पू,(चौहान) के लेटरहेड से मां मुन्नी बेगम ने नगर पालिका गंगा घाट से सर्टिफाइड कराकर अलीशा अंसारी तथा सहेली जीनत को कानपुर न्यायालय अपर सिविल जुडिशल जज, एम एम 4 से सन 2016 में जमानत लेकर जेल से रिया कराया शातिर महिला ने कानपुर न्यायालय की कार्रवाई से बचने के लिए मनोहर नगर घर छोड़कर अलीनगर में जा बसी जब पत्रकार नफीस खान ने इन गैंग के भ्रष्टाचार फर्जी बाड़े की सच्चाई को उजागर किया गया तो अपराधी महिला अलीशा अंसारी ने अपने साथियों संग पत्रकार पर जानलेवा हमला कर दिया सच्चाई से पीछे ना हटता हुआ पत्रकार ने इसकी खोज की तो मालूम हुआ यह 7 साल से कानपुर न्यायालय को गुमराह कर किए गए अपराध से घर बदल कर न्यायपालिका को धोखा दे रही हैं और एक बात है सन 2007 से सन 2018 तक फिरदौस परवीन नाम की महिला द्वारा पढ़ाई की गई जिसमें माता का नाम कहकशा परवीन है जो की अन्य महिला है, गैंग की नाते रिश्तेदार है फिरदौस परवीन द्वारा सन 2020 में बार काउंसिल प्रयागराज से सदस्यता पंजीकृत नंबर,Up02898/2020 कराया है पत्रकार ने इसकी जांच कराई तो पता चला मार्कशीट और डिग्री के फार्म में अन्य महिलाओं की फोटो चस्पा है आज तक कोतवाली गंगा घाट क्षेत्र की विधानसभा लोकसभा सभासद के निर्वाचन में वोटर लिस्ट में ना तो कहकशा परवीन है ना फिरदौस परवीन नाम की महिला है, सन 2014 में जब भाजपा शासन देश उत्तर प्रदेश में आया तो पहचान पत्र को कन्वर्ट कर आधार कार्ड के रूप में कर दिया गया इसी फेर बदल का लाभ लेते हुए मां मुन्नी बेगम एक नंबरी अपराधी महिला 10 नंबरी ने ऐसा खेल रचा किए गए अपराध से भी मुक्त हो गई दोनों जो संगीन अपराधी है आज सीना तानकर न्यायालय मजिस्ट्रेट उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशासन के सामने खड़ी होकर गुमराह कर रही है इनके गैंग के बारे में श्रीमान चीफ जस्टिस न्यायाधीश महोदय दिल्ली तथा श्रीमान चीफ जस्टिस न्यायाधीश महोदय प्रयागराज श्रीमान बार काउंसिल  प्रयागराज अध्यक्ष महामंत्री मुख्यमंत्री योगी जी बार एसोसिएशन महोदय उन्नाव अध्यक्ष महामंत्री श्रीमान डीजीपी लखनऊ कानून व्यवस्था उत्तर प्रदेश अध्यक्ष महोदय राज महिला आयोग लखनऊ उत्तर प्रदेश अध्यक्ष महोदय मानवा अधिकार आयोग लखनऊ उत्तर प्रदेश श्रीमान पुलिस अधीक्षक महोदय जनपद उन्नाव को इन गैंग के बारे में प्रार्थना पत्र देकर अवगत कराया परंतु किसी के जु तक ना रहेगी ना तो इन पर जांच की गई और ना ही इन गैंग पर अभी तक कोई विधिक कानूनी कार्रवाई की गई अब सवाल यह उठता है उत्तर प्रदेश शासन क्या इन गैंग के आगे लाचार है आखिर इन पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही सच्चाई भी दिखाई गई अवगत भी कराया गया आखिर उत्तर प्रदेश शासन उनके मामले से मौन क्यों है
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आइये जानते हैं "मार्गशीर्ष" मास का महत्व,करने योग्य कृत्य,एवं फल के बिषय में* मार्गशीर्ष महीना स्वयं भगवान हैं क्योंकि भगवान श्री कृष्ण जी अपने श्री मुख से श्री गीता जी में कहते हैं कि -

*आइये जानते हैं "मार्गशीर्ष" मास का महत्व,करने योग्य कृत्य,एवं फल के बिषय में*
                                 
मार्गशीर्ष महीना स्वयं भगवान हैं क्योंकि भगवान श्री कृष्ण जी अपने श्री मुख से श्री गीता जी में कहते हैं कि - 
                         "मासानां मार्गशीर्षोहम्"।
 अर्थात् - महीनों में मैं मार्गशीर्ष महीना हूँ।
मार्गशीर्ष महीना को आग्रहायण मास या अगहन महीना भी कहते हैं ।
इस महीने में भगवान के प्रसन्नता प्राप्ति के लिए "यज्ञ-अनुष्ठान" करने कराने एवं "श्री मद्भागवत महापुराण जी" का दर्शन,पूजन,पाठ,पारायण एवं श्रवण करने कराने से मनुष्य के समस्त पाप,ताप,संताप,तत्क्षण ही नष्ट हो जाते हैं।
आचार्य धीरज द्विवेदी "याज्ञिक" जी ने बताया कि - वाराहपुराण के अनुसार धन-धान्य व्रत जो कि धन प्राप्ति के लिए एक वर्ष तक किया जाता है वह मार्गशीर्ष माह से ही प्रारंभ होता है।इह व्रत को रखने एवं सविधि पालन करने से मनुष्य की दरिद्रता मिट जाती है और मनुष्य कुबेर के समान ऐश्वर्यशाली होता।                        
भगवत् स्वरूप इस महीने में "पितृगणों" के प्रसन्नता तथा "मोक्ष" के लिए और परिवार के कल्याण के लिए समस्त दुखों से मुक्ति हेतु "श्री लक्ष्मी जी" तथा भगवान "श्री नारायण" जी की कृपा प्राप्ति के लिए "श्री बिष्णु सहस्त्रनाम", "गजेंद्र मोक्ष" , "श्री गोपाल सहस्त्रनाम", "श्री राम रक्षा स्तोत्र", "नारायण कवच", "श्री सूक्त", "पुरुष सूक्त", "श्री बिष्णु पुराण", "श्री रामचरितमानस" आदि का पाठ तथा "द्वादश अक्षर" आदि वैष्णव मंत्र लक्ष्मी मंत्र शिव मंत्र का जाप करना या ब्राम्हण से करवाना चाहिए।                      
दक्षिणावर्ती (बंद मुख) शंख का पूजन करने से तथा उसी शंख द्वारा भगवान श्री विष्णु जी को दूध,दही,घी,शहद अथवा  पंचामृत और जल द्वारा भगवान का अभिषेक करने से मां भगवती "श्री महालक्ष्मी" जी  एवं श्री नारायण जी की बिशेष कृपा प्राप्त होती है।क्योंकि मां लक्ष्मी जी समुद्र से उत्पन्न हुई हैं और शंख भी समुद्र से उत्पन्न है।इस कारण से शंख मां लक्ष्मी जी का भाई है ।                      
यह पावन मास भगवान श्री नारायण स्वरूप होने के कारण भगवान शिव को भी बहुत प्रिय है क्योंकि - वैष्णवानाम् यथा शंभू ", अतः भगवान भोलेनाथ का भी पूजन,अभिषेक करने,कराने से भगवान श्री नारायण तथा भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।और जब भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं तो --- फिर क्या कहना ।       
 इस पावन पबित्र महीने की अनेकानेक पुराणों,धर्म ग्रंथों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की है।
इस पावन पबित्र महीने में किया गया दान-धर्म,पूजा-पाठ,यज्ञ-अनुष्ठान  आदि कभी "निष्फल" नहीं जाता।

                       ।। सबका मंगल हो ।।      सांदीपनि गुरुकुल स्वाध्याय केंद्र, उज्जैन,8602666380/6260144580

Monday, 27 November 2023

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल"-

"साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल"-
* 15 साल की उम्र में वेश्या की चौखट पर टहल आये .
* 16 साल की उम्र में सम्भोग जब उनके पिता मृत्यु शैया पर थे .
* 21 साल की उम्र में फिर उनका मन पराई स्त्री को देखकर मन मैं लड्डू फूटे
* 28 साल की उम्र में अश्वेत स्त्री के पास जाते है
* 40 साल की उम्र में अपने दोस्त हेनरी पोलक की पत्नी पर डोरे डाले
* 41 साल की उम्र में मोड नाम की लड़की पर दिल आशना हुआ
* 48 की उम्र में 22 साल की एस्थर फेरिंग के साथ 'आशिकी-२"
* 51 की उम्र में 48 साल की सरला देवी चोधरानी से प्रेम
* 56 की उम्र में 33 साल की मेडलिन स्लेड से प्रेम
* 60 की उम्र में 18 साल की महाराष्ट्रियन प्रेमा से प्रेम
* 64 की उम्र में 24 साल की अमेरिका की नीला नागिनी के साथ बिताये कुछ हसीन अंतरंग क्षण
* 65 की उम्र में 37 साल की जर्मन महिला मार्गरेट स्पीगल को कपडे पहनना सिखाया
* 69 की उम्र में 18 साल की डॉक्टर शुशीला नैयर से नग्न होकर मालिश करवाई
* 72 की उम्र में बाल विधवा लीलावती आसर,पटियाला के बड़े जमींदार की बेटी अम्तुस्स्लाम ,कपूरथला खानदान की राजकुमारी अमृत कौर तथा मशहूर समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण की पत्नी प्रभावती जैसी महिलाओ के साथ सोते है और नारी सशक्तिकरण करते हैं
* 76 की उम्र में 16 साल की आभा .वीणा और कंचन नाम की युवतिओं को नग्न होने को कहते है . जिस पर ये लडकिया कहती है की उन्हें ब्रह्मचर्य के बजाय सम्भोग की जरूरत है .
* 77 की उम्र मे मनु के साथ नोआखाली की सर्द रातें (जब नोआखाली के दंगों में लाखों हिन्दुओ का कत्लेआम हो रहा था इस तथाकथित महात्मा के मुस्लिम प्रेम के कारन ) शरीर को गर्म रखने के लिए नग्न सोकर गुजारते है .
* 79 के अंतिम क्षणों यमराज द्वारा बुलावा भेजने तक आभा और मनु के साथ एक साथ बिस्तर पर रंगरेलियां मना रहे थे..............
इतना काफी है देश की दलाली करने वाले तथाकथित महात्मा के पाखंड को उजागर करने के लिए 
 🤦 🤦 🤦 

#रघुपति राघव राजाराम, देश बचा गए नाथूराम     
जय श्री राम

🔱🔱 समस्त बजरंगी भाइयों को सूचित किया जाता है कि मीना बाज़ार के पास ग्राम सोनिकपुर थाना अतरौली में किसी समूह द्वारा शिवलिंग का खंडन किया गया है अपनी समस्त टोली के साथ पहुँचे !

🔱जय श्री राम🔱
 समस्त बजरंगी भाइयों को सूचित किया जाता है कि मीना बाज़ार के पास  ग्राम सोनिकपुर थाना अतरौली में किसी समूह द्वारा शिवलिंग का खंडन किया गया है अपनी समस्त टोली के साथ पहुँचे !

याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें:जो आपको हमेशा स्वस्थ और सेहतमंद रखेंगी..... 🙏

याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें:
जो आपको हमेशा स्वस्थ और सेहतमंद रखेंगी..... 🙏

 1. बीपी: 120/80
 2. पल्स: 70 - 100
 3. तापमान: 36.8 - 37
 4. सांस : 12-16
 5. हीमोग्लोबिन: पुरुष -13.50-18 
स्त्री- 11.50 - 16 
 6. कोलेस्ट्रॉल: 130 - 200
 7. पोटेशियम: 3.50 - 5
 8. सोडियम: 135 - 145
 9. ट्राइग्लिसराइड्स: 220
 10. शरीर में खून की मात्रा: पीसीवी 30-40%
 11. शुगर लेवल: बच्चों के लिए (70-120) वयस्क: 80- 130
 12. आयरन: 8-15 मिलीग्राम
 13. श्वेत रक्त कोशिकाएं WBC:  4000 - 11000
 14. प्लेटलेट्स: 1,50,000 - 4,00,000
 15. लाल रक्त कोशिकाएं RBC: 4.50 - 6 मिलियन.
 16. कैल्शियम: 8.6 -10.3 मिलीग्राम/डीएल
 17. विटामिन D3: 20 - 50 एनजी/एमएल.
18. विटामिन B12:  200 - 900 पीजी/एमएल.
वरिष्ठ यानि 40/ 50/ 60 वर्ष  वालों के लिए विशेष टिप्स:

1- पहला सुझाव:
 प्यास न लगे या जरूरत न हो तो भी हमेशा पानी पिएं, सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं और उनमें से ज्यादातर शरीर में पानी की कमी से होती हैं। 3 लीटर न्यूनतम प्रति दिन.
2- दूसरा सुझाव:
 शरीर से अधिक से अधिक काम ले, शरीर की calories burn होती रहनी चाहिए, भले ही केवल पैदल चलकर, या तैराकी या किसी भी प्रकार के खेल से।
3-तीसरा सुझाव:
 खाना कम करो...अधिक भोजन की लालसा को छोड़ दें... क्योंकि यह कभी अच्छा स्वास्थ्य नहीं देता अपने आप को वंचित न करें, लेकिन मात्रा कम करें। प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट आधारित खाद्य पदार्थों का अधिक प्रयोग करें।
 4- चौथा सुझाव:
जितना हो सके वाहन का प्रयोग तब तक न करें जब तक कि अत्यंत आवश्यक न हो. आप कहीं जाते हैं किराना लेने, किसी से मिलने या किसी काम के लिए अपने पैरों पर चलने की कोशिश करें। लिफ्ट, एस्केलेटर का उपयोग करने के बजाय सीढ़ियां चढ़ें।
 5- पांचवां सुझाव* क्रोध छोड़ो, चिंता छोड़ो,चीजों को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करो. विक्षोभ की स्थितियों में स्वयं को शामिल न करें, वे सभी स्वास्थ्य को कम करते हैं और आत्मा के वैभव को छीन लेते हैं। सकारात्मक लोगों से बात करें और उनकी बात सुनें।
6- छठा सुझाव
अपने आस-पास के लोगो से खूब मिलें जुलें हंसें बोलें!हँसे खुश रहे...... Positive रहे हर situation में खुद को mentally strong बनाएँ 
7-सातवां सुझाव
अपने आप के लिए किसी तरह का अफ़सोस महसूस न करें, न ही किसी ऐसी चीज़ पर जिसे आप हासिल नहीं कर सके, और न ही ऐसी किसी चीज़ पर जिसे आप अपना नहीं सकते।
 इसे अनदेखा करें और इसे भूल जाएं।
8- आठवां सुझाव पैसा, पद, प्रतिष्ठा, शक्ति, सुन्दरता, जाति की ठसक और प्रभाव;
ये सभी चीजें हैं जो अहंकार से भर देती हैं. विनम्रता वह है जो लोगों को प्यारसे आपके करीब लाती है।
9- नौवां सुझाव
 अगर आपके बाल सफेद हो गए हैं, तो इसका मतलब जीवन का अंत नहीं है। यह एक बेहतर जीवन की शुरुआत हो चुकी है। आशावादी बनो, याद के साथ जियो, यात्रा करो, आनंद लो। यादें बनाओ!
10- दसवां सुझाव
अपने से छोटों से भी प्रेम, सहानुभूति ओर अपनेपन से मिलें! कोई व्यंग्यात्मक बात न कहें! चेहरे पर मुस्कुराहट बनाकर रखें !  
अतीत में आप चाहे कितने ही बड़े पद पर रहे हों वर्तमान में उसे भूल जाये और सबसे मिलजुलकर रहें!

