Thursday, 11 January 2024

सूर्य और प्रकृति का महापर्व मकर संक्रांति मकर संक्रांति डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह ज्योतिष शिरोमणि मौसम विज्ञानी

सूर्य और प्रकृति का महापर्व मकर संक्रांति मकर संक्रांति  डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह ज्योतिष शिरोमणि मौसम विज्ञानी

 सनातन धर्म और भारत के प्रमुख पर्वों में से एक है यह मकर संक्रांति जिसे माघी खिचड़ी उत्तर संक्रांति तिल संक्रांति उत्तरायण और संक्रांति  पोंगल बिहू नाम से भी जानी जाती है इसका इतिहास अत्यंत प्राचीन है इस समय सूर्य कर्क राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है और भारत एवं उत्तरी गोलार्ध में ठंड समाप्त होती है और बसंत की ऋतु आती है 


शनि देव सूर्य के पुत्र माने जाते हैं और जब कोई पिता अपने पुत्र के घर जाता है तो वह अत्यंत महत्वपूर्ण समय होता है इसका मुख्य उद्देश्य प्रकृति में परिवर्तन स्नान दान सूर्य भगवान की पूजा गुड़ तिल और दनक इत्यादि को रितु कल के अनुसार ग्रहण करना पितरों को तर्पण देना है जगह-जगह मिले इत्यादि भी लगे रहते हैं यह भारत के अलावा नेपाल भूटान दक्षिण पूर्वी एशिया और अन्य तमाम देशों में भी मनाया जाता है 


मकर संक्रांति का समय बदलता रहता है 18वीं शताब्दी में यह 12 और 13 जनवरी को मनाएंगे इसके बाद 19वीं और 20वीं शताब्दी में यह 14 और 15 दिन जनवरी के दिन मनाई जाती थी


 लंबे समय तक 14 जनवरी को ही मनाये जाने से कुछ लोगों को यह भ्रम हो गया था कि यह 14 जनवरी को ही पड़ती है हर वर्ष सूर्य धनुष से मकर राशि में 20 मिनट के पश्चात प्रवेश करता है इस प्रकार प्रत्येक 3 वर्ष में एक घंटा और हर 72 वर्ष के बाद एक दिन विलंब से मकर संक्रांति को मकर राशि में प्रवेश करता है इसके अनुसार अब 70 से 75 वर्षों तक मकर संक्रांति 15 जनवरी को ही मनाई जाएगी धर्म कथाओं और पुराणों के अनुसार इसी दिन भगवान संक्रांति ने शंकरासुर को परास्त किया और इस दिन देवी ने राक्षस किंकरासुर का वध किया था 


ज्ञात हो कि पहले नया वर्ष जनवरी माह में ही प्रारंभ होता था जो अब धीरे-धीरे मार्च अप्रैल में खिसक गया है लेकिन इसका सबसे बड़ा प्रामाणिक कारण यह है कि इस महापर्व का श्री गणेश पूरे विश्व के सर्वश्रेष्ठ ब्रह्म ऋषि विश्वामित्र के द्वारा किया गया था महाभारत के काल में पांडवों ने भी मकर संक्रांति मनाई थी इस दिन लोग पवित्र नदियों में तालाबों में झील सरोवर में या घर में गंगाजल मिलाकर स्नान करते हैं 


मकर संक्रांति एक पवित्र और धार्मिक महापर्व है इसलिए इस दिन मांस मछली मदिरा प्याज लहसुन से बचना चाहिए और सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए शुद्ध मन से स्नान दान करने पर नकारात्मक एवं गंदे विचार समाप्त हो जाते हैं इस काल में जितने भोजन ग्रहण किए जाते हैं का विधान है वैसा भोजन ग्रहण करने पर पाचन तंत्र भी सही हो जाता है जैसे कि काला या सफेद तिल से बने लड्डू तिल की बनी मिठाई खिचड़ी दही गुड़ चीनी और अन्य मिठाइयां इस दिन गायत्री मंत्र का जाप करना बहुत शुभ माना जाता है


 इस वर्ष 2024 में मकर संक्रांति 15 जनवरी को रवि योग के सुख पूर्ण शुभ काल में मनाया जाएगा सूर्योदय होने तक स्नान कर लेना चाहिए 15 जनवरी को ही खरमास भी समाप्त हो जाएगा और शुभ मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएंगे भगवान सूर्य देव धनु राशि से सुबह 7:15 पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे सूर्य के उत्तरायण के 6 महीने देवताओं के दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात माना जाता है 


इस दिन तांबे के पत्र में जल के साथ काला तिल गुड़ लाल चंदन लाल फूल अक्षत अर्थात बिना टूटा हुआ चावल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए और विद्वान सदाचारी और वास्तविक जरूरतमंदों को दान पूर्ण करना चाहिए तिल के दान का विशेष महत्व है खिचड़ी में भी तिल डालना चाहिए या गुड़ के साथ तिल का सेवन करना चाहिए 


इस दिन मकर संक्रांति अर्थात इस वर्ष 15 जनवरी को सुबह 7:15 से साइन कल 6:21 तक है जो बहुत लंबी है लेकिन स्नान दान का सबसे उत्तम पूर्ण अकाल सुबह 7:15 से संध्या और रात्रि में 9:06 तक है जहां तक वस्त्र की बात है तो पीले हल्के पीले वस्त्र का प्रयोग करें ओम सूर्य देवाय नमः मंत्र का जाप करें इन सभी कार्यों से तन मन शुद्ध होगा ही सूर्य देव की कृपा भी प्राप्त होगी डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह*

No comments:

Post a Comment