स्वस्थ रहो, मस्त रहो
खूब हँसें और हँसाये 
क्योंकि
हँसी फ़्री का हेल्थ टॉनिक है , इसका भरपूर उपयोग

छोटी छोटी बातों का करो उपयोग रहो निरोगः
 🙏

मानो या ना मानो किंतु यह 100% सच है...**देर से कटी प्याज का कभी उपयोग ना करें, प्याज हमेशा तुरंत काट कर खाएं।*कटी रखी प्याज दस मिनिट में अपने आस पास के सारे कीटाणु अवषोशित कर लेती है। यह वैज्ञानिक तौर पर सिद्ध हो चुका है।

Q*स्वास्थ्य .......*

*मानो या ना मानो किंतु यह 100% सच है...*
*देर से कटी प्याज का कभी उपयोग ना करें, प्याज हमेशा तुरंत काट कर खाएं।*
कटी रखी प्याज दस मिनिट में अपने आस पास के सारे कीटाणु अवषोशित कर लेती है। यह वैज्ञानिक तौर पर सिद्ध हो चुका है।

जब भी किसी मौसमी बीमारी का प्रकोप फैले घर में सुबह शाम हर कमरें में प्याज काट कर रख दें, बाद में उसे फैंक दें, सुरक्षित बने रहेंगे।

*प्याज के संबध में महत्वपूर्ण जानकारी अवश्य पढ़े..*

सन 1919 में फ्लू से करोड़ो लोग मारे जा चुके थे, तब एक डॉक्टर कई किसानों से उनके घर इस प्रत्याशा में मिला कि वो कैसे इन किसानों को इस महामारी से लड़ने में सहायता कर सकता है। 

बहुत सारे किसान इस फ्लू से ग्रसित थे और उनमें से बहुत से मारे जा चुके थे। डॉक्टर जब इनमें से एक किसान के संपर्क में आया तो उसे ये जान कर बहुत आश्चर्य हुआ जब उसे ये ज्ञात हुआ कि सारे गाँव के फ्लू से ग्रसित होने के बावजूद ये किसान परिवार बिलकुल बिलकुल स्वस्थ्य था तब डॉक्टर को ये जानने की इच्छा जागी कि ऐसा इस किसान परिवार ने सारे गाँव से हटकर क्या किया कि वो इस भंयकर महामारी में भी स्वस्थ्य है। तब किसान की पत्नी ने उन्हें बताया कि उसने अपने मकान के दोनों कमरों में एक प्लेट में छिली हुई प्याज रख दी है तब डॉक्टर ने प्लेट में रखी इन प्याज को माइक्रोस्कोप से देखा तो उसे इस प्याज में उस घातक फ्लू के बैक्टेरिया मिले जो संभवत: इन प्याज द्वारा अवशोषित कर लिए गए थे और शायद यही कारण था कि इतनी बड़ी महामारी में ये परिवार बिलकुल स्वस्थ्य थे, क्योंकि फ्लू के वायरस इन प्याज द्वारा सोख लिए गए थे।

जब मैंने अपने एक मित्र जो अमेरिका में रहते थे और मुझे हमेशा स्वास्थ्य संबधी मुद्दों पर बेहद ज्ञानवर्धक जानकारी भेजते रहते हैं तब उन्होंने प्याज के संबध में बेहद महत्वपूर्ण जानकारी/अनुभव मुझे भेजा।

उनकी इस बेहद रोचक कहानी के लिए धन्यवाद- क्योंकि मुझे इस किसान वाली कहानी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
 
जब मैं न्यूमोनिया से ग्रसित था और कहने की आवश्यकता नहीं थी कि मैं बहुत कमज़ोर महसूस कर रहा था तब मैंने एक लेख पढ़ा था जिसमें ये बताया गया था कि प्याज को बीच से काटकर रात में  न्यूमोनिया से ग्रस्त मरीज़ के कमरे में एक जार में रख दिया गया था और सुबह यह देख कर बेहद आश्चर्य हुआ कि प्याज सुबह कीटाणुओं की वज़ह से  बिलकुल काली हो गई थी।
तब मैंने भी अपने कमरे में वैसा ही किया और देखा अगले दिन प्याज बिलकुल काली होकर खराब हो चुकी थी और मैं काफी स्वस्थ्य महसूस कर रहा था।

कई बार हम पेट की बीमारी से दो चार होते है तब हम इस बात से अनजान रहते है कि इस बीमारी के लिए किसे दोषी ठहराया जाए। तब नि:संदेह प्याज को इस बीमारी के लिए दोषी ठहराया जा सकता है, प्याज बैक्टेरिया को अवशोषित कर लेती है यही कारण है कि अपने इस गुण के कारण प्याज हमें ठण्ड और फ्लू से बचाती है।

अत: वे प्याज बिलकुल नहीं खाना चाहिए जो बहुत देर पहले काटी गई हो और प्लेट में रखी गई हों। ये जान लें कि "काट कर रखी गई प्याज बहुत विषाक्त होती हैं।"

जब कभी भी फ़ूड पॉइसनिंग के केस अस्पताल में आते हैं तो सबसे पहले इस बात की जानकारी ली जाती कि मरीज़ ने अंतिम बार प्याज कब खाई थी। और वे प्याज कहाँ से आई थीं, (खासकर सलाद में) तब इस बीमारी के लिए या तो प्याज दोषी हैं या काफी देर पहले कटे हुए "आलू"

प्याज बैक्टेरिया के लिए "चुंबक" की तरह काम करती हैं, खासकर कच्ची प्याज।

आप कभी भी थोड़ी सी भी कटी हुई प्याज को देर तक रखने की गलती न करे ये बेहद खतरनाक हैं।

यहाँ तक कि किसी बंद थैली में इसे रेफ्रिजरेटर में रखना भी सुरक्षित नहीं है।

प्याज ज़रा सी काट देने पर ये बैक्टेरिया से ग्रसित हो सकती है और आपके लिए खतरनाक हो सकती है। यदि आप कटी हुई प्याज को सब्ज़ी बनाने के लिए उपयोग कर रहें हो तब तो ये ठीक है मगर यदि आप कटी हुई प्याज अपनी ब्रेड पर रख कर खा रहें है तो ये बेहद खतरनाक है ऐसी स्थिति में आप मुसीबत को न्योता दे रहें हैं।

याद रखें कटी हुई प्याज और कटे हुए आलू की नमी बैक्टेरिया को तेज़ी से पनपने में बेहद सहायक होता है। कुत्तों  को कभी भी प्याज नहीं खिलाना चाहिए क्योंकि प्याज को उनका पेट का मेटाबोलिज़ कभी भी नहीं पचाता।

कृपया ध्यान रखे कि प्याज को काट कर अगले दिन सब्ज़ी बनाने के लिए नहीं रखना चाहिए क्योंकि ये बहुत खतरनाक है यहाँ तक कि कटी हुई प्याज एक रात में बहुत विषाक्त हो जाती है क्योंकि ये टॉक्सिक बैक्टेरिया बनाती है जो पेट खराब करने के लिए पर्याप्त रहता है।

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Friday, 24 November 2023

पुलिस कस्टडी में आदिवासी महिला की मौत मामले को मैनेजमेंट करने में जुटा आरोपी प्रधान आरक्षक चोरी के आरोप में महिला के साथ थाने में हुई थी बर्बरता पूरी घटना का प्रत्यक्षदर्शी है एक शासकीय कर्मचारीरीवा के सिविल लाइन थाने में दिन दहाड़े गोली कांड

पुलिस कस्टडी में आदिवासी महिला की मौत मामले को मैनेजमेंट करने में जुटा आरोपी  प्रधान आरक्षक 


चोरी के आरोप में महिला के साथ थाने में हुई थी बर्बरता पूरी घटना का प्रत्यक्षदर्शी है एक शासकीय कर्मचारी

रीवा के सिविल लाइन थाने में दिन दहाड़े गोली कांड की तपन कम नहीं हुई थी तभी एक आदिवासी महिला की इसी थाने में पुलिस कस्टडी के दौरान मौत हो गई
आदिवासी महिला की मौत के बाद पुलिस अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लिया जिसकी जांच की जा रही है लेकिन इस पूरे मामले में मुख्य आरोपी प्रधान आरक्षक अपने आकाओं की मदद से मैनेजमेंट में जुटा हुआ है
हालांकि इस पूरे घटनाक्रम का एक प्रत्यक्षदर्शी भी है जो उस समय थाने में मौजूद था और  पुलिस की प्रतर्णना  का शिकार भी हुआ था जिसके साथ अपने पर्सनल संबंधों को निभाते हुए प्रधान आरक्षक के द्वारा जमकर मारपीट की गई और मामला दर्ज किया गया जिसका आज भी इलाज चल रहा है 

प्रत्यक्षदर्शी एक शासकीय कर्मचारी है जिसे घटना के दिन प्रधान आरक्षक विवेक सिंह ने अपनी पर्सनल संबंधों के कारण शिकार बनाया था और उसके साथ भी थाने में थर्ड डिग्री का प्रयोग किया गया जिस समय महिला के साथ बर्बरता की जा रही थी उसे शासकीय कर्मचारी की हालत आज भी गंभीर बनी हुई है

अब इस पूरे मामले को मैनेज करने के लिए प्रधान आरक्षक अपने आकाओं  के दरवाजे में दस्तक दे रहा है विस्वस्त्र सूत्रों का कहना है कि इसका आका और कोई नहीं बल्कि हत्या का आरोपी स्कूल संचालक है जो अब मामले को मैनेजमेंट करने में जुटा हुआ है

Wednesday, 22 November 2023

देव प्रबोधिनी एकादशी व्रत* 🌷 *देव उठनी एकादशी व्रत* 🌷 *तुलसी विवाह व्रत* *कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को "देवउठनी एकादशी" कहते हैं जो कल 23 नवंबर 2023, गुरुवार के दिन है* 🙏

🌷 *देव प्रबोधिनी एकादशी व्रत* 
🌷 *देव उठनी एकादशी व्रत* 
🌷 *तुलसी विवाह व्रत* 

 *कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को "देवउठनी एकादशी" कहते हैं जो कल 23 नवंबर 2023, गुरुवार  के दिन है* 🙏

👉 *देव प्रबोधिनी/ देवउठनी/ तुलसी विवाह व्रत एकादशी माहात्म्य* 👇

देव प्रबोधिनी एकादशी व्रत के जागरण का बहुत ही ज्यादा महत्व है इसीलिए कृपया सभी सनातनी प्रेमी इस एकादशी व्रत के दिन जागरण अवश्य करें🙏

👉 *नारदजी ने कहा* - ‘हे पिता! एक संध्या को भोजन करने से, रात्रि में भोजन करने तथा पूरे दिन उपवास करने से क्या-क्या❓ फल मिलता है। कृपा कर सविस्तार समझाइए’🙏

 *ब्रह्माजी ने कहा-* ‘हे नारद! *एक संध्या को भोजन करने से दो जन्म के👏👏 तथा पूरे दिन उपवास करने से सात जन्म के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।🙏 जिस वस्तु का त्रिलोक में मिलना दुष्कर है, वह वस्तु भी प्रबोधिनी एकादशी के व्रत से सहज ही प्राप्त हो जाती है।👏👏🙏* प्रबोधिनी एकादशी के व्रत के प्रभाव से बड़े-से-बड़ा पाप भी क्षण मात्र में ही नष्ट हो जाता है। *पूर्व जन्म के किए हुए अनेक बुरे कर्मों को प्रबोधिनी एकादशी का व्रत क्षण-भर मे नष्ट कर देता है* 🙏

👉 *ब्रह्माजी ने कहा* - ‘हे पुत्र! कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की *प्रबोधिनी एकादशी के व्रत का फल एक सहस्र अश्वमेध तथा सो राजसूय यज्ञ के फल के बराबर होता है।’* 

जो मनुष्य  प्रबोधिनी एकादशी का विधानपूर्वक व्रत करते हैं, उन्हें पूर्ण फल प्राप्त होता है।

👉 *हे पुत्र!* जो मनुष्य श्रद्धापूर्वक इस दिन किंचित मात्र पुण्य करते हैं, उनका वह *पुण्य पर्वत के समान अटल हो जाता है।* 

👉 *जो मनुष्य अपने हृदय के अंदर ही ऐसा ध्यान करते हैं कि प्रबोधिनी एकादशी का व्रत करूंगा, उनके सौ जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं।* 🙏

👉 *जो मनुष्य प्रबोधिनी एकादशी को रात्रि जागरण करते हैं, उनकी बीती हुई तथा आने वाली दस पीढ़ियां विष्णु लोक में जाकर वास करती हैं🙏 और नरक में अनेक कष्टों को भोगते हुए उनके पितृ विष्णुलोक में जाकर सुख भोगते हैं।🙏* 

👉 *हे नारद!* ब्रह्महत्या आदि विकट पाप भी प्रबोधिनी एकादशी के दिन रात्रि को जागरण करने से नष्ट हो जाते हैं। प्रबोधिनी एकादशी को रात्रि को जागरण करने का फल अश्वमेध आदि यज्ञों के फल से भी ज्यादा होता है ।

👉सभी तीर्थों में जाने तथा गौ, स्वर्ण भूमि आदि के दान का फल प्रबोधिनी के रात्रि के जागरण के फल के बराबर होता है।🙏

👉 *हे पुत्र* ! इस संसार में उसी मनुष्य का जीवन सफल है, जिसने प्रबोधिनी एकादशी के व्रत द्वारा अपने कुल को पवित्र किया है। *संसार में जितने भी तीर्थ हैं तथा जितने भी तीर्थों की आशा की जा सकती है, वह प्रबोधिनी एकादशी का व्रत करने वाले के घर में रहते हैं।*🙏 

👉प्राणी को सभी कर्मों को त्यागते हुए भगवान श्रीहरि की प्रसन्नता के लिए कार्तिक माह की प्रबोधिनी एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। जो मनुष्य इस एकादशी व्रत को करता है, वह धनवान, योगी तपस्वी तथा इंद्रियों को जीतने वाला होता है, क्योंकि *एकादशी भगवान विष्णु की अत्यंत प्रिय है। इसके व्रत के प्रभाव से मनुष्य जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है।* 

👉इस *एकादशी व्रत के प्रभाव से* *कायिक, वाचिक और मानसिक तीनों प्रकार के पापों का शमन हो जाता है।* इस एकादशी के दिन जो मनुष्य भगवान विष्णु की प्राप्ति के लिए *दान, तप, होम, यज्ञ आदि करते हैं, उन्हें अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।* 

👉प्रबोधिनी एकादशी के दिन भगवान *श्रीहरि का पूजन करने के बाद यौवन और वृद्धावस्था के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं* 🙏। *इस एकादशी की रात्रि को जागरण करने का फल, सूर्य ग्रहण के समय स्नान करने के फल से सहस्र गुना ज्यादा होता है* *मनुष्य अपने जन्म से लेकर जो पुण्य करता है, वह पुण्य प्रबोधिनी एकादशी के व्रत के पुण्य के सामने व्यर्थ हैं* 🙏 जो मनुष्य प्रबोधिनी एकादशी का व्रत नहीं करता, उसके सभी पुण्य व्यर्थ हो जाते हैं🙏

👉 *इसलिए हे पुत्र!* तुम्हें भी विधानपूर्वक भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए। *जो मनुष्य कार्तिक माह के धर्मपरायण होकर अन्य व्यक्तियों का अन्न नहीं खाते, उन्हें चांद्रायण व्रत के फल की प्राप्ति होती है।* 🙏

👉 *कार्तिक माह में प्रभु दान आदि से उतने प्रसन्न नहीं होते* , *जितने कि शास्त्रों की कथा सुनने से प्रसन्न होते है।* 🙏

👉 *कार्तिक माह में जो मनुष्य प्रभु की कथा को थोड़ा-बहुत पढ़ते हैं या सुनते हैं, उन्हें सो गायों के दान के फल की प्राप्ति होती है।* 🙏

 *ब्रह्माजी की बात सुनकर नारदजी बोले- ‘हे पिता!* अब आप एकादशी के व्रत का विधान कहिए और कैसा व्रत करने से किस पुण्य की प्राप्ति होती है❓ कृपा कर यह भी समझाइए।🙏

👉 *देवउठनी एकादशी व्रत विधि* 👇

 *नारद की बात सुन ब्रह्माजी बोले* - ‘हे पुत्र! इस एकादशी के दिन मनुष्य को ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाना चाहिए और स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प करना चाहिए। उस समय भगवान विष्णु से प्रार्थना करनी चाहिए कि हे प्रभु! आज मैं निराहार या फलाहार रहूंगा और दूसरे दिन भोजन करूंगा, इसलिए आप मेरी रक्षा करें🙏

इस प्रकार प्रार्थना करके भगवान का पूजन करना चाहिए और व्रत प्रारंभ करना चाहिए।  रात्रि को भगवान के समीप गायन, नृत्य, बाजे तथा कथा-कीर्तन करते हुए रात्रि व्यतीत करनी चाहिए🙏

👉प्रबोधिनी एकादशी के दिन कृपणता को त्यागकर बहुत से पुष्प, अगर, धूप आदि से भगवान की आराधना करनी चाहिए🙏

👉 *शंख के जल से भगवान को अर्घ्य देना चाहिए। इसका फल तीर्थ दान आदि से करोड़ गुना अधिक होता है।* 

👉जो मनुष्य अगस्त्य पुष्प से भगवान का पूजन करते हैं, उनके सामने इंद्र भी हाथ जोड़ता है।🙏

👉कार्तिक माह में जो बिल्व पत्र से भगवान का पूजन करते हैं, उन्हें अंत में मुक्ति मिलती है।

👉 *कार्तिक माह में जो मनुष्य तुलसीजी से भगवान का पूजन करता है, उसके दस हजार जन्मों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।*🙏 

👉 *जो मनुष्य इस माह में श्री तुलसीजी के दर्शन करते हैं या स्पर्श करते हैं या ध्यान करते हैं या कीर्तन करते हैं या रोपन करते हैं अथवा सेवा करते हैं, वे हजार कोटियुग तक भगवान विष्णु के लोक में वास करते है*🙏

👉 *जो मनुष्य तुलसी का पौधा लगाते हैं उनके कुल में जो पैदा होते हैं, वे प्रलय के अंत तक विष्णुलोक में रहते हैं* 🙏

👉 *जो मनुष्य भगवान का कदंब पुष्प से पूजन करते हैं, वह यमराज के कष्टों को नहीं पाते* । सभी कामनाओं को पूरा करने वाले भगवान विष्णु कदंब पुष्प को देखकर अत्यंत प्रसन्न होते हैं। यदि उनका कदंब पुष्प से पूजन किया जाए तो इससे उत्तम बात और कोई नहीं है। जो *गुलाब के पुष्प से भगवान का पूजन करते हैं, उन्हें निश्चित ही मुक्ति प्राप्त होती है।* जो मनुष्य *बकुल और अशोक के पुष्पों से भगवान का पूजन करते हैं, वे अनंत काल तक शोक से रहित रहते हैं।* जो मनुष्य भगवान विष्णु का *सफेद और लाल कनेर के फूलों से पूजन करते हैं, उन पर भगवान अत्यंत प्रसन्न होते हैं* । जो मनुष्य भगवान श्रीहरि का *दूर्वादल से पूजन करते हैं, वे पूजा के फल से सौ गुना ज्यादा फल पाते हैं।* जो भगवान का *शमीपत्र से पूजन करते हैं, वे भयानक यमराज के मार्ग को सुगमता से पार कर जाते हैं।* जो मनुष्य *चंपक पुष्प से भगवान विष्णु का पूजन करते हैं, वे जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाते हैं।* 🙏

👉जो मनुष्य *स्वर्ण का बना हुआ केतकी पुष्प भगवान को अर्पित करते हैं, उनके करोड़ों जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं।* जो मनुष्य पीले और रक्त वर्ण कमल के सुगंधित पुष्पों से भगवान का पूजन करते हैं, उन्हें श्वेत दीप में स्थान मिलता है।

👉इस प्रकार रात्रि में भगवान का पूजन करके प्रातःकाल शुद्ध जल की नदी में स्नान करना चाहिए।

👉स्नान करने के उपरांत भगवान की स्तुति करते हुए घर आकर भगवान का पूजन करना चाहिए। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए और दक्षिणा देकर आदर सहित उन्हें प्रसन्नतापूर्वक विदा करना चाहिए🙏

इसके बाद गुरु की पूजा करनी चाहिए और ब्राह्मणों को दक्षिणा देकर नियम को छोड़ना चाहिए। *जो मनुष्य रात्रि स्नान करते हैं, उन्हें दही और शहद दान करना चाहिए* । जो मनुष्य फल की आशा करते हैं, उन्हे फल दान करना चाहिए। तेल की जगह घी और घी की जगह दूध, अन्नों में चावल दान करना चाहिए।

👉जो मनुष्य इस व्रत में भूमि पर शयन करते हैं, उन्हें सब वस्तुओं सहित शैया दान करना चाहिए। जो मौन धारण करते हैं, उन्हें स्वर्ण सहित तिल दान करना चाहिए। जो मनुष्य कार्तिक माह में खड़ाऊं धारण नहीं करते, उन्हें खड़ाऊं दान करनी चाहिए। *जो इस माह में नमक त्यागते हैं, उन्हें शक्कर दान करनी चाहिए।* जो मनुष्य नित्य प्रति देव मंदिरों में दीपक जलाते हैं, उन्हें स्वर्ण या तांबे के दीपक को घी तथा बत्ती सहित दान करना चाहिए🙏

👉जो मनुष्य चातुर्मास्य व्रत में किसी वस्तु को त्याग देते हैं, उन्हें उस दिन से उस वस्तु को पुनः ग्रहण करना चाहिए।

👉जो मनुष्य प्रबोधिनी एकादशी के दिन विधानपूर्वक व्रत करते हैं, उन्हें अनंत सुख की प्राप्ति होती है और अंत में स्वर्ग को जाते हैं।

👉जो मनुष्य चातुर्मास व्रत को बिना किसी बाधा के पूर्ण कर लेते हैं, उन्हें दुबारा जन्म नहीं लेना पड़ता। जिन मनुष्यों का व्रत खंडित हो जाता है, उन्हें दुबारा प्रारंभ कर लेना चाहिए। जो मनुष्य इस एकादशी के माहात्म्य को सुनते व पढ़ते हैं अश्वमेध यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है।”

👉 *तुलसी माता से जुड़ी हुई कथा* 👇

पद्मपुराण के पौराणिक कथानुसार राजा जालंधर के अत्याचार से सभी देवता गण बहुत ही त्रस्त हो चुके थे तब जाकर प्रभु श्री विष्णु ने जालंधर को मारना चाहा पर वह अपने पत्नी वृंदा के पतिव्रत धर्म के कारण बहुत प्रयासों के बावजूद भी मारा नहीं जा रहा था तब प्रभु श्री विष्णु ने जालंधर की पत्नी वृंदा का पतिव्रत धर्म उनको स्पर्श करके भंग किया तब पत्नी वृंदा *(जिनको हम तुलसी भी कहते हैं* ) के श्राप से भगवान विष्णु  काले पत्थर के रूप में शालिग्राम पत्थर बन गए, जिस कारणवश प्रभु को शालिग्राम भी कहा जाता है, और भक्तगण इस रूप में भी उनकी पूजा करते हैं 

इसी श्राप से मुक्ति पाने के लिए भगवान विष्णु ने वृंदा को वचन दिया कि तुम्हारा तुलसी नाम के एक पवित्र वृक्ष के रूप में धरती पर जन्म होगा और *मेरी जहां कहीं पर भी पूजा होगी वहां पर बिना तुलसी के कोई भी पूजा स्वीकार्य नहीं होगी* ...तुम मुझे तुलसी के रूप में आज से अत्यंत प्रिय रहोगी  *अपने शालिग्राम स्वरुप में प्रभु श्री हरि विष्णु को तुलसी से विवाह करना पड़ा था* और उसी समय से कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को तुलसी विवाह का उत्सव मनाया जाता है।

प्राचीन ग्रंथों के अनुसार *कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी को तुलसी की स्थापना की जाती है और एकादशी के दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा बनाकर उनका विवाह तुलसी जी से किया जाता है।* 🙏

 *तुलसी को विष्णुप्रिया भी कहते हैं। प्रभु श्री नारायण जब जागते हैं तो सबसे पहली प्रार्थना श्रीहरिवल्लभा तुलसी की ही सुनते हैं।* 

👉रात्रि के समय घंटा और शंख बजाकर निम्न मंत्र से भगवान को जगाएँ-:👇

*‘उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये।*

*त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्‌ सुप्तं भवेदिदम्‌॥’*

*‘उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव।*

*गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः॥’*

*‘शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव।’*

*‘उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये।*

इसके बाद भगवान को जल, दूध, पंचामृत शहद, दही, घी, शक्कर
हल्दी मिश्रित जल, तथा अष्ट गंध से स्नान कराएं इसके बाद नये वस्त्र अर्पित करें फिर पीले चंदन का तिलक लगाएँ, श्रीफल अर्पित करें,  नैवेद्य के रूप में विष्णु जी को ईख, अनार, केला, सिंघाड़ा आदि अर्पित करने चाहिए। फिर कथा का श्रवण करने के बाद आरती करें और बंधु बांधवों के बीच प्रसाद वितरित करें🙏

कुछ लोग एकादशी से पूर्णिमा(देव दिवाली) तक तुलसी पूजन कर पाँचवें दिन तुलसी विवाह करते हैं। तुलसी विवाह करने से कन्यादान के समान पुण्यफल की प्राप्ति होती है।

🙏 *ओम नमो नारायणाय* 🙏

Tuesday, 21 November 2023

विश्व दूरदर्शन/टेलीविजन दिवस (World Television Day) 📺*प्रत्येक वर्ष 21 ,World Television Day

*📜 21 नवम्बर 📜*

*📺 विश्व दूरदर्शन/टेलीविजन दिवस (World Television Day) 📺*

प्रत्येक वर्ष 21 नवम्बर को विश्व के विभिन्न देशों में "विश्व दूरदर्शन दिवस" अथवा अंतर्राष्ट्रीय टेलीविजन दिवस मनाया जाता है।

दूरदर्शन विभिन्न प्रमुख आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए पूरे विश्व के ज्ञान में वृद्धि करने में मदद करता है। वर्तमान में यह मीडिया की सबसे प्रमुख ताकत के रूप में उभरा है। यूनेस्को ने टेलीविज़न को संचार और सूचना के एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में पहचाना है।

>> विश्व दूरदर्शन (टेलीविजन) दिवस का इतिहास <<

संयुक्त राष्ट्र महासभा नें 17 दिसंबर 1996 को 21 नवम्बर की तिथि को विश्व टेलीविजन दिवस के रूप घोषित किया था। संयुक्त राष्ट्र नें वर्ष 1996 में 21और 22 नवम्बर को विश्व के प्रथम विश्व टेलीविजन फोरम का आयोजन किया था। इस दिन पूरे विश्व के मीडिया हस्तियों नें संयुक्त राष्ट्र के संरक्षण में मुलाकात की। इस मुलाक़ात के दौरान टेलीविजन के विश्व पर पड़ने वाले प्रभाव के सन्दर्भ में काफी चर्चा की गयी थी। साथ ही उन्होंने इस तथ्य पर भी चर्चा की कि विश्व को परिवर्तित करने में इसका क्या योगदान है। उन्होनें आपसी सहयोग से इसके महत्व के बारे में  चर्चा की। यही कारण था की संयुक्त राष्ट्र महासभा नें 21 नवंबर की तिथि को विश्व टेलीविजन दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।

>> दूरदर्शन का महत्त्व <<

टेलीविज़न के आविष्कार ने सूचना के क्षेत्र में एक क्रांति का आगाज़ किया था। दूसरी क्रांति का आगमन उस समय हुआ, जब वैश्विक स्तर पर टेलीविज़न के महत्व के बारे में लोगों को पता चला और लोगों ने इसे स्वीकार कर लिया। चूँकि मिडिया ने वर्तमान में हमारे जीवन में इतना अधिक हस्तक्षेप कर दिया है कि हमें इसके महत्व के बारे में काफ़ी जानकारी नहीं मिल पाती। वर्तमान में हम इसके महत्व को नकार नहीं सकते। हमें इसके महत्व को समझते हुए इसका व्यापक इश्तेमाल करना चाहिए ताकि मीडिया के सूचना से सम्बंधित दुरुपयोग को रोका जा सके। साथ ही इसके प्रभाव को कम किया जा सके।

>> महत्वपूर्ण तथ्य <<

दूरदर्शन की देश के महानगरों में शुरुआत: दिल्ली (09 अगस्त 1984), मुम्बई (01 मई 1985), चेन्नई (19 नवम्बर 1987), कोलकाता (01 जुलाई 1988)

• 26 जनवरी 1993: मेट्रो चैनल शुरू करने के लिए एक दूसरे चैनल की नेटवर्किंग हुई।

• 14 मार्च 1995: अंतर्राष्ट्रीय चैनल डीडी इंडिया की शुरूआत हुई।

• 23 नवम्बर 1997: प्रसार भारती का गठन (भारतीय प्रसारण निगम) हुआ।

• 18 मार्च 1999: खेल चैनल डीडी स्पोर्ट्स की शुरूआत हुई।

• 26 जनवरी 2002: संवर्धन/सांस्कृतिक चैनल की शुरूआत हुई।

• 03 नवम्बर 2002: 24 घण्टे के समाचार चैनल डीडी न्यूज की शुरूआत हुई।

• 16 दिसम्बर 2004: निशुल्क डीटीएच सेवा डीडी डाइरेक्ट की शुरूआत हुई।

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Monday, 20 November 2023

छठ के बारे में दुष्प्रचार से बचें !छठ के संबंध में कुछ बातों का ध्यान रखिये ताकि कोई आपके बरगला नहीं सके। विशेषकर मुँह पर पाउडर पोत के बकबक करने वाले टीवी एंकर आपको भ्रम में न डाल सकें।

छठ के बारे में दुष्प्रचार से बचें !

छठ के संबंध में कुछ बातों का ध्यान रखिये ताकि कोई आपके बरगला नहीं सके। विशेषकर मुँह पर पाउडर पोत के बकबक करने वाले टीवी एंकर आपको भ्रम में न डाल सकें। 

1. हिन्दुओं का प्रत्येक पर्व लोक आस्था का पर्व है, केवल छठ ही नहीं। होली, दीपावली, दशहरा जैसे लोक आस्था के महापर्वों के सामने छठ की व्यापकता बहुत ही कम है। 

2. वैदिक ऋषियों की ही देन है छठ। यदि कोई आपको कहे कि यह ब्राह्मणों की देन नहीं, बल्कि लोक -मानस की उपज है तो आप जोर से खिलखिला कर हँस दीजिये।

स्कंद की षण्मातृकाओं में से एक हैं षष्ठी (छठी) मैया। स्कंद का एक नाम कार्त्तिकेय है और यह कार्त्तिक मास उन्हीं के नाम पर है। षण्मातृकाओं में से छठी माता हैं। इनका नाम देवसेना है। संतान जन्म होने के बाद छठे दिन छठियार में भी इन्हीं की पूजा होती है। षष्ठी देवी संतान के लिए अत्यंत कल्याणकारी हैं और कुष्ठ जैसे दुःसाध्य रोगों का निवारण करती हैं। ये सूर्य की शक्ति की एक अंश हैं जो कार्त्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि के दिन सूर्यास्त के समय और सप्तमी के सूर्योदय के समय तक विशेष रूप से प्रस्फुटित रहती हैं। यह सब ज्ञान और विधान ब्राह्मण ऋषियों की देन है। शाकद्वीपीय अर्थात् सकलदीपी ब्राह्मणों से पहली बार यह विधि श्रीकृष्ण-पुत्र साम्ब ने सीखी थी। श्रीकृष्ण ने अपनी संतान साम्ब के जीवन की रक्षा के लिए उन्हें निमंत्रित कर के उसे यह सिखवाया था।

हमारे ब्राह्मणों के विरुद्ध विषवमन करने वाले वामपंथी लोगों ने हमारी संस्कृति और सभ्यता को तोड़ने के लिए यह दुष्प्रचार शुरू किया कि यह ब्राह्मणों द्वारा नहीं दिया गया है।

3. छठ व्रत में बिचौलिए ही नहीं, कईचौलियो की जरूरत पड़ती है यानि अकेले कर पाना अत्यंत दुष्कर है। इसका कर्मकांड बहुत ही विस्तार लिए चार दिनों तक फैला हुआ है। बहुत सारे लोग रहें तभी कोई व्रती इसे सही ढंग और सहूलियत से कर सकता है। यह कोई आसान पूजा नहीं है जिसे बस एक पुरोहित बुलाकर झट से निपटा दिया।

4. डूबते सूर्य को अर्घ्य देना तो हिन्दुओं का अनिवार्य दैनिक कर्म है। दैनिक गायत्री संध्या-आह्निक में प्रतिदिन डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। त्रिसंध्या जो नहीं करता वह व्रात्य है यानि धर्म से पतित। और त्रिसंध्या में उदय होते, अस्त होते सूर्य के अतिरिक्त मध्याह्म में भी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

5. किसी भी कर्मकाण्ड और पूजा विधान में पुजारी की आवश्यकता नहीं है, यदि आप उसे स्वयं ही कर पा रहे हैं। यज्ञ एवं अनन्त प्रकार के जो विधान ब्राह्मण ऋषियों ने दिए हैं उन सबमें से लगभग सभी को व्यक्ति द्वारा स्वयं ही करने का विधान है। जो स्वयं कर पाने में असक्षम है उन्हें ही मदद के लिए पुरोहितों की व्यवस्था है। पर यह स्पष्ट बताया गया है कि स्वयं करने से ही अधिकतम लाभ है।

6. का दो छठ में जटिल मंत्रों की आवश्यकता नहीं!!-- केवल जटिल भोजपुरी गीतों की आवश्यकता है जिनका अर्थ अधिकांश लोग समझते ही नहीं !! आज तक शायद ही किसी ने छठ में 'बहँगी' का उपयोग देखा हो पर 'कॉंच ही बाँस के बहँगिया...' गाए बिना छठ सम्पन्न हो ही नहीं सकता !!........ ये मंत्र भोजपुरी में  हैं। 

मैं यह सब इसलिये लिख रहा हूँ कि छठ में भाव - विभोर होते हुए हमें कोई बरगला कर हानिकारक एवं अंट- शंट बातें न सिखा दे !!
✍🏻यशेन्द्र प्रसाद

छठ में पंडे-पुरोहित की जरुरत नहीं होती है। बहुत सही बात है। अब ये बताइये कि कुछ ही दिन पहले जो भाई दूज (भातृ-द्वितीय या भरदुतिया) किया था, या करते आ रहे हैं, उसमें कौन से पुरोहित बुलाये जाते हैं? मंदिरों के आयोजन छोड़ दें तो नवरात्री पर घरों में कौन से पंडित बुलाये जाते हैं? मंदिरों या सार्वजनिक स्थलों पर किसी का एकाधिकार नहीं होता इसलिए वहाँ यजमान के साथ एक पुरोहित बैठता है। ऐसे ही दीपावली पर व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को छोड़ दें, तो कितने घरों में पंडित पूजा के लिए बुलाये जाते हैं? कोई अनुष्ठान करने के लिए पंडित रक्षाबंधन पर नहीं बुलाये जाते, होलिका दहन या होली पर भी नहीं बुलाये जाते। हिन्दुओं के अधिकांश आयोजन तो पंडितों के बिना ही होते हैं।

विवाह जैसे आयोजनों में भी देखेंगे तो पाएंगे कि मंत्रपाठ का जिम्मा भले पंडित का हो लेकिन सारे विधि-विधानों का जिम्मा तो किसी नाई और किसी घर की ही महिला के हाथ में होते हैं। वट-सावित्री अभी-अभी बीती है, करवाचौथ को भी अधिक समय नहीं हुआ। किसी में पंडित को बुलाकर पूजा करवाना याद आता है क्या? हिन्दुओं के तमाम आयोजन पंडितों के बिना ही होते हैं। विधियों को शास्त्रोक्त और शुद्ध रखने के लिए कभी-कभार पंडितों को बुला लिया जाए ऐसा हो सकता है। आयोजन अधिक वृहत हो, तो घर के लोग आने वाले अतिथियों-आगंतुकों को अधिक समय दे सकें इसके लिए पंडितों को बुलाया जाता है।

ये बिलकुल वैसा ही है जैसे आपके विवाह के आयोजनों में होने लगा है। थोड़े समय पहले तक गाँव में कोई टेंट हाउस तो होता नहीं था। पूरी बरात के लिए खाना पकाना हो तो अड़ोस-पड़ोस के घरों से बर्तन जुटते थे। शहर पलायन करके आ गए लोगों की इतनी जानपहचान ही नहीं होती कि बर्तन जुटाए जा सकें, इसलिए किराये पर बर्तन आने लगे। पहले लोग मानते थे की लड़की के विवाह की सूचना ही आमंत्रण है। बिना बुलाये ही लोग कुर्सियां सजाने से लेकर जूठी पत्तलें उठाने तक आ जुटते थे। आज संयुक्त परिवार तक तो है नहीं, चार लोगों के घर में उतने लोग इकठ्ठा ही नहीं होंगे इसलिए किसी कैटरर को बुलाया जाता है। वो खाना परोसने-खिलाने में जुटा होता है तो घर के लोग मेहमानों का स्वागत कर पाते हैं। 

अब आप कहेंगे, नहीं-नहीं जी, हमारा तो मतलब था कि आडम्बर नहीं होता जी! बड़ी सीधी प्रक्रिया है जी! कोई भी कर सकता है जी! तो भइये ऐसा है कि इतना झूठ तो ना कहें! जैसे बिना नहाये हर कोई दूसरी किसी तथाकथित विधि-विधान वाली पूजा का सामान नहीं छू सकता, उससे थोड़ी बढ़ी-चढ़ी पाबन्दी तो छठ के लिए आये सामान पर लागू होती है। घर के जिस हिस्से में रखा होता है, वहाँ जाना बच्चों के लिए भी प्रतिबंधित होता है। जैसे कठिन उपवास छठ के लिए होते हैं, वैसा ही कठिन उपवास तो जिउतिया, वट-सावित्री जैसी बिना पंडित वाले व्रतों में भी होता है न?

पंडित जी वाली पूजा में जैसे दूब चाहिए, शंख चाहिए, वैसे ही यहाँ गुड़ के बदले चीनी डालकर काम तो चलाते नहीं। लौकी-कद्दू के बदले आलू-गोभी बनाने लगे हैं क्या? सूप और दौरी-छिट्टा, डगरा जैसे बांस के बने के बदले प्लास्टिक वाला प्रयोग में लाने लगे हैं? मुहूर्त अगर पंडित जी वाली पूजा में होता है तो छठ में भी सूर्योदय से पहले घाट पर जाने के बदले आठ बजे सोकर उठने के बाद दस बजे ऊँघते हुए घाट पर नहीं जाते हैं। सूर्यास्त के पहले पहुँचने के बदले आठ बजे ऑफिस का काम निपटाकर या दुकान बढ़ाने के बाद नहीं पहुँचते। मुहूर्त का ध्यान भी रखते हैं।

ज़ात-पांत नहीं पूछी जाती का बेकार का राग भी मत अलापिये। होली में आपपर कौन रंग डालेगा, कौन नहीं, ये अगर आप ज़ात पूछकर तय करते थे तो आप घनघोर असामाजिक तत्व हैं। बल्कि ऐसा करते आपको छोड़ देने के कारण सिर्फ आप नहीं आपका पूरा खानदान असामाजिक है। पंडाल लगाकर पूजा करना बहुत बाद में आई व्यवस्था है। इसलिए अगर सरस्वती पूजा, या दुर्गा पूजा जैसे अवसरों पर आपने ज़ात पूछकर किसी को पंडाल में आने से रोका होता तो आप ऐसे ही एससी/एसटी एक्ट में जेल में चक्की पीसिंग एंड पीसिंग कर रहे होते। तो वहाँ भी ज़ात-पांत तो होती नहीं।

छठ के बारे में बताना ही है तो ये बताइये कि जैसे हिन्दुओं के सभी त्यौहार सामाजिक रूप से मनाये जाते हैं, ये भी वैसा ही है। जैसे रावण दहन या होलिका दहन के लिए समाज इकठ्ठा होता है, रामलीला के आयोजनों में सभी आते हैं, वैसे ही यहाँ भी सभी सम्मिलित होते हैं। जैसे हिन्दुओं का कोई भी त्यौहार, कोई भी मंदिर, समाज के सभी वर्गों के लिए आय सुनिश्चित करने का साधन है, चाहे वो हलवाई की हो, फूल बेचने वाले की हो, बिलकुल वैसे ही यहाँ भी सूप बनाने वाले से लेकर कृषक तक सभी वर्गों के पास त्यौहार पर खर्च करने को कोई अतिरिक्त आय हो, इसका ध्यान रखा जाता है।

बाकी जैसे दूसरे पर्व त्योहारों में आप ब्राह्मणों को कोसते हैं, उसे दक्षिणा क्यों नहीं मिलनी चाहिए, इसके कारण बताते हैं, बिलकुल वैसे ही छठ के बहाने भी ब्राह्मण को आय न हो, उसे कोसा जा सके, इसके बहाने निकाले जाते हैं। इसमें भी आधुनिक काल के हिन्दुओं के त्योहारों से समानता है, वो भी देख लीजिये।
✍🏻आनन्द कुमार

                   
ऋग्वेद में छठ पर्व –

उषस की या सविता की या सूर्य देव की आराधना का "सूर्य षष्ठी पर्व" संसार के सबसे प्राचीन पर्वों में से एक है। यह सामुदायिक स्तर पर मनाया जाने वाला दुनियाँ का प्राचीनतम त्योहार है। छठ पर्व की पूजा-विधि और परंपरा भी विश्व के सबसे प्राचीन, लगभग 6000 BCE के, ऋग्वेद की जन-गीत परम्परा है, जो तबसे आज तक अक्षुण्ण रूप में चली आ रही है। ऋग्वेद की उषस (उषाकाल या dawn) की ऋचाओं के स्वर से छठ-गीतों की लय आज भी बहुत मिलती है। यह हमारा संस्कार-धन दुनिया की सबसे पुरानी धरोहर है।

छठ पूजा के आज के सभी पारंपरिक गीत लगभग उसी रूप में मिलते हैं जैसे ऋग्वेद की ऋचाओं में हैं। 
आज के एक लोकप्रिय छठ-गीत में ऋग्वेदिक ऋचाओं की छाया देखिए। 

एक गीत है-
उगा हो सुरुज देव भेल भिनुसरवाँ
अरघ के रे बेरवा, पूजन के रे बेरवा हो…
हमरो तिवई ले डलरिया 
थाके ले पिया पातर हो..

ऋग्वेद में-
उदु ष्य देव: सविता दमूना हिरण्यपाणि: प्रतिदोषमस्थात्
अयोहनुर्यजतो मन्द्रजिह्व आ दाशुषे सुवति भूरि वामम् ।। 
(ऋग्वेद 6.71.4)

उगो हे सूर्य देव, स्वर्णमय हाथों से देने वाले, भोर की वेला हो गई है ।
हनु (ठुड्डी) की आकृति वाले स्वर्णपात्र (अर्थात् सूप या डाला या डलरिया) से यजन करने वाली, मधुर स्वर में गाती हुई सुव्रती (तिवई) को बहुतायत से धन  प्रदान करो।

छठ पर्व की बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं ! 
🙏🌺
◆◆◆
 
बिहार छठ पूजा का मुख्य केंद्र क्यों –

2013 के बाद के नवीनतम पुरातात्विक अनुसन्धानों और जननिक (जेनेटिक) अध्ययनों से यह तथ्य उद्घाटित हुआ है कि वेदकालीन मनुष्य का प्रारंभिक क्षेत्र, कैलाश-मानसरोवर क्षेत्र के बाद, ब्रह्मावर्त (वर्तमान हरियाणा व राजस्थान) और लघुद्वीप (वर्तमान बिहार व उत्तरप्रदेश जहाँ लहुरादेव के 7500 BCE के अवशेष मिले हैं) रहा है। 
लघुद्वीप में ही मागन क्षेत्र (प्राचीन ईरान का एक भाग) के ऋषियों (मग या शाकद्वीपीय ब्राह्मणों) का भी आवास क्षेत्र बना जिन्होंने वहाँ होने वाली उषस की पूजा को यह विशेष आनुष्ठानिक रूप दिया। 

ऋग्वेद के छठे-सातवें मण्डलों में छठ पूजन की विशेष ऋचाएं हैं, और यही दोनों मण्डल ऋग्वेद के सबसे पहले मण्डल हैं, लगभग 6000 BCE के। अर्थात् जब ऋग्वेद की ऋचाओं का रचा जाना प्रारंभ हुआ तब समाज में इस विशिष्ट सूर्यपूजा की परंपरा स्थापित हो चुकी थी, और छठ पूजा की परंपरा लगभग 8000 वर्षों (6000 BCE) से लगातार चली आ रही है।  
इसी कारण परंपरा से बिहार छठ पूजन का मुख्य केंद्र है।
✍🏻सुनील श्रीवास्तव

छठ : आस्था के साथ वनस्पति का सम्मान भी
* श्रीकृष्ण जुगनू
न कार्तिक समो मास... सचमुच कार्तिक मास पूरा ही प्रकृति में वनस्पति, औषध, कृषि और उसके उत्पाद के ज्ञान की धारा लिए है। अन्नकूट के मूल में जो धारणा रही, वह इस ऋतु में उत्पादित धान्य और शाक के सेवन आरंभ करने की भी है। अन्न बलि दिए बिना खाया नहीं जाता, इसी में भूतबलि से लेकर देव बलि तक जुड़े और फिर गोवर्धन पूजा का दिन देवालय - देवालय अन्नकूट हो गया।

छठ पर्व इस प्रसंग में विशिष्ट है कि कुछ फल इसी दिन दिखते है। डलिए, छाब और छाभ भर भरकर फल निवेदित किए जाते हैं, सूर्य को निवेदित करने के पीछे वही भाव है जो कभी मिस्र, ग्रीक और यूनान तक रहा। सबसे प्रभावी ज्योतिर्मय देव को उत्पाद का अंश दान। छठ तिथि का ध्यान ही फलमय हुआ क्योंकि छह की संख्या छह रस की मानक है। भोजन, स्वाद और रस सब षट् रस हैं। इस समय जो भी फल होते हैं, वो बिना चढ़ाए महिलाएं खाती नहीं है। 

मित्र अत्रि विक्रमार्क जी एक अलग बात भी कहते हैं षष्ठी (मातृका और कार्तिक मास) के बारे में। भाद्रपद शुक्ला षष्ठी हल-षष्ठी नाम से मनती है, यह तिथि बलराम के जन्मदिन से संयुक्त भी मानी गई है, इस दिन महिलायें हल से उत्पन्न अन्न नहीं खाती हैं। इसके 60 दिनों बाद मनाई जाने वाली डाला-छठ भी ऐसा व्रत है जिसमें निराहार रहती हैं। उपज का षष्ठांश राजा ले जाता था ,  हल षष्ठी एवं डाला छठ 60 दिनों में उत्पन्न होने वाली धान की सस्य से जुड़ा हुआ लगता है, एवं षष्ठांश प्रकृति राजा को दिया जाने वाला कर।

चातुर्मास के व्रतों में प्राजापत्यादि व्रत में अन्तिम ३ दिन निराहार रहकर व्रत का निर्देश पुराणों में प्राप्त है। डालाछठ में भी 3 दिनों का व्रत उन्हीं व्रतों का संक्षिप्त रूप ही है। ( इस टिप्पणी के प्रत्युत्तर में नेपाल देश निवासी श्री उद्धब भट्टराई अपनी स्मृति लिखते हैं कि -
जी बिल्कुल सत्य तथ्य आधारित है। मुझे याद है पहले हमारे यहां साठी प्रजाति के धान की चावल से ही आज की शाम भोग में प्रयोग होनेवाली रसीआव रोटी वाली गुड़ प्रयुक्त खीर और उसी साठ़ी चावल के आटे से ही "डाला छठ" पूजा के लिये शुद्ध देशी घी में ठेकूवा प्रसाद तैयार किया जाता रहा।

और, बांस के डलिए भरे फलों में शाक सहित रसदार फल भी होते हैं : केला, अनार, संतरा, नाशपाती, नारियल, टाभा, शकरकंदी, अदरक, हल्दी और काला धान जिसे साठी कहते हैं और जिसका चावल लाल होता है, अक्षत के रूप में प्रयोग होता है। श्रीफल, सिंघाड़ा, नींबू, मूली, पानी फल अन्नानास... सबके सब ऋतु उत्पाद। 

ईख का तोरण द्वार और बांस की टोकरी... यह सब वंश पूर्वक अर्चना है। फिर, चवर्णक और मसालों में गिनिए : पान, सुपारी, लोंग, इलायची, सूखा मेवा... है न रोचक तथ्य और सत्य। प्रकृति ने जो कुछ हमें दिया, उसका अंश हम उत्पादक शक्तियों को निवेदित करके ही ग्रहण करें। यह भाव भारतीयों का अनुपम विचार है जिसका समर्थन गीता भी करती है। 

छठ मैया के लोकगीतों का अपना गौरव और गणित है लेकिन गीत अगणित हैं। उनमें सूर्य नमस्कार के रूप में सुंदर भाव है। सूर्य के बल रूप में जोड़, ताप शमन के रूप में बाकी, अपेक्षा के रूप में गुणा और अनुग्रह के रूप में भाग का भाव मिलता है :
छठी मैया के रोपल जीरवा
जीरवा लहसत जाय,
जीरवा लहसत जाय।
जीरा के रखवार सूरजमल
जीरा लहले सिहोर, 
जीरा लहले सिहोर...।

और भी गीत गाये जाते है जिनमें गंगा है, गंगा की लहरें, पवित्र जलधारा, हिलोर, नैया, नाविक आदि भी हैं : 
गंगाजी बहेली झराझर 
नइयां आवै बहुत, नइयां आवै बहुत।
कलसुपवा भरल नइयां 
आवै बहुत नइयां आवै बहुत...।
🪔
सब मित्रों को छठ पूजा की आत्मिक बधाई...।
✍🏻श्रीकृष्ण जुगनू

Wednesday, 15 November 2023

कलह के बीच शांति को बढ़ावा देना: अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर भारत का विवेकपूर्ण रुख*

*कलह के बीच शांति को बढ़ावा देना: अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर भारत का विवेकपूर्ण रुख*
हाल ही में केरल के मलप्पुरम में जमात-ए-इस्लामी की युवा शाखा सॉलिडेरिटी यूथ मूवमेंट द्वारा आयोजित फिलिस्तीन समर्थक रैली, जिसमें HAMAS नेता खालिद मशाल का वर्चुअल संबोधन था, जिससे भारत में एक गर्म बहस छेड़ दी है। फ़िलिस्तीनी हितों की वकालत करने वाली रैली ने अंतर्राष्ट्रीय मामलों में गैर-राज्य अभिनेताओं की भागीदारी के बारे में चिंताएँ उठाईं। यह घटना वैध कारणों का समर्थन करने और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के बीच नाजुक संतुलन की एक महत्वपूर्ण जांच को प्रेरित करती है, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र द्वारा हमास को आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किए जाने के आलोक में।

फ़िलिस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) विश्व स्तर पर फ़िलिस्तीनी लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाली मान्यता प्राप्त संस्था है। हालाँकि, 1970 के दशक में HAMAS द्वारा अधिकार पर अवैध कब्ज़ा करने से फ़िलिस्तीनी आकांक्षाओं का विकृत प्रतिनिधित्व हुआ। इस बात पर ज़ोर देना ज़रूरी है कि हमास वास्तव में फ़िलिस्तीनी जनता की सच्ची इच्छाओं को प्रतिबिंबित नहीं करता है। उत्तेजक बयानों से भरी केरल की हालिया रैली शांतिपूर्ण संकल्पों और चरमपंथी विचारधाराओं के बीच अंतर को और उजागर करती है। भारतीयों को, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के एक जिम्मेदार सदस्य के रूप में भारत की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हुए, HAMAS जैसे नामित आतंकवादी संगठनों के साथ इसके जुड़ाव के संबंध में सावधानी से चलना चाहिए। चरमपंथी विचारों को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों में भारतीय नागरिकों की भागीदारी राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक सद्भाव के बारे में चिंता पैदा करती है। विभिन्न धर्मों और विचारधाराओं को समेटे हुए भारत का विविध ताना-बाना एकता और समझ पर पनपता है। इस बात पर ज़ोर देना ज़रूरी है कि सुदूर देशों में होने वाले संघर्ष, जैसे कि इज़राइल-हमास संघर्ष, भारत में मुसलमानों की सुरक्षा या सद्भाव को ख़तरे में नहीं डालते हैं। भारत का लोकतांत्रिक लोकाचार प्रत्येक नागरिक के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, समावेशिता और पारस्परिक सम्मान के माहौल को बढ़ावा देता है।
इस्लामी दृष्टिकोण से इस मुद्दे की खोज करते समय, यह स्पष्ट हो जाता है कि शांति और सद्भाव को बढ़ावा देना सर्वोपरि उद्देश्य होना चाहिए। इस्लाम, एक धर्म के रूप में, शांति, करुणा और समझ को बढ़ावा देता है। हिंसा या अशांति भड़काने वाले कृत्य इस्लाम के मूल सार के खिलाफ जाते हैं, एक महत्वपूर्ण सिद्धांत को केरल में HAMAS नेता के वीडियो संबोधन के साथ रैली के आयोजकों ने जानबूझकर नजरअंदाज कर दिया। इस्लामी समुदाय के भीतर व्यक्तियों और संगठनों के लिए संवाद, समझ और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना आवश्यक है।

भारत शांति, एकता और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर दृढ़ है। वैध कारणों का समर्थन करते हुए और दूसरों के संघर्षों के प्रति सहानुभूति रखते हुए, राष्ट्र को अपने नागरिकों की सुरक्षा और सद्भाव को प्राथमिकता देनी चाहिए। अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का पालन करते हुए वैश्विक समुदाय के साथ जुड़ना और विविध समुदायों के बीच समझ को बढ़ावा देना, भारत का मार्गदर्शक सिद्धांत बना हुआ है। केरल की हालिया घटना विवेक के महत्व की याद दिलाती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि हमारे कार्य हमारी आंतरिक स्थिरता से समझौता किए बिना वैश्विक शांति में सकारात्मक योगदान देते हैं। एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में भारत कानून के शासन और अपने संविधान में निहित सिद्धांतों को बरकरार रखते हुए, प्रत्येक नागरिक के हितों और कल्याण की रक्षा करता है, चाहे उनकी पृष्ठभूमि या विश्वास कुछ भी हो।

फरहत अली खान
एम ए गोल्डमेडलिस्ट

Wednesday, 8 November 2023

गुमनाम नायक: मातृभूमि के लिए मुस्लिम सैनिकों के बलिदान की गाथा*

*गुमनाम नायक: मातृभूमि के लिए मुस्लिम सैनिकों के बलिदान की गाथा*

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने हालिया "मन की बात" संबोधन में 'मेरी माटी मेरा देश' अभियान की घोषणा की, जिसके माध्यम से पूरे देश में शहीद वीरों को सम्मानित और याद किया जाएगा। 'अमृत मोहत्सव' की शानदार  अवसर और आगामी 15 अगस्त की पृष्ठभूमि में, प्रधान मंत्री ने 'मेरी माटी मेरा देश' नामक एक महत्वपूर्ण राष्ट्रव्यापी प्रयास की शुरुआत की घोषणा की, जिसमें पूरे विस्तार में विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों की सतर्कतापूर्वक व्यवस्था की जाएगी जो भारत राष्ट्र, की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वालों द्वारा प्रदर्शित अदम्य भावना और अटूट समर्पण के प्रमाण के रूप में रहेगा। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए, "इन विभूतियों की स्मृति में देश भर की लाखों ग्राम पंचायतों में विशेष शिलालेख स्थापित किये जायेंगे।"
यह प्रयास दुश्मन के खिलाफ कार्रवाई में शहीद हुए मुस्लिम सैनिकों के बलिदान पर भी प्रकाश डालेगा। अन्य लोगों की तरह, मुस्लिम सैनिकों का सम्मान करना उन लोगों के चेहरे पर तमाचा होगा जो उनकी देशभक्ति, राष्ट्रवाद और अपनी मातृभूमि के सम्मान के लिए दिए गए बलिदान की निंदा करते हैं। ऐसे चरमपंथी तत्व हैं जो जानबूझकर मुस्लिम सैनिकों के बलिदान की उपेक्षा करते हैं जबकि उन मुस्लिम युवाओं को मनोवैज्ञानिक क्षति पहुंचाते हैं जो सशस्त्र बलों में सेवा करने की इच्छा रखते हैं। भारतीय सेना में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व कम है। यह जरूरी है कि मुस्लिम बहादुरों की शहादत को अन्य सैनिकों की तरह सम्मानित किया जाए और इसे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बनाया जाए ताकि भारतीय मुसलमानों की राष्ट्रीयता पर सवाल उठाते हुए नुकसान पहुंचाने वाली विभाजनकारी ताकतों का मुकाबला किया जा सके और उन्हें शक्तिहीन किया जा सके। कश्मीर क्षेत्र से आने वाले 22 वर्षीय भारतीय सेना अधिकारी लेफ्टिनेंट उमर फ़ैयाज़ जैसे सैनिक ध्यान आकर्षित करते हैं। वह जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में एक पारिवारिक शादी में शामिल होने के लिए अस्थायी छुट्टी पर थे, जब वह एक घृणित कृत्य का शिकार हो गए। रिपोर्टों से पता चलता है कि उन्हें पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी संगठनों, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़े छह आतंकवादियों के एक समूह द्वारा उनके एक रिश्तेदार के घर से जबरन ले जाया गया और वहीं करीब में ही बेरहमी से मार डाला गया। इसके बाद, उनके निर्जीव शरीर को शोपियां में मुख्य सार्वजनिक सड़क पर बेरहमी से फेंक दिया गया। इसी तरह, उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, भारत की अखंडता, सम्मान और सुरक्षा के लिए लड़ते हुए अकेले 31 मुस्लिम पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं।
ऐसे और भी कई गुमनाम मुस्लिम सैनिक हैं जिन्होंने भारत की सीमाओं पर लड़ते हुए अपने प्राण न्यौछावर किए हैं, जिनकी शहादत को अवश्य ही सम्मानित किया जाए ताकि नई पीढ़ी बलिदानियों पर गर्व महसूस करे। साथ ही जब उन्हें सम्मानित किया जाता है और याद किया जाता है तो अगली पीढ़ी को भी वर्दी में सेवा के लिए तैयार किया जाता है। यह पहल प्रशंसनीय है; गांवों और कस्बों में उन शहीदों के स्मारक विभाजन के बादलों को सुखाने में मदद करेंगे और एकीकृत भारत के निर्माण में समान योगदान को प्रतिबिंबित करेंगे। 
लेखक फरहत अली खान एम ए गोल्ड मेडलिस्ट

Sunday, 5 November 2023

रोहिलखंड यूनिवर्सिटी टॉपर एन ए उर्दू गोल्ड मेडलिस्टफरहत अली खान राष्ट्रीय हॉकी प्रशिक्षक राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी मुस्लिम महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वदेशी जागरण मंच के जिला संयोजक*

*रोहिलखंड यूनिवर्सिटी टॉपर एन ए उर्दू गोल्ड मेडलिस्टफरहत अली खान राष्ट्रीय हॉकी प्रशिक्षक राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी मुस्लिम महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वदेशी जागरण मंच के जिला संयोजक* 

ने रामपुर पब्लिक स्कूल के लिए प्रदेश शासन और प्रशासन के साथ-साथ *जिला शासन और जिला प्रशासन को मां सरस्वती का वास्ता देते हुए कहा कि छात्राओं को शिक्षा से वंचित न किया जाए* दोषियों को दोष की सजा मिल रही है लेकिन इस विद्यालय में पढ़ने वाली छात्राएं उनके अभिभावक निर्दोष है *शिक्षा की देवी मां सरस्वती मां भारती को मानने वाले कभी भी विद्या का अपमान नहीं करेंगे* जिला प्रशासन सत्र को हम जैसे बुद्धि जीवियों के निवेदन पर जारी रखने की आज्ञा प्रदान करें ।

सरकार के लिए प्रवचन क्यों दे रहे हो CJI चंद्रचूड़ जी,सरकार क्या कर सकती है,उस पर ध्यान मत दीजिए,आप क्या कर रहे हैं, वह सोचिए -क्या सोच कर CJI चंद्रचूड़ ने सरकार के लिए प्रवचन देकर टकराव की बात की है कि विधायिका अदालत के फैसले में खामी को दूर करने के लिए नया कानून बना सकती है

सरकार के लिए प्रवचन क्यों दे रहे हो CJI चंद्रचूड़ जी,सरकार क्या कर सकती है,उस पर ध्यान मत दीजिए,आप क्या कर रहे हैं, वह सोचिए -क्या सोच कर CJI चंद्रचूड़ ने सरकार के लिए प्रवचन देकर टकराव की बात की है कि विधायिका अदालत के फैसले में खामी को दूर करने के लिए नया कानून बना सकती है लेकिन उसे सीधे ख़ारिज नहीं कर सकती - सुप्रीम कोर्ट का ऐसा कौन सा फैसला है जो सरकार ने खारिज किया है जिसकी वजह से चंद्रचूड़ उबल रहे हैं - क्या चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से CJI को बाहर करना तो समस्या नहीं कर रहा -चंद्रचूड़ ने कहा कि “न्यायाधीश इस बात पर गौर नहीं करते कि जब वह मुकदमों का फैसला करेंगे तो समाज कैसी प्रतिक्रिया देगा - सरकार की विभिन्न शाखाओं और न्यायपालिका में यही फर्क है - हम संवैधानिक नैतिकता का अनुसरण करते हैं न कि सार्वजनिक नैतिकता का - यह तथ्य कि न्यायाधीश निर्वाचित नहीं होते हैं, यह हमारी कमजोरी नहीं, बल्कि ताकत है” - कोर्ट का रुख समाज कौन सा है, इस पर निर्भर करता है - बहुसंख्यक है या अल्पसंख्यक -CJI चंद्रचूड़ को याद दिला दूं कि उनके पिता CJI Y V Chandrachud की 5 जजों की  बेंच के 23 अप्रैल, 1985 के शाह बानो के फैसले को राजीव गांधी की सरकार ने 1986 में  Muslim Women (Protection of Rights on Divorce) Act, 1986 कानून संसद से पास करा कर पूरी तरह खारिज कर दिया था क्योंकि राजीव गांधी ने मुस्लिम समाज के वोट की अहमियत को ध्यान में रखा था - सरकार को तो समाज का हित देखना पड़ेगा क्योंकि अदालत तो कुछ भी फैसले कर सकती है जिनसे चाहे कानून व्यवस्था ही क्यों न बिगड़ जाए जिसे संभालना तो सरकार को ही पड़ता है -अदालत हमारे समाज के लिए फैसले करते हुए दुनिया भर के देशों में चल रही प्रथाओं को नज़ीर मान कर चलती है जबकि उनसे हमारे समाज का कुछ लेना देना नहीं है - 377 हटाने, व्यभिचार कानून ख़त्म करने और Same Sex marriage के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने अनेक देशों की प्रथाओं का विश्लेषण किया - फिर कैसे कह सकते हो कि आप यह नहीं देखते कि समाज क्या प्रतिक्रिया देगा -न्यायपालिका का काम संसद द्वारा पास किए गए किसी कानून की Constitutional Validity को परखने का है लेकिन उसे रोक कर सरकार को ठप नहीं कर सकते - कृषि कानूनों के साथ आपने यही किया जो उन्हें Stay कर दिया, Experts की समिति बिठा दी जिसकी रिपोर्ट 8 महीने दबा कर बैठे रहे और हुड़दंगियों को प्रदर्शन के नाम पर मौलिक अधिकारों की आड़ में सड़कों पर उत्पात मचाने दिया -इसी तरह CAA को चुनौती देने वाली याचिकाएं आप लिए बैठे हैं - और तो और संसद द्वारा पास किए गए किसी कानून को लागू न करने का अधिकार किसी राज्य सरकार को नहीं है लेकिन केरल और राजस्थान ने CAA लागू न करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की - उसकी तो सुनवाई Priority पर आपको करनी चाहिए -संविधान के अनुसार कानून बनाने का अधिकार केवल संसद को है और अनेक बार सुप्रीम कोर्ट स्वयं यह कह चुका है, अभी Same Sex मैरिज के फैसले में भी कोर्ट ने कहा था कि इसके बारे में कानून बनाना सरकार का काम है - लेकिन फिर भी आप Collegium का क़ानून बना कर बैठे है जिसका उल्लेख संविधान में नहीं है और आप इस कानून को सरकार एवं राष्ट्रपति पर थोप रहे हैं सरकार ने collegium को NJAC, 2014 के कानून से ख़त्म किया था लेकिन आपके 5 जजों ने संसद की 125 करोड़ लोगों की आवाज़ को दरकिनार करते हुए वह कानून “खारिज” कर दिया जबकि आपकी कोर्ट को एक “Stakeholder / Interested Party” होने के नाते फैसला करने का अधिकार ही नहीं था -आपने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए भी Collegium बना दिया - सरकार ने बिल पेश किया है कि चयन समिति में चीफ जस्टिस नहीं होंगे - क्या यही फैसला सरकार का आपकी आंखों में खटक रहा है ?सरकार को उपदेश देने की बजाय अदालत को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए कि वह कहां गलत है -(सुभाष चन्द्र)“मैं वंशज श्री राम का”05/11/2023

कार्यवाही नही होने से गरीबों का निवाला छीन रहे कोटेदार!**गरीबों के रासन में डाका डाल रहा कोटेदार, कबूली राशन कटौती की बात, वीडियो वायरल*

*#फतेहपुर*

*ब्रेकिंग्*

*#देवमई*

 *कार्यवाही नही होने से गरीबों का निवाला छीन रहे कोटेदार!*

*गरीबों के रासन में  डाका डाल रहा कोटेदार, कबूली राशन कटौती की बात, वीडियो वायरल*

*कोटेदार नही माफियाओं के सरगना कहे !*



*बकेवर, फतेहपुर । शासन द्वारा प्रत्येक कार्ड धारकों को निःशुल्क राशन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है जिसकी जिम्मेदारी सरकारी राशन की दुकानों के कोटेदारों को दे रखी है। लेकिन कोटेदार इस जिम्मेदारी को ईमानदारी से निभाने के बजाय विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से इसे महज धन कमाने का माध्यम मात्र समझ रहे हैं और गरीबों के निवाले में डाका डालने में तनिक भी कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। जो खुलेआम प्रति राशन कार्ड दो से तीन किलो की कटौती कर रहे हैं।*

*ऐसा ही एक मामला देवमई विकासखंड के डारी खुर्द गांव का प्रकाश में आया है। जहां के कोटेदार की मनमानी का वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है। जिसमे कोटेदार पान सिंह बेहिचक रूप से बता रहा है कि वह प्रति राशन कार्ड दो किलो काट लेता है क्यों कि ऊपर से नीचे तक चढ़ावा जो चढ़ाना पड़ता है। मुझे ज्यादा कुछ नहीं बचता। केवल परिवार की दाल रोटी किसी तरह चला रहा हूँ।*

*विभागीय मिलीभगत से कोटेदार के हौसले बुलंद !*

*डारी खुर्द का चर्चित लेखपाल का एक विडियो शोसल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है ! बावजूद इसके खाद्य एवं रसद विभाग के जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं । कार्यवाही नही होने के कारण कोटेदार का हौसले सातवें आसमान को छू रहे हैं!*

*जबकि प्रदेश सरकार द्वारा राशन वितरण का लाभांस ( कमीशन ) 90 रुपये प्रति कुंतल कर दिया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि कोटेदार की धमकी की वजह से शिकायत करने से भी डर रहे हैं, मजबूरन राशन कटवाना पड़ रहा है। ऐसे में विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के चलते कोटेदारों के हौसले बुलंद हैं।*

Saturday, 4 November 2023

मेरे इश्क़ से मिली है तेरे हुस्न को ये शौहरत, तेरा ज़िक्र ही कहाँ था मेरी दीवानगी से पहले..!!*

[*हर एक दुआ में*
        *हम तो यही कहते हैं,,,,,*

*वो सदा खुश रहें जिसके* 
          *दिल में हम रहते हैं,,,,,*❤️


: ❤️सितारों की हमसे हो न जाये दुश्मनी....!!
हम चाँद को अपनी बाहों में सजाये बैठे हैं...!!!! 🌸❤️

 तुम मेरे हो 
हम तेरे है सनम
कितना मीठा 
है एहसास सनम??
 
एक तेरी साँवली सूरत के लिए

हमने परियों का भी दिल तोड़ा था


 भीड़ में जब भी तन्हा तुम खुद को पाओगे 
बस मेरा ख्याल कर लेना , हमेशा तुम मुझे सामने पाओगे  .......❤️


 *मैंने देखी हैं खूबसूरत नेमतें बहुत सारी,*
*मेरी बेटी के जैसी, पर, कोई नहीं!*


(नेमतें = Blessings)


: *दिखावे की मोहब्बत तो ज़माने को है हमसे 

*ये दिल तो वहां बिकेगा जहाँ ज़ज्बातों की कदर होगी...!!!*


: *रावण ब्राह्मण होकर भी राक्षस कहलाया और शबरी दलित होकर भी देवी..*
 *आपकी जाति आपके कर्मो से तय होती है जन्म से नहीं* ‼️🚩
#अ_श


: *हर एक दुआ में*
        *हम तो यही कहते हैं,,,,,*

*वो सदा खुश रहें जिसके* 
          *दिल में हम रहते हैं,,,,,*❤️

❤️सितारों की हमसे हो न जाये दुश्मनी....!!
हम चाँद को अपनी बाहों में सजाये बैठे हैं...!!!! 🌸❤️


: तुम मेरे हो 
हम तेरे है सनम
कितना मीठा 
है एहसास सनम

: एक तेरी साँवली सूरत के लिए

हमने परियों का भी दिल तोड़ा था


 भीड़ में जब भी तन्हा तुम खुद को पाओगे 
बस मेरा ख्याल कर लेना , हमेशा तुम मुझे सामने पाओगे  .......❤️

: *दिखावे की मोहब्बत तो ज़माने को है हमसे 

*ये दिल तो वहां बिकेगा जहाँ ज़ज्बातों की कदर होगी...!!!*

: *मैंने देखी हैं खूबसूरत नेमतें बहुत सारी,*
*मेरी बेटी के जैसी, पर, कोई नहीं!*


(नेमतें = Blessings

 रिश्ते में इश्क़ हो तो जेहन को भी सुकूँ मिलता है...!

वरना इंसान का साथ फेरों के बाद भी दम घुटने लगाता है...!!

गुनाह  करके  कहाँ  कहाँ  छुपोगे  यारों...!

ये जमीं भी उसकी है, और आसमां भी उसका है...!!

मजहब पता चला..जो मुसाफिर की लाश का...! 

चुपचाप आधी भीड़ अपने घरों को चली गई...!!


 इश्क़  हम-उम्र  हो  जरूरी  तो  नहीं...!
इश्क़  हर  उम्र  को  हम-उम्र  बना  देता  है...!!


: ये शायरियां गवाह हैं, ❤❤

कि दिल लगाने वाले तबाह हैं...!!


सिर्फ खुशी में आना तुम...! 
अभी थोडा दूर रहो यारों 
बहोत परेशान हूं मैं...!!


कभी  दिमाग , कभी दिल,  कभी  नजर में रहो
ये सब तुम्हारे ही घर  हैं, किसी भी घर में रहो ।

तुम   जुल्फे   बांधा    मत   करो...!   ❤    
बेवजह    हवाएं    नाराज    रहती    हैं...!!


 “ऐसे ही नहीं बन जाते ग़ैरों से गहरे रिश्ते,

कुछ ख़ालीपन अपनों ने ही दिया होता है।”


: “आख़िर एक ऐसा मक़ाम आता है,

जहां पाने की बेचैनी और न पाने का दुख...दोनों अर्थहीन हो जाते हैं।”


 जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता
मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता

ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना हामी भर लेना
बहुत हैं फ़ाएदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता

मुझे दुश्मन से भी ख़ुद्दारी की उम्मीद रहती है
किसी का भी हो सर क़दमों में सर अच्छा नहीं लगता

बुलंदी पर उन्हें मिट्टी की ख़ुश्बू तक नहीं आती
ये वो शाख़ें हैं जिन को अब शजर अच्छा नहीं लगता

ये क्यूँ बाक़ी रहे आतिश-ज़नो ये भी जला डालो
कि सब बे-घर हों और मेरा हो घर अच्छा नहीं लगता

जावेद अख्तर


*इबादत से बदल जाती है हाथ की लकीरे।*☝️
*रात के अंधेरे मे मेरे आसु बात करते है खुदा से*। 😭💔👈

*नीर भरी बदली*
 

*होती है क्या वफादारी कोई हमसे पुछना* ।☝️


*हम तो हर धडकन से उन्हे याद करना नही भुलते जो भुला चुके हमे सुरत और सीरत दोनो से यार*।😭💔👈

*नीर भरी बदली*
 *मुद्दतें हो गयीं उनसे हिसाब किए हुए*
*क्या पता कितने रह गये हैं उनके दिल में हम*।
      💔💔💔💔
: *आज हिचकियाँ लेगे अल्फाज मेरे*।☝️


*इतनी शिद्दत से लिखा है एक आख बन्द करके तुझे* ।😭💔👈


*नीर भरी बदली*

 *माना कि तेरी हम उमर नही हू मै* ।☝️
तु मेरी चाहत देख शोक देख इतजार देख आखो से बरसता प्यार देख*।😭💔👈


*नीर भरी बदली*
[ *कुछ नापसन्द चीजे भी पसन्द है मुझे*।☝️
*सिर्फ एक तेरी पसन्द की खातिर जैसे तेरा इतजार मेरा एतबार* ।😭💔👈


*नीर भरी बदली*
*मेरा इश्क कोई जिस्मानी नही है*एक रूहानी नुर है*।☝️


*हम तुम रहे ना रहे साथ मे लेकिन इश्क कल भी था आज भी है और कल भी रहेगा*।😭💔👈


*नीर भरी बदली*
 *"अकाल" हो अगर "अनाज" का,*
              *तब "मानव" मरता है...*
                         *किन्‍तु*
      *"अकाल" हो अगर "संस्‍कारों" का,*
           *तो "मानवता" मरती है!!!*

*"संस्‍कारों" से बड़ी कोई "वसीयत" नहीं..*
               *और "र्इमानदारी" से*
         *बड़ी कोई "विरासत" नहीं !!!*

         *🌹🙏शुभ प्रभात🙏🌹*
[🌺 आज का सुविचार 🌺

   अगर दुनिया विश्वास
        पर चलती,
   तो किसी के दरवाजे
   पर ताले नहीं होते
 
   जय श्री कृष्णा 

                 सुप्रभात  ━━━━✧❂✧━━━━
[: 🌹🌷प्रातः नमन🌷🌹

    "दीवारें छोटी होती थीं
     लेकिन पर्दा होता था,

   तालों की ईजाद से पहले,
     सिर्फ़ भरोसा होता था..."


मैं तुझे खो के भी ज़िंदा हूँ ये देखा तूने,
किस क़दर हौसला हारे हुए इन्सान में है..

: “मेरी और उस की आरज़ू में फ़र्क़ ये था...,
मुझे बस वो...और उसे सारा ज़माना चाहिए था।”


 सांसे खर्च हो रही हैं, बीती उम्र का हिसाब नहीं।
फिर भी जीते जा रहे हैं तुझे, ऐ-जिंदगी तेरा जवाब नहीं___!!

 वो रम जाती है.....फकीरों में भी अक्सर.........
दोस्ती" किसी दौलतमंद की जायदाद नही होती........!!

 ग़लत सही का फ़ैसला भी इतना आसान कहाँ होता है...
हमारे सच औऱ उनके सच के बीच में ही अक्सर... असली सच होता है...!!


*"प्रेम की तो बस शुरुआत होती है..."*
         *"प्रेम का कोई अंत नहीं होता..."*


*"अपने  आज़माये नहीं जाते..."*
             *"वो तो दिलों में बसाये जाते हैं..."*


 जो दिल से चाहते हैं वो कभी इजहार नही करते जनाब 

कौन कहता है अदब से रहने वाले इश्क़ नही करते
:

 *ना मैं शायर हूँ, ना शायरी से कोई वास्ता,...* 
*बस एक आदत सी हो गई, उनकी यादों को बयाँ करना...!*
 उनकी ख़ुश्बू से जो वाक़िफ़ नहीं है 
वो फूलों से गुज़ारा कर रहें हैं
[
: सुना है हर बात का जवाब रखते है वो 
क्या तरसती आंखों का भी ईलाज रखते है वो

 वक़्त के पंजे से कोई कहां बचा है,
मिट्टी से पूछिये की सिकंदर कहां है !!


 अब तो फ़ितरत ए इश्क कुछ ऐसी हो गयी है
शरीफों को मिलती नहीं और
बेगैरतो से सम्भलती नहीं

सोच का अंधेरा रात के अंधेरे से
ज्यादा खतरनाक होता है

: कभी कभी खो भी जाना चाहिए
ये देखने के लिये की कौन ढूंढने आता है

: हर धडकते पत्थर को, लोग दिल समझते हैं।
उम्र बीत जाती है, दिल को दिल बनाने में।
~बशीर बद्र
World Heart Day..

 तुम ज़माने की राह से आए 
वर्ना सीधा था रास्ता दिल का 

Baqi Sidiqi


: छुप गए वो साज़-ए-हस्ती छेड़ कर..
अब तो बस आवाज़ ही आवाज़ है..!!!
- मजाज़ लखनवी

 हर धडकते पत्थर को, लोग दिल समझते हैं।
उम्र बीत जाती है, दिल को दिल बनाने में।
~बशीर बद्र
World Heart Day..


 तुम ज़माने की राह से आए 
वर्ना सीधा था रास्ता दिल का 

Baqi Sidiqi

: छुप गए वो साज़-ए-हस्ती छेड़ कर..
अब तो बस आवाज़ ही आवाज़ है..!!!
- मजाज़ लखनव

 *चाहे अपनों के लिए सारी दुनिया से लड़ लेना,मगर कभी भी दुनिया की बातों में आकर अपनों से मत लड़ना, क्योकि दुनिया कभी साथ नही देती,साथ हमेशा अपने ही देते है!!*
              🌷सुप्रभात🌷
*🖋
*🖋

*परमात्मा सभी को*
*एक ही मिट्टी से बनाता है,*
*बस फर्क इतना है कि....*
*कोई बाहर से खुबसूरत होता है...*
*तो कोई भीतर से....*

         *🌹सुप्रभात*🌹
♏💟♈
*मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का , उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले...*

 ♏💟♈
*होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है , इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है...*

♏💟♈
*और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा , राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा...*

♏💟♈
*ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना ही समझ लीजे , इक आग का दरिया है और डूब के जाना है...*
: ♏💟♈
*गिला भी तुझ से बहुत है मगर मोहब्बत भी , वो बात अपनी जगह है ये बात अपनी जगह...*
: ♏💟♈
*इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब' , कि लगाए न लगे और बुझाए न बने...*
: ♏💟♈
*हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को , क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया...*
: ♏💟♈
*झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं , दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं...*
: “मेरी और उस की आरज़ू में फ़र्क़ ये था...,
मुझे बस वो...और उसे सारा ज़माना चाहिए था।”

*रख लो आईने हजार तसल्ली के लिए पर सच के लिए तो, आँखे ही मिलानी पड़ेगीl*
     🌹
: उन्होंने फैसले ही फासले बढ़ाने वाले किए थे
वरना कोई नहीं था उनसे  ज्यादा करीब मेरे..!


 दरिया आँखों में था फिर भी प्यास रही
ज़िन्दगी भर ज़िन्दगी की तलाश रही

: धड़कता है
 मेरा दिल उनकी धड़कनों से,
जुड़ा रहता है 
"एक ख्याल" उनका हर पल मेरे खयालों से...!!!

: कुछ इश्क ..
इज़हार और इन्कार से परे होते हैं ..


: *दस्तक ना दिया करे यूं बार-बार दिल पर साहेब....*
*सूने दिल में आवाज़ गूंजती बहुत है.....*
 हम  डरते  हैं , एक  दुसरे  से  मिलने के लिये ,

 मुझे  इश्क  है  इसलिये , और  उन्हें  इश्क  ना 
           हो  जाये  इसलिये ........


 ज़िंदगी हर बेबसी पर मुस्कुराती है
    और कहती है की,
  अगर आज खुद पर भरोसा करेगा, 
  तो कल सब तुझ पर भरोसा करेंगे II

 फासला दिल से ना हो बस यही दुआ करे 
कभी यादों में कभी ख्वाबों में मिला करे


: धीमी धीमी सी हवा चले ?
उनके कदमो की आहट आये ....
वो आके पूछे हाल मेरा  ?
मेरे लबो पर मुस्कराहट आये ...


 कुछ घाव माफी की
इजाज़त नहीं देते हैं साहब !!

: *नकारात्मक लोगों से*
*सदैव दूर रहना चाहिए!* 
*क्योंकि..*
*उन्हें समाधान में भी*
 *समस्या ही नज़र आती है..!!*
🙏 *Good morning* 🙏


*करम की गठरी लाद के,*
              *जग में फिरे इंसान,!!*
*जैसा करे वैसा भरे,*
              *विधि का यही विधान,!!*
*कर्म करे किस्मत बने,*
              *जीवन का ये मर्म,!!*
*प्राणी तेरे भाग्य में,*
              *तेरा अपना कर्म!!*
*🙏🌹Goòoooooooood morning 🌹🙏*
: जो  आपको  सम्मान दे उसी को सम्मान  दीजिए, हैसियत देखकर सर झुकाना कायरता का लक्षण है!!
: *_बुराई अच्छी भी लगे,_*
*_तो भी अच्छी नहीं है॥_

*जो आनंद अपनी छोटी पहचान बनाने में है।*
*वो किसी बड़े आदमी की परछाई बनने मे नही है।*


 *कितनी अजीब बात है कि हम सब.*
*खुश*
*रहने के लिए परेशान रहते हैं..!!*


 *"दुनिया" में प्रत्येक "व्यक्ति" अपनी "योग्यता"अनुसार ही "चमकता" है*
 *इच्छा अनुसार नहीं*


: समझ “अनुभव” से आती है.....
उम्र बढ़ने से नहीं.....

 *सुखी होने में ज्यादा खर्च नहीं होता!*
*लेकिन हम कितने सुखी हैं, यह लोगों को दिखाने में बहुत खर्च होता है !!*


: क़ानून तो सिर्फ बुरे लोगों के लिए होता है....! ..
 अच्छे लोग तो शर्म से ही मर जाते हैं


 *नसीहत अच्छी देती है दुनिया,*
*अगर  दर्द  किसी  ग़ैर  का  हो।*।


बादशाह सिर्फ वक्त होता है, 
इन्सान तो यूँ ही गुरुर करता है !!

: *जितना ज्यादा दूर से देखोगे लोग उतने ज्यादा अच्छे लगेंगे ।*
: *"प्रेम" या "सम्मान" का भाव सिर्फ उन्हीं के प्रति रखिएगा।*
*"जो आपके "मन" की भावनाओं को समझते हैं।*
*"कहते है कि*----
*जलो वहाँ , जहाँ जरूरत हो।*
*"उजालों" में "चिरागों" के मायने नहीं होते।*
        
 🌷🌷 *Good Morning *🌷 ♏💟♈
*बादशाह थे हम अपनी मिजाज ए मस्ती के , इश्क़ ने तेरे दीदार का फ़क़ीर बना दिया..!!*
 ♏💟♈
*इश्क़ है या कुछ और ये तो पता नहीं, पर जो तुमसे है वो किसी और से नही..!!*
: ♏💟♈
*उन्हे देखकर एहसास हुआ कोई है, जो सिर्फ हमारा है, दूर होकर भी मेरे दिल में बसा है..!!*

: ♏💟♈
*इश्क का दस्तूर ही ऐसा है, जो इस को जान लेता है , ये उसकी जान लेता है..!!*
: ♏💟♈
*मेरे इश्क़ से मिली है तेरे हुस्न को ये शौहरत, तेरा ज़िक्र ही कहाँ था मेरी दीवानगी से पहले..!!*

: ♏💟♈
*कोहरा सा बनकर मेरे दिल पे छा गए हो, तुम्हारे सिवाय कुछ दिखता ही नहीं..!!*
♏💟♈
*चाहे कितनी भी तकलीफ दे इश्क़ , पर सुकून भी इश्क़ से ही मिलता है..!!* ♏💟♈
*इबादत ए इश्क बस इतना है, तु रहे सदा पास मेरे, मै रहू सदा एहसासो मे तेरे..!!*

*वो इश्क़ ही हैं, जो जीने की वजह देता हैं,...*

वो इश्क़ ही हैं, जो जीने नहीं देता...!*

: *कहानी शुरू हुई हैं, तो ख़त्म भी होगी,...* 
*क़िरदार क़ाबिल हुए तो, याद भी रखे जाएंगे...!*

 *ये झूठ हैं की इश्क़ में, दिल टूट जाते हैं,...* 

*लोग ख़ुद टूट जाते हैं, इश्क़ करते-करते...!*

*इश्क़ को, हसीन बताने वालों,...* 
*लगता हैं तुम्हारी मोहब्बत, अभी नई-नई हैं...!*

 *हैरत में पड़ गया हूँ, मर कर मैं दोस्तों,...* 
*ठोकरें मारने वाले, आज कांधा दे रहे हैं...!*

 *तुम जानते हो, मेरे दिल की बात,...*
*ख़ैर छोड़ो, जानते होते तो तुम मेरे होते...!*
[

 *दर्द भी, उनको ही मिलता हैं,...* 

*जो रिश्ते, दिल से निभाते हैं...!*

*ग़ैरों से कहा तुमने, ग़ैरों से सुना तुमने,...* 
*कुछ हमसे कहा होता, कुछ हमसे सुना होता...!* 
                                            
 *मदहोश कर देता हैं, आते ही ये दिसम्बर,...*
*कि कुछ सोए अरमांँ, जगा देता हैं ये दिसम्बर...!*
: *जलाते हो बुझाते हो, बुझाकर फ़िर जलाते हो,...* 
*चराग-ए-बेबसी का फ़ायदा, तुम भी क्या ख़ूब उठाते हो...!*
 ♏💟♈
*तेरा ख़याल तेरी तलब और तेरी आरज़ू इक, भीड़ सी लगी है मेरे दिल के शहर में...*
: ♏💟♈
*ना जाने कौन सी दौलत हैं, कुछ लोगों के लफ़्जों में, बात करते हैं तो दिल ही खरीद लेते हैं...*
 ♏💟♈
*इश्क़ हारा है तो दिल थाम के क्यों बैठे, हो तुम तो हर बात पर कहते थे कोई बात नही...*
: ♏💟♈
*ले गया छीन के कौन आज तेरा सब्र ओ करार, बेक़रारी तुझे ऐ दिल कभी ऐसी तो न थी...*
: ♏💟♈
*दिल पागल है, रोज़ नई नादानी करता है , आग में आग मिलाता है फिर पानी करता है...*
: ♏💟♈
*तुम पर हक जताना अच्छा लगता है, एक तुम ही तो हो जो अपनी सी लगती हो...*
: ♏💟♈
*कोई नही जो तेरी कमी पूरी कर सके और कोई नही जिससे मैं, तेरी तरह प्यार कर सकूं...*
♏💟♈
*जिस रिश्ते में भरोसा अटूट होता है वही, रिश्ता इस दुनिया में सबसे मजबूत होता है...*
: ♏💟♈
*सच्ची मोहब्बत कभी खत्म नहीं होती, बस वक़्त के साथ खामोश हो जाती है...*


🌹दर्द का एहसास जानना है तो प्यार करके देखो , अपनी आँखों में किसी को उतार कर देखो........

चोट उनको लगेगी आँसू तुम्हें आ जायेंगे , ये एहसास जानना है तो दिल हार कर देखो........✍🏻😄
: "जिसे हम चाहे"

"उसे और क्या चाहिए"❤️
: आँखों पर तेरी निगाहों ने 
           दस्तखत क्या किए 

हमने साँसों की वसीयत 
            तुम्हारे नाम कर दी💞💕

    🌹

दूसरों पर अगर तब्सिरा कीजिए**सामने आइना रख लिया कीजिए*- ख़ुमार बाराबंकवी

*.... नहीं क्यूँ , पर हमें तो विरोध करना है !*

लखन दादा सड़क के लिए अनशन करे - विरोध करो
लखन दादा आमरण भूख हड़ताल करे - विरोध करो
लखन दादा दिल्ली पदयात्रा करें - विरोध करो
लखन दादा दंगों में ढाल बने - विरोध करो
लखन दादा भुज भूकंप में ट्रकों सामग्री बाँटे - विरोध करो
लखन दादा गरीब बस्तियों में दवाइयाँ बाँटे- विरोध करो
लखन दादा त्योहारों में शालीनता लाये - विरोध करो
लखन दादा समस्त हिन्दू जातियों को एक करें - विरोध करो
लखन दादा झाबुआ में शिवगंगा अभियान चलायें- विरोध करो।

*और फिर .....*
मालिनी भाभी राजनीति में शालीनता की  नयी परिभाषा गढ़े - विरोध करो
मालिनी भाभी कर्मठ कार्यकर्ताओं को आगे लाकर पार्षद पद का उम्मीदवार बनाये - विरोध करो
मालिनी भाभी इंदौर की गंदगी की कालिख को , सफ़ाई के चंदन में बदल दे तो भी - विरोध करो
मालिनी भाभी शहर को इतने अवॉर्ड्स माननीय मोदी जी और अमित शाह जी से दिलवा दे तो भी - विरोध करो
मालिनी भाभी भर  कोविड में अपनी टीम के साथ दवाई और भोजन बाँटें तो भी - विरोध करो
पर भाभी कहाँ रुकने वाली, जनसेवा में नये आयाम गढ़ती जा रही।

*और अब......*
एकलव्य जी क्यों लोकप्रिय हुए जा रहे - विरोध करो
ये एकलव्य जी , लखन दादा की राह पर कठोर  मेहनत  करते , क्यों नये आयाम गढ़ते जा रहे - विरोध करो
एकलव्य जी , आधी रात को कार्यकर्ताओं के सुख दुख में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे - विरोध करो
लखन दादा के बाद , ऐसा युवाओं का हुजूम एकलव्य जी के साथ है, विरोध करो।
एकलव्य जी  धर्म और राष्ट्र को अपने सिरमाथे रख कर राष्ट्रद्रोहियों से मुक़ाबला कर रहे - विरोध करो।

....तो कुल मिला के अपने को विरोध करना है, घर में  सगे- संबंधियों का, 
बाहर मित्रों का , अनजाने में अपने आचरण  से  अपने दल का।
मौक़ा मिले तो एक दूजे का भी। 

मित्रों इस तरह कि व्यवहार से किसी को नहीं जीता जा सकता, सिवाय आत्ममुग्ध होने के । 

ईश्वर ...... विरोध करने की और शक्ति दे उनको, और हम सबको संबल दे ऐसे विरोध और विरोधियों को शुचिता के मार्ग पर लाने का । 

*दूसरों पर अगर तब्सिरा कीजिए*
*सामने आइना रख लिया कीजिए*
- ख़ुमार बाराबंकवी

जय जय

बात उन दिनों की है जब हम कॉलेज में प्रथम वर्ष के छात्र थे!**दशहरा बीत चुका था, दीपावली समीप थी, तभी एक दिन कुछ युवक-युवतियों की NGO टाइप टोली हमारे कॉलेज में आई!*

*बात उन दिनों की है जब हम कॉलेज में प्रथम वर्ष के छात्र थे!*
*दशहरा बीत चुका था, दीपावली समीप थी, तभी एक दिन कुछ युवक-युवतियों की NGO टाइप टोली हमारे कॉलेज में आई!*

*उन्होंने छात्रों से कुछ प्रश्न पूछे; किन्तु एक प्रश्न पर कॉलेज में सन्नाटा छा गया!*

*उन्होंने पूछा, "जब दीपावली भगवान राम के १४ वर्षो के वनवास से अयोध्या लौटने के उतसाह में मनाई जाती है, तो दीपावली पर "लक्ष्मी पूजन" क्यों होता है ? श्री राम की पूजा क्यों नही?"*

*प्रश्न पर सन्नाटा छा गया, क्यों कि उस समय कोई सोशियल मीडिया तो था नहीं, स्मार्ट फोन भी नहीं थे! किसी को कुछ नहीं पता! तब, सन्नाटा चीरते हुए, हममें से ही एक हाथ, प्रश्न का उत्तर देने हेतु ऊपर उठा!*

*हमने बताया कि "दीपावली उत्सव दो युग "सतयुग" और "त्रेता युग" से जुड़ा हुआ है!"*

*"सतयुग में समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी उस दिन प्रगट हुई थी! इसलिए "लक्ष्मी पूजन" होता है!*

*भगवान श्री राम भी त्रेता युग मे इसी दिन अयोध्या लौटे थे! तो अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था! इसलिए इसका नाम दीपावली है!*

*इसलिए इस पर्व के दो नाम हैं, "लक्ष्मी पूजन" जो सतयुग से जुड़ा है, और दूजा "दीपावली" जो त्रेता युग, प्रभु श्री राम और दीपो से जुड़ा है!*

*हमारे उत्तर के बाद थोड़ी देर तक सन्नाटा छाया रहा, क्यों कि किसी को भी उत्तर नहीं पता था! यहां तक कि प्रश्न पूछ रही टोली को भी नहीं!* 

*खैर कुछ देर बीद। सभीने खूब तालियां बजाई!*

*उसके बाद, एक  समाचारपत्र ने हमारा साक्षात्कार (इंटरव्यू) भी किया!* 

*उस समय समाचारपत्र का साक्षात्कार करना बहुत बड़ी बात हुआ करती थी!*

*बाद में पता चला, कि वो टोली आज की शब्दावली अनुसार "लिबरर्ल्स" (वामपंथियों) की थी, जो हर कॉलेज में जाकर युवाओं के मस्तिष्क में यह बात डाल रही थी, कि "लक्ष्मी पूजन" का औचित्य क्या है, जब दीपावली श्री राम से जुड़ी है?" कुल मिलाकर वह छात्रों का ब्रेनवॉश कर रही थी!* 

*लेकिन हमारे उत्तर के बाद, वह टोली गायब हो गई!*

*एक और प्रश्न भी था, कि लक्ष्मी और। श्री गणेश का आपस में क्या रिश्ता है?*

*और दीपावली पर इन दोनों की पूजा क्यों होती है?* 

*सही उत्तर है :*

*लक्ष्मी जी जब सागर मन्थन में मिलीं, और भगवान विष्णु से विवाह किया, तो उन्हें सृष्टि की धन और ऐश्वर्य की देवी बनाया गया! तो उन्होंने धन को बाँटने के लिए मैनेजर कुबेर को बनाया!*

*कुबेर कुछ कंजूस वृति के थे! वे धन बाँटते नहीं थे, सवयं धन के भंडारी बन कर बैठ गए!*

*माता लक्ष्मी परेशान हो गई! उनकी सन्तान को कृपा नहीं मिल रही थी!*

*उन्होंने अपनी व्यथा भगवान विष्णु को बताई! भगवान विष्णु ने उन्हें कहा, कि "तुम मैनेजर बदल लो!"*

*माँ लक्ष्मी बोली, "यक्षों के राजा कुबेर मेरे परम भक्त हैं! उन्हें बुरा लगेगा!"*

*तब भगवान विष्णु ने उन्हें श्री गणेश जी की दीर्घ और विशाल बुद्धि को प्रयोग करने की सलाह दी!* 

*माँ लक्ष्मी ने श्री गणेश जी को "धन का डिस्ट्रीब्यूटर" बनने को कहा!*

*श्री गणेश जी ठहरे महा बुद्धिमान! वे बोले, "माँ, मैं जिसका भी नाम बताऊंगा, उस पर आप कृपा कर देना! कोई किंतु, परन्तु नहीं! माँ लक्ष्मी ने हाँ कर दी!*

*अब श्री गणेश जी लोगों के सौभाग्य के विघ्न/रुकावट को दूर कर उनके लिए धनागमन के द्वार खोलने लगे!*

*कुबेर भंडारी ही बनकर रह गए! श्री गणेश जी पैसा सैंक्शन करवाने वाले बन गए!*
 
*गणेश जी की दरियादिली देख, माँ लक्ष्मी ने अपने मानस पुत्र श्री गणेश को आशीर्वाद दिया, कि जहाँ वे अपने पति नारायण के सँग ना हों, वहाँ उनका पुत्रवत गणेश उनके साथ रहें!*

*दीपावली आती है कार्तिक अमावस्या को! भगवान विष्णु उस समय योगनिद्रा में होते हैं! वे जागते हैं ग्यारह दिन बाद, देव उठावनी एकादशी को!*

*माँ लक्ष्मी को पृथ्वी भ्रमण करने आना होता है शरद पूर्णिमा से दीवाली के बीच के पन्द्रह दिनों में, तो वे सँग ले आती हैं श्री गणेश जी को! इसलिए दीपावली को लक्ष्मी-गणेश की पूजा होती है!*
🙏🌹🙏
(यह कैसी विडंबना है, कि देश और हिंदुओ के सबसे बड़े त्यौहार का पाठ्यक्रम में कोई विस्तृत वर्णन नहीं है? औऱ जो वर्णन है, वह अधूरा है!)🖊️

*इस लेख को पढ़ कर स्वयं भी लाभान्वित हों, अपनी अगली पीढी को बतायें और दूसरों के साथ साझा करना ना भूलें !* 🙌

*और इस बार-बार👉🏻 शेयर करते रहें दिवाली तक सभी देशवासियों को इसकी पूरी तरह से जानकारी हो जाए* 
🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩*

प्रेम की पीड़ा*

प्रेम की पीड़ा*
कुछ लोग प्रेम के कारण पीड़ित होते हैं, क्योंकि वे चाहते हैं फलां व्यक्ति मुझे प्रेम करे। अब यह फलां व्यक्ति की स्वतंत्रता है कि तुम्हें प्रेम करे, या न करे। यह तुम्हारा आग्रह नहीं हो सकता। तुमने किसी के सामने जाकर और किसी के घर के सामने जाकर और बोरिया बिस्तर लगा दिया और कहा कि हम अनशन करेंगे, हम से प्रेम करो, हम सत्याग्रह करते है, नहीं तो हम मर जाएंगे।


ऐसा हुआ एक गांव में। एक आदमी ने ऐसा लगा दिया एक सुंदर युवती के द्वार पर। उसका बाप तो बहुत घबडाया सत्याग्रहियो से कौन नहीं घबड़ाता! और उसके दो चार साथी संगी भी थे, उन्होंने बाजार में जाकर खूब शोरगुल मचा दिया कि सत्याग्रह हो गया है। गांव भर उत्सुक हो गया, लोगों की भीड़ आने लगी, लोग उससे पूछने लगे कि क्या मामला है? वह बाप तो बहुत घबड़ाया। उसने कहा अब करना क्या है! शाम तक तो बहुत गांव में शोरगुल मच गया और सारा गांव उसके पक्ष में, क्योंकि उसने सत्याग्रह किया गांधीवादी। यह कोई पूछे नहीं कि सत्याग्रह किया किसलिए। अब मोरारजी ने अनशन किया था, किसी ने पूछा किसलिए किया था? वह गांधीवादी! कोई सत्ता पाने के लिए अनशन कर रहा है, यह तो बेचारा भला ही आदमी है, प्रेम पाने के लिए अनशन कर रहा है, कोई बुरा काम तो कर नहीं रहा है! लेकिन किसी ने यह सोचा ही नहीं कि वह युवती भी इसे प्रेम करती है या नहीं, अन्यथा यह जबर्दस्ती हो गई। सब तरह के सत्याग्रह जबर्दस्तिया है। उनके भीतर हिंसा है। ऊपर से अहिंसा का ढोंग है।


सांझ तक तो उसका बाप बहुत घबड़ा गया, उसने कहा ऐसा अगर चला तो… सारे गांव का दबाव पड़ने लगा, लोग फोन करने लगे, चिट्ठिया आने लगीं, अखबार में खबरें छप गइ, पोस्टर लग गए कि बहुत अन्याय हो रहा है, सत्याग्रही के साथ बहुत अन्याय हो रहा है, आमरण अनशन है, वह मर जाएगा। प्रेम के लिए ऐसा दीवाना कब देखा गया? मजनू ने भी ऐसा नहीं किया था। और बेचारा बिलकुल अहिंसक है! वहा बैठा है अपना खादी के कपड़े पहने हुए, कुछ बोलता नहीं, कुछ चलता नहीं, चुप बैठा है। किसी ने उस लड़की के बाप को सलाह दी कि अगर इससे निपटना हो तो एक ही रास्ता है, उससे ही निपट सकते हो। क्या रास्ता है? उसने कहा मैं हल कर देता हूं। वह भागा गया और एक बूढ़ी वेश्या को लिवा लाया। एक बिलकुल मरी मराई वेश्या। एक तो वेश्या और मरी मराई, उसको देखकर किसी का जी मिचला जाए, भयंकर बदबू उससे आ रही, उसको ले आया। उस युवक ने जब देखा, वह जो सत्याग्रह कर रहा था, उसने पूछा तू यहा किसलिए आई? उसने कहा मुझे तुम से प्रेम है। मैं भी यहीं सत्याग्रह करती हूं जब तक तुम मुझ से विवाह न करोगे, मर जाऊं भला! बस फिर घड़ी आधा घड़ी में युवक ने अपना बिस्तर समेटा और भागा। फिर सत्याग्रह समाप्त हो गया।


तो प्रेम तुम्हें कष्ट दे सकता है, अगर तुम जबर्दस्ती किसी पर थोपना चाहो। लेकिन यह प्रेम है? यह प्रेम ने कष्ट दिया, यह अहंकार ही है। यह हिंसा ने कष्ट दिया। तुम्हें हक नहीं है किसी पर अपना प्रेम थोपने का, न हक है जबर्दस्ती किसी से प्रेम मांगने का। प्रेम में जबर्दस्ती तो हो ही नहीं सकती। तो कष्ट पाओगे।



या, जिसे तुमने चाहा वह तुम्हें मिल गया। लेकिन मिलने के बाद तुमने उस पर बहुत अपने को आरोपित किया, तुमने उसे अपनी संपत्ति बनाना चाहा, तुमने उसके सब तरफ पहरे बिठा दिए, तुमने कहा, बस मुझ से प्रेम और किसी से भी नहीं, मेरे साथ हंसना और किसी और के साथ नहीं, और तुम बड़े भयभीत हो गए और तुम सुरक्षा करने लगे, और तुम सदा चिंता करने लगे और तुम जासूसी करने लगे और अगर तुमने अपनी पत्नी को या अपने पति को किसी के साथ हंसते और मुस्कुराते देख लिया तो तुम्हारे भीतर आग लग गई; इससे तुमने कष्ट पाया, इससे तुम पीड़ित हुए, लेकिन यह पीड़ित होने का कारण प्रेम नहीं है। दूसरे को संपत्ति मानने में ही पीड़ा है।
 

अथातो भक्ति जिज्ञासा 
:
:ओशो 

शुद्ध प्राण वायु बनाने का सबसे सरल तरीका।*

शुद्ध प्राण वायु बनाने का सबसे सरल तरीका।* 


आयुर्वेद ग्रंथों में हमारे ऋषि मुनियों ने पहले ही बता दिया था धोवन पानी पीने का वैज्ञानिक तथ्य और आज की आवश्यकता :-
वायुमण्डल में प्राणवायु ऑक्सीजन की अधिकतम मात्रा 21% होती है, लेकिन आज यह मात्रा भारत के किसी गाँव में 18 या 19% से ज्यादा नहीं है और शहरों में तो 11 या 12 % तक ही है जबकी भारतीय गाय के ताज़ा गोबर में प्राणवायु ऑक्सीजन की मात्रा 23% होती है, जब इस गोबर को सुखा कर कण्डा बनाया जाता है तो इसमें ऑक्सीजन की मात्रा बढ़कर 27% हो जाती है जब इस कण्डे को जलाकर जो राख बनतीं हैं तो इसमें ऑक्सीजन की मात्रा बढ़कर 30% हो जाती है, इसी को भस्म बना देने पर प्राणवायु 46.6% हो जाती है, जब भस्म को दोबारा जलाकर विशुद्ध भस्म बनाते हैं तो इसमें 60% तक प्राणवायु आ जाता है, जब कि मॉडर्न विज्ञान कहता है कि किसी भी वस्तु को प्रोसेस करने से उसमें हानि होती है।
१० लीटर जल में अगर २५ ग्राम भस्म मिला दें तो जल शुद्ध होने के साथ उसमें सभी आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति हो जाती है।
अपने घर में गऊ माता के गोबर के कंडे का धुंआ कीजिये और रात को पीने के पानी में भस्म का उपयोग कर के देखिए।
अग्निहोत्र भस्म :-
अग्निहोत्र गौ भस्म_को ध्यान से पढ़ेगें तो पाएंगे कि यह गौ-भस्म ( राख ) आपके लिए कितनी उपयोगी है।
साधू -संत लोग संभवतः इन्ही गुणों के कारण इसे प्रसाद रूप में भी देते थे।
जब गोबर से बनायीं गई भस्म इतनी उपयोगी है तो गाय कितनी उपयोगी होगी यह आप सोच सकते है।
आपको एक लीटर पानी में 10-15 ग्राम  यानि 3-4 चम्मच भस्म मिलाना है, उसके बाद भस्म जब पानी के तले में बैठ जाये फिर इसे पी लेना है।
इससे सारे पानी की अशुद्धि दूर हो जाएगी और आपको मिलेगा इतने पोषक तत्व :-
यह लैबोटरी द्वारा प्रमाणित है।
तत्व रूप / ELEMENT FORM
१. ऑक्सीजन  O = 46.6 %
२. सिलिकॉन  SI  = 30.12 %
३. कैल्शियम Ca = 7.71 %
४. मैग्नीशियम Mg = 2.63 %
५.  पोटैशियम K = 2.61 %
६. क्लोरीन CL = 2.43 %
७. एल्युमीनियम Al  = 2.11 %
८. फ़ास्फ़रोस P = 1.71 %
९. लोहा Fe = 1.46 %
१०. सल्फर S =1.46 %
११. सोडियम Na = 1 %
१२. टाइटेनियम Ti = 0.19 %
१३. मैग्नीज Mn =0.13 %
१४. बेरियम Ba = 0.06 %
१५. जस्ता Zn = 0.03 %
१६. स्ट्रोंटियम Sr = 0.02 %
१७. लेड Pb = 0.02 %
१८. तांबा Cu = 80 PPM
१९. वेनेडियम V=72 PPM
२०. ब्रोमिन Br = 50 PPM
२१. ज़िरकोनियम Zr 38 PPM
आक्साइड रूप :-
१. सिलिकाँन डाइऑक्साइड -
              SIO2 = 64.44%
२. कैल्शियम ऑक्साइड
            CaO =10.79 %
३. मैग्नीशियम ऑक्साइड
       MgO = 4-37 %
४. एल्युमीनियम ऑक्साइड
        AI2O3 = 3.99%
५. फास्फोरस पेंटाक्साइड
        P2O5 = 3.93%

 पोटेशियम ऑक्साइड
       K2O = 3.14 %
७. सल्फर ऑक्साइड
       SO3 = 2.79%
८. क्लोरीन  CL=2.43 %
९.  आयरन ऑक्साइड
      Fe2O3=2.09%
१०. सोडियम ऑक्साइड
       Na2O = 1.35 %
११.  टाइटेनियम ऑक्साइड
        TiO2 = 0.32%
१२. मैंगनीज ऑक्साइड
      MnO = 0.17 %
१३.  बेरियम ऑक्साइड
        BaO = 0.07 %
१४.  जिंक ऑक्साइड  
       ZnO = 0.03%
१५.  स्ट्रोंटियम ऑक्साइड
        SrO = 0.03%
१६. लेड ऑक्साइड
      PbO = 0.02%
१७. वेनेडियम ऑक्साइड
      V2O5 = 0.01 %
१८. कॉपर ऑक्साइड
       CuO = 0.01%
१९. जिरकोनियम ऑक्साइड
         ZrO2 =52 PPM
२०. ब्रोमिन Br = 50 PPM
२१.  रुबिडियम ऑक्साइड
      Rb2O = 32 PPM
शरीर में आक्सीजन की मात्रा को बढ़ाने के लिए यह गोबर की भस्म  बहुत उपयोगी है। 


🪷 _ 🪷 _ 🪷 _ 🕉️ _ 🪷 _ 🪷 _ 🪷
   *🪷🪷।। शुभ वंदन ।।🪷🪷*
*🪷🪷प्रेषक: डॉ दर्शन बांगिया🪷🪷*
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः।
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।
मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
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एक डेढ़ महीने पहले जन्मा बच्चा कितना बड़ा होता है....... उसकी समझ क्या होती होगी.... माँ को भी बस वो पहचानना शुरू ही किया होगा... देखता होगा तो हाथ पैर चलाता होगा... एक निश्छल हँसी उसके चेहरे पर आजाती होगी...वो कोई भी प्यार से गोद में उठा ले तो खुद को उसी का हिस्सा समझता होगा....

एक डेढ़ महीने पहले जन्मा बच्चा कितना बड़ा होता है....... उसकी समझ क्या होती होगी.... माँ को भी बस वो पहचानना शुरू ही किया होगा... देखता होगा तो हाथ पैर चलाता होगा... एक निश्छल हँसी उसके चेहरे पर आजाती होगी...
वो कोई भी प्यार से गोद में उठा ले तो खुद को उसी का हिस्सा समझता होगा....

हमारे आपके बच्चे इस उम्र में ऐसे ही तो थे....

और कोई डेढ़ माह के बच्चे को खुद का शत्रु माने.... अपने मजहब के खिलाफ़ उसके वजूद को माने...
उसे मिटाना अपना फर्ज़ माने.....
क्या कहेँगे उसे....

7 अक्टूबर को हमास के मारे गए आतंकी के फ़ोन से एक वीडियो मिला जिसने हर मनुष्य को झकझोर दिया जिसने भी देखा या उसके वारे में सुना...
हमास के तीन आतंकी एक यहूदी घर में घुसे.... उस घर के पुरुष सदस्य को गोली मार दी गयी उसकी पत्नी को बंधक बना लिया....
और फिर पत्नी की गोद से उसका डेढ़ महीने का बेटा छीन उसे जीवित ही ओवन में रख दिया.....

वो बच्चा...........

उसकी माँ के साथ उन्होंने बारी बारी....

ये बीता उस दिन उस यहूदी परिवार के साथ...

क्या कोई ऐसा व्यक्ति जो दुनियाँ में कहीं भी हमास और गाज़ा के लोगों के लिए रत्ती भर संवेदना रखता है इस वीभत्स कृत्य का भागी नहीं हुआ??

और मुझे कोई एक वजह बता दे कि गाज़ा में मरते सु अ र, सु अ रि या और उनके घेटों पर मुझे दया आये...

जो बोया है..... उन्हें काटना ही चाहिए...
ये नियति उन्होंने खुद तय की है अपने लिए...
#show_no_mercy

स्थानीय कॉलेज में अर्थशास्त्र के एक प्रोफेसर ने अपने एक बयान में कहा कि – “उसने पहले कभी किसी छात्र को फेल नहीं किया था, पर हाल ही में उसने एक पूरी की पूरी क्लास को फेल कर दिया है l

स्थानीय कॉलेज में अर्थशास्त्र के एक प्रोफेसर ने अपने एक बयान में कहा कि – “उसने पहले कभी किसी छात्र को फेल नहीं किया था, पर हाल ही में उसने एक पूरी की पूरी क्लास को फेल कर दिया है l

........ क्योंकि उस क्लास ने दृढ़तापूर्वक यह कहा था कि समाजवाद सफल होगा और न कोई गरीब होगा और न कोई धनी होगा”*, *क्योंकि उन सब का दृढ़ विश्वास है कि यह सबको समान करने वाला एक महान सिद्धांत है.....

तब प्रोफेसर ने कहा–* *अच्छा ठीक है !

आओ हम क्लास में समाजवाद के अनुरूप एक प्रयोग करते हैं।

 सफलता पाने वाले सभी छात्रों के विभिन्न ग्रेड (अंकों) का औसत निकाला जाएगा और सबको वही एक काॅमन ग्रेड दिया जायेगा।* 

*पहली परीक्षा के बाद.....
*सभी ग्रेडों का औसत निकाला गया और प्रत्येक छात्र को B ग्रेड प्राप्त हुआl*

*जिन छात्रों ने कठिन परिश्रम किया था वे परेशान हो गए और जिन्होंने कम पढ़ाई की थी वे खुश हुए l*

*दूसरी परीक्षा के लिए कम पढ़ने वाले छात्रों ने पहले से भी और कम पढ़ाई की और जिहोंने कठिन परिश्रम किया था, उन्होंने यह तय किया कि वे भी मुफ़्त का ग्रेड प्राप्त करेंगे और उन्होंने भी कम पढ़ाई की l*

*दूसरी परीक्षा में ......* 
*सभी का काॅमन ग्रेड D आया l*
*इससे कोई खुश नहीं था और सब एक-दूसरे को कोसने लगे।*

*जब तीसरी परीक्षा हुई.......* 
*तो काॅमन ग्रेड F हो गया l*

*जैसे-जैसे परीक्षाएँ आगे बढ़ने लगीं, स्कोर कभी ऊपर नहीं उठा, बल्कि और भी नीचे गिरता रहा।* *आपसी कलह, आरोप-प्रत्यारोप, गाली-गलौज और एक-दूसरे से नाराजगी के परिणाम स्वरूप कोई भी नहीं पढ़ता था, क्योंकि कोई भी छात्र अपने परिश्रम से दूसरे को लाभ नहीं पहुंचाना चाहता था l*

*अंत में सभी आश्चर्यजनक रूप से फेल हो गए और प्रोफेसर ने उन्हें बताया कि -* 
*इसी तरह* *समाजवाद* *की नियति भी अंततोगत्वा फेल होने की ही है, क्योंकि इनाम जब बहुत बड़ा होता है तो सफल होने के लिए किया जाने वाला उद्यम भी बहुत बड़ा करना होता है l*
*परन्तु जब सरकारें मेहनत के सारे लाभ मेहनत करने वालों से छीन कर वंचितों और निकम्मों में बाँट देगी, तो कोई भी न तो मेहनत करना चाहेगा और न ही सफल होने की कोशिश करेगा l*

*उन्होंने यह भी समझाया कि -* 
*" इससे निम्नलिखित पाँच सिद्धांत भी निष्कर्षित व प्रतिपादित होते हैं -*

*1.*यदि आप राष्ट्र को समृद्ध और समाज को को सक्षम बनाना चाहते हैं, तो किसी भी व्यक्ति को उसकी समृद्धि से बेदखल करके गरीब को समृद्ध बनाने का क़ानून नहीं बना सकते।*

*2.*जो व्यक्ति बिना कार्य किए कुछ प्राप्त करता है, तो वह अवश्य ही अधिक परिश्रम करने वाले किसी अन्य व्यक्ति के इनाम को छीन कर उसे दिया जाता है।*

*3.*सरकार तब तक किसी को कोई वस्तु नहीं दे सकती जब तक वह उस वस्तु को किसी अन्य से छीन न ले।*

*4.*आप सम्पदा को बाँट कर उसकी वृद्धि नहीं कर सकते।*

*5.*जब किसी राष्ट्र की आधी आबादी यह समझ लेती है कि उसे कोई काम नहीं करना है, क्योंकि बाकी आधी आबादी उसकी देख-भाल जो कर रही है और बाकी आधी आबादी यह सोच कर ज्यादा अच्छा कार्य नहीं कर रही कि उसके कर्म का फल किसी दूसरे को मिलना है, तो वहीं से उस राष्ट्र के पतन और अंततोगत्वा अंत की शुरुआत हो जाती है।*

*जरूर पढ़ें और यदि समझ में आये तो देश हित में शेयर करें...